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जानें डायटिंग के साइड इफेक्ट्स? (Side Effects Of Dieting)

डायटिंग एक कठिन और मुश्किल शब्द है, हम इसे करने की कोशिश कर लें, लेकिन बड़े हुए वजन को कम करना इतना आसान नहीं होता है. टीवी, विज्ञापन, होर्डिंग, सोशल मीडिया और लगभग हर स्वास्थ्य, फिटनेस और फैशन मैगज़ीन में डायटिंग को महत्व के साथ-साथ उसके साइड इफेक्ट के बारे में भी बताया जाता है. डायटिंग के बढ़ते हुए क्रेज़ को देखकर कह सकते हैं कि डायटिंग के साइड इफ़ेक्ट भी होते हैं, अगर सही तरीके से न की जाए तो?
शरीर में पोषक तत्वों की कमी
लंबे समय तक और कड़ी सख्त डायटिंग करने से शरीर में पोषक तत्वों की कमी हो जाती हैं, जैसे- कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन, विटामिंस (विशेष तौर पर ए, बी, इ और के) और मिनरल्स, जैसे- कैल्शियम, फास्फोरस, सोडियम आदि. ये सभी नूट्रिएंट्स हमारे फ़ूड ग्रुप के अति आवश्यक तत्व होते हैं और डायट करने पर भोजन में इनकी अनुपस्थिति होने पर शरीर में कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं.
मेटाबॉलिज्म का धीमा होना
मेटाबोलिज्म ऐसी प्रक्रिया है, जो शरीर को एक्टिव रखने के लिए ऊर्जा उपलब्ध कराती है, लेकिन अधिक समय तक डायटिंग करने की वजह से शरीर में कैलोरी की कमी होने लगती है, जिसकी वजह से धीरे-धीरे शरीर का मेटाबॉलिज्म धीमा होने लगता है. डायटिंग के दौरान भूख लगने पर जब शरीर को पर्याप्त कैलोरी नहीं मिलती है, तो शरीर खाना नहीं मिलता है, तो फास्टिंग (उपवास) मोड़ में चला जाता है और मेटाबॉलिज्म कम होने लगता है और मेटाबॉलिज़्म कम होने वजन कम होने लगता है.
मूड स्विंग होना
डायटिंग करने के वजह से शरीर को पौष्टिकता से भरपूर संतुलित भोजन नहीं मिल पाता है, जिसके कारण शरीर में हार्मोंस का असंतुलित होना, ब्लड शुगर का लेवल कम होना और मूड स्विंग होना जैसी समस्याएं होती हैं. भूख लगने पर जब शरीर को भोजन नहीं मिलता है, तो शरीर थका हुआ महसूस करता है और मूड ख़राब रहता है.
सिरदर्द
इसमें कोई दो राय नहीं है कि क्रैश डायटिंग करने वजन कम होता है. लेकिन तेज़ी से वजन कम होने के कारण लगातार सिर में दर्द रहता है.इसलिए डायटीशियन भी डायटिंग के दौरान डायट चार्ट बनाते समय इस बात का विशेष ख्याल रखती है कि थोड़े-थोड़े आप कुछ न कुछ खाते रहें. वर्कआउट से पहले और बाद में खूब पानी पीएं, ताकि शरीर में पानी की कमी होने पर सिर दर्द न हो.
थकान और चिड़चिड़ापन
डायटिंग करते हुए अधिक देर तक भूखा रहने के कारण सबसे पहला साइड इफ़ेक्ट सामने दिखता है वह थकान और चिड़चिड़ापन. भोजन में पोषक तत्वों की कमी होने पर शरीर में उनका स्तर भी गड़बड़ा जाता है. नतीजा यह होता है कि आप थकान और चिड़चिड़ापन महसूस करते हैं और न ही किसी काम में मन लगता है. कीटोजेनिक डाइट पर आधारित ‘जर्नल ऑफ दि अमेरिकन डायटिक एसोसिएशन’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, लो कार्बोहाइड्रेट डाइट से बॉडी का एनर्जी लेवल कम रहता है और आप अधिक थकान महसूस करने लगते हैं.
