स्किन केयर से जुड़ी ग़लतफ़हमियों के कारण कई लोग त्वचा की ज़रूरत के मुताबिक उसकी सही देखभाल नहीं कर पाते. आप भी इन ग़लतफ़हमियों की शिकार न हो जाएं, इसलिए हम आपको बता रहे हैं स्किन केयर से जुड़े कुछ मिथक और सच्चाई.
कहते हैं, ग़लत दिशा में की गई मेहनत कभी रंग नहीं लाती, तो भला त्वचा की देखभाल का ग़लत तरीक़ा आपकी त्वचा को साफ़-सुथरा और सुरक्षित कैसे रख सकता है? आपकी त्वचा तभी दमकेगी, जब आप उसकी देखभाल सही तरी़के से करेंगी.
मिथकः किसी एक स्किन केयर प्रॉडक्ट का इस्तेमाल हर कोई कर सकता है.
सच्चाईः यह सही नहीं है. चेहरे की बनावट की तरह हर त्वचा में भी फ़र्क़ होता है. किसी की स्किन ऑयली होती है, तो किसी की ड्राई. साथ ही उम्र के अनुसार त्वचा की ज़रूरतें भी बदलती रहती हैं. ऐसे में ये ज़रूरी नहीं कि जिस मॉइश्चराइज़र या एंटी-एजिंग क्रीम का इस्तेमाल किसी दूसरे व्यक्ति की त्वचा के लिए फ़ायदेमंद है, वो आपकी स्किन के लिए भी उतना ही असरदार हो.
स्मार्ट टिपः अलग-अलग तरह की त्वचा की ज़रूरतें भी अलग-अलग होती हैं इसीलिए एक ही स्किन केयर प्रॉडक्ट हर किसी के लिए कारगर साबित नहीं हो सकता. अतः अपनी स्किन टाइप को ध्यान में रखकर सही मॉइश्चराइज़र या एंटी-एजिंग क्रीम का इस्तेमाल करें.
मिथकः कॉस्मेटिक या स्किन केयर प्रॉडक्ट जितने महंगे होते हैं, उतने ही असरदार होते हैं.
सच्चाईः न स़िर्फ कॉस्मेटिक्स, बल्कि कई चीज़ों को लेकर हमारी राय यही होती है कि चीज़ें जितनी महंगी होंगी, वो उतनी ही अच्छी व असरदार साबित होंगी. अन्य मुद्दों पर आपकी ये सोच सही साबित हो सकती है, लेकिन कॉस्मेटिक्स या स्किन केयर प्रॉडक्ट्स के मामले में इस सोच को पूरी तरह सही नहीं कहा जा सकता. महंगे स्किन केयर प्रॉडक्ट्स या कॉस्मेटिक्सकी क्वालिटी अच्छी ज़रूर हो सकती है, लेकिन वो असरदार साबित हों, यह ज़रूरी नहीं. कई बार कम क़ीमत वाले प्रॉडक्ट्स त्वचा के लिए ज़्यादा असरदार साबित होते हैं.
स्मार्ट टिपः स्किन केयर प्रॉडक्ट्स या कॉस्मेटिक्स की क़ीमत देखने से अच्छा है कि आप उस पर लिखी सामग्री पर ध्यान दें, जैसेः इस प्रॉडक्ट में कितने विटामिन्स हैं या ऐसे कौन-कौन-से पोषक तत्व हैं, जो स्किन के लिए कारगर साबित हो सकते हैं? अतः जांच-परखकर ही स्किन केयर प्रॉडक्ट्स या कॉस्मेटिक्स ख़रीदें.
मिथकः बार-बार चेहरा धोने से त्वचा न स़िर्फ
साफ़-सुथरी, बल्कि स्वस्थ भी बनी रहती है.
सच्चाईः कील-मुंहासों की समस्या से बचने के लिए त्वचा को साफ़-सुथरा रखना बहुत ज़रूरी है, लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि त्वचा को साफ़ रखने के लिए आप बार-बार चेहरा धोएं. चेहरे पर बार-बार साबुन का इस्तेमाल करने से धूल-मिट्टी के साथ ही त्वचा के नैचुरल ऑयल्स भी धुल जाते हैं, जिससे न स़िर्फ त्वचा की कुदरती चमक कम हो जाती है, बल्कि त्वचा मुरझाई-सी नज़र आती है.
