Story Category: कहानी- पराई ज़मीन पर उगे पेड़ (Short Story- Parai Zamin Par Uge Ped)
“ज़मीन तो अपनी जगह पड़ी रहती है, हवा में उड़ते बीज आकर उस पर गिर जाते हैं. भावनाओं की बारिश में बीज कब अंकुरित हो जाते हैं, ज़मीन को पता ही नहीं चलता.”
अमृत के जवाब पर सामनेवाले ने फिर से सवाल किया, “तो कसूर हवा का है, जो बीजों को उड़ाकर ज़मीन पर गिरा देती है, ये भी नहीं देखती कि किस पेड़ के बीज हैं और किसकी ज़मीन है.”