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कहानी- बॉडी लैंग्वेज (Short Story- Body Language)

“किसी के भी हाव-भाव देखकर बताया जा सकता है कि वह भविष्य में कैसा पार्टनर साबित होगा. पता है विदेशों में तो पहली मुलाक़ात की वीडियो रिकॉर्डिंग तक होती है. एक्सपर्ट वीडियो में हाव-भाव देखकर भावी कपल की मैरिड लाइफ की भविष्यवाणी भी कर देते हैं. सच कह रही हूं मम्मी, मैंने बॉडी लैंग्वेज पर स्टडी की है, यहां तक कि पहली मुस्कुराहट के भी कई मायने हैं.”

“मान्या तृषा को फोन लगाकर पूछ न, सब कैसा चल रहा है.”

“मम्मी,  कैसी बात कर रही हो. अच्छा लगता है क्या इस व़क्त मैं उन्हें डिस्टर्ब करूं? हमारा फोन हमारी बेसब्री ज़ाहिर करेगा. ध्रुव को लगेगा तृषा दीदी के साथ-साथ उनके घरवाले भी शादी को लेकर बेचैन हैं. वैसे भी मुझे लगता है कि दीदी ने फोन बंद कर दिया होगा.”

मान्या के यूं लापरवाहीभरे अंदाज़ से अमोली उद्विग्न होकर मान्या से बोली, “अरे, तेरी दीदी को लड़का पसंद आया कि नहीं, ये पूछ बस.”

“डोंट वरी, दीदी की बॉडी लैंग्वेज ने बता दिया था कि फोटो में उन्हें ध्रुव पसंद आ गया. अब ध्रुव बॉडी लैंग्वेज का टेस्ट कैसे पास कर पाता है और दीदी उसे कितना रीड कर पाती हैं, ये देखना है.” मान्या के इस भाव पर अमोली चिढ़कर बोली, “पहले भी तुम दोनों मिलकर चार लड़के नकार चुकी हो. अब कम से कम इसे तो बख़्श दो.”

“मम्मी, शादी जीवनभर का साथ है. हम एक रूम पार्टनर रखते हुए भी कितना ध्यान रखते हैं, ये तो पूरी ज़िंदगी का सवाल है. बॉडी लैंग्वेज रीड करना बहुत बड़ी विद्या है. मैंने दीदी को पारंगत कर दिया है इस विद्या में. आज उनका इम्तहान है. वह ज़रूर पास होंगी, ध्रुव को रिजेक्ट करके या फिर उसे सिलेक्ट करके.” मान्या की ऊलजुलूल बातों से बचने के लिए अमोली पूजाघर चली गई. वैसे भी आज सुबह से जाने कितने चक्कर भगवान के लगा लिए थे.

कितने लड़के देखने के बाद ये रिश्ता सही लगा, वरना अब तक कभी किसी के घर-परिवार में कोई खोट निकल आता, तो कभी लड़का सही नहीं लगता, जो लड़का ठीक होता भी तो उसका भविष्य उज्ज्वल नहीं लगता. एक-दो में सब ठीक लगा, तो बॉडी लैंग्वेज की पारखी मान्या को संदेह हो गया कि यह लड़का भविष्य में अच्छा जीवनसाथी साबित नहीं होगा.

सोच-विचार के बीच आधा घंटा किसी तरह बीता कि सहसा तृषा धड़धड़ाती हुई अपने कमरे में जाती दिखी. उसके तेवर कह रहे थे कि इस बार फिर बात नहीं बनी. महज़ एक घंटे के भीतर ही उसका वापस चले आना अच्छा संकेत नहीं था. मान्या को अपने कमरे में आने का इशारा करके वह अपने कमरे में चली गई. अमोली उसके लिए चाय बनाने चली गई. तृषा कहीं से भी आती है, तो चाय ज़रूर पीती है. चाय पीने के साथ वह अपने अनुभव साझा करती है. इसी उम्मीद से उसने चाय चढ़ाई. हालांकि उसके तेवर और निर्णय की झलकी बेतरतीबी से पड़ी सैंडल और उल्टे पड़े पर्स में दिख गए थे. बुझे मन से अमोली चाय के लिए अदरक कूट ही रही थी कि मान्या भेदभरी आवाज़ में बोली, “मम्मी, मुलाक़ात फ्लॉप रही ये बात पक्की समझो. अब या तो लड़का उसे पसंद नहीं आया या फिर…” मान्या के अधूरे वाक्य को अमोली ने निर्लिप्त भाव से सुना.

