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कैंसर से बचाव के आसान व कारगर तरी़के (Health Alert: Simple Ways You Can Prevent Cancer)

 

ग्लोबोकैन द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, 2018 में भारत में कैंसर (Cancer) के 11,57,294 नए केसेज़ सामने आए हैं और कैंसर के कारण 7,84,821 लोगों की मृत्यु हुई है. यह आंकड़ा किसी को भी चिंतित करने के लिए पर्याप्त है. अब प्रश्‍न यह उठता है कि कैंसर जैसी बीमारी इतनी कॉमन क्यों होती जा रही है और इससे बचने के लिए क्या कदम उठाने चाहिए? 
क्यों बढ़ रहे हैं कैंसर के मामले?
जसलोक हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, मुंबई की कंसल्टेंट मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. अंजना सैनानी के अनुसार, “जेनेटिक कारणों को छोड़ दें, तो कैंसर के बढ़ते मामलों के लिए लाइफस्टाइल से जुड़ी बहुत-सी चीज़ें व आदतें ज़िम्मेदार हैं. उनमें से सबसे प्रमुख है तंबाकू का सेवन. इसके अलावा ओवरईटिंग, मोटापा, शारीरिक गतिविधि की कमी, प्रोसेस्ड फूड का अत्यधिक सेवन, पर्यावरण संबंधी कारक, जैसे- अशुद्ध हवा, प्रदूषण, प्लास्टिक का प्रयोग, हवा में रेडॉन गैस की बढ़ती मात्रा, केमिकलयुक्त व मिलावटी खाद्य पदार्थों का बढ़ता प्रयोग इत्यादि कैंसर के प्रमुख कारण हैं.” बीसीपीबीएफ द कैंसर फाउंडेशन, नई दिल्ली में सर्जिकल ऑन्कोलॉजी और रोबोटिक्स के अध्यक्ष डॉ. समीर कौल कहते हैं, “आमतौर पर कैंसर बूढ़े लोगों को होनेवाली बीमारी है, लेकिन आजकल ख़राब व  लापरवाह जीवनशैली के कारण लोग समय से पहले ही बूढ़े होने लगे हैं. आज के समय में 10 में से 5 व्यक्ति मोटापे का शिकार हैं और मोटापा ब्रेस्ट, कोलोन, किडनी, खाने की नली के कैंसर के रिस्क को बढ़ाता है.”

कैंसर से बचने के तरी़के
एस्टर सीएमआई हॉस्पिटल, बैंगलुरू के रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. विक्रम मैया एम का मानना है, “कैंसर के बचाव को दो प्रमुख भागों में बांटा जा सकता है. पहला है, कैंसर उत्पन्न करनेवाले कारकों से निजात पाना और दूसरा शरीर में हेल्दी सेल्स के निर्माण में मदद करना. कैंसर उत्पन्न करनेवाले कारकों को ख़त्म करने के लिए ग़लत आदतों पर नियंत्रण व पर्यावरण से जुड़े कारकों से छुटकारा पाना ज़रूरी है, जबकि हेल्दी सेल्स के निर्माण के लिए इमोशनली और फिज़िकली फिट रहना ज़रूरी है. इमोशनली फिट रहने के लिए स्ट्रेस, डिप्रेशन इत्यादि से दूर रहना चाहिए, जबकि फिज़िकल फिटनेस के लिए शारीरिक रूप से एक्टिव रहना ज़रूरी है.” इसके लिए निम्न तरी़के अपनाएं.

तंबाकू से दूर रहेंः ओरल और लंग कैंसर का सबसे प्रमुख कारण धूम्रपान है. तंबाकू में 4,700 तरह के केमिकल्स पाए जाते हैं, जिनमें से 43 केमिकल्स कैंसर उत्पन्न करते हैं. नव्या कैंसर इंस्टिट्यूट के फाउंडर और चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉ. नरेश रामाराजन के अनुसार, “कैंसर से बचना है तो सबसे पहले धूम्रपान त्यागना ज़रूरी है. सिगरेट, पान, हुक्का यानी किसी भी प्रकार के तंबाकू से परहेज़ करें. सेकंड हैंड स्मोकिंग भी उतनी ही हानिकारक है, इसलिए यदि आपके घर में कोई सिगरेट पीता हो, तो उसे भी ऐसा करने से रोकें.”
शराब को कहें नाः आपको यह जानकर आश्‍चर्य होगा कि शराब का सेवन करने से कोलोन, ब्रेस्ट और स्टमक कैंसर का ख़तरा बढ़ जाता है, इसलिए सीमित मात्रा में शराब का सेवन करें.

