बच्चे बहुत जल्द बदलते मौसम से प्रभावित होते हैं, इसके अलावा वो खानपान को लेकर भी काफ़ी चूज़ी और थोड़े ज़िद्दी होते हैं, जिससेअक्सर उनको खांसी की समस्या जब-तब होती रहती है. वहीं नवजात शिशु भी अक्सर खांसी की चपेट में आ जाते हैं, ऐसे में उन्हें कुछआसान घरेलू उपायों द्वारा कंट्रोल किया जा सकता है. 👉🏻 सावधानियां ➡️ ध्यान रहे कि ये होम रेमेडीज़ सामान्य खांसी के लिए है. ➡️ अगर बच्चे की खांसी बढ़ रही है और उसे राहत नहीं मिल रही तो फ़ौरन डॉक्टर के पास ले जाएं. ➡️ इसके अलावा बच्चों को इम्युनिटी बूस्टर फ़ूड खिलाएं. ➡️ उनको सर्दी से बचाएं. ➡️ उनका रूटीन हेल्दी बनाएं, हाइजीन की आदत और महत्व समझाएं. ➡️ खाना खाने से पहले, खांसने-छींकने के बाद, टॉयलेट यूज़ करने के बाद साबुन से हाथ धोने की आदत विकसित करें. 👉🏻 होम रेमेडीज़… शहद चटाएं. शहद में औषधीय गुण होते हैं, जो खांसी में काफ़ी लाभदायक हैं. स्वीट होने के कारण बच्चे इसे आसानी से ले भीलेते हैं. विटामिन सी युक्त चीज़ें खिलाएं-पिलाएं. एक कप पानी में नींबू का रस और थोड़ा-सा शहद मिलाकर दें. अगर बच्चा थोड़ा बड़ा है तो गरारा करवाएं. गुनगुने पानी में नमक या हल्दी डालकर गार्गल करें. गले में ड्राइनेस न बढ़ने दें, इसलिए बच्चे को ज़्यादा से ज़्यादा लिक्विड यानी तरल पदार्थ दें, जैसे- जूस, सूप, पानी. जंक और ऑयली फ़ूड से बचाएं. अदरक का रस शहद के साथ रात को सोते समय दें. 2 साल से कम उम्र के बच्चे के तकिए पर नीलगिरि के तेल की कुछ बूंदें डाल दें. एक चम्मच तुलसी का रस, एक चम्मच अदरक का रस और एक चम्मच शहद मिलाकर दिन में तीन बार दें. मिश्री का टुकड़ा दें. ये काफ़ी फ़ायदा करेगा. अंजीर खिलाएं. इससे छाती में जमा बलगम निकल जाता है और खांसी से छुटकारा मिलता है. बड़ी इलायची का पाउडर थोड़ा-थोड़ा दिन में तीन बार पानी के साथ दें.…
बच्चों को पोषण देना बेहद ज़रूरी है क्योंकि बढ़ती उम्र में अगर उन्हें ज़रूरी तत्व नहीं मिले तो उनके विकास में बाधा आसकती है. लेकिन इन दिनों अक्सर अधिकांश पेरेंट्स ये गलती करते हैं कि वो पोषण देने के चक्कर में बच्चों को एक्स्ट्रापोषण यानी ओवर नूट्रिशन देने लगते हैं. सीधी सी बात है, अगर बच्चा ठीक से खा रहा है, हेल्दी है तो उसे कुछ भी एक्स्ट्रा देने की ज़रूरत नहीं. दूसरी तरफ़ बच्चे की शारीरिक गतिविधियां भी महत्व रखती हैं. बच्चे को आप अतिरिक्त पोषण दे तो रहे हैं लेकिन बच्चाअगर फ़िज़िकली एक्टिव ही नहीं है तो उस एक्स्ट्रा नूट्रिशन का क्या होगा? ये बात ज़्यादातर पेरेंट्स जानते ही नहीं कि ओवर नूट्रिशन बच्चों की हेल्थ के लिए ख़तरनाक हो सकता है. इसकी वजह सेवो कई बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं. यूं भी अति तो किसी भी चीज़ की सही नहीं होती तो