कहानी- स्वांग 1 (Story Series- Swang 1)

जब कभी लड़कियों की उंगलियों का स्पर्श हो जाता, उसे अच्छा लगता. फिर वह पुस्तक पढ़ते हुए सो जाता.

वह छुट्टियों में घर गया, तो पूरा परिवार ब्योरा लेने लगा. अम्मा बोलीं, “मनु, रामराज गुरुजी भले हैं, पर ध्यान रहे तुम्हें अपनी लड़कियों के लिए फंसा न लें.” अम्मा की विशेषता है, वे संभावित-असंभावित पर विचार करते हुए अपने मस्तिष्क को सदैव चौकन्ना रखती हैं.

मनुहरि मध्य प्रदेश की पब्लिक सर्विस कमीशन की परीक्षा पासकर पहले अटेम्प्ट में ही नायब तहसीलदार बन गया. यह उसके लिए बहुत बड़ी उपलब्धि थी. उसे ट्रेनिंग पीरियड में सीधी में रहने का आदेश मिला. उसके पिता ख़ुश हुए, “रामराज और मैं सालों एक स्कूल में शिक्षक रहे हैं. सेवानिवृत्त हो रामराज सीधी में रहने लगे हैं. मनु, मैं तुम्हारे साथ चलूंगा. रामराजजी के मकान के पास कुछ बंदोबस्त कर देंगे.”

पिता-पुत्र को देखकर रामराज गुरुजी ख़ुश हो गए, “मैं मनुहरि के लिए कोई और

मकान क्यों तलाशूं? मेरा मकान क्यों नहीं?” “तब लड़का आपके हवाले. मैं निश्‍चिंत हुआ.” पिताजी बोले.

रामराज गुरुजी अपने आधे कच्चे, आधे पक्के मकान में अपने प्रिय मित्र के पुत्र के लिए स्थान बनाने में उत्साहपूर्वक जुट गए. उत्तर की ओर का आयताकार कमरा, जिसकी खिड़की कच्चे आंगन में, एक दरवाज़ा बाहर, दूसरा बीचवाले कमरे में खुलता था, के बीचवाले द्वार को बंदकर कमरे को अलग-सा बना दिया गया. जल्दी ही उसकी दिनचर्या तय हो गई. वह सुबह बड़ी फुर्सत से उठता. चाय बनाकर इत्मीनान से पीता. फिर आंगन में खुलनेवाली खिड़की से झांकता. आंगन में कुछ काम कर रही दोनों बड़ी लड़कियां नीति और निधि कई बार, बल्कि अक्सर ही एक साथ कह उठतीं, “आ जाइए, बाथरूम खाली है.”

सामूहिक बोलने से वे झेंप जातीं और एक-दूसरे को देखकर हंसती. आंगन पार कर स्नानगृह तक जाते हुए मनुहरि को लगता दोनों लड़कियां उसे देख रही हैं. तैयार होकर वह घर से निकलता और एक भोजनालय में मासिक भुगतान पर खाना खाते हुए ऑफिस चला जाता. उसने निशुल्क आवास स्वीकार कर लिया था, किंतु गुरुजी के दबाव के बावजूद निशुल्क भोजन स्वीकार नहीं किया. शाम को वह कार्यालय से लौटकर सुस्ताता, फिर पुस्तकालय चला जाता. कुछ पुस्तकें इश्यू कराता और रात का खाना खाकर घर वापसी. इस बीच दूधवाला दूध का पैकेट रामराज गुरुजी के घर पर दे जाता. गुरुजी की पत्नी रुक्मणी नीति, निधि या सबसे छोटी लड़की, जिसको छोटी ही पुकारा जाता है, उसे पैकेट थमाती. जब कभी लड़कियों की उंगलियों का स्पर्श हो जाता, उसे अच्छा लगता. फिर वह पुस्तक पढ़ते हुए सो जाता.