स्मार्ट टिपः चेहरा धोने के लिए ऐसे फेसवॉश का इस्तेमाल करें जो आपके स्किन टाइप को सूट करे. दिन में स़िर्फ दो बार फेसवॉश से चेहरा धोेएं और चेहरा धोने के बाद मॉइश्चराइज़र लगाना न भूलें. इससे त्वचा न स़िर्फ साफ़, बल्कि महफूज़ भी रहेगी.
मिथकः महंगी आई क्रीम अप्लाई करने से झुर्रियां पूरी तरह से ग़ायब हो जाती हैं.
सच्चाईः इसे पूरा सच नहीं कहा जा सकता. चाहे महंगी आई क्रीम हो या ख़ास एंटी-एजिंग क्रीम, ये स़िर्फ बढ़ती उम्र के निशां को रोकने एवं उन्हें कुछ मात्रा में कम करने के लिए होती हैं, (जैसे- झुर्रियां, झाइयां आदि) न कि उन्हें पूरी तरह से ख़त्म करने के लिए. यह भी ज़रूरी नहीं कि महंगी आई क्रीम ज़्यादा असरदार साबित हो. अतः क़ीमत के आधार पर आई क्रीम का चुनाव न करें.
स्मार्ट टिपः झुर्रियों एवं झाइयों से बचने के लिए शुरुआत से ही एंटी-एजिंग क्रीम का इस्तेमाल करें. इससे आप बढ़ती उम्र के निशां कम करने में क़ामयाब हो सकती हैं, एक बार उनके उभर आने पर उन्हें पूरी तरह से मिटाना संभव नहीं है.
मिथकः मॉइश्चराइज़र युक्त सोप के इस्तेमाल से त्वचा का रूखापन दूर हो जाता है.
सच्चाईः ये सच नहीं है. ज़्यादातर लोग मॉइश्चराइज़र युक्त सोप का इस्तेमाल ये सोचकर करते हैं कि इससे स्किन को मॉइश्चराइज़र की ज़रूरत नहीं पड़ेगी, लेकिन सच ये है कि मॉइश्चराइज़रयुक्त सोप मॉइश्चराइज़र की ज़रूरत को पूरा नहीं कर सकता. त्वचा को नर्म-मुलायम बनाए रखने के लिए मॉइश्चराइज़र लगाना ज़रूरी है. मॉइश्चराइज़र युक्त सोप में मॉइश्चराइज़र की मात्रा बहुत कम होती है, जो रूखी त्वचा को कुछ समय के लिए ही कोमल बना सकती है.
स्मार्ट टिपः मॉइश्चराइज़र युक्त सोप लगाने का मतलब यह नहीं कि अब त्वचा को मॉइश्चराइज़र की ज़रूरत नहीं है. हेल्दी स्किन के लिए मॉइश्चराइज़र का इस्तेमाल करना बहुत ज़रूरी है. इससे त्वचा नर्म-मुलायम और कोमल बनी रहती है.
मिथकः बरसात और ठंड के मौसम में सनस्क्रीन लगाने की ज़रूरत नहीं होती.
सच्चाईः सनस्क्रीन का इस्तेमाल हम सूर्य की यूवी किरणों से त्वचा की हिफ़ाज़त करने के लिए करते हैं, इसलिए हम में से कई लोग ऐसा समझते हैं कि सनस्क्रीन स़िर्फ गर्मी के मौसम में लगाना चाहिए. बरसात एवं ठंड के मौसम में सनस्क्रीन लगाने की ज़रूरत नहीं, क्योंकि तेज़ धूप स़िर्फ गर्मी के मौसम में होती है, जिससे त्वचा को नुक़सान पहुंच सकता है, लेकिन ऐसा नहीं है. सूर्य की यूवी किरणें त्वचा के लिए जितनी हानिकारक गर्मी के मौसम में होती हैं, उतनी ही नुक़सानदेह सर्दी एवं बरसात में भी होती हैं.
स्मार्ट टिपः मौसम चाहे जो भी हो, नर्म-नाज़ुक त्वचा की सुरक्षा के लिए जब भी घर से बाहर निकलें, सनस्क्रीन ज़रूर लगाएं. एक्सपर्ट्स तो घर में भी सनस्क्रीन लगाने की सलाह देते हैं ताकि खिड़की से आने वाली सूर्य की हानिकारक किरणें आपकी त्वचा पर बेअसर साबित हों.
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