शारीरिक रूप से सक्रिय रहेंः डॉ. विक्रम मैया के अनुसार, “रोज़ाना कम से कम 20 मिनट टहलने या एक्सरसाइज़ करने से रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. फलस्वरूप शरीर की कोशिकाएं मज़बूत होती हैं और कैंसर का ख़तरा कम होता है.”

मोटापा से मुक्तिः मोटापा कैंसर के प्रमुख कारणों में से एक है. डॉ. अंजना सैनानी कहती हैं कि वज़न पर नियंत्रण रखना बहुत आवश्यक है, क्योंकि मोटापा शरीर में, ख़ासकर महिलाओं के शरीर में हार्मोन का उत्पादन बढ़ा देता है, जिसके कारण ब्रेस्ट कैंसर का ख़तरा बढ़ जाता है. अतः खानपान पर ध्यान दें. लो फैट और लो कोलेस्ट्रॉल फूड्स का सेवन करें. खाने में सब्ज़ियां, दाल, अनाज इत्यादि शामिल करें. विटामिन ए, सी और ई युक्त खाद्य पदार्थों को प्राथमिकता दें. ये एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर को क्लीन रखते हैं, साथ ही सीमित मात्रा में ही रिफाइंड शुगर खाएं.

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प्रोसेस्ड फूड का सीमित सेवनः इंटरनेशनल एजेंसी फ्रॉम द रिसर्च ऑन कैंसर द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, अत्यधिक मात्रा में प्रोसेस्ड फूड का सेवन कुछ प्रकार के कैंसर के ख़तरे को बढ़ा सकता है. अतः खाने में प्लांट बेस्ड फूड्स, जैसे- फल, सब्ज़ियां, साबूत अनाज शामिल करें. नॉनवेज़, ख़ासतौर पर रेड मीट व हाई फैटयुक्त फूड्स का सेवन कम मात्रा में करें.

तेज़ धूप से बचेंः डॉ. समीर कौल बताते हैं कि तेज़ धूप स्किन कैंसर का प्रमुख कारण है. अतः धूप तेज़ होने पर बाहर निकलने से बचें. अगर धूप में निकलना ज़रूरी हो, तो शरीर को अच्छी तरह कवर करें व सनग्लासेस हनना न भूलें.

नियमित चेकअप कराएंः कैंसर की सबसे प्रमुख समस्या यह है कि शुरुआती चरणों में इसका पता नहीं चलता है, जिसके कारण इलाज में द़िक्क़त आती है. डॉ. नरेश रामाराजन कहते हैं कि स्क्रीनिंग की मदद से शुरुआती चरणों में ही ब्रेस्ट, सर्वाइकल और कोलोन जैसे कैंसर का पता लगाया जा सकता है. डॉक्टर आपकी उम्र और अन्य रिस्क फैक्टर्स देखकर पैप स्मीयर, मैमोग्राफी या कोलोनोस्कोपी कराने की सलाह दे सकते हैं. अतः डॉक्टर से मिलकर इस पर चर्चा करें.

वैक्सिनेशनः डॉ. समीर कौल के अनुसार, “वैक्सीन कुछ प्रकार के कैंसर से बचाव में मदद करती हैं. हालांकि वैक्सीन सीधे-सीधे कैंसर ख़त्म नहीं करती, लेकिन ये शरीर में कैंसर पैदा करनेवाले वायरस को ख़त्म कर देती है. सर्वाइकल, एनल, वेजाइनल जैसे कैंसर से बचाव के लिए महिलाओं को 9 से 26 साल तक की उम्र में ह्यूमन
पैपिलोमावायरस (एचपीवी) वैक्सीन दिया जाता है. इसी तरह हेपेटाइटिस बी वैक्सीन लिवर के कैंसर से बचाव करती है.”

