कहानी- वुमन्स डे (Short Story- Womens Day)

“हर साल आज के दिन तेरे साहब घर-गृहस्थी के झमेले से मुझे छुट्टी देते है. मेरा ख़ूब ख़्याल भी रखते हैं. देख उधर, वो जो गुलाब के फूलों का गुलदस्ता रखा है न… वो आज सुबह ही तेरे साहब ने ‘वुमन्स डे’ की बधाई के साथ दिया है. आज तेरे साहब मुझे शाम को बड़े रेस्टाॅरेंट में खाना खिलाने ले जाएंगे.”
“अरे वाह! बड़ा बढिया दिन है आज.”

“मैडमजी आज कौन-सी सब्ज़ी बनाऊं?”
कामवाली बाई कमली के सवाल पर नाख़ूनों में नेलपॉलिश लगाती हुई मैडमजी बोली, “रहने दे कमली, आज खाना नहीं बनेगा.”
“क्यों मैडमजी?”
“क्योंकि आज ‘वुमन्स डे’ है.”
“कौन-सा डे?”
कमली की हैरानी पर मैडमजी उसके अनपढ़ दिमाग़ पर तरस खाती बोली, “रहने दे तू, तेरी समझ मे नही आएगा.”
“हाय क्यों?” कमली आंखे नचाते हुए बोली, तो मैडम ने समझाया, “बस ये समझ ले आज 8 मार्च को हम औरतो का दिन होता है, इसलिए आज हम सिर्फ़ मौज-मस्ती करेंगे.”
“हैं मैडम, तो आज रात को साहब को खाना नही मिलेगा.” कमली बड़ी-बड़ी आंखें और बड़ी करती हुई बोली, तो मैडम कहने लगी, “हर साल आज के दिन तेरे साहब घर-गृहस्थी के झमेले से मुझे छुट्टी देते है. मेरा ख़ूब ख़्याल भी रखते हैं. देख उधर, वो जो गुलाब के फूलों का गुलदस्ता रखा है न… वो आज सुबह ही तेरे साहब ने ‘वुमन्स डे’ की बधाई के साथ दिया है. आज तेरे साहब मुझे शाम को बड़े रेस्टाॅरेंट में खाना खिलाने ले जाएंगे.”
“अरे वाह! बड़ा बढिया दिन है आज.”
उत्साह से भरी कमली को अचानक कुछ याद आया और वह मैडमजी से बोल उठी, “आठ मार्च से ध्यान आया, आज तो आपको नौकरी के इंटरव्यू के लिए जाना था.”
यह सुनकर मैडम बुझे स्वर में बोली, “अरे, कहां गई. तेरे साहब ने मुझे नौकरी के लिए साफ़ मना कर दिया है.”
“हाय क्यों?”
“क्यों क्या, कहते हैं, तुम नौकरी करोगी, तो इस घर की और बच्चों की सारी व्यवस्था बिगड़ जाएगी.”
“हां, सो तो है, सब मेरे मरद की तरह नहीं होते हैं न…”
“मतलब…” मैडमजी की त्योरियों पर बल देखकर कमली ने उन्हें समझाया, “मैडमजी, मैं तो सुबह-सुबह काम पर निकल जाती हूं, तो पीछे से ये मुन्ने को तैयार करके स्कूल भेजते है. सच बताऊं, तो घर से निकलने से पहले भरसक काम निपटा जाते हैं. कहते है मेरी चौकीदारी नौकरी है, तो तू भी तो घर-घर झाड़ू-पटका, बर्तन मांजकर नौकरी बजाती है.”
नेलपॉलिश लगाती मैडम एकटक कमली के चेहरे को देखती रह गई, जो आनन्दातिरेक में कह रही थी, “इन्होंने चौकीदारी की ड्यूटी सुबह के नौ से शाम पांच तक इसीलिए ली है कि सुबह और रात को मेरा काम में हाथ बंटा सके.”

यह भी पढ़ें: अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष: जानें महिला सशक्तिकरण के लिए 15 सरकारी योजनाओं के बारे में (International Women’s Day: 15 Govt schemes for women empowerment)

बातूनी कमली बातों ही बातों में काम निपटाकर बोली, “अच्छा मैडमजी, अब मैं चलूं आज आप मौज मारो. आराम करो, होटल में खाना खाओ. हम गंवार आज के दिन का महत्व क्या जाने!”
कमली ने कमर में खोंसी साड़ी का आंचल निकालते हुए उत्सुकता से पूछा, “मैडमजी कौन-सा दिन बताया आज है?”
मैडम की आवाज़ मानों गले मे फंस गई और वह बड़ी मुश्किल से बोल पाई, “वुमन्स डे…”

मीनू त्रिपाठी

अधिक शॉर्ट स्टोरीज के लिए यहाँ क्लिक करें – SHORT STORIES

Usha Gupta

Share
Published by
Usha Gupta

Recent Posts

सलमान खान के घर के बाहर चली गोलियां, बाइक पर सवार थे दो अज्ञात लोग, जांच में जुटी पुलिस (Firing Outside Salman Khan House Two People Came On Bike)

बॉलीवुड के भाईजान और फैंस की जान कहे जाने वाले सलमान खान के मुंबई स्थित…

April 14, 2024

लघुकथा- असली विजेता (Short Story- Asli Vijeta)

उनके जाने के बाद उसने दुकान को पूर्ववत ही संभाल रखा था.. साथ ही लेखिका…

April 13, 2024
© Merisaheli