Others

कहानी- हाउसवाइफ़ (Story- Housewife)

”आज मैं अपनी पत्नी प्रज्ञा की बदौलत ही इस मुक़ाम पर पहुंच सका हूं. मेरी ज़िंदगी में सबसे अहम् बात मेरी पत्नी प्रज्ञा का हाउसवाइफ़ होना है. डबल एम. ए. और गोल्ड मेडलिस्ट होते हुए भी मेरी इच्छा की ख़ातिर प्रज्ञा हाउसवाइफ़ बन कर हर क़दम पर मेरे साथ चलती रही.”

 

प्रज्ञा को रिसेप्शन हॉल में बिठाकर नितिन न जाने किधर गुम हो गए. प्रज्ञा उस डेकोरेटेड हॉल और उसमें विचरती रूपसियों को देखकर चमत्कृत-सी हो रही थी. कहां तो आज अरसे बाद वह थोड़े ढंग से तैयार हुई थी. नीली शिफ़ॉन साड़ी के साथ मैचिंग एक्सेसरीज़ में ख़ुद को दर्पण में देख शरमा-सी गई थी प्रज्ञा. शादी के बीस बरस बाद भी उसमें इतनी कशिश है. वैसे तो उसकी सादगी ही उसकी कमनीयता को बढ़ा देती है. चालीस की उम्र में तीस की नज़र आना वाकई कमाल की बात है.
घर से निकलते समय टीनएजर बेटी ने प्यारा-सा कॉम्प्लीमेंट उछाल दिया था, “हाय मम्मी! आज तो पार्टी में आप छा जाएंगी.”
लेकिन यहां तो समीकरण ही उलट गया था. उन आधुनिकाओं से अपनी सादगी की तुलना कर उस एयरकंडीशन्ड हॉल में भी उसके माथे पर पसीने की बूंदें चुहचुहा उठीं. पर्स से रुमाल निकाल कर अभी वह पसीना सुखा ही रही थी कि मेकअप में लिपी-पुती-सी एक मैडम मुस्कुराती हुई उसके सामने प्रकट हुई,
“एक्सक्यूज़ मी, आप मिसेज़ नितिन खरे हैं ना?” प्रज्ञा कुछ बोल सकने की स्थिति में नहीं थी. किसी तरह उसने स्वीकारोक्ति में गर्दन हिला दी.
“मैं रमोला भारती, केमिस्ट्री डिपार्टमेंट से हूं. सर ने कहा है कि आपको सबसे मिला दूं.”
प्रज्ञा उसके साथ यंत्रवत् चलने लगी. “इनसे मिलिए, ये हैं मिसेज़ नितिन खरे!” रमोला ने इस अदा से प्रज्ञा को सभी के सामने मिलाया कि कई जोड़ी निगाहें उसका एक्स-रे करने लगीं.
“वैसे आप करती क्या हैं?” खनकदार आवाज़ में उछाले गए प्रश्‍न के जवाब में प्रज्ञा ज़बरन मुस्कुराई, “मैं हाउसवाइफ़ हूं.”
“हाउसवाइफ़! ओह तभी तो इतनी सिंपल हैं.”
न चाहते हुए भी प्रज्ञा की नज़रें आवाज़ की दिशा में उठ गईं. एक भारी-भरकम शरीर की महिला, जिसने अपने शरीर को वेस्टर्न ड्रेस में जकड़ रखा था और मेकअप की परतों के बीच अपनी उम्र को छिपाने की नाकाम-सी कोशिश की हुई थी, कुछ अजीब अंदाज़ में मुस्कुरा रही थी.
पता नहीं प्रज्ञा की नज़रों में क्या था कि रमोला सकपका गई, “आप हैं मिसेज़ साक्षी सान्याल, इन्फोसिस में चीफ़ एक्ज़ीक्यूटिव हैं. मिस्टर सान्याल यहां फ़िज़िक्स के हेड ऑफ़ दि डिपार्टमेंट हैं.”
फिर बारी-बारी से रमोला ने सबका परिचय कराया. उनमें से आधी से ज़्यादा तो यूनिवर्सिटी की लेक्चरार थीं और बाकी प्रो़फेसर्स की पत्नियां, जो कहीं न कहीं जॉब करती थीं. तभी तो प्रज्ञा का हाउसवाइफ़ होना उन्हें हैरत में डाले हुए था.
प्रज्ञा का जी चाह रहा था कि वह चुपचाप उठकर वापस घर चली जाए, लेकिन यह भला कैसे संभव था? पार्टी तो उसी के पति मिस्टर नितिन खरे के सम्मान में हो रही थी. वेटर कोल्ड ड्रिंक लेकर आया तो उसने बेमन से ले लिया.
नितिन के लिखे ‘हिन्दी साहित्य का इतिहास’ को आज कुलपति के हाथों ‘अकादमी पुरस्कार’ मिलने वाला था और उन्हें ‘रीडर’ की उपाधि से भी नवाज़ा जा रहा था. नितिन के लेक्चरार से रीडर बनने तक के सफ़र में प्रज्ञा ने हर पल उनका साथ दिया था. अब वह इन तितलियों को अपने जॉब न करने की क्या सफ़ाई दे?


