- Entertainment
- Story
- Relationship & Romance
- Sex Life
- Recipes
- Health & Fitness
- Horoscope
- Beauty
- Others
- Shop
- Apps
कहानी- गुल्लक 1 (Story Series- Gullak 1)

“मैम, इस बार भी अस्वीकृत… पिछले कई सालों से मैं यह अस्वीकृति झेल रही हूं. हर बार कोशिश करती हूं, कुछ नया लिखने की पर… पर हर बार अस्वीकृत हो जाती है.”
“आप निराश मत होइए वृंदाजी! कहानी के अस्वीकृत होने से दिल छोटा मत कीजिए. आप बस लिखती रहिए और इसे अपनी असफलता भी मत मानिए, बल्कि असफलता ही सफलता की मंज़िल पाने की राह बनाता है. आप प्रयास करती रहें.”
“कोई बात नहीं मैम, मैं कुछ और अच्छा लिखने का प्रयास करूंगी और मुझे विश्वास है कि एक-न-एक दिन मेरी कहानी को आपकी पत्रिका में ज़रूर जगह मिलेगी. धन्यवाद!” कहकर उन्होंने फोन रख दिया.
“हेलो मैम, मेरा नाम वृंदा है. मैंने आपकी पत्रिका के लिए कुछ दिन पहले अपनी कहानी ‘क्षितिज की ओर’ भेजी थी. क्या मेरी यह कहानी आपको पसंद आई?”
“क्षितिज की ओर… हां… एक मिनट… सॉरी वृंदाजी, आपकी कहानी अस्वीकृत है. दरअसल, आपने लिखा तो अच्छा है, पर कहानी में कुछ नएपन की कमी है. आपने हमारी पत्रिका में छपी कहानियां तो ज़रूर पढ़ी होंगी, तो आप उस हिसाब से भाषा पर भी थोड़ी मेहनत कीजिए.”
“मैम, इस बार भी अस्वीकृत… पिछले कई सालों से मैं यह अस्वीकृति झेल रही हूं. हर बार कोशिश करती हूं, कुछ नया लिखने की पर… पर हर बार अस्वीकृत हो जाती है.”
“आप निराश मत होइए वृंदाजी! कहानी के अस्वीकृत होने से दिल छोटा मत कीजिए. आप बस लिखती रहिए और इसे अपनी असफलता भी मत मानिए, बल्कि असफलता ही सफलता की मंज़िल पाने की राह बनाता है. आप प्रयास करती रहें.”
“कोई बात नहीं मैम, मैं कुछ और अच्छा लिखने का प्रयास करूंगी और मुझे विश्वास है कि एक-न-एक दिन मेरी कहानी को आपकी पत्रिका में ज़रूर जगह मिलेगी. धन्यवाद!” कहकर उन्होंने फोन रख दिया.
मां को लिखने का बेहद शौक था, पर अपनी घर-गृहस्थी को संवारने में मां अपने लेखन के शौक को संवारना भूल गई थीं. पिछले कुछ सालों से मां पुऩ: लेखन क्षेत्र में सक्रिय हो गई थीं. वे अक्सर अपनी कहानी व लेख अपनी प्रिय पत्रिका में छपने के लिए भेजती थीं, परंतु हर बार वहां से अस्वीकृत हो जाती थी. उनकी हार्दिक अभिलाषा थी कि उनकी प्रिय पत्रिका में उनकी कहानी या किसी लेख को जगह मिले.
हर बार अस्वीकृति सुनकर वे आहत और निराश होकर कुछ क्षण के लिए बैठ जातीं, पर फिर अचानक उठकर एक पर्ची पर कुछ लिखतीं और फिर उसे अपनी गुल्लक में डाल देतीं. पर्ची गुल्लक में डालकर वे अपने आप को बहुत हल्का महसूस करती थीं. फिर एक नई आशा, नई स्फूर्ति और ख़ुशी के साथ अपने जीवन में व्यस्त हो जातीं. ऐसा वो सालों से करती आ रही थीं.
“वृंदा, लोग गुल्लक में पैसे इकट्ठे करते हैं, पर तुम पर्चियां.” व्यंग्यात्मक टिप्पणी देते हुए उसके पति निलेश हंसने लगे.
मां ने पापा के इस व्यंग्य का उत्तर एक नीरसताभरी मुस्कुराहट से दिया.