फिर नूट्रिशन के मामले मेंहम ये क्यों नहीं समझते? इसकी वजह है कि पेरेंट्स को इस बात की जानकारी ही नहीं और वो जागरुक ही नहीं हैं कि हरचीज़ की तरह बच्चों को नूट्रिशन भी संतुलित ही दिया जाना चाहिए. इस संदर्भ में हमें अधिक जानकारी दे रहे हैं नूट्रिशनिस्ट और फिटनेस एक्सपर्ट आनंद गुप्ता. ओवर नूट्रिशन क्या है? ये एक तरह का मैलनूट्रिशन यानी असंतुलित पोषण है जो अत्यधिक पोषण को लेने से होता है. और जिससे बहुत ज़्यादाबॉडी फ़ैट जमा हो जाता है यानी ये मोटापे को जन्म देता है जिससे कई गंभीर हेल्थ प्रॉब्लम्स जन्म लेती हैं. जब आप हद सेअधिक पोषक तत्व व पोषक आहार खाने लगते हैं, तो एक सीमा के बाद वो आपके स्वास्थ्य में बाधा डालने लगता है. इसे बीएमआइ यानी बच्चों का बॉडी मास इंडेक्स से आंका जाता है. उम्र और हाइट के अनुसार उनका वज़न और सही हैया नहीं. साथ ही फ़िज़िकल एक्टिविटी कितनी है इसकी जनकारी भी ज़रूरी है. ओवर नूट्रिशन के साइड इफ़ेक्ट्स… सबसे बड़ा और ख़तरनाक साइड इफ़ेक्ट है, वज़न बढ़ना, मोटापा. इसके कारण कार्डीओवैस्क्युलर यानी हार्ट संबंधीबीमारी, हाई बीपी, कैन्सर और टाइप 2 डायबिटीज़ की आशंका बढ़ जाती है. इसके अलावा बच्चे हाइपरएक्टिव भी होजाते हैं. बात मोटापे की करें तो चीन के बाद भारत 14.4 मिलियन ओबेस बच्चों के साथ विश्व में दूसरे नंबर पर है, जो कि चिंताका एक विषय है. माना जा रहा है कि साल 2025 तक भारत में मोटापे से ग्रस्त बच्चों की संख्या 17 मिलियन तक पहुंचजाएगी. शहरीकरण इस बढ़ते मोटापे की सबसे बड़ी एकमात्र वजह है, जिसमें आहार यानी खानपान व लाइफ़स्टाइल, पेरेंट्स का काम, पढ़ाई व पारिवारिक माहौल, मानसिक कारण व अन्य एपिजेनेटिक वजहें प्रमुख हैं. मोटापे के बढ़ते खतरे के कारण बच्चों में उच्च रक्तचाप, खून में कॉलेस्टरॉल व फैट्स का अत्यधिक जम जाना, टाइप 2 डायबिटीज़, नींद की समस्या, सांस लेने में दिक़्क़त आदि नज़र आते हैं. इसके अलावा कई माओं की इन दिनों ये शिकायत रहती है कि उनका बच्चा इतनी मस्ती करता है कि वो उनको थका देताहै, इसकी वजह है बच्चों के ओवर नूट्रिशन के कारण उनका हाइपरएक्टिव होना. बच्चे विटामिन से लेकर मिनरल व हरचीज़ तो एक्स्ट्रा ले रहे हैं लेकिन वो एनर्जी वो रिलीज़ कहां और कैसे करेंगे? ज़ाहिर है इसी तरह क्योंकि इन दिनों बच्चेफ़िज़िकल एक्टिविटी नहीं करते, खेल के मैदानों की बजाय वो मोबाइल या लैप्टॉप के सामने ज़्यादा नज़र आते हैं, इसलिए कोई भी एक्स्ट्रा पोषण, चाहे- प्रोटीन हो, विटामिन हो उनमें एक्स्ट्रा कैलरी ही बढ़ाएगा और उनमें हेल्थ प्रॉब्लमऔर फैट्स बढ़ेगा. कैसे कंट्रोल करें ओवर नूट्रिशन को? जंक फूड कम दें. बेहतर होगा घर पर ही उनकी मनपसंद चीज़ें बनाकर दें.मार्केट से रेडीमेड चीज़ें व पैक्ड फ़ूड न दें.