बिगड़े रिश्तों को दें एक चांस (Steps To Repair Your Relationship After You Mess)

अपने रिश्ते (Relationship) को तोड़ने से बेहतर है कि उसे एक मौका दें. जिस साथी के साथ आपने इतना लंबा समय या कभी बेहतरीन पल गुज़ारे थे, उसे एक मौका (Repair Relationship) देकर आप ख़ुद को भी मौका दे रही हैं. इस तरह एक मौका देकर आप अपनी पुरानी ग़लतियों से सीख भी ले पाएंगी और साथी के साथ दोबारा विश्‍वास जोड़ने में भी मदद मिलेगी.

अपनाएं ये गोल्डन रूल्स (Repair Relationship)

पहला क़दम: मूल्यांकन करें कि आपके बीच ऐसा क्या हुआ था, जो आज यह स्थिति पैदा हुई है. हो सकता है, आपने एक-दूसरे को पर्याप्त समय न दिया हो, आपने अपने संबंधों को गंभीरता से न लिया हो या आपसी मतभेदों को सुलझाने की कोशिश न की हो और टेक इट फॉर ग्रांटेड का एटीट्यूड अपनाकर अपने रिश्ते को अहमियत न दी हो. इस तरह मूल्यांकन करने से आप उन ग़लतियों को दोबारा नहीं दोहराएंगे.

दूसरा क़दम: साथी को बता दें कि आप उनसे क्या अपेक्षा रखती हैं. यही नहीं, साथी की आपसे क्या अपेक्षाएं हैं, उस पर भी खुलकर बात करें. कौन-कितनी अपेक्षाएं पूरी कर सकता है, इस पर भी डिस्कस करें. अपने रिश्ते को एक और मौका देने से पहले खुलकर हर बात कहना, दोनों के ही लिए बहुत ज़रूरी है. इस तरह दोनों को बेहतर तरी़के से सोचने का मौक़ा मिलेगा और वे पहले से ही सतर्क हो जाएंगे. इन अपेक्षाओं में साथी के प्रति सम्मान होना बेहद ज़रूरी है.

तीसरा क़दम: अपने अतीत को न कुरेदें. अतीत से सीखना है, उसे न तो दोहराना चाहिए और न ही उससे जुड़ी बातें याद कर साथी को आहत करना चाहिए. पहले किसने क्या किया, इस बहस में न उलझें. आपको साथी को नीचा नहीं दिखाना है. उसे एहसास दिलाना है कि अब भी आप उसके साथ हैं. साथी की किन बातों या व्यवहार से आप आहत हुईं और किस वजह से संबंधों में दरार आई, इस पर डिस्कस करें, लेकिन आरोपों की शक्ल में नहीं. अपने साथी को यह सिद्ध करने का समय दें कि वह बदल गया है और वह रिश्ते को नए सिरे से आकार देने के लिए तैयार है.

चौथा क़दम: देखें कि आपके साथी में बदलाव आ रहा है कि नहीं. बदलाव एकदम नहीं होते और आपको इस बात के लिए तैयार रहने के साथ-साथ इस बात को भी सहजता से लेना सीखना होगा. यदि इसके बावजूद साथी में कोई बदलाव नहीं आ रहा है, तो उसे समय रहते ही इस बात का एहसास दिला दें और अपना सहयोग दें. यह आपकी ज़िंदगी है और इसके साथ किसी को भी खिलवाड़ न करने दें.

कब दें चांस?

सचमुच पछतावा हो: अगर आपके साथी ने आपके साथ बुरा व्यवहार किया था, लेकिन अब उसे इस बात का एहसास हो गया है, तो वह सचमुच एक मैच्योर और विश्‍वसनीय इंसान बन गया है. आपका साथी सचमुच अपनी ग़लती मान रहा है और उसे अपने किए पर पछतावा है, ऐसे में उसे माफ़ करना आपके लिए भी अच्छा है. आप भी अपनी ग़लतियों के लिए माफ़ी मांगें, इससे यह तो पता चल जाएगा कि अभी आप एक-दूसरे को प्यार करते हैं, साथ ज़िंदगी गुज़ारना चाहते हैं और वो भी बिना किसी दबाव के. ऐसे में दोबारा दिया चांस एक ज़्यादा मैच्योर और संतुष्ट संबंध के रूप में सामने आएगा.