लड़के की तस्वीर उसने देखी थी. कितना सुदर्शन लग रहा था वो, उसे पसंद नहीं आया तो हद ही थी. उसे कल से ही आसार सही नहीं नज़र आ रहे थे, क्योंकि मान्या कल से ही उसे बॉडी लैंग्वेज रीड करने के गुर सिखा रही थी. तृषा से ज़्यादा उसे मान्या पर ग़ुस्सा आ रहा था. मान्या ही अमूमन लड़कों के खड़े होने, बात करने, देखने के अंदाज़ पर कोई न कोई शको-शुबह ज़ाहिर कर सबको असमंजस में डालती. इस बार तृषा को अकेले भेजा भी, तो कोई फ़ायदा नहीं हुआ. अपरोक्ष रूप से मान्या ही दोषी थी.  मेरठवाली ननद ने कितना ठोक बजा के रिश्ता खोज निकाला था, पर इनकी पहली मुलाक़ात फलदाई नहीं हुई. ट्रे लेकर वह तृषा के कमरे में गई, तो देखा वह बारह सौ रुपये लगाकर कर्ल करवाए बालों को बेतरतीबी से जूड़े में तब्दील कर चुकी थी और मज़े से मान्या से बतिया रही थी. “मान्या, तूने सक्सेसफुल रिलेशनशिप के लिए पहली मुलाक़ात के जो साइन बताए थे, वो एक भी नहीं मिले. उसकी बॉडी लैंग्वेज से मुझे सभी साइन निगेटिव लगे.”

“तूने ध्यान से बॉडी लैंग्वेज रीड की थी न?” मान्या गंभीरता से उससे पूछ रही थी और तृषा अपना अनुभव उससे साझा कर रही थी, “हां यार, वो शादी में इंट्रेस्टेड ही नहीं है. पहला साइन था समय से पहले आना और उसी में फेल हुआ वह. एक तो आधा घंटा देरी से आया और इस तरह आया जैसे मुझसे मिलने नहीं, मुझ पर एहसान करने आया था. चेहरे पर ज़बर्दस्ती वाली मुस्कुराहट छाई हुई थी. मुझे तो उसी व़क्त अच्छा संकेत नहीं लगा.”

“अरे! तो पूछ लेती कि वह इतना बुझा-सा क्यों है?” अभी तक चुप अमोली चिढ़कर बोली, तो तृषा तुनककर कहने लगी, “आप तो ऐसे कह रही हैं, जैसे मैंने उसकी ख़ुशमिज़ाजी देखी हो. सीधी-सी बात है पहली बार सब अपना बेस्ट रखते हैं, उसका बेस्ट वही होगा. मैंने महसूस किया कि वह ज़बर्दस्ती मुस्कुराने का प्रयास कर रहा था. हो सकता है वह परिवार के दबाव में मुझसे मिलने आया हो. हैंडसम है, उसका करियर अच्छा है, तो क्या यही सब देखकर आंख मूंदकर शादी कर लें? एक लड़की को बस यही चाहिए?”

तृषा के आकलन पर अमोली चिढ़कर वहां से चली आई. उसे देखकर नरेश बोले, “इतनी चिंता मत किया करो, जहां होनी होगी झटपट तय हो जाएगी.”

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“अरे! तुम तो रहने ही दो, तुम्हारी छोटी बेटी शादी होने दे तब न. तुम्हीं ने उसे बढ़ावा दिया है. बड़ा कहते थे कि तृषा सीधी है, सब पर विश्‍वास कर लेती है, पर मान्या के लिए निश्‍चिंत हूं. उसमें इंसान पहचानने की क्षमता है, वह कभी धोखा नहीं खाएगी. सही कहा था तुमने, मान्या न शादी करेगी न करने देगी. उसने तो बॉडी लैंग्वेज पर रिसर्च कर रखी है न. चिंता न करो अपनी सीधी-साधी तृषा को भी इस विद्या में पारंगत कर दिया है. अब मजाल है जो कोई लड़का उसे पसंद आए.”