वह छुट्टियों में घर गया, तो पूरा परिवार ब्योरा लेने लगा. अम्मा बोलीं, “मनु, रामराज गुरुजी भले हैं, पर ध्यान रहे तुम्हें अपनी लड़कियों के लिए फंसा न लें.” अम्मा की विशेषता है, वे संभावित-असंभावित पर विचार करते हुए अपने मस्तिष्क को सदैव चौकन्ना रखती हैं. पिताजी का आशय भी वही, “मनु, रामराजजी से मेरे अच्छे संबंध रहे हैं. तुम ऐसा आचरण न करना कि उन पर भद्दा प्रभाव पड़े.”

“तुमने मनु को लड़कियोंवाले घर में रखा ही क्यों? रामराज बड़े चतुर बनते हैं, तभी लड़के को मुफ़्त में रख लिया. आजकल अच्छे लड़के मिलते कहां हैं?”

पिताजी को उलाहना दे अम्मा मनुहरि से कहने लगीं, “मनु, हम तो परेशान हैं. रा़ेज ही कोई न कोई तुम्हारे ब्याह की बात लेकर चला आता है. हम चाय-पानी देते-देते थक रहे हैं.”

आगे का हाल मनुहरि की बहन दीप्ति ने कहा, “हां भैया, अभी एक दिन पीएससी के मेंबर अपनी लड़की का प्रस्ताव लेकर आए थे. लाखों की शादी होगी और तुम अगली बार पीएससी में बैठो, तो फर्स्ट कैटेगरी पक्की है. और तुम्हारे कॉलेज के प्रोफेसर आते ही बोले, ‘आपका लड़का मांगने आए हैं और रीवा के वे जो सबसे बड़े वकील हैं…”

यह भी पढ़ें: मल्टी टास्किंग के १० ख़तरे महिलाओं के लिए हैं हानिकारक (10 Risks Of Multitasking Every Woman Must Know)

पिताजी बोले, “इतने बड़े-बड़े लोगों को मना करते नहीं बनता और तुम अभी शादी के लिए तैयार नहीं.”

“पहले दीप्ति और ताप्ति की शादी होगी पिताजी, मैं कह चुका हूं.”

मनुहरि को ख़ुद पर गर्व हो आया. वह कितना ख़ास है. ‘अम्मा गुरुजी की लड़कियों को लेकर बेकार चिंता कर रही हैं. रामराज गुरुजी का औसत स्तर है. उनके संदर्भ में वह सोचेगा ही नहीं. यहां तो आदर्श स्थापना का भी मौक़ा नहीं है, जब लोग कहें लड़के ने मामूली घर की लड़की से विवाह कर उदाहरण प्रस्तुत किया है. लोग तो कहेंगे, लड़का इश्क़ में पड़ गया, शादी करनी पड़ेगी.’

वर्जनाएं मनुष्य को लुभाती हैं. अम्मा ने रामराज गुरुजी की लड़कियों से सावधान न किया होता, तो शायद मनुहरि का ध्यान प्रयत्नपूर्वक लड़कियों की ओर न जाता. उसे लड़कियों की उपस्थिति का बोध अनायास होने लगा. वह मोहग्रस्त नहीं है, किंतु लड़कियों की बातों में वह कहीं होगा, यह विचार उसे अधीर करने लगा.

आंगन पार कर स्नानगृह की ओर जाते हुए उसने सतर्कता बरती तथापि उसका ध्यान सायास लड़कियों की ओर चला गया. उसकी नज़र लड़कियों पर पड़ने से पहले छत पर चढ़े मुनगा तोड़ रहे गुरुजी पर पड़ी. गुरुजी ज़ोर से बोले, “मनुहरि, पिताजी ठीक हैं न?”

“पिताजी आप को याद कर रहे थे.”

“अच्छा-अच्छा. तुमने मुनगे की कढ़ी खाई है? और मसलहा? नीति बहुत बढ़िया बनाती है.”