एक तो नितिन का स्वभाव ऐसा है कि वे जब तक घर में रहें, प्रज्ञा उनके आसपास होनी चाहिए. दूसरी बात, जो ख़ुद प्रज्ञा को गंवारा नहीं थी, वह यह कि उसके बच्चे आया के भरोसे पलें. उन्हें स्कूल से आकर मां के बदले बंद ताले को देखना पड़े. ख़ैर जो भी हो, लेकिन आज प्रज्ञा कुंठित हो गई थी. हाउसवाइफ़ होना वाकई हीनता का परिचायक है. हाउसवाइफ़ का अपना कोई वजूद नहीं होता. वैसे कभी-कभार प्रज्ञा के मन में अपने हाउसवाइफ़ होने को लेकर हीन ग्रंथि पलने लगती थी, लेकिन उसने आज जैसा अपमान कभी महसूस नहीं किया था. अभी प्रज्ञा न जाने और कितनी देर तक ख़ुद से सवाल करती, अगर रमोला ने टोका न होता, “अरे मैम, आप खाली बोतल लेकर बैठी हैं, दूसरी लाकर दूं?”
वाकई उसकी कोल्ड ड्रिंक तो कब की समाप्त हो गई थी. वो ज़बरन मुस्कुराते हुए ‘नो थैंक्स’ कह, उठकर खाली बोतल डस्टबिन के हवाले कर आई. प्रज्ञा की कुंठा उस पर हावी होती जा रही थी. वह सचमुच उठकर जाने की सोच ही रही थी कि स्टेज पर माइक थामे नितिन को देखकर अपनी कुर्सी से चिपक कर रह गई. तालियों की गड़गड़ाहट के बीच नितिन की गंभीर आवाज़ गूंज उठी,
“वैसे तो यह एक घिसा-पिटा डायलॉग है कि हर सफल पुरुष के पीछे एक औरत का योगदान होता है, लेकिन मेरे मामले में यह सौ फ़ीसदी सच है. आज मैं अपनी पत्नी प्रज्ञा की बदौलत ही इस मुक़ाम पर पहुंच सका हूं. मेरी ज़िंदगी में सबसे अहम् बात मेरी पत्नी प्रज्ञा का हाउसवाइफ़ होना है. डबल एम. ए. और गोल्ड मेडलिस्ट होते हुए भी मेरी इच्छा की ख़ातिर प्रज्ञा हाउसवाइफ़ बन कर हर क़दम पर मेरे साथ चलती रही.”
प्रज्ञा जैसे नींद से जागी. उसकी कुंठा परत दर परत पिघलने लगी और नितिन का भाषण जारी रहा, “तन-मन से पूरी तरह समर्पित प्रज्ञा ने मुझे घर-बाहर की तमाम ज़िम्मेदारियों से मुक्त नहीं रखा होता, तो मैं इतना बड़ा ग्रंथ नहीं लिख पाता. आज के दौर में औरतों का जॉब करना उनका स्टेटस सिंबल बनता जा रहा है. लेकिन मुझे लगता है कि अगर प्रज्ञा भी कहीं जॉब करके ख़ुद की पहचान तलाश कर रही होती तो शायद मैं आज भी एक साधारण-सा लेक्चरार बना रहता.”
तालियों की गड़गड़ाहट के साथ ही प्रज्ञा की कुंठा पूरी तरह बह गई. उसका एक्स-रे करने वाली निगाहें अब झुकने लगीं. शायद वे रंगे हाथों पकड़ी गई थीं. पति के बराबर, बल्कि ़ज़्यादा कमाने के रौब में वे पति और बच्चों को कितना तवज्जो देती हैं? क्या उनके पति कभी नितिन की तरह सरेआम उनकी प्रशंसा कर सकते हैं? शायद कभी नहीं.
नितिन ने प्रज्ञा को कितना ऊंचा उठा दिया था, यह मेहमानों की नज़रों में प्रज्ञा के प्रति उभर आए सम्मान से साफ़ पता चल रहा था.
“मैं तो यही जानता हूं कि यह ग्रंथ मैं प्रज्ञा की बदौलत ही पूरा कर सका हूं. इसलिए इस पुरस्कार की असली हक़दार मेरी पत्नी प्रज्ञा है. आय एम प्राउड ऑफ़ माई लवली वाइफ़.”
तालियों की गूंज के बीच प्रज्ञा स्टेज पर पहुंची. कुलपति महोदय ने नितिन को मेडल पहनाया तो नितिन ने उसे प्रज्ञा के गले में डाल दिया. प्रज्ञा का चेहरा अलौकिक तेज़ से चमक उठा. अपने पति के एक वाक्य ‘आय एम प्राउड ऑफ़ माई वाइ़फ ’ ने एक हाउसवाइफ़ को अपने हाउसवाइफ़ होने के गर्व से अभिभूत कर दिया.

 

        नीता वर्मा

 

अधिक कहानी/शॉर्ट स्टोरीज़ के लिए यहां पर क्लिक करें – SHORT STORIES
Usha Gupta

Share
Published by
Usha Gupta

Recent Posts

हास्य काव्य- मैं हुआ रिटायर… (Hasay Kavay- Main Huwa Retire…)

मैं हुआ रिटायरसारे मोहल्ले में ख़बर हो गईसब तो थे ख़ुश परपत्नी जी ख़फ़ा हो…

April 12, 2024

अक्षय कुमार- शनिवार को फिल्म देखने के लिए सुबह का खाना नहीं खाता था… (Akshay Kumar- Shanivaar ko film dekhne ke liye subah ka khana nahi khata tha…)

अक्षय कुमार इन दिनों 'बड़े मियां छोटे मियां' को लेकर सुर्ख़ियों में हैं. उनका फिल्मी…

April 12, 2024

बोनी कपूर यांनी केले ८ महिन्यात १५ किलो वजन कमी (Boney Kapoor Lost 15 Kg Weight By Following These Tips)

बोनी कपूर हे कायमच चर्चेत असणारे नाव आहे. बोनी कपूर यांचे एका मागून एक चित्रपट…

April 12, 2024

कामाच्या ठिकाणी फिटनेसचे तंत्र (Fitness Techniques In The Workplace)

अनियमित जीवनशैलीने सर्व माणसांचं आरोग्य बिघडवलं आहे. ऑफिसात 8 ते 10 तास एका जागी बसल्याने…

April 12, 2024

स्वामी पाठीशी आहेत ना मग बस…. स्वप्निल जोशीने व्यक्त केली स्वामीभक्ती ( Swapnil Joshi Share About His Swami Bhakti)

नुकताच स्वामी समर्थ यांचा प्रकट दिन पार पडला अभिनेता - निर्माता स्वप्नील जोशी हा स्वामी…

April 12, 2024
© Merisaheli