कब्ज
कड़ी डायटिंग करने पर कब्ज़ होना आम बात है. वैसे तो डायटीशियन भी ऐसा डायट चार्ट बनाकर देती हैं, जिसमें सभी पोषक तत्व शामिल हों, विशेष तौर पर फाइबर. डायटिंग के दौरान खाने में फाइबर की मात्रा बढ़ाएं. कब्ज़ से बचने के लिए हरी पत्तेदार सब्जियां, हरी सब्जियां-फल और पानी अधिकाधिक मात्रा में पीएं.
गुर्दे में पथरी (किडनी स्टोन)
जब आप डायटिंग करने से शरीर में न्यूट्रिशन की कमी होने लगती है, जिसका असर पूरे शरीर पर दिखाई देने लगता है.क्योंकि डायटिंग के दौरान खाने-पीने की बहुत सारी चीज़ों का सेवन बंद करना पड़ता हैं. इसकी वजह से शरीर में पानी की मात्रा कम हो जाती है और डीहाइड्रेशन की समस्या बढ़ जाती है और डीहाइड्रेशन की वजह से गुर्दे में पथरी होने की आशंका बढ़ जाती है.
बालों का झड़ना
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, डायटिंग यानी लो कैलोरी फूड खाने से हमारे शरीर में कैलोरी की मात्रा कम हो जाती है, भोजन में पोषक तत्वों की कमी होने लगती है जिसकी वजह से हेयर स्ट्रक्चर और हेयर ग्रोथ दोनों पर बुरा असर पड़ता है और बाल तेजी से झड़ने लगते हैं.
डिप्रेशन
जो लोग लगातार डायटिंग करते हैं, पर्याप्त और सही मात्रा में खाना न खाने कारण वे कभी-कभी डिप्रेशन के शिकार हो जाते हैं. क्योंकि भोजन में कार्बोहाइड्रेट्स और शुगर न लेने के कारण शरीर में सेरोटोनिन का स्तर कम हो जाता है, सेरोटोनिन हैप्पी हार्मोन होता है, जो हमारे मूड को खुश रखता है. इसलिए शरीर में इसका स्तर कम होने का मतलब है डिप्रेशन होना और तनाव का बढ़ना.
मेंस्ट्रुअल प्रॉब्लम्स
इसमें कोई दो राय नहीं है कि सख्त डायट करने पर वजन तो कम होता ही है. लेकिन वजन कम होने के कारण महिलाओं के शरीर में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है, जिसका असर पीरियड्स पर भी पड़ता हैं। सही और संतुलित डायट न लेने पर हार्मोन्स में गड़बड़ी होने लगती है और उनका असर पीरियड सायकल पर पड़ने लगता है.
बीमार पड़ना
इंटरमिटेंट फास्टिंग यानी सप्ताह में कम-से-कम 4 दिन तक भूख कंट्रोल करना या फिर भोजन न करना। ऐसा करना आपकी सेहत के लिए नुकसानदायी हो सकता है. हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के एक्सपर्ट्स के अनुसार, इससे लोगों को सिरदर्द, अनिद्रा, रूखी और बेजान त्वचा, कब्ज, आलस और पेट संबंधी परेशानियां हो सकती हैं
डायटिंग करने अलावा बढ़े हुए वजन को कम करने के और बहुत सारे तरीके हैं, जरुरी नहीं कि डाइटिंग ही की जाए.वजन कम करने का ये तरीका बिल्कुल भी हेल्दी नहीं है. कठोर डाइटिंग करने से शरीर में बहुत सारी कॉम्प्लीकेशन्स पैदा होती हैं. अगर आप डायटिंग करना ही चाहते हैं, तो डायटीशियन और नूट्रिशनिस्ट की निगरानी में करें. वे आपको इस तरह की डायट चार्ट देंगी, जिससे आप खाने में संतुलित आहार ले सकेंगे और डायटिंग का कोई दुष्परिणाम भी नहीं होगा.
-पूनम शर्मा