कहानी- बुद्धिबली 4 (Story Series- Budhibali 4)

“सर, आप शिक्षा के इस मंदिर के मुखिया हैं. आप ग़लत आदर्श मत प्रस्तुत कीजिए. उस लड़के को अपने कर्मों का फल मिलना चाहिए, वरना…”
“ए छोकरी, भाषण मत झाड़. तू मुझे नहीं जानती. घर से उठवा लूंगा तुझे. किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं बचेगी और सारे आदर्श-वादर्श भूल जाएगी.” विधायकजी गरिमा की बात काट गरजे.
गरिमा ने उनकी बात का कोई उत्तर नहीं दिया और चुपचाप अपने मोबाइल से खेलती रही. यह देख विधायकजी का क्रोध भड़क उठा.

“अपनी गरिमा पर भरोसा रखो.” गरिमा ने नीरज का कंधा थपथपाया, फिर बोली, “तुम्हारा एक पल भी रुकना मुझे गहरे संकट में डाल देगा, इसलिए जल्दी जाओ यहां से. विश्‍वास रखो मैं सुरक्षित रहूंगी.”
गरिमा ने यह बात कुछ ऐसे अंदाज़ में कही थी कि नीरज को उसकी बात माननी ही पड़ी.
गरिमा ने प्रिंसिपल के कक्ष में प्रवेश किया ही था कि उन्होंने उसे घूरते हुए कहा, “मिस गरिमा, कॉलेज की ओर से तो कोई सीसीटीवी कैमरा लगाया ही नहीं गया, फिर आपने विधायकजी के बेटे को कैमरे की धमकी क्यों दी?”
“सर, मैंने धमकी नहीं दी थी, बल्कि असलियत बयां की थी. मुझे मालूम था कि यहां नकल होती है, इसलिए मैंने अपना निजी हैंडी कैमरा कक्षा में लगा दिया था, ताकि वहां होनेवाली हरकतों की रिकॉर्डिंग होती रहे.” गरिमा ने शंात स्वर में बताया.
“वह कैमरा कहां है?” सामने बैठे विधायकजी गुर्राए.
“उसे तो मैंने आपकी आंखों के सामने ही एक शुभचिंतक के हाथों सुरक्षित स्थान पर भिजवा दिया है.” गरिमा ने बताया.
“ओह, उस छोकरे को तुम कैमरा दे रही थी. अगर मालूम होता, तो उसे वहीं गोली मार देता.” विधायकजी ने अपना माथा पीट लिया.
“नो प्रॉब्लम सर, हम सब मैनेज कर लेंगे.” प्रिंसिपल ने विधायकजी को संात्वना दी, फिर गरिमा से बोले, “आप मैनेजमेंट के साथ कोऑपरेट कीजिए. मैं आपको जल्दी ही पर्मानेंट करवा दूंगा.”

यह भी पढ़े: बजट में करें विदेश की सैर

“सर, आप शिक्षा के इस मंदिर के मुखिया हैं. आप ग़लत आदर्श मत प्रस्तुत कीजिए. उस लड़के को अपने कर्मों का फल मिलना चाहिए, वरना…”
“ए छोकरी, भाषण मत झाड़. तू मुझे नहीं जानती. घर से उठवा लूंगा तुझे. किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं बचेगी और सारे आदर्श-वादर्श भूल जाएगी.” विधायकजी गरिमा की बात काट गरजे.
गरिमा ने उनकी बात का कोई उत्तर नहीं दिया और चुपचाप अपने मोबाइल से खेलती रही. यह देख विधायकजी का क्रोध भड़क उठा. वे चीखते हुए बोले, “तुझसे आख़िरी बार पूछ रहा हूं. कैमरा देगी या नहीं?”
गरिमा ने इस बार भी कोई उत्तर नहीं दिया, लेकिन उसकी उंगलियां मोबाइल पर तेज़ी से चल रही थीं. यह देख प्रिंसिपल की छठी इंद्रीय जागृत हो गई. उन्होंने घबराए स्वर में पूछा, “यह क्या कर रही हो?”
“अपनी जान का बीमा.” गरिमा खुलकर मुस्कुराई फिर बोली, “नेताजी के बेटे की करतूत पहले ही सुरक्षित जगह पहुंच चुकी है. अभी-अभी इस कमरे में जितनी भी बातें हुई हैं, उसकी वीडियो क्लिपिंग भी मैंने मोबाइल से सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दी है. अब अगर किसी ने मेरे घर की ओर आंख उठाकर देखा, तो अपनी बर्बादी का ज़िम्मेदार वह ख़ुद होगा.”
“घर छोड़, मैं तुझे अभी यहीं पर सबक सिखाता हूं.” विधायकजी घायल सांप की तरह फुंफकारते हुए गरिमा की ओर लपके.

संजीव जायसवाल ‘संजय’

अधिक कहानी/शॉर्ट स्टोरीज़ के लिए यहां पर क्लिक करेंSHORT STORIES

[amazon_link asins=’9382597395,8128832425,B078WZF589,B0791KRR35′ template=’ProductCarousel’ store=’pbc02-21′ marketplace=’IN’ link_id=’6b72c504-01d7-11e8-b219-e3c776a09e5f’]

 

Usha Gupta

Share
Published by
Usha Gupta

Recent Posts

कहानी- इस्ला 4 (Story Series- Isla 4)

“इस्ला! इस्ला का क्या अर्थ है?” इस प्रश्न के बाद मिवान ने सभी को अपनी…

March 2, 2023

कहानी- इस्ला 3 (Story Series- Isla 3)

  "इस विषय में सच और मिथ्या के बीच एक झीनी दीवार है. इसे तुम…

March 1, 2023

कहानी- इस्ला 2 (Story Series- Isla 2)

  “रहमत भाई, मैं स्त्री को डायन घोषित कर उसे अपमानित करने के इस प्राचीन…

February 28, 2023

कहानी- इस्ला 1 (Story Series- Isla 1)

  प्यारे इसी जंगल के बारे में बताने लगा. बोला, “कहते हैं कि कुछ लोग…

February 27, 2023

कहानी- अपराजिता 5 (Story Series- Aparajita 5)

  नागाधिराज की अनुभवी आंखों ने भांप लिया था कि यह त्रुटि, त्रुटि न होकर…

February 10, 2023

कहानी- अपराजिता 4 (Story Series- Aparajita 4)

  ‘‘आचार्य, मेरे कारण आप पर इतनी बड़ी विपत्ति आई है. मैं अपराधिन हूं आपकी.…

February 9, 2023
© Merisaheli