अक्सर हम शुरुआत से ही ज़िंदगी में बचत को काफ़ी अहमियत देते आए हैं. हमें बचपन में भी बचत के कई फ़ायदों के बारे में बताया व समझाया जाता है… इन सबमें भी पैसों की बचत का ख़ास महत्व है. पैसे बचाने ज़रूरी होते हैं, क्योंकि बुरे व़क्त में जब कोई काम नहीं आता, तब ये पैसे ही हमारे काम आते हैं… वगैरह… वगैरह!
वैसे पैसे बचाना कोई बुरी बात भी नहीं है, आज के दौर में जहां पैसों का इतना महत्व है, तो यह और भी ज़रूरी हो जाता है, लेकिन कहीं न कहीं इस चक्कर में हम अपने रिश्तों को भूलते चले जाते हैं. पैसे तो बचा लिए, लेकिन क्या रिश्ते बचाए? क्या उन्हें बचाने के इतने प्रयास किए, जितने पैसे बचाने के लिए किए? क्या रिश्तों को उतनी अहमियत दी, जितनी पैसों को दी…?
जवाब यही होता है कि नहीं, लेकिन बेहतर यही होगा कि व़क्त रहते हम संभल जाएं और पैसों के साथ-साथ अपने रिश्तों को भी बचाएं.
– जिस तरह से आड़े व़क्त में हमें लगता है कि पैसे ही काम आएंगे, उसी तरह बुरे व़क्त में पैसों से भी कहीं ज़्यादा हमारे रिश्ते काम आते हैं.
– वो हमें आर्थिक मदद के साथ-साथ मानसिक संबल भी देते हैं.
– हमें सहारा देते हैं.
– भावनात्मक रूप से हमें मज़बूत बनाते हैं.
– जो ख़ुशियां पैसों से नहीं मिलतीं, वो हमें रिश्तों से मिलती हैं.
-अपनों के साथ व़क्त बिताना, हंसना-खेलना हमें हेल्दी और ख़ुश रखता है.
– आपसी प्यार व सामंजस्य से ज़िंदगी आसान हो जाती है और हर संघर्ष का सामना हम बेहतर तरी़के से कर पाते हैं.
– फैमिली में ख़ुशियां व ग़म बांटने से आप डिप्रेशन का शिकार नहीं होते और अगर होते भी हैं, तो उससे बाहर आसानी से निकल आते हैं.
– अपनों को व़क्त दें, आपका समय वो काम कर सकता है, जो महंगे से महंगा तोहफ़ा भी नहीं कर पाएगा.
– उन्हें यह महसूस कराएं कि आपको उनकी कद्र भी है और ज़रूरत भी.
– उनकी अहमियत आपकी ज़िंदगी में कितनी है, यह उन्हें हर पल महसूस होना चाहिए.
– चाहे कितने भी बिज़ी क्यों न हों, उन्हें फोन करके हालचाल पूछें, जो लोग दूर रहते हैं, उनसे मिलने ज़रूर जाएं.
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– साथ में घूमने जाएं, छुट्टियां प्लान करें.
– कभी भी रिश्तों के बीच पैसों को न आने दें. इसके लिए आपको कुछ प्लानिंग करनी होगी.
– चाहे पैरेंट्स हों, भाई-बहन हों या फिर पार्टनर आपको पैसों के मामले में कुछ निर्णय लेने होंगे, ताकि वो आपके रिश्तों के बीच न आए.
– सब लोग मिलकर अपना बजट प्लान करें और किन-किन फ़िज़ूलख़र्ची से बचा जा सकता है, इसकी भी लिस्ट बनाएं.
– अपने-अपने बैंक अकाउंट्स पर ध्यान दें. पार्टनर्स को चाहिए कि वो एक जॉइंट अकाउंट भी रखें और अपना सेपरेट अकाउंट भी रखें.
– जॉइंट अकाउंट में जो भी लेन-देन हो, उसे बांट लें और ध्यान रहे कि आपस में एक-दूसरे को ज़रूर इंफॉर्म करें, वरना ये ज़रा-सी बात झगड़े की वजह बन सकती है.
– अपने रिश्तों की बचत में आपसी बातचीत भी महत्वपूर्ण पहलू है. बिना कम्यूनिकेशन के हेल्दी रिलेशन संभव नहीं.
– कई बार स़िर्फ कम्यूनिकेशन गैप की वजह से ही बिना कारण ही रिश्तों में दूरियां पैदा होने लगती हैं, तो आप इस बात का ध्यान रखें कि अपने किसी भी रिश्ते में कम्यूनिकेशन की कमी को दरार की वजह न बनने दें.
– पर्सनल स्पेस ज़रूर दें. ऐसा न हो कि रिश्तों में आपको घुटन महसूस होने लगे. जिस तरह आप पैसों की सेविंग्स के लिए बजट बनाते हैं, उसी तरह से रिश्तों की सेविंग्स के लिए भी कुछ रूल्स बनाएं.
– कुछ पैसे आप स़िर्फ अपने शौक़ पूरा करने के लिए यूं ही ख़र्च कर देते हैं, तो उसी तरह से अपने रिश्तों को भी कहीं न कहीं खुला छोड़ें, सामनेवाले को उसकी मर्ज़ी से भी कुछ चीज़ें करने दें, ताकि वो घुटन महसूस न करे.
– सेल का हमेशा आप इंतज़ार करते हैं, जहां कुछ चीज़ों में आपको छूट मिलती है, इसी तरह से रिश्तों में भी कभी न कभी कुछ नियम तोड़कर कुछ चीज़ों की छूट दें एक-दूसरे को, जैसे- आज की शाम तुम अपने फ्रेंड्स के साथ स्पेंड करो, चाहे मूवी देखो या पार्टी करो… या फिर आज का दिन तुम अपनी पसंद की डिशेज़ बनाओ या आज खाना घर पर न बनाकर बाहर से मंगाओ, वो भी अपनी पसंद का… ये छोटी-छोटी छूट रिश्तों में बड़ी बचत करती हैं.
– केयरिंग और शेयरिंग की आदत कभी न छोड़ें, क्योंकि अक्सर हम यह महसूस करते हैं कि एक समय के बाद हम रिश्तों को कैज़ुअली लेने लगते हैं और भले ही हम मन ही मन अपनों की फ़िक्र करें, लेकिन उसे दर्शाना ज़रूरी नहीं समझते. हमें लगता है कि सामनेवाले को तो पता ही है कि हमें उनकी फ़िक्र है, लेकिन यह ध्यान में रखें कि कभी-कभी प्यार दिखाना और ज़ाहिर करना भी ज़रूरी हो जाता है.
– रोज़ नहीं, लेकिन बीच-बीच में ऐसा कुछ ज़रूर करें कि आपके अपनों को लगे कि आपको उनकी कितनी परवाह है और आप उनसे कितना प्यार करते हो.
– इस तरह रिश्तों की बचत करते आप बहुत कुछ कमा सकते हैं.
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– विजयलक्ष्मी
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