“मां, मैं बचपन से आपकी इस गुल्लक को देख रही हूं, आख़िर आप इन पर्चियों में क्या लिखकर गुल्लक में डालती हैं?” मैंने मां से पूछा.
“महक बेटा, यह गुल्लक मेरी सहेली है. इस गुल्लक में मेरा अस्तित्व, मेरी स्मृतियां, मेरा मान-सम्मान सुरक्षित है.”
“मैं समझी नहीं मां…?”
“बेटा, वक़्त आने पर समझ जाओगी, पर हां, एक बात का स्मरण रहे कि तुम लोग मेरी गुल्लक से दूर रहना.” कहकर वो किचन में चली गईं. गुल्लक के विषय में वे कभी भी बात करने में रुचि नहीं लेती थीं.
यह भी पढ़े: क्या आप इमोशनली इंटेलिजेंट हैं? (How Emotionally Intelligent Are You?)
बचपन से आज तक मैंने कभी भी मां को निराश और हताश नहीं देखा. मेरे लिए तो वे सुपर मॉम थीं, जिन्हें हमेशा स़िर्फ मुस्कुराते और ख़ुश देखा था. उनका सर्वस्व तो स़ि़र्फ उनका घर-परिवार था, जिसे वे स्वर्ग का दर्जा देती थीं. बिना किसी शिकायत के वे बड़ी शिद्दत से अपने कर्त्तव्य का निर्वाह कर रही थीं. पूरे घर का एक-एक कोना, एक-एक चीज़ उनके क़रीब थी, परंतु एक छोटी-सी चीज़ उनके लिए सबसे अनमोल थी और वो थी उनकी गुल्लक, जो मेरे लिए सदा जिज्ञासा और कौतूहल का विषय बनी रहती. वो उनकी गुल्लक नहीं, बल्कि उनकी सहेली थी. उनकी गुल्लक को हाथ लगाने की इजाज़त किसी को नहीं थी. अक्सर वे अपनी व्यस्त ज़िंदगी से कुछ लम्हे चुराकर एकांत में अपनी आरामकुर्सी पर बैठकर अपनी गुल्लक को निहारतीं और अपनी यादों के समंदर की लहरों को अपने हृदय से टकराते देखती थीं. इन पलों पर उनका एकाधिकार था, जो उनको अत्यंत सुकून प्रदान करते थे.
मां सदैव मुझे एक बात सिखाती थीं कि महक बेटा, ज़िंदगी पग-पग पर तुम्हारी परीक्षा लेकर तुम पर निराशा की बरसात करेगी, तुम्हारा हौसला तोड़ने का भरसक प्रयत्न करेगी, पर यदि तुम हमेशा हिम्मत, संयम और मुस्कुराहट का छाता लेकर चलोगी, तो अवश्य ही उस बरसात से बची रहोगी और अंत में उस समय पर विजय प्राप्त करोगी, अन्यथा जीवन जीना मुश्किल हो जाएगा.
कीर्ति जैन
अधिक शॉर्ट स्टोरीज के लिए यहाँ क्लिक करें – SHORT STORiES
Roops Collexion Afgani Chand German Silver Oxidized Grey Jhumki Earrings for Women
Alfora German Silver Beaded Double Chandbali Earrings For Women

Roops Collexion RC Afghani Designer Vintage Oxidised German Silver Tribal Hoop Dangler Hanging Mirror Chandbali Earring for Girls & Women

Shreyadzines Designer Afghani CZ Stone Studded Statement Earrings and Finger Ring Combo for Women and Girls (Silver) (Pink)

ARADHYA ` Oxodised Silver Strand Necklace Set for Women

Lenovo A7 (Black, 4GB RAM, 64GB Storage, 4000mAh Battery)

Lenovo Tab M10 FHD Plus Tablet (10.3-inch, 4GB, 128GB, Wi-Fi + LTE, Volte Calling), Platinum Grey

Lenovo A7 (Blue 4GB RAM, 64GB Internal Memory)

Lenovo Tab E8 Tablet (8-inch, 2GB, 16GB, Wi-Fi Only), Slate Black

Lenovo Tab M10 HD Tablet (10.1 inch, 2GB, 32GB, Wi-Fi Only) Slate Black