अमोली के ग़ुस्से को नरेश ने शांत करने की कोशिश की, तो वह और उखड़ गई, “बताओ, आजकल के बच्चे बॉडी लैंग्वेज देखकर शादी का डिसीज़न लेंगे. याद करो, जब तुम मुझे देखने आए थे कैसा सड़ा-सा मुंह बनाया हुआ था. फिर भी शादी हुई और सफल भी हुई.” अमोली की बात पर नरेश हैरानी से बोले, “अरे! अब उसका ग़ुस्सा मुझ पर क्यों निकाल रही हो. मेरा सड़ा मुंह याद है, पर मेरे बड़े ताऊजी, पिताजी और काका नहीं याद हैं, जो वहीं जमे थे. क्या सोचती हो, तुम आती और तुम पर दिलकश मुस्कान फेंकता और हां, तुमने कौन-सी मोहिनी मुस्कान मुझ पर डाली थी. थरथरा तो ऐसे रही थी, जैसे मैं तुम्हें देखने नहीं, खाने आया हूं.” नरेश और अमोली को उलझे देखकर तृषा और मान्या उनके कमरे में आ गईं.

“ओहो! अब आप लोग तो मत झगड़ो, इसीलिए अकेले में मिलने का रिवाज़ बनाया है, ताकि किसी की मौजूदगी में हम असहज न रहें. खुलकर बात कर सकें.” मान्या ने कहा.

“किसी के भी हाव-भाव देखकर बताया जा सकता है कि वह भविष्य में कैसा पार्टनर साबित होगा. पता है विदेशों में तो पहली मुलाक़ात की वीडियो रिकॉर्डिंग तक होती है. एक्सपर्ट वीडियो में हाव-भाव देखकर भावी कपल की मैरिड लाइफ की भविष्यवाणी भी कर देते हैं. सच कह रही हूं मम्मी, मैंने बॉडी लैंग्वेज पर स्टडी की है, यहां तक कि पहली मुस्कुराहट के भी कई मायने हैं. अब जैसे कि तृषा दीदी ने बताया कि वो जब आज ध्रुव से मिलीं, तो उसकी जबरन ओढ़ी मुस्कुराहट बता रही थी कि वह कुछ तनाव में है. दीदी से मिलने का तनाव… अगर कोई साधारण-सी बातों पर आंखों की पुतलियों को अधिक नचाते हुए हंसी दबाता है, इसका अर्थ है कि वह दूसरों को ख़ुद से कमतर आंक रहा है. एटीट्यूडवाला है. धीमे-धीमे मुस्कुरानेवाला अंदर-बाहर से अलग है और हां, अगर कोई…”

“मान्या बेटा, सारी स्टडी लड़कों पर ही है या कुछ लड़कियों पर भी की है.” सहसा नरेश ने उसे टोका, तो वह झट से बोली, “की है न पापा, अगर लड़की खुलकर हंसे, तो मतलब बिंदास, वह अपनी कोई कमी छिपाने में विश्‍वास नहीं करती है, अगर वह लगातार मुस्कुराए मतलब वह अपनी अच्छी इमेज बनाना चाहती है और अगर…”

“अरे! चुप हो जा मेरी मां, बॉडी लैंग्वेज पढ़-पढ़कर चार लड़के नकार चुकी हो.” सहसा अमोली अपना माथा पकड़कर बोली, तो तृषा उसके गले में बांहें डालकर कहने लगी, “मुझे तो पांचवां पसंद आ ही गया था, पर क्या करूं, उसका देर से आना, कुछ हड़बड़ाया-सा रहना और हां, जब मैंने चलने को कहा, तो उसका मुझे नहीं रोकना, वहां से निकलने के लिए झट तैयार हो जाना सब अजीब था, वरना तो मैंने पसंद कर ही लिया था. फोन पर भी ठीक लगा.” तृषा मानो ख़ुद से बात करने लगी थी कि तभी अमोली की आवाज़ आई, “मां हूं तेरी, तेरी बॉडी लैंग्वेज समझती हूं. तुझे ध्रुव पसंद है, फिर क्यों नखरे कर रही है?”

“नहीं-नहीं मम्मी, मेरी लाइफ का सवाल है.” तृषा धीमे-से बोली कि तभी फोन की घंटी बजी, “हेलो, अच्छा कब? कल… जी-जी.” कहते हुए उसने फोन रखा, चेहरे पर कई रंग आए-गए, सभी की प्रश्‍नवाचक नज़रें ख़ुद पर टिकी देखकर वह बोली, “ध्रुव की मम्मी थीं. कल उनकी शादी की सालगिरह है. भुवन विलास में पार्टी है. हमें बुला रही हैं. क्या करें?”

