भले ही अब लैला-मजनू, शीरी-फरहाद और कच्चे घड़े पर माहिवाल से मिलने आने वाली सोहनी का ज़माना नहीं रहा, मगर प्यार-मुहब्बत अब भी है, दिल तो आज भी उसी तरह धड़कते हैं और महबूब का इंतजार भी वैसा ही है. मैं अपनी मां और तीन भाई-बहनोंके साथ रहती थी, सामने वाले घर में पहली मंजिल के एक कमरे में वो सलोना-सा किराएदार लड़का आया. कहीं नौकरी करता होगा. अक्सर ही यहां-वहां दिख जाता. कुछ अजीब-सी कशिश थी उसमें, बस आंखें मिलती ही थीं कि मेरी नजरें झुक जातीं. वो हल्का-सा मुस्करा कर निकल जाता. उसकी मुस्कान भी बड़ी मनमोहक थी. दिल तो दिल है और फिर उम्र भी ऐसी. जिम्मेदारियों के बोझ तले दबी मैं इन इश्क-मुहब्बत की बातों से अपने आप को दूर ही रखती, लेकिन उसके सामने आते ही धड़कने इतनी तेज हो जाती कि सामने वाले को भी सुनाई दे जाएं. पिताजी दूसरे शहर में मुनीमगीरी करते थे, कभी-कभार ही आते. उन दिनों हालात और ट्रैफिक आज की तरह नहीं था. बच्चे गलियों में देररात तक खेला करते थे. एक दिन शाम का समय, अंधियारा-सा छा रहा था, बादल छाए हुए थे और ए दम से आंधी चलने लगी और मूसलाधार बारिश शुरू हो गई. मेरा छोटा दस वर्षीय भाई गली में खेल रहा था कि उसी समय किसी बच्चे की गेंद भाई की आंख पर जोरसे लगी और खून बहने लगा. भाई की चीख सुनकर सभी बाहर को भागे. डॉक्टर तक कैसे पहुंचें, हम सब के आंसू रुकने का नाम नहीं लेरहे थे. वो साईकलों का ज़माना था. वो लड़का फुर्ती से साईकल लाया और मैं भाई को लेकर पीछे कैरियर पर बैठ गई. इस जल्दबाज़ीमें मैं अपना दुपट्टा तक लेना भूल गई थी. मौसम की परवाह न करते हुए तेज़ी से साईकल चलाकर डॉक्टर तक पहुंच गए. शुक्र प्रभु काकि आखं बच गई. उसके बाद तो हम जैसे उसके कर्ज़दार ही हो गए. वो अक्सर हमारे घर आता, उसकी आंखों में मुहब्बत का पैगाम मैनें पढ़ लिया था, मगरहमारी और उसकी दुनिया में बहुत फासला था. उसके पहले खत के जवाब में ही मैंने लिख दिया- “मैं न साथ चल सकूंगी तेरे साथ दूरतलक, मुझे फ़कत अपनी ज़िंदगी में ‘किरदार’ ही रहने दे…” उसने भी मेरी मजबूरी समझी और बेहद सम्मान के साथ अपने प्यार की लाज रखने के लिए मुझसे दूरी बना ली. आज ज़िंदगी बढ़िया चल रही, मगर भाई की आंख के पास का निशान मुझे आज भी उस पहले अफेयर की याद दिलाता है. विमला गुगलानी
रिश्ते अपने आप में खूबसूरत होते हैं और इनकी खूबसूरती छिपी है इनके बंधनों में, इनकी ज़िम्मेदारियों में और इनसे जुड़ी खट्टी-मीठीशिकायतों में. लेकिन अक्सर हम इन चीजों को भूलकर सिर्फ़ इनको बोझ समझने लगते हैं जिससे रिश्तों में नकारात्मकता आ जाती हैऔर इनकी ब्यूटी खोने लगती है. बेहतर होगा रिश्तों से जुड़ी ज़िम्मेदारियों को बोझ न समझकर उनको प्यार से निभाएं. यही सोच आपके रिश्ते को खूबसूरत बनाएगी. रिश्तों को लेकर यथार्थ में जीएं. ख़्वाबों की दुनिया में न रहें. रिश्ते अपने साथ खूबसूरती लाते हैं लेकिन उनसे जुड़ी कई जिम्मेदारियां भी होती हैं. अपनी इन ज़िम्मेदारियों को समझदारी और प्यार से निभाएं. सिर्फ़ आप ही नहीं घर में सभी को अपनी जिम्मेदारियां समझनी ज़रूरी हैं. बेहतर होगा आप सभी अपनी-अपनी ड्यूटी बांट लें ताकि किसी एक पर बोझ न पड़े. लेकिन मात्र ड्यूटी बांटने से काम नहीं चलेगा, इन ड्यूटी को ज़िम्मेदारी से निभाना भी उतना ही ज़रूरी है. ये तभी संभव है जब आप सकारात्मक सोच और पूरे मन से अपने रिश्तों के साथ-साथ उनसे जुड़ी ज़िम्मेदारियों को भी अपनाएं. हर रिश्ते में एडजेस्टमेंट होते हैं. आप अकेले नहीं हैं, इसलिए ये सोचना कि अरे मेरी पड़ोसन को