साथी अच्छा इंसान है: हो सकता है कि आपके संबंधों में दरार इस वजह से आई हो कि आपके साथी ने आपको धोखा दिया हो, वह आपको मारता हो या ख़ुद को आपसे हीन समझने के कारण आपको परेशान करता हो, तो नि:संदेह ऐसे इंसान की आपकी ज़िंदगी में कोई ज़रूरत नहीं है. लेकिन इन सबके बावजूद आप यह जानती हैं कि आपका साथी एक अच्छा इंसान है और अगर उसे एक और मौका(Repair Relationship) दिया, तो संबंधों में सुधार आ सकता है, तो एक मौका देने में हिचकें नहीं. वह भटक गया था, यह मानकर उसे सुधरने का एक अवसर दें. कई बार ऐसे हालात बन जाते हैं कि रिश्तों में दरार पड़ जाती है, पर ऐसे हालात बदलने पर रिश्तों में आई दूरियां और ग़लतफ़हमियां भी अपने आप दूर हो जाती हैं.

अगर साथी मैच्योर हो गया है: कुछ लोगों की आयु चाहे कितनी भी हो जाए, पर उनमें मैच्योरिटी नहीं आती, जिससे रिश्ते के सफल होने या उसमें मधुरता रहने की संभावना कम ही रहती है. लेकिन अगर कभी आपको लगे कि संबंधों में आई कड़वाहट की वजह से आपके साथी में परिपक्वता आ गई है और उसे अपने बिहेवियर पर अफ़सोस है, तो उसे एक चांस दें. हो सकता है, इस बार यह बदला हुआ इंसान आपको जीवन की ख़ुशियां देने में सबसे आगे रहे.

एक-दूसरे के लिए प्यार और भावनाएं हों: अपने आप से पूछें कि क्या अभी भी आपके मन में एक-दूसरे के लिए प्यार और भावनाएं हैं? अगर ऐसा नहीं है, तो दोबारा से उस रिश्ते में बंधना व्यर्थ है, क्योंकि फिर लाख कोशिशों के बावजूद आपके बीच में न तो प्यार पनप पाएगा और न ही नज़दीकियां आ पाएंगी, बल्कि साथ रहना पहले से भी ज़्यादा मुश्किल हो जाएगा. पर अगर दोनों के मन में ही एक-दूसरे के लिए भावनाएं हैं और तो ही आगे बढ़ें.

आपके मन से सारी कड़वाहट निकल गई है: जब संबंधों में दरार आ जाती है, तो साथी के लिए बहुत ही ख़राब फीलिंग्स पैदा हो जाती हैं. ग़ुस्सा, नाराज़गी, कई बार एक-दूसरे का चेहरा तक देखना गवारा नहीं होता. अगर अभी आपके मन में आपके साथी के प्रति ग़ुस्सा है और जो उसने किया है उसे आप भूलने में असमर्थ हैं, तो एक और चांस देना ठीक नहीं होगा. फिर साथी की हर बात आपको बुरी ही लगेगी और हो सकता है कि उससे बदला लेने का विचार भी उसके ख़िलाफ़ होने के लिए आपको उकसाए.
अगर आप सब कुछ भुलाकर पुराने भावनात्मक बोझ को उतारने को तैयार हैं, तो आप एक-दूसरे को दोबारा मौक़ा (Repair Relationship) दे सकती हैं. पर अगर आप उस स्थिति पर पहुंच गई हैं, जहां आपके लिए उस ग़ुस्से से ख़ुद को अलग कर, साथी को माफ़ करना असंभव लगता है, तो दोबारा मौक़ा देने से पहले एक बार फिर से सोच लें.

– सुमन बाजपेयी

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