वायु प्रदूषण से बचेंः वायु प्रदूषण लंग कैंसर का एक प्रमुख कारण है. ऑन्कोलाइफ कैंसर केयर सेंटर के मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. दत्तात्रेय एंडूर कहते हैं कि दिल्ली, मुंबई, कोलकाता एवं अन्य कई शहरों में प्रदूषण अपने घातक स्तर पर पहुंच गया है. इन शहरों में रहनेवाले लोगों को धूल, कार एवं फैक्टरी से निकलने वाले धुएं, निर्माण स्थलों से निकलनेवाली धूल, तंबाकू के धुएं (एक्टिव और पैसिव) से बचने के लिए मास्क का इस्तेमाल करना चाहिए. साथ ही वायु प्रदूषण के कारणों को पहचानकर इन्हें कम करने की कोशिश करनी चाहिए. जागरूकता के द्वारा फेफड़ों के कैंसर को कम करने के लिए ज़रूरी कदम उठाए जा सकते हैं.

काम पर ध्यान देंः डॉ. विक्रम मैया के अनुसार, “अगर आपका काम ऐसा है कि काम के दौरान आप हानिकारक रसायनों, जैसे- एस्बेस्टॉस, बेंजीन एवं अन्य सॉल्वेंट्स, आर्सेनिक उत्पादकों, डाई-ऑक्सिन, क्रोमियम, लेड, फाइबर आदि के संपर्क में आते हैं, तो कैंसर की संभावना बढ़ जाती है, इसलिए इन उद्योगों से जुड़े लोगों को इसके रोकथाम के उपाय अपनाने चाहिए.”

आर्टिफिशियल कलर्स व प्रिज़र्वेटिव्स का इस्तेमाल न करें: सब्ज़ियों और फलों में इस्तेमाल किए जानेवाले कीटनाशक या खाद्य पदार्थों में इस्तेमाल होनेवाले आर्टिफिशियल कलर्स, प्रिज़र्वेटिव्स आदि स्वास्थ्य के लिए बेहद ख़तरनाक होते हैं. इनका अत्यधिक मात्रा में सेवन कैंसर का कारण बन सकता है, इसलिए इन चीज़ों से बचने की कोशिश करें. खाद्य पदार्थों के ऑर्गेनिक विकल्प अपनाएं.

लिक्विड से लगावः पानी और अन्य तरल पदार्थ पीने से मूत्राशय के कैंसर के ख़तरे को कम करने में मदद मिल सकती है, जिससे मूत्र में कैंसर पैदा करनेवाले एजेंटों की एकाग्रता कम हो जाती है और मूत्राशय के माध्यम से उन्हें तेज़ी से प्रवाहित करने में मदद मिलती है.

गर्भनिरोधक गोलियों का सीमित सेवनः लंबे समय तक गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन करने से महिलाओं में कैंसर का ख़तरा बढ़ता है.

फैमिली हिस्ट्री होने पर सतर्क करेंः अगर आपके परिवार व क़रीबी रिश्तेदार में कोई कैंसर का मरीज़ रहा हो, तो इसके होने की आशंका बढ़ जाती है. अतः ऐसी फैमिली हिस्ट्री होने पर शुरुआत से ही सतर्क रहें. डॉक्टर से मिलकर इस बारे में चर्चा करें, ताकि किसी तरह का संदेह होने पर एहतियात के तौर पर टेस्ट करवाने या कैंसर का रिस्क कम करने के लिए वो अन्य उपाय बता सकें.

जल प्रदूषण से बचेंः पानी में डाले जानेवाले रसायन पेट व लिवर की बीमारियों, जैसे- हेपेटाइटिस का कारण बन सकते हैं और यह कैंसर का रूप भी ले सकता है. साथ ही पानी में आर्सेनिक का स्तर बढ़ने के कारण त्वचा के कैंसर के मामले भी बढ़ रहे हैं. इसके लिए आस-पास मौज़ूद वॉटर बॉडीज़ (जल निकायों) को जैविक व ओद्यौगिक प्रदूषकों से दूषित होने से बचाएं.

ये भी पढ़ेंः  जानिए अत्यधिक प्रोटीन के सेवन के साइडइफेक्ट्स (Is Too Much Protein Bad For Your Health?)

– शिल्पी शर्मा

Poonam Sharma

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