प्रायः देखा गया है कि छोटी-छोटी तकलीफ़ों में तुरंत आराम के लिए हम स्वयं ही कोई भी दवा या पेनकिलर्स ले लेते हैं. कई बार काफ़ी समय तक इन दवाइयों को हम लेतेे रहते हैं और बिना इनके साइड इफेक्ट्स (Side Effects of Self Medication) जाने दूसरों को भी लेने की सलाह देते रहते हैं. यदि आप भी ऐसा करते हैं, तो अलर्ट हो जाएं.
अक्सर हम बिना डॉक्टर की सलाह के सिरदर्द, बुख़ार, सर्दी-ज़ुकाम, पेटदर्द, नींद आदि के लिए ख़ुद से ही दवाइयां ले लेते हैं. इसके अलावा शुगर फ्री टैबलेट्स, ताक़त की गोलियां और बदनदर्द के लिए भी अक्सर पेनकिलर्स लेते रहते हैं. इन सबसे भविष्य में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.
– समय की कमी.
– केमिस्ट की सलाह को सही समझना.
– डॉक्टर से अपॉइंटमेंट लेने की औपचारिकता से बचना या डॉक्टर का घर बहुत दूर होना.
– डॉक्टर की फीस अधिक होना.
– शुभचिंतकों, पड़ोसी या मित्रों की सलाह को सही मानना.
– घर में पड़ी दवाइयों को ही उपयोग में ले आने की प्रवृत्ति.
– बुख़ार की गोलियां अनावश्यक रूप से लेने पर लिवर पर बुरा असर पड़ता है और वो कमज़ोर होने लगता है.
– दर्दनिवारक गोलियां शरीर का संतुलन बिगाड़ देती हैं, जिससे कब्ज़, बदहज़मी की समस्या पैदा हो जाती है.
– शुगर फ्री गोलियां अक्सर हार्मोंस को उत्तेजित करती हैं. इन्हें अधिक या कम लेने से हार्मोनल इम्बैलेंस की संभावना होती है.
– एंटीबायोटिक्स दवाइयां लेने से शरीर में इनके प्रति, प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है, जिसके कारण हर बार हायर डोज़ खानी पड़ती है.
– एंटीट्यूबरोक्लोसिस (टीबी) दवाइयां असर करना बंद कर देती हैं.
– गर्भपात की दवाइयां लेने से गर्भपात अधूरा रह सकता है. यह जानलेवा भी हो सकता है.
– ताक़त की दवाइयों से शरीर बिगड़ने या हार्मोनल गड़बड़ी होने की संभावना रहती है.
– हाई डोज़ दवाइयां लंबे समय तक लेने से किडनी फेल हो जाने का ख़तरा रहता है.
– प्रेग्नेंसी व लैक्टेशन के दौरान बिना जांचे-परखे दवाइयां लेने से शिशु की सेहत प्रभावित हो सकती है और यह ख़तरनाक भी हो
सकता है.
– व्यक्ति विशेष में किसी बीमारी या कमी होने के कारण कई दवाइयां प्रतिबंधित होती हैं. इन दवाइयों के सेवन से ख़ून में से रक्त कोशिकाएं टूटने लगती हैं यानी ख़ून पानी बन जाता है.
– नींद की दवाइयों के अक्सर हम आदी हो जाते हैं. उनकी फिर हाई डोज़ ही हमें लेनी पड़ती है.
– दो विपरीत साल्टवाली दवाइयां ले लेने से घातक परिणाम हो सकते हैं.
– कई दवाइयां खाली पेट ली जानेवाली होती हैं, तो कुछ दूध के साथ.
– रिपीट होनेवाली दवाइयों के बीच का अंतराल महत्वपूर्ण होता है.
– एंटीसेप्टिक व एंटीबायोटिक्स दवाइयों को एक नियमित तरी़के से लेना होना बेहद आवश्यक है.
– कई दवाइयों के साथ ख़ास तरह का भोजन वर्जित होता है.
स्वयं दवाई लेते समय संभवतः आप इन बातों का ध्यान न रख पाएं. डॉक्टरी सलाह लेने पर डॉक्टर आपकी उम्र, वज़न और मर्ज़ देखकर दवा देते हैं. इसके अलावा ज़रूरत होने पर ब्लड, यूरिन, स्टूल और अन्य जांच की सलाह भी देते हैं.
– कुछ दवाइयों से आपको नींद आती है.
– कुछेक दवाइयां आपकी सेक्स ड्राइव कम कर देती हैं.
– कुछ दवाइयां आपकी आंखों की रोशनी क्षीण कर देती हैं.
– कुछ दवाइयां एकदम से असर करती हैं और कुछ धीरे-धीरे.
– असली मर्ज़ का पता ही नहीं चलेगा, क्योंकि बीमारी के लक्षण सप्रेस हो जाएंगे.
– लंबे समय तक ग़लत दवाई लेते रहने से गुर्दे ख़राब हो जाने का ख़तरा होता है.
– कई बार बीमारी का कारण कुछ और हो सकता है, जैसे- सिरदर्द- दिमाग़ की नस फटने से या पेटदर्द- अपेन्डिक्स फटने से. इन परिस्थितियों में हमने ख़ुद इलाज करने की कोशिश की, तो जान बचाना मुश्किल हो जाएगा और डॉक्टर भी मदद नहीं कर पाएगा.
– कुछ देर के लिए तुरंत आराम तो मिल जाएगा, पर शरीर में जटिलताएं बढ़ जाएंगी.
दवाइयों के स्टोरेज के तरी़के भी अलग-अलग होते हैं और उन्हें उसी रूप में रखकर उनका सेवन करना अपेक्षित परिणामों के लिए
आवश्यक है.
– सभी केमिस्ट फार्मसिस्ट नहीं होते, अतः उनका ज्ञान अधूरा रहता है.
– यदि कभी डॉक्टर से पूछे बिना दवा खाने की मजबूरी हो, तब परिस्थिति अनुकूल होते ही डॉक्टर को तुरंत दिखाएं. डॉक्टर को बता दें कि आपने किस दवा का सेवन किया है. बीमारी की पूरी हिस्ट्री, एक्स रे व अन्य रिपोर्ट डॉक्टर को दिखाएं.
– यदि हम लंबे समय तक होमियोपैथी व आयुर्वेदिक दवाइयां लेते रहते हैं, तो ये भी ख़तरनाक हो सकती हैं. होमियोपैथी व
आयुर्वेदिक दवाइयों में भी धातुएं होती हैं. सामान्य अवधारणा से विपरीत इन्हें ख़ुद से नहीं लेना चाहिए, क्योंकि नुक़सान किसी से भी हो सकता है.
भारत में तक़रीबन सभी जगहों पर डॉक्टरी सुविधाएं उपलब्ध हैं. साथ ही सरकारी-ग़ैरसरकारी सभी तरह के हॉस्पिटल व डॉक्टर हैं. अब तो कई राज्यों में मध्यम वर्ग व निम्न वर्ग के लिए मुफ़्त डॉक्टरी सुविधा, सलाह-परामर्श व दवाइयां भी मिलने लगी हैं.
यहां हम यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि हमें स़िर्फ स्वयं दवाई खा लेने की आदत पर नियंत्रण रखना है. घर में दवाइयों की इमर्जेंसी किट अवश्य रखें, पर सभी दवाइयों की एक्सपायरी डेट जांच-परखकर यथासंभव डॉक्टर को दिखाकर या पूछकर ही दवाइयां लें. आख़िर एक तंदुरुस्ती हज़ार नियामत है.
– पूनम मेहता
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