अमोली की बात पर मान्या चहकी, “भुवन विलास, वाऊ… वहां की तो एक कॉफी ही हज़ार रुपए की है. ज़रूर चलेंगे. वहां का एंबियंस देखेंगे. कुछ सेल्फी-वेल्फी खींचेंगे और वापस आ जाएंगे.” मान्या का उत्साह देखकर कुछ ना-नुकुर के बाद तृषा ने हामी भर दी. दूसरे दिन धड़कते दिल से अमोली सबके साथ भुवन विलास पहुंची, तो देखा ध्रुव के माता-पिता स्वागत में खड़े थे, उसने भी ध्यान दिया ध्रुव सहज नहीं था. शायद तृषा ने सही अंदाज़ा लगाया, यह सोचकर अमोली कुछ आश्‍वस्त हुई, न कहने में अब कोई मलाल नहीं रहेगा. अपने माता-पिता के कहने के बाद वह काफ़ी हड़बड़ी में उनको डाइनिंग एरिया तक ले गया. डीजे की तैयारी देखकर नाच-गाने के कार्यक्रम का भी उसने अंदाज़ा लगाया. कुछ हड़बड़ी में ध्रुव उनको वहां बिठाकर चला गया. उसके चेहरे का तनाव साफ़ नज़र आता था.

“देखो  मम्मी, इसकी चाल देखो. कितनी जल्दी-जल्दी चल रहा है, जैसे मैं मरी जा रही हूं इसके पीछे.” तृषा ने चिढ़कर कहा, फिर वह मान्या के साथ पार्टी एंजॉय करने में व्यस्त हो गई. अमोली वॉशरूम गई, तो ध्रुव को देखा. वह कुछ बेचैन-सा लगा. उसे देखकर अमोली ने उससे कहा, “ध्रुव बेटे! सब ठीक तो है? कोई बात है तो कहो.” यह सुनकर वह जबरन ओढ़ी मुस्कान के साथ हड़बड़ी में कहने लगा, “आंटी, मैं अभी कुछ जल्दी में हूं. आपसे बाद में बात करता हूं.” यह कहते हुए वह तेज़ी से होटल के ऊपर बने हिस्से में निकल गया. एक-डेढ़ घंटा हो गया फिर भी ध्रुव नहीं दिखा. उसका व्यवहार निस्संदेह संदेह के घेरे में था.

पार्टी में अमोली और नरेश का मन नहीं लग रहा था. ध्रुव के माता-पिता आसभरी नज़रें नरेश-अमोली पर टिकाए थे. उन्हें तृषा बहुत पसंद आई, एक-दो बार इशारे में यह ज़ाहिर कर चुके थे, पर वो क्या कहें.

ऊहापोह के बीच डिनर से कुछ समय पूर्व उन्होंने ध्रुव को आता देखा, जो सीधा तृषा के पास आकर मनमोहक मुस्कान के साथ कह रहा था, “क्या मैं तुम्हारे साथ डांस कर सकता हूं?” ध्रुव के चेहरे की मुस्कान देखकर तृषा उसके सम्मोहन में बंधी उठ खड़ी हुई. डांस फ्लोर की ओर उसे जाते देख मान्या की भौंहें सिकुड़ गईं, “मम्मा, तृषा दीदी को एकदम नहीं जाना चाहिए था और इस ध्रुव को तो देखो, ये ज़रूरत से ज़्यादा हंस रहा है यानी अपनी घबराहट को छिपाने की कोशिश कर रहा है. देखना डांस के बहाने ये तृषा को कुछ बताएगा.” अमोली ने भी महसूस किया कि दोनों डांस के हल्के-फुल्के स्टेप करते हुए बातें कर रहे थे. तृषा के चेहरे पर हैरानी के चिह्न थे. हां, शायद वह किसी और से कमिटेड है. “सुनिए, मान्या ठीक ही कहती थी. इसकी बॉडी लैंग्वेज संदेह उत्पन्न करती है, रहने देते हैं.

