कहानी- आईना 3 (Story Series- Aaina 3)

“यह तो तू सही कह रहा है यार.” वीरेन के चेहरे की संजीदगी, शिवम के चेहरे को भी संजीदा बना गई. “हमारी मांओं के समय पत्नियां रोया करती थीं और पति पुराण सुनाया करतीं थीं, पड़ोसियों, सहेलियों, यहां तक कि बच्चों को भी. सबको अपने पक्ष में करने के लिए और हमारी पीढ़ी के पति अब पत्नी पुराण सुना रहे हैं, पर हम किसी दूसरे को अपना दुखड़ा भी नहीं सुना सकते, क्योंकि कहावत है न कि मर्द को दर्द नहीं होता.”

“यह सब पता होता तो कभी शादी ही नहीं करता. आख़िर क्यों करनी है शादी?”

दोनों दोस्त अपनी-अपनी आधुनिक पत्नियों के रवैये से परेशान, अपनी बातों में मशगूल थे कि अचानक वीरेन आ टपका. वीरेन भी बचपन से उनके साथ पढ़ा था. पर तेज़ बुद्धि का वीरेन इंजीनियर था. उसकी पत्नी भी इंजीनियर थी. दोनों ने प्रेमविवाह किया था.

“अरे, क्या गुफ़्तगू चल रही है मेरे बिना.”

“कुछ नहीं. आ जा तू भी शामिल हो जा, हमारे पत्नी पुराण में.” शिवम हंसता हुआ बोला.

“ये क्या शामिल होगा. शनिका इसके बराबर का कमाती है. आधी से अधिक प्रॉब्लम तो यूं ही सॉल्व हो गई.”

“परेशानियां तो सब जगह रहती हैं.” उनकी बात समझकर वीरेन गंभीरता से बोला… “मेरी परेशानियां कुछ अलग तरह की हैं.”

“वो क्या?” दोनों दोस्त बोल पड़े.

“सात साल होने को हैं शादी हुए, घरवाले ज़ोर डाल रहे हैं और अब मुझे भी लगता है कि परिवार बढ़ाने के बारे में सोचना चाहिए, पर शनिका के पास ़फुर्सत नहीं. अब तुम्हीं बताओ कि बच्चा कैसे होगा?” दोनों दोस्त मुंह बाये उसे निहारने लगे.

“शनिका का क्या कहना है इस बारे में?” श्रीयंत बोला.

“इस साल तो नहीं. उसका यही जवाब होता है और यही कहते-कहते वह ख़ुद 37 की हो गई है. कब सोचेगी? नौकरी की व्यस्तता की वजह से वह कुछ सोच भी नहीं पाती है और इतनी अच्छी नौकरी छोड़ भी नहीं पाती है.”

“तो फिर… क्या बच्चा करोगे ही नहीं?“ शिवम आश्‍चर्य से बोला.

“हां, यह भी हो सकता है.” वीरेन हताशाभरे स्वर में बोला. “वैसे कुछ समय से सरोगेसी से बच्चा पैदा करने की बात भी करने लगी है.” सुनकर तीनों दोस्त हंस पड़े.

“ये अच्छा है आजकल की लड़कियों का. पैसा कमाओ और सब कुछ ऑर्डर कर दो. यहां तक कि बच्चा भी.” तीनों दोस्त अनायास ही ठहाका मारकर हंस पड़े.

यह भी पढ़ेरिश्तों की बीमारियां, रिश्तों के टॉनिक (Relationship Toxins And Tonics We Must Know)

“पता नहीं कैसी ज़िंदगी हो गई है.” एकाएक वीरेन सजींदा हो गया, “जब दोनों की अच्छी आय के दम पर देश-विदेश घूमना, पार्टी, दोस्तों के साथ मस्ती, एक अच्छी स्तरीय ज़िंदगी नसीब होती है, तो सब कुछ अच्छा लगता है, पर हम कहां जा रहे हैं? न अपने माता-पिता के रह गए. न अपने लिए बच्चे ही पैदा कर पा रहे हैं और किसी तरह कर भी लिए तो उनका ठीक से लालन-पालन नहीं कर पा रहे हैं.”

“यह तो तू सही कह रहा है यार.” वीरेन के चेहरे की संजीदगी, शिवम के चेहरे को भी संजीदा बना गई. “हमारी मांओं के समय पत्नियां रोया करती थीं और पति पुराण सुनाया करतीं थीं, पड़ोसियों, सहेलियों, यहां तक कि बच्चों को भी. सबको अपने पक्ष में करने के लिए और हमारी पीढ़ी के पति अब पत्नी पुराण सुना रहे हैं, पर हम किसी दूसरे को अपना दुखड़ा भी नहीं सुना सकते, क्योंकि कहावत है न कि मर्द को दर्द नहीं होता.”

“यह सब पता होता तो कभी शादी ही नहीं करता. आख़िर क्यों करनी है शादी?” श्रीयंत झुंझलाकर कुछ ऊंची आवाज़ में बोला,  “पैसा अलग ख़र्च होता है, आज़ादी भी छिन जाती है, माता-पिता, रिश्तेदारों से रिश्ता ख़त्म-सा हो जाता है. नौकरी के साथ-साथ घर के कामों में अलग मदद करनी पड़ती है और रात को पत्नी को उसकी मर्ज़ी के बिना हाथ भी नहीं लगा सकते. आख़िर कोई बताए मुझे कि आज के लड़के विवाह क्यों करें?” श्रीयंत बिलकुल भाषण देनेवाले अंदाज़ में बोला.

“ओए, रिलैक्स… तुझे कोई वोट नहीं मिलनेवाले हैं. हां, तलाक़ ज़रूर मिल जाएगा अगर अंदर रिनी ने सुन लिया तो.” वीरेन उसे शांत करता हुआ बोला. उसके बोलने के अंदाज़ से दोनों दोस्त कुछ मजबूरी व कुछ खिसियाकर खिलखिलाकर हंस पड़े.

“हां यार, ज़्यादा तेवर दिखाओ तो कहीं नारी शक्ति ज़ोर मार दे और दिन में भी तारे दिखा दे. कुछ भी हो सकता है आजकल तो.” श्रीयंत गंभीरता से बोला.

तीनों दोस्त अपनी ज़िंदगी की इस गंभीर समस्या पर बात करते-करते आख़िर हल्के-फुल्के मूड़ में आ ही गए. पर तीनों मन-ही-मन सोच रहे थे कि आख़िर इस समस्या से पार पाने का कौन-सा उपाय है? जब संतान भी पैदा नहीं करनी है,

शारीरिक-मानसिक सुख भी नहीं है, तो वैवाहिक संस्था का आख़िर क्या औचित्य रह गया. तीनों विचारमग्न बैठे थे.

तभी शिवम माहौल की चुप्पी को तोड़ता हुआ ठहाका मारकर हंसता हुआ बोला, “अच्छा यार ये पत्नी पुराण छोड़ और ज़रा बढ़िया चाय तो पिलवा.”

“वह भी मुझे ही बनानी पड़ेगी.”

“क्यों, रिनी कहां है?”

“कियान को सुला रही है.” श्रीयंत भी ठहाका मारता हुआ बोला और किचन की तरफ़ चला गया व साथ ही दोनों दोस्त भी.

आज की पत्नियां पतियों को वो आईना दिखा रही थीं, जो अब तक पतियों ने पत्नियों को दिखाया था.

  सुधा जुगरान

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