टिफ़िन में हेल्दी रेसिपी दें, जैसे- सैंडविच में वाइट ब्रेड की बजाय अगर ब्राउन ब्रेड यूज़ करें तो फूड और हेल्दी होजाएगा.पेरेंट्स अपने बच्चों को अक्सर ढेर सारा चीज़, घी और अखरोट, बादाम और काजू जैसे ड्राई फ़्रूट्स भी देते हैं, क्योंकि उनकी यही सोच होती है कि बढ़ते बच्चों को ये तमाम चीज़ें हेल्दी पोषण देती हैं, लेकिन आजकल बच्चों मेंशारीरिक गतिविधियां कम हो गई हैं और मोटापा व हाइपर एक्टिविटी की समस्या बढ़ती जा रही है. इसलिए ओवरनूट्रिशन और ओवर ईटिंग दोनों ही नुक़सान पहुंचाएंगे, बजाय उनको हेल्दी बनाने के.उनकी लाइफ़स्टाइल को और ज़्यादा एक्टिव बनाएं. शुरू से ही उन्हें लाइट एक्सरसाइज़ की आदत डालें. मोबाइल गेम व लैप्टॉप की आदत की जगह खुले मैदानों में खेलने का महत्व बताएं व गार्डन में घूमने ले जाएं. टीवी या फ़ोन देखते हुए खाना खाने की आदत न पड़ने दें. शुगरी फ़्रूट्स बहुत ज़्यादा न दें क्योंकि अक्सर हम सोचते हैं कि फ़्रूट्स तो हेल्दी है, मिल्क शेक, फ़्रूट शेक भी बच्चोंको पोषण देंगे लेकिन ध्यान रहे कि इनमें शुगर बहुत ज़्यादा होती है जिससे फ़ैट्स बढ़ता है. ऐसे में बेहतर होगा किखाना खाने के बाद ये सब न दें. बल्कि अलग से ख़ाली पेट उन्हें ये दें, जैसे- नाश्ते में या शाम को 4 बजे केआसपास, लेकिन सीमित मात्रा में और वो भी सनसेट से पहले और खाली पेट, क्योंकि सनसेट के बाद फ़्रूट्स भीशुगर बढ़ाते हैं. बच्चों को अपने हाथों से सब्ज़ियां उगाने को कहें, रिसर्च बताते हैं कि अपने हाथों से उगी सब्ज़ियां वो ज़्यादा शौक़ सेखाते हैं. ऐसा नहीं है कि बच्चों को नूट्रिशन इतना कम दें कि वो कुपोषित रह जाएं, उनको बस हेल्दी खाना दें, जिसका स्वादवही हो लेकिन उसमें फैट्स कम हो. बच्चों को हेल्दी खाने की आदत तभी पड़ेगी जब आप भी उसके साथ वही खाएंगे.बच्चे के साथ वॉक पर जाएं. उसे आउटडोर गेम खेलने के लिए प्रोत्साहित करें. स्विमिंग, डान्स क्लास आदि भी अच्छा ऑप्शन है क्योंकि इससे ओवर नूट्रिशन से प्राप्त हुई एक्स्ट्रा कैलरी बर्न होंगीऔर बच्चे में मोटापे की समस्या भी नहीं होगी. कभी-कभी आनुवंशिक कारणों से भी मोटापा होता है, ऐसे में एक्सपर्ट सलाह लेकर वेट मैनेजमेंट प्रोग्राम डिसाइडकरें.आपको बस अनहेल्दी चीजों को हेल्दी से रिप्लेस करना है, जैसे- फ़्राइड की जगह स्टीम्ड व बेक्ड फ़ूड, कोल्ड ड्रिंक्सकी जगह स्किम्ड मिल्क, लो शुगर फ़्रूट जूस आदि दें. फ़्रूट्स में पपीता बेहद हेल्दी होता है, वो डायजेशन भी बेहतरकरता है, इसी तरह नींबू पानी, नारियल पानी आदि भी बेहद हेल्दी हैं, जो बिना फैट्स बढ़ाए काफ़ी पोषण देते हैं. गीता शर्मा
पेटदर्द, सर्दी-ज़ुकाम और त्वचा संबंधी संक्रमण आदि बच्चों में होनेवाली छोटी व आम बीमारियां हैं, जिन्हें पैरेंट्स छोटी-छोटी तकली़फें समझकर…