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मुग़लसरायवाले लड़के की बॉडी लैंग्वेज मतलब कि उसकी सूरत-सीरत खानदान की जन्मपत्री निकलवाओ.” अमोली उद्विग्न हो रही थी. सहसा म्यूज़िक बंद हो गया. स्पॉटलाइट ध्रुव पर ठहर  गई. अमोली का जी अटक गया. ध्रुव बड़ी अदा से तृषा का हाथ पकड़कर कह रहा था, “क्या तुम मुझसे शादी करोगी?” अमोली का जी ज़ोर से धड़का, तभी तृषा बड़ी अदा से अपने गुलाबी गाउन को चुटकी से पकड़कर बोल पड़ी, “हां.”

तालियों की गूंज के साथ कई चेहरों पर अलग-अलग भाव प्रदर्शित हुए. बधाइयों के शोर के बाद तृषा को घेरकर एकांत खोजा गया, वहां उत्साह में उसने कुछ यूं ख़ुलासा किया, “मम्मी, बॉडी लैंग्वेजवाली रीडिंग सही थी, वाक़ई उसका ध्यान कुछ देर पहले तक मुझ पर नहीं था. आज भी नहीं और कल भी नहीं था. दरअसल, कल जब ध्रुव मुझसे मिलने आ रहा था, तभी कैलिफोर्निया की एक मशहूर आईटी कंपनी से उसके लिए फोन आया इंटरव्यू के लिए. अमूमन वो आपकी सुविधा पूछते हैं, पर उस आईटी कंपनी के चेयरपर्सन के पास समय नहीं था. वो उसी समय ध्रुव का इंटरव्यू लेना चाहते थे. ध्रुव इस सुनहरे मौ़के को खोना नहीं चाहता था. इसीलिए वह उसी समय फर्स्ट राउंड के लिए तैयार हो गया. इंटरव्यू के पैनल मेंबर ने फर्स्ट राउंड लिया. ध्रुव को लगा था कि कुछ जवाब वह और अच्छे दे सकता था. चेयरपर्सन से दो-तीन घंटे बाद बात होनी थी, इस बीच वह मुझसे मिलने आ गया, इसीलिए कुछ अनमना-सा रहा. मुझसे पहली बार मिला था, इसीलिए कुछ बता नहीं पाया कि उसका ध्यान बंट चुका है. आनेवाले इंटरव्यू को लेकर वह कॉन्शियस था.”

“अरे! तो ये बात बतानी चाहिए थी तुझे.” अमोली अविश्‍वास से बोली, तो तृषा कहने लगी, “मैंने भी अभी यही कहा, तो वह कहने लगा कि अगर बताता तो तुम सोचती कि मैं तुमसे ज़्यादा महत्व इंटरव्यू को दे रहा हूं. मेरा पहला इंप्रेशन ख़राब हो जाता, इसीलिए सिचुएशन थोड़ी अजीब हो गई.”

“अरे! ये क्या बात है इंटरव्यू तो था ही ज़रूरी, इसमें कौन-सी दो राय थी.” अमोली झुंझलाती हुई बोली, तो तृषा कहने लगी, “मम्मी, अब तो सब क्लियर हो गया है और हां, चेयरपर्सन मिस्टर भावेजा के साथ उसका इंटरव्यू कल भी नहीं हो पाया. आज जब हम पहुंचे, तो कमोबेश कलवाली ही सिचुएशन थी, वह मिल तो सबसे रहा था, पर ध्यान कहीं और था. कुछ देर पहले हुआ इंटरव्यू सक्सेसफुल हुआ. ध्रुव को कैलिफोर्निया बुलाया है. शादी के बाद मैं भी उसे जॉइन करूंगी. ध्रुव बहुत ख़ुश है और मैं भी.”

“हे भगवान! इतनी-सी बात थी. जो बॉडी लैंग्वेज समझने की जगह उससे बात कर ली होती, उसकी उलझन पूछ ली होती, तो इतनी ग़लतफ़हमी न होती. और दोनों ने एक-दूसरे को प्रपोज़ भी कर दिया.” अमोली की झुंझलाहट में प्रसन्नता झलक रही थी और मान्या अभी भी बॉडी लैंग्वेज का विश्‍लेषण कर रही थी, “तृषा दीदी उसके प्रपोज़ल का जवाब कुछ देर से देतीं तो शायद…” मान्या के मुंह से निकला ही था कि तृषा ने उसका मुंह दबा दिया. दोनों बहनों के बीच होती चुहल देख नरेश-अमोली बेसाख़्ता हंस पड़े.

       मीनू त्रिपाठी

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Usha Gupta

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