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कहानी- अपनी इमेज का क़ैदी 5 (Story Series- Apni Image Ka Qaidi 5)

“बिल्कुल सर जैसा...” दीया तपाक से बोली. मेरे हाथ से चाय छूटते-छूटते बची. क्या कह गई ये लड़की... मैं हकबका गया. कनपटियां तप गईं और दिल फुल स्पीड़ में धड़कने लगा. “देखो, सर जैसा तो एक ही है और वो मैंने हथिया लिया, अब कोई दूसरा ऑप्शन हो तो बताओ, कुछ करते हैं तुम्हारे लिए...” सुगंधा का मसखरापन मुझे भीतर तक बेंध गया. क्या इसने कभी कुछ नोटिस नहीं किया, कुछ अखरा नहीं इसे दीया की बातों में, मेरी आंखों में... उसके मुझ पर इस अटूट विश्वास ने मुझे शर्मिदा कर दिया.

            ... “मैं ठीक हूं यार... मेडिसिन है मेरे पास, जाते ही ले लूंगा.” सुगंधा को टालकर निकल गया, मगर बहुत गिल्ट महसूस हुई. कितनी परवाह करती है मेरा और मैं किस राह पर बढ़ा चला जा रहा हूं... नहीं मुझे आगे नहीं जाना है... वो मेरी कलीग है और कुछ भी नही... मैं ख़ुद से वादे करता हुआ पार्किंग में पहुंचा, तो वो उधर खड़ी थी. आसमानी चूड़ीदार, लहराते बाल और बालों से झांकते झुमके... मुझे देख हल्की-सी स्माइल दी और मैं ख़ुद से किया हर वादा भूल बैठा. ऑफिस तक की ड्राइव के वे 30 मिनट कैसे गु़ज़रे ये बस मेरा दिल ही जानता था. बाहर सब कितना शांत.. कितना नॉर्मल, मगर भीतर जैसे कोई तूफ़ान उठकर मुझे घेरे में ले रहा था. उसके परफ्यूम की ख़ुशबू से मन भीग रहा था. दुपट्टे की छुअन से भी... वो न जाने कहां-कहां की बातें कर रही थी, मगर मेरे भीतर कुछ और ही धुन चल रही थी, "तुमको देखा तो ये ख़्याल आया, ज़िंदगी धूप तुम घना साया...’ अब ये क़यामत का सफ़र हमारी हर सुबह, हर शाम का हिस्सा बन चला था. ऐसा सफ़र ना जिसकी कोई शुरुआत थी, ना मंजिल... फिर भी ये हमकदमी मन को भा रही थी. वो किसी धूनी की तरह मेरे भीतर धीमे-धीमे सुलगती रहती, जिसे न बुझाते बनता, न हवा देते... जो कुछ चल रहा था, वो अच्छा था या बुरा, पता नहीं, लेकिन ख़ूबसूरत था... किसी मोहब्ब्त में डूबी ग़ज़ल की तरह जिसे मैं गुनगुना रहा था और शायद वो भी... “दीया तुमने अभी तक शादी क्यों नहीं की?” एक शाम सुगंधा ने दीया को चाय सर्व करते हुए पूछा. वो चुप रही. “कहो तो हम ढूढ़ दें तुम्हारे लिए कोई… बताओं तो कैसा लाइफ पार्टनर चाहिए तुम्हें?”   यह भी पढ़ें: ये हेल्दी हैबिट्स आपके रिश्तों को भी रखेंगी फिट और हेल्दी… (15 Healthy Habits To Keep Your Relationship Fit And Strong)     “बिल्कुल सर जैसा...” दीया तपाक से बोली. मेरे हाथ से चाय छूटते-छूटते बची. क्या कह गई ये लड़की... मैं हकबका गया. कनपटियां तप गईं और दिल फुल स्पीड़ में धड़कने लगा. “देखो, सर जैसा तो एक ही है और वो मैंने हथिया लिया, अब कोई दूसरा ऑप्शन हो तो बताओ, कुछ करते हैं तुम्हारे लिए...” सुगंधा का मसखरापन मुझे भीतर तक बेंध गया. क्या इसने कभी कुछ नोटिस नहीं किया, कुछ अखरा नहीं इसे दीया की बातों में, मेरी आंखों में... उसके मुझ पर इस अटूट विश्वास ने मुझे शर्मिदा कर दिया. “जानती हूं, इसीलिए तो शादी नहीं कर रही हूं, सच कहूं तो दी, ऐसे-ऐसे लंपट लड़के देखे हैं कि सोचा था कभी शादी नहीं करूंगी, मगर जब सर को देखती हूं ना, तो मेरा मर्दों पर से उठा विश्वास लौट आता है... हर कोई तारीफ़ करता है इनकी कि कितने अच्छे इंसान हैं, अच्छे पति, बेस्ट बॉस एंड आई एम श्योर अच्छे फादर भी होंगे...” “हां, वो तो हैं, आई एम लकी...” सुंगधा और दीया मेरी तारीफ़ों का पुराण फिर खोलकर बैठ गए और मैं वहां से खिसक लिया. कमरे में आकर फिर ग़ज़ल ट्यून की- ना उम्र की सीमा हो, ना जन्मों का हो बंधन, जब प्यार करे कोई तो देखे केवल मन... मेरा मन देख रहा था उसके प्यार को जो उसके जवाब ‘सर जैसा’ में छिपा था... उसके लगाव को जो मेरी तारीफ़ों में घुला था... मगर ये सही नहीं है... हमें रुकना होगा... जितना आगे बढ़ेगे लौटने में उतनी ही मुश्किल होगी, अफ़सोस होगा... मैं सुगंधा से बेवफ़ाई नहीं कर सकता किसी क़ीमत पर नहीं...   यह भी पढ़ें: 5 रिलेशनशिप हैबिट्स जो आपके रिश्ते के लिए टॉक्सिक साबित हो सकती हैं (5 Toxic Relationship Habits That Can Ruin Any Relationship)     मगर इस तिलिस्म का क्या करूं! कैसे तोडू इसे! दीया जैसी लड़की की पहली पसंद होने का एहसास शायद मेरी मैनली ईगो को बूस्ट कर रहा था. गुज़रते समय के साथ हम बेतकल्लुफ़ होते जा रहे थे. दीया का साथ वो नशा बनता जा रहा था, जो देर तक बना रहता और उतरने से पहले फिर मिल जाता. एक दिन इसी नशे में डूबा मैं बाज़ार से लौटा, तो वो घर पर आई हुई थी किसी जेंटलमैन के साथ. कद-काठी और बॉडी लैंग्वेज़ से आर्मी ऑफीसर लग रहा था.

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Deepti Mittal दीप्ति मित्तल           अधिक कहानियां/शॉर्ट स्टोरीज़ के लिए यहां क्लिक करें – SHORT STORIES

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