मनुहरि चौकस हुआ, लड़की के गुणधर्म बताए जाने लगे.

इधर आंगन में खड़ी रुक्मणी ने आदतन कहा, “मुनगा बहुत बढ़िया क्यों न हो, आपके गुरुजी को सब्ज़ी लाने का झंझट जो नहीं करना पड़ता. मनुहरि इनका बस चले, तो हम लोगों को दोनों व़क्त मुनगा खाना पड़े.” वह मुस्कुरा दिया. दोनों लड़कियों का मुस्कुराना भी लक्ष्य किया.

गुरुजी पत्नी की वक्रोक्ति न सुन पाए, “आज छुट्टी है न. तो होटल में क्यों खाओगे? दोपहर का भोजन मेरे साथ करोगे.”

“आप परेशान न हों.” रुक्मणी तत्परता से बोल पड़ी, “मनुहरि, तुमको लेकर हम परेशान नहीं होते.”

खाना खाते हुए मनुहरि को लगा इस स्वप्नविहीन घर में कुछ नहीं है, किंतु कुछ पारंपरिक नियम और तरी़के हैं. पीढ़े पर रखी भरी हुई थाली भव्य जान पड़ती है. रुक्मणी चाची आग्रह से खिला रही हैं. छोटी मुस्तैदी से परोस रही है. नीति-निधि रसोई से गरम-गरम फुलके भेज रही हैं.

मनुहरि ने रसोई की आहट सुनी.

    सुषमा मुनीन्द्र

अधिक शॉर्ट स्टोरीज के लिए यहाँ क्लिक करें – SHORT STORIES

Summary
Article Name
कहानी- स्वांग 1 (Story Series- Swang 1) हिंदी स्टोरी | Story in Hindi | Kahaniya
Description
जब कभी लड़कियों की उंगलियों का स्पर्श हो जाता, उसे अच्छा लगता. फिर वह पुस्तक पढ़ते हुए सो जाता. वह छुट्टियों में घर गया, तो पूरा परिवार ब्योरा लेने लगा. अम्मा बोलीं, “मनु, रामराज गुरुजी भले हैं, पर ध्यान रहे तुम्हें अपनी लड़कियों के लिए फंसा न लें.” अम्मा की विशेषता है, वे संभावित-असंभावित पर विचार करते हुए अपने मस्तिष्क को सदैव चौकन्ना रखती हैं.
Author
Publisher Name
Pioneer Book Company Pvt Ltd
Publisher Logo
Usha Gupta

Share
Published by
Usha Gupta

Recent Posts

कहानी- इस्ला 4 (Story Series- Isla 4)

“इस्ला! इस्ला का क्या अर्थ है?” इस प्रश्न के बाद मिवान ने सभी को अपनी…

March 2, 2023

कहानी- इस्ला 3 (Story Series- Isla 3)

  "इस विषय में सच और मिथ्या के बीच एक झीनी दीवार है. इसे तुम…

March 1, 2023

कहानी- इस्ला 2 (Story Series- Isla 2)

  “रहमत भाई, मैं स्त्री को डायन घोषित कर उसे अपमानित करने के इस प्राचीन…

February 28, 2023

कहानी- इस्ला 1 (Story Series- Isla 1)

  प्यारे इसी जंगल के बारे में बताने लगा. बोला, “कहते हैं कि कुछ लोग…

February 27, 2023

कहानी- अपराजिता 5 (Story Series- Aparajita 5)

  नागाधिराज की अनुभवी आंखों ने भांप लिया था कि यह त्रुटि, त्रुटि न होकर…

February 10, 2023

कहानी- अपराजिता 4 (Story Series- Aparajita 4)

  ‘‘आचार्य, मेरे कारण आप पर इतनी बड़ी विपत्ति आई है. मैं अपराधिन हूं आपकी.…

February 9, 2023
© Merisaheli