स्वप्निल अब उसके लिए इस तरह हो गया था, जिस पर न कोई अधिकार है, न उलाहना. प्रेम अब…
“नारायण, वो ऊंटों के गले में पहनी जानेवाली ज्वेलरी को क्या कहते हैं?” नारायण ने अचकचाकर नैन्सी को देखा और…
बनवारीलाल का मन कसक उठा. बेटी के पराये होने और बेटे के पराये होने में कितना अंतर है! बेटी पराई…
आज मनीषा को अपने जन्मदिन को लेकर कोई उत्साह नहीं है, लेकिन यह बच्ची कितने उत्साह से शुभकामना देने चली…
वो जल्द से जल्द घर पहुंचकर अपनी भूल सुधारना चाहती थी. अपनी रिश्तों की बगिया को आनेवाले तूफ़ान में बिखरने…
‘‘वो याद कर रही होगी!’’ कहते-न-कहते पार्वती के चेहरे पर एक अजीब-सा तनाव उभर आया... सहसा महेन्द्र बाबू को भी…
पत्र खोलते ही सम्बोधन ने उसे चौंका दिया, ‘प्रिय मधु...?’ उसके माथे पर सोच की लकीरें उभर आईं. इस नाम…
डैनियल-मार्था की कहानी ने मेरे ज़ेहन में कई सवाल खड़े कर दिए हैं. उस समाज का मानना है कि…
"कोई भी इंसान सर्वगुण संपन्न या अपने आपमें पूर्ण नहीं होता. उसमें कुछ-न-कुछ कमियां अवश्य होती हैं, इसलिए किसी एक…
उसकी तोतली बोली पहली बार साम्या के कानों में मिश्री घोल रही थी. उसकी उजली हंसी साम्या की आत्मा पर…
मैं सोचने लगी- यह एकदम कैसा बदलाव आ गया विजय पाल में. प्रायश्चित के किस क्षण ने उनकी आंखों पर…