देखो कितनी लकी है, रोज़ नईसाड़ी पहनती है, बड़ी गाड़ी है… और घर में सास-ससुर भी नहीं. वो तो ऐश करती है. काश मेरी भी लाइफ़ ऐसी ही होती… वहीं आपकी पड़ोसन ये सोचती है कि कितनी लकी हैं ये. घर में बड़े-बुज़ुर्ग हैं… भरा-पूरा परिवार है. अपनों का साथ है… येअकेलापन तो नहीं जो मेरी ज़िंदगी में है… काश मेरी भी ऐसी ही फ़ैमिली होती… एक बात याद रखिए ख़ुशियां सिर्फ़ सुख-सुविधा या पैसों में ही नहीं होती… प्यार और अपनेपन से उपजती है ख़ुशियां. आपके सिर पर कई जिम्मेदारियां हैं लेकिन ये न सोचें कि अकेले रहने या ज़्यादा पैसा होने पर जिम्मेदारियां या मुश्किलें नहींआतीं. आपकी पड़ोसन अकेले रहती है लेकिन आपने ये भी तो नोटिस किया होगा कि सारे काम भी वो अकेले करती है- बैंक, पोस्टऑफ़िस, ऑफ़िस वर्क से लेकर बाकी सब उसको अकेले करने पड़ते हैं क्योंकि उसके पति तो अक्सर टूर पर रहते हैं. एक बात मानकर चलें कि काम और जिम्मेदारियों से आप बच नहीं सकते, इसलिए रो-रोकर दुखी मन से कुढ़कर करने से बेहतरहै उनको ख़ुशी-ख़ुशी निभाएं. सिर्फ़ महिलाएं ही नहीं, पुरुषों पर भी यही बात और नियम लागू होते हैं कि अगर परिवार है तो काम व जिम्मेदारियां भी होंगी तोबेहतर होगा अपने पार्टनर ब अन्य घरवालों के साथ कदम से कदम मिलाकर काम करें जिससे बोझ का एहसास कम होगा औरआपका मूड भी लाइट रहेगा.रिश्तों की खूबसूरती अपनेपन में ही है. रिश्तों को खूबसूरत बनाए रखने के लिए अपना अहं, क्रोध और ईर्ष्या जैसी भावनाओं सेऊपर उठना ज़रूरी है. गलती हो जाने पर सॉरी कह देने से आप छोटे नहीं होंगे. घर के काम में पत्नी का हाथ बंटाने से आप जोरू के ग़ुलाम नहीं बन जाएंगे. पत्नी की सलाह लेने से आपका पुरुषत्व कम नहीं हो जाएगा. ऑफ़िस से आने के बाद अपना सामान अपनी जगह पर रखने से, अपने कपड़े खुद निकालकर पहनने से और अपने जूतों को खुदपॉलिश करने से आप किसी पर एहसान नहीं करेंगे, बल्कि अपना ही काम करके ज़िम्मेदार बनेंगे और अपना काम अपनी पत्नी याघर की अन्य स्त्री के भरोसे न छोड़ने पर आप उनकी मदद ही करेंगे, क्योंकि इससे उनकी ड्यूटी थोड़ी कम हो जाएगी और वो ख़ुशहोंगी आपको यूं ज़िम्मेदार बनता देख. अक्सर घरों में देखा गया है कि जब भी कोई पुरुष बाहर से आता है तो घर की लड़कियां व महिलाएं उसकी सेवा-पानी में जुटजाती हैं. इसमें कोई बुराई भी नहीं, क्योंकि कोई बाहर से थका-हारा आता है तो उसे चाय-पानी पिलाकर रिलैक्स करना अच्छीबात है, लेकिन जब कोई महिला बाहर से आती है तो उसे कोई पानी की भी नहीं पूछता… ये घर में मौजूद सदस्यों की ड्यूटी वज़िम्मेदारी है, फिर चाहे वो पुरुष हो या महिला कि वो उनको चाय-पानी पिलाकर थोड़ा रेस्ट करने का मौक़ा दें. अगर घर में कोई मेहमान आ जाए तो सभी को मिल-जुलकर काम करना चाहिए और घर के बड़ों को मेहमानों के साथ वक्तगुजरना चाहिए. अगर ननद की सहेली आई है तो देवर और भाभी को काम का मोर्चा सम्भालकर ननद को सहेली संग वक्त चिल करने देना चाहिएऔर अगर भाभी की सहेली आई है तो ननद और देवर को भाभी की ज़िम्मेदारी बांट लेनी चाहिए.अगर सभी लोग पोज़िटिविटी के साथ अपनी ड्यूटी व ज़िम्मेदारियों के प्रति थोड़े फ़्लेक्सिबल होकर ख़ुशी-ख़ुशी काम करें तोरिश्तों की खूबसूरती और बढ़ जाती है. ये न सोचें कि शाम की चाय तो भाभी ही बनाएगी, अगर भाभी को सर्दी-ज़ुकाम हुआ है और वो रेस्ट कर रही है तो आप उनकोअदरक वाली चाय बनाकर पिला दें. इससे वो भी दो कदम आगे बढ़कर आपका साथ देगी. संडे को सबको आराम और छुट्टी का हक़ होता है लेकिन मां का क्या? वो तो लगातