कहानी- सीनियर सिटीज़न (Short Story- Senior Citizen)

चलो अशोक के ना सही पर रोहित के मन में तो उत्साह है अपनी मम्मी के जन्म दिवस को लेकर. मिस्टर सिंघानिया मन ही मन सोचकर ख़ुश हुए पर पल भर में उनकी ख़ुशी मायूसी में बदल गई जब रोहित ने कहा, “वर्ल्ड टूर तो होता रहेगा पिताजी चलिए सबसे पहले मम्मी के नाम पर इन्वेस्ट करते हैं, मम्मी से तो दुगुना फ़ायदा होगा, एक तो मम्मी महिला हैं और दूसरा अब सीनियर सिटीज़न भी.” बेटा हमारे पैसे लौटाने की बजाय फिर एक बार हमारे नाम पर पैसे जुटाना चाहता है, ये दर्द मिसेज़ सिंघानिया सह नहीं पाईं और उठकर सीधे अपने कमरे में चली गईं.

आज बहुत दिनों बाद सम्पूर्ण सिंघानिया परिवार डाइनिंग टेबल पर मौजूद था. आठ कुर्सियों वाले डाइनिंग टेबल के एक ओर लाइन से दोनों बहुओं के बीच मिसेज़ सिंघानिया बैठी थीं और दूसरी ओर मिस्टर सिंघानिया अपने पांच वर्षीया पोती और सात वर्षीय पोते के मध्य बैठे हुए थे. परिवार के मुखिया की कुर्सी पर मिस्टर सिंघानिया का बड़ा बेटा अशोक और उसके ठीक सामने वाली कुर्सी पर उनका छोटा बेटा रोहित बैठा था. कई दिनों से सिंघानिया दम्पति अपने दोनों बेटे-बहू से कुछ कहना चाहते थे, पर कभी बड़े या छोटे बेटे की ग़ैर मौजूदगी तो कभी किसी और कारण से दोनों अपनी बात कह नहीं पा रहे थे. मगर आज किसी भी हालत में मिस्टर सिंघानिया को अपनी बात सबके सामने रखनी थी, आख़िरकार बात उनकी धर्मपत्नी की इच्छा को पूरा करने की जो थी. अपनी पत्नी की ओर देखते हुए और उसकी रज़ामंदी लेते हुए मिस्टर सिंघानिया ने अपनी बात शुरू की, “कई दिनों से मैं और तुम्हारी मां तुम लोगों से कुछ कहना चाहते हैं, पर कह नहीं पा रहे थे चलो आज कह ही देते हैं.” दोनों बेटों ने अपने 61 वर्षीय पिता की बात सुनने के लिए सिर उठाया पर दोनों बहुओं ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई.
वैसे भी मिस्टर सिंघानिया को अपनी बहुओं से कोई उम्मीद नहीं थी, पर बेटों से आस अब भी जुड़ी हुई थी. उसी के बल पर मिस्टर सिंघानिया कुछ कहने की हिम्मत जुटा पाए थे. अपनी बात जारी रखते हुए मिस्टर सिंघानिया ने कहा, “शादी के बाद मैंने तुम्हारी मां से उन्हें वर्ल्ड टूर पर ले जाने का वादा किया था, पर कभी तुम दोनों की पढ़ाई तो कभी बिज़नेस में आए उतार-चढ़ाव के चलते हम दोनों नहीं जा पाए. अब जबकि तुम दोनों अपने कारोबार में अच्छी तरह सेट हो चुके हो, तो मैं सोच रहा हूं कि क्यूं ना मैं तुम्हारी मां को वर्ल्ड टूर पर ले जाऊं. अगर तुम लोगों की रज़ामंदी मिल जाए तो हमें बेहद ख़ुशी होगी.”
अपनी बात रखने के बाद मिस्टर एवं मिसेज़ सिंघानिया बच्चों की रज़ामंदी के लिए उनकी ओर देखने लगे. मिस्टर सिंघानिया को बच्चों से रज़ामंदी की जितनी उम्मीद थी उससे कई गुना ज़्यादा विश्‍वास मिसेज़ सिंघानिया को अपने बच्चों पर था. आख़िरकार दोनों के त्याग से ही तो आज दोनों बच्चे अपने पैर पर खड़े हो पाए हैं. दोनों ने कभी उनकी परवरिश में कोई कमी नहीं आने दी. ख़ुद भले रूखा-सूखा खाकर दिन बिता लिया हो, मगर अपने बच्चों की सारी इच्छाएं पूरी की थी उन्होंने, तो भला आज वही बच्चे उनकी इच्छा पूरी कैसे नहीं करतें.
कुछ देर के सन्नाटे के बाद मिस्टर सिंघानिया के बड़े बेटे अशोक ने कहा, “पापा, वर्ल्ड टूर पर जाने का आप दोनों का ख़्याल अच्छा है.” कहकर अशोक पानी पीने लगा और मिसेज़ सिंघानिया गर्व से मिस्टर सिंघानिया की ओर देखने लगीं जैसे कह रही हों, देखा मैं ना कहती थी बहुएं कैसी भी हों मगर बेटे अपने होते हैं. भला वो हमें जाने से क्यों रोकेंगे, ज़रूर जाएंगे हम दोनों वर्ल्ड टूर. डाइनिंग टेबल पर खाली ग्लास रखते हुए अशोक ने अपनी बात पूरी की, “लेकिन मैं आप लोगों से कहना चाहूंगा कि वर्ल्ड टूर पर जाने के लिए ये वक़्त सही नहीं है. सालभर और रुक जाइए, इससे डबल फ़ायदा होगा.” अशोक की बात ने दोनों बहुओं और रोहित को भी अचंभित कर दिया, भला वर्ल्ड टूर पर जाने से फ़ायदा भी हो सकता है, तीनों रुककर अशोक की बातें सुनने लगे. “देखिए पापा, आपका तो ठीक है क्योंकि अब आप 60 साल पार कर चुके हैं, ट्रैवलिंग में सीनियर सिटीज़न को होने वाले सारे फ़ायदे आपको मिलेंगे, पर मम्मी जो अभी 57 की ही हैं, उनका ख़र्च बढ़ जाएगा, इसलिए मेरी मानिए तो सालभर और रुक जाइए. उसके बाद आप दोनों सीनियर सिटीज़न की कैटेगरी में आ जायेंगे, जिससे ख़र्च कम होगा और हम फ़ायदे में रहेंगे.”

यह भी पढ़ें: पैरेंट्स एंड सीनियर सिटीजन्स एक्ट: बुज़ुर्ग जानें अपने अधिकार (Parents And Senior Citizens Act: Know Your Rights)

बेटे अशोक की बात सुनने के बाद सिंघानिया दम्पति चुप हो गए, पर जैसे ही पानी पीते-पीते उनके छोटे बेटे रोहित ने कुछ कहने का इशारा किया, तो दोनों आस बांधे उसकी ओर देखने लगे, अगर रोहित हां कह दे तो भी बात बन सकती है. यही विचार आ रहे थे सिंघानिया दम्पति के मन में.
रोहित ने कहा, “भइया बिल्कुल ठीक कह रहे हैं. मैं भी यही कहूंगा सालभर और रुक जाइए फिर जाइएगा. आप दोनों नहीं जानते बैंकिंग के साथ ही सीनियर सिटीज़न्स को ट्रैवलिंग के भी कई फ़ायदे होते हैं, इससे कम बजट में आप दोनों घूम आएंगे.”
दोनों बेटों के प्रतिउत्तर से जितनी नाख़ुश मिसेज़ सिंघानिया हुई थीं उससे कई गुना निराश मिस्टर सिंघानिया थे, क्योंकि वर्ल्ड टूर पर जाने का सपना मिसेज़ सिंघानिया का था. अपने कमरे में आते ही मिसेज़ सिंघानिया ने कहा, “आपको इतना उदास होने की ज़रूरत नहीं, इतने साल इंतज़ार किया है, तो एक साल और सही. सच ही तो कह रहे हैं बच्चे सालभर में हम दोनों सीनियर सिटीज़न हो जाएंगे, तो चलेंगे दोनों बुड्ढ़ा-बुड्ढ़ी दुनिया की सैर पर.” कहते हुए मिसेज़ सिंघानिया हंसने लगीं.
“मुझे माफ़ कर दो विमला मैं जवानी के उन दिनों में समय के अभाव मेें तुम्हारी इच्छा पूरी नहीं कर पाया और आज पैसों के अभाव ने मुझे मजबूर कर दिया. अच्छा होता अगर रिटायरमेंट से पहले मैं भी कुछ पैसे तुम्हारे और अपने लिए बचा लेता पर तुम्हीं कहती थी अपने बच्चे अपने होते हैं बुढ़ापे में वही हमारा सहारा बनेंगे हमें पैसों की क्या ज़रूरत. उस वक़्त मैंने तुम्हारी बात ना मानी होती, तो आज तुम्हारी इच्छा को पूरा करने के लिए मुझे दोनों बेटों के आगे हाथ न फैलाना पड़ता.”
“कोई बात नहीं सिंघानिया जी, हम अगले साल चले जाएंगे.”
“आने वाला समय किसने देखा है विमला, हो सकता है अगली सुबह मैं ना देख पाऊं, इस उम्र में मौत का कोई भरोसा भी तो नहीं.” मिसेज़ सिंघानिया ने मिस्टर सिंघानिया के मुंह पर हाथ रखते हुए कहा, “ऐसी अशुभ बातें मत कहिए, आपसे पहले मौत के गले मुझे लगाना है आख़िरकार कसम खाई है मैंने अग्नि को साक्षी मानकर कि मौत को गले पहले मैं लगाऊंगी.” माहौल को गंभीर होता देख मिस्टर सिंघानिया बोले, “तुम मर जाओगी, तो मैं वर्ल्ड टूर पर किसे ले जाऊंगा? तुम्हारा अधूरा सपना अधूरा ही रह जाएगा विमला.”
“जी आप भूल रहे हैं हमने सात जन्म एक साथ रहने की कसम खाई है, इस जन्म ना सही तो अगले जन्म ले जाइएगा.” मिसेज़ सिंघानिया की बात पर मिस्टर सिंघानिया हंस पड़े.
अगली सुबह ब्रेकफास्ट के लिए फिर एक बार सिंघानिया परिवार डाइनिंग टेबल पर इकट्ठा हुआ. अशोक ने कहा, “रोहित, कल रात तुमने बातों-बातों में सीनियर सिटीज़न के बैंकिंग के भी फ़ायदे बताए, तो मेरे दिमाग़ में एक आइडिया आया है, क्यों ना मैं डैड के नाम पर पैसे इन्वेस्ट कर दूं. चूंकि पापा सीनियर सिटीज़न हैं इसलिए ब्याज़ हमें ज़्यादा मिलेगा. कैसा लगा मेरा आइडिया?”
“आइडिया तो अच्छा है भइया पर उससे मुझे क्या फ़ायदा होगा?” “अरे छोटे, सालभर रुक जा फिर मां भी तो सीनियर सिटीज़न हो जाएगी, उनके नाम पर तू इन्वेस्ट करके ब्याज़ कमा लेना. दोनों तो अपने ही हैं पैसा लेकर थोड़ी भाग जाएंगे?”
“हां, भइया ये हुई ना बात. आपका आइडिया बेस्ट है.” दोनों भाइयों की बात से दोनों बहुएं भी बेहद ख़ुश थीं. मगर बेटों को अपना सौदा करते देख सिंघानिया दम्पति मन ही मन रो रहे थे. वैसे भी चुुप रहने के सिवाय उनके पास और कोई चारा नहीं था. तभी बीच में बड़ी बहू नंदनी बोल पड़ी, “डैडी जी, ब्रेकफास्ट के बाद आप तैयार हो जाइएगा हमें मंदिर जाना है, मैंने मन्नत मांगी थी इनकी दिल्ली वाली डील अगर पक्की हो गई तो मैं भगवान गणेश को लड्डू चढ़ाऊंगी. लाखों का फ़ायदा जो हुआ है इस डील से.”
“हां, क्यों नहीं बेटा, हम ज़रूर चलेंगे.” कहते हुए मिस्टर सिंघानिया मिसेज़ सिंघानिया के साथ अपने कमरे में चले गए.
उन्होंने मिसेज़ सिंघानिया से कहा, “तुम भी हमारे साथ मंदिर चलो, भगवान का दर्शन करके तुम्हारा भी जी हल्का हो जाएगा.”
“नहीं, मेरा मन नहीं है आप हो आइए.”
“चलो ना विमला, क्या तुम मेरा कहा नहीं मानोगी?”
“ठीक है, चलती हूं.” कहते हुए विमला आलमारी खोलकर साड़ी देखने लगी. उसमें से एक साड़ी हाथ में लेते हुए मिस्टर सिंघानिया ने कहा, “अरे विमला, ये तो वही साड़ी है ना, जो मैंने तुम्हारे पिछले जन्मदिन पर दी थी?”
“हां, और उसके लिए आप ने मेरी ख़ूब डांट भी सुनी थी, अपनी बेशक़ीमती सोने की घड़ी बेचकर लाई थी आपने ये साड़ी.”
“मेरे लिए तुमसे बेशक़ीमती और कुछ नहीं है विमला, घड़ी क्या मैं तुम्हारे लिए ख़ुद को भी बेच सकता हूं.”
“चुप रहिए, इस उम्र में फिल्मी डायलॉग्स आपके मुंह से अच्छे नहीं लगते.” तभी नंदनी बहू ने आवाज़ लगाई, “डैडी जी आप तैयार हैं ना? मैं बस पांच मिनट में आई, पूजा की थाली लेकर.”
“हां, बेटा हम बस आ गए.” कहते हुए मिस्टर सिंघानिया कमरे से गैलरी में आ गए. दस मिनट बाद मिसेज़ सिंघानिया कमरे से निकले और गैलरी से होते हुए दोनों नीचे आ गए.”
“अरे मम्मी जी, आप कहां चल दी?” नंदनी ने पूछा.
“बेटा मैंने ही विमला को अपने साथ चलने को कहा अगर मैं चला गया तो वो घर में अकेली रह जाएगी.”
“लेकिन डैडी जी हम कहीं घूमने नहीं जा रहे मंदिर जा रहे हैं. आपको मैं इसलिए साथ ले जा रही हूं, क्योंकि आप सीनियर सिटीज़न हैं. आपकी वजह से मुझे बिना लाइन लगाए और बिना पास के फ्री एंट्री मिल जाएगी. इसलिए मम्मी जी को घर पर रहने दीजिए और आप चलिए मेरे साथ. एक सीनियर सिटीज़न के साथ दो लोगों को एंट्री नहीं मिल सकती.”
वहीं खड़ी छोटी सुमन ने हंसते हुए कहा, “मम्मी जी को सालभर बाद नंदनी भाभी अपने साथ ले जाएंगी, जब उनकी गिनती भी सीनियर सिटीज़न में होने लगेगी.” सुमन की बात को अनसुना करते हुए मिसेज़ सिंघानिया ने कहा, “ठीक ही कह रही है नंदनी बहू, आप उसके साथ हो आइए मैं घर पर ही ठीक हूं.” कहते हुए मिसेज़ सिंघानिया अपने कमरे की ओर चली गईं.
क़रीब पंद्रह दिन बाद एक रोज़ मिस्टर सिंघानिया का बैंकिंग एजेंट उनके घर आया और उसने मिस्टर सिंघानिया को बताया कि उनके एलआईसी के कुछ लाख रुपये उन्हें बहुत जल्द मिलनेवाले हैं, ये एक ऐसा इन्वेस्टमेंट था, जो शादी से कई साल पहले मिस्टर सिंघानिया ने किया था और उसे भूल चुके थे. मिस्टर सिंघानिया सुनकर बेहद ख़ुश हुए, बेटे अगर अपनी मां का सपना पूरा ना कर पाए तो क्या हुआ मैं अभी ज़िंदा हूं, विमला के सीनियर सिटीज़न होने का इंतज़ार क्यों करूं, इन पैसों से इसी माह उसे वर्ल्ड टूर पर ले जाऊंगा. मिस्टर सिंघानिया ये ख़ुशख़बरी मिसेज़ सिंघानिया को देने पहुंचे, तो सीढ़ियों पर मिसेज़ सिंघानिया सुमन के साथ उतरती दिखीं. विमला को अपने सामने देख मिस्टर सिंघानिया चुप नहीं रह पाए और सुमन के सामने ही बोल पड़े, “विमला, सुना तुमने मुझे एलआईसी के कुछ पैसे मिलने वाले हैं, हम उन पैसों से वर्ल्ड टूर पर जाएंगे. तुम जाने की तैयारी करो विमला.” मिसेज़ सिंघानिया सुनकर बहुत ख़ुश हुईं देर से सही पर उनका सपना पूरा होने वाला था, लेकिन उन्हें क्या पता था कि आगे क्या होगा.
अगले दिन सुमन अपनी सास के गले लगकर रोने लगी, “मम्मी जी चलिए मेरे साथ देखिए ना रोहित ने अपनी क्या हालत बना रखी है.” सिंघानिया दम्पति रोहित के कमरे में पहुंचे. “क्या हुआ बेटा रोहित, तुम्हारे कमरे की सारी चीज़ें बिखरी क्यों पड़ी हैं?” मिस्टर सिंघानिया ने पूछा.
“डैड मैं अब ज़िंदा नहीं रहना चाहता. कारोबार में मुझे बहुत बड़ा नुक़सान हुआ है, मुझे दस लाख रुपयों की ज़रूरत है अगर दस दिन में नहीं मिले तो मेरा बिज़नेस बर्बाद हो जाएगा. मेरा बहुत बड़ा बिज़नेस मेन बनने का सपना भी अधूरा रह जाएगा डैड.” बेटे की तकलीफ़ मिसेज़ सिंघानिया से देखी नहीं गई, उन्होंने मिस्टर सिंघानिया से कहा, “मुझे आपसे कुछ बात करनी है ज़रा आप मेरे साथ कमरे में आइए.”
“क्या बात है विमला?”
“मैं चाहती हूं कि आप एलआईसी के पैसे रोहित को दे दें, वरना उसका सपना अधूरा रह जाएगा.”
“और तुम्हारे सपनों का क्या विमला?”
“देखिए, आप मेरी चिंता मत करिए बेटों ने कहा है ना कि सालभर बाद वो हमारे सपने को पूरा करेंगे, तो ठीक है ना सालभर और इंतज़ार कर लेंगे.”
“ठीक है विमला तुम जैसा चाहती हो वैसा ही होगा.” मिस्टर सिंघानिया ने दस दिनों के भीतर सारे पैसे रोहित को दे दिए.
इसी तरह सालभर बीत गया और एक शाम जब फिर एक बार चाय और नाश्ते के लिए पूरा सिंघानिया परिवार डाइनिंग टेबल पर मौजूद था, तो मिस्टर सिंघानिया ने कहा, “भई कल तुम्हारी मम्मी का जन्मदिन है, अब मेरी तरह वो भी सीनियर सिटीज़न हो जाएगी, तो जल्द से जल्द उनके सीनियर सिटीज़न का कार्ड बनवाकर वर्ल्ड टूर पर जाने का टिकट निकलवा लो.”
“अरे, पापा इतनी भी क्या जल्दी है और कौन-सा आप दोनों बिज़ेनस टूर पर जा रहे हैं, जो ना जाने से लाखों का नुक़सान हो जाएगा. सालभर इंतज़ार किया अब थोड़ा और इंतज़ार कर लो.” अशोक की बात से मिस्टर और मिसेज़ सिंघानिया को जो आघात पहुंचा, उसे बयां कर पाना बहुत मुश्किल था.
उसी पर रोहित बोल पड़ा, “डैडी आपने तो बहुत अच्छी ख़बर सुनाई कल मम्मी 58 की हो जाएंगी.” चलो अशोक के ना सही पर रोहित के मन में तो उत्साह है अपनी मम्मी के जन्म दिवस को लेकर. मिस्टर सिंघानिया मन ही मन सोचकर ख़ुश हुए पर पल भर में उनकी ख़ुशी मायूसी में बदल गई जब रोहित ने कहा, “वर्ल्ड टूर तो होता रहेगा पिताजी चलिए सबसे पहले मम्मी के नाम पर इन्वेस्ट करते हैं, मम्मी से तो दुगुना फ़ायदा होगा, एक तो मम्मी महिला हैं और दूसरा अब सीनियर सिटीज़न भी.” बेटा हमारे पैसे लौटाने की बजाय फिर एक बार हमारे नाम पर पैसे जुटाना चाहता है, ये दर्द मिसेज़ सिंघानिया सह नहीं पाईं और उठकर सीधे अपने कमरे में चली गईं.

यह भी पढ़ें: अब बेटे भी हो गए पराए (When People Abandon Their Old Parents)

कमरे में जाकर मिसेज़ सिंघानिया देखती हैं कि दोनों बेटों के बच्चे वही नाटक खेल रहे थे, जो उस दिन रोहित और सुमन ने उनसे पैसे ऐंठने के लिए रचा था. उस दिन तो बच्चे घर में नहीं थे, तो इन्हें कैसे पता. बच्चों से मिले धोखे को मिसेज़ सिंघानिया सह नहीं पाईं, सीधे बिस्तर पर जा गिरीं. इधर मिस्टर सिंघानिया भी ख़ुद को रोक नहीं पाए आज दोनों बेटे और बहुओं के स्वार्थ के आगे उनकी सहनशक्ति ने भी जवाब दे दिया. उन्होंने धिक्कारते हुए बेटों से कहा, “शर्म आती है मुझे तुम दोनों को अपना बेटा कहते हुए. तुम दोनों अपने फ़ायदे के चक्कर में इस कदर अंधे हो गए हो कि अपनी मां की ख़ुशियां तुम्हें दिखाई नहीं देती. अरे फ़ायदे तो अपाहिज़ बच्चों से भी कई होते हैं, ट्रेन में टिकट की ज़रूरत नहीं होतीं, स्कूल-कॉजेल में एडमिशन से लेकर फीस तक नहीं देनी पड़ती और तो और नौकरी भी बिना घूस के लग जाती है, मगर हमने तो ये कभी नहीं मनाया कि हमारे बच्चे अपाहिज़ हों, ताकि हम अपाहिज़ बच्चों के माता-पिता होने का फ़ायदा उठा सकें, पर तुम दोनों अपने-अपने फ़ायदे के लिए अपनी मां के सीनियर सिटीज़न होने का इंतज़ार करते रहे. मैं पूछता हूं कितना पैसा बचा लेते तुम सीनियर सिटीज़न के नाम पर क्या उतना जितना हमने तुम्हारी परवरिश में ख़र्च किए या रोहित उतना जितना तुम्हें शहर का सबसे बड़ा बिज़नेस मेन बनाने के लिए हमने लगा दिए. शर्म आती है मुझे तुम दोनों को अपना बेटा कहते हुए.” कहकर मिस्टर सिंघानिया तेज़ी से घर से बाहर निकल गए.
शाम से रात हो गई ना मिसेज़ सिंघानिया अपने कमरे से नीचे आईं और ना ही मिस्टर सिंघानिया घर लौटे थे. दोनों बेटा-बहू भी मूड फ्रेश करने के लिए बाहर खाने पर चले गए, इस बात की ख़बर मिस्टर सिंघानिया को नौकर से मिली, जब वो रात कुछ साढ़े ग्यारह के क़रीब घर पहुंचे.
“सो गई क्या मेरी प्यारी विमला?” बिस्तर पर लेटीं मिसेज़ सिंघानिया से मिस्टर सिंघानिया ने कहा, “बच्चों की बात सुनकर तुम्हें नाराज़ होने की ज़रूरत नहीं, देखो आज तुम्हारे जन्मदिन के मौक़े पर मैं तुम्हारे लिए वर्ल्ड टूर पैकेज का तोहफ़ा लाया हूं. अब ये मत पूछना कि पैसे कहां से आए, मैंने कहा था ना तुम्हारे लिए मैं ख़ुद को भी बेच सकता हूं, पर भगवान की दुआ से मुझे ख़ुद को बेचने की ज़रूरत नहीं पड़ी. हां, अपना वो घर बेच आया हूं, जो तुम्हारे कहने पर मैंने नहीं बेचा और ना बच्चों को बेचने दिया, क्योंकि उस पुराने घर से कई यादें जुड़ी थीं बच्चों के बचपन की, पर ऐसे बच्चों की यादों को हम क्यों संजोकर रखें विमला जिन्हें अपने मां-बाप के सपनों से कोई सरोकार नहीं. तैयारी करो विमला हमारी फ्लाइट है कल दोपहर की. उठो विमला, उठो.” मिस्टर सिंघानिया ने मिसेज़ सिंघानिया का हाथ पकड़कर उन्हें उठाना चाहा पर वो नहीं उठीं, क्योंकि मिसेज़ सिंघानिया बच्चों के धोखे को सह नहीं पाईं और एक ऐसे सफ़र की ओर चल पड़ी थीं, जहां से लौटना नामुमक़िन था. मिस्टर सिंघानिया के पैरों तले ज़मीन घिसक गई. वो रो तो रहे थे पर आंखों में आंसू नहीं थे, सूख गए थे सारे आंसू. आसपास भी कोई अपना नहीं था, जिससे मिस्टर सिंघानिया अपना दर्द बयां कर पातें, भावनाओं में बहते मिस्टर सिंघानिया ने मिसेज़ सिंघानिया का हाथ थामकर कहा, “तुम चली गई ना विमला, मुझे अकेला छोड़कर हमारे वर्ल्ड टूर के सपने को अधूरा छोड़कर… ” कहकर मिस्टर सिंघनिया ने अपनी आंखें मूंद ली, तभी उन्हें यूं महसूस हुआ जैसे विमला उनके हाथ को कसकर थामे कह रही हो, “जी आप भूल रहे हैं हमने सात जन्म साथ रहने की कसम खाई है, इस जन्म ना सही तो अगले जनम ले जाइएगा मुझे वर्ल्ड टूर पर.”

  • पूनम सिंह

अधिक कहानियां/शॉर्ट स्टोरीज़ के लिए यहां क्लिक करें – SHORT STORIES

डाउनलोड करें हमारा मोबाइल एप्लीकेशन https://merisaheli1.page.link/pb5Z और रु. 999 में हमारे सब्सक्रिप्शन प्लान का लाभ उठाएं व पाएं रु. 2600 का फ्री गिफ्ट.

Usha Gupta

Share
Published by
Usha Gupta

Recent Posts

वडील इरफान खान यांच्या पुण्यतिथी आधीच बाबिल खान ची भावूक पोस्ट (Sometimes I feel like giving up and going to Baba- Babil Khan emotional before Papa Irrfan Khan’s death anniversary)

दिवंगत अभिनेता इरफान खान याला जग सोडून बरीच वर्षे झाली असतील, पण त्याच्या आठवणी आजही…

April 25, 2024

पैर हिलाना अपशकुन नहीं, इस बीमारी का संकेत (Leg Shaking Habit Is Good Or Bad)

आपने अक्सर देखा होगा कि कुछ लोगों को पैर हिलाने की आदत सी होती है.…

April 25, 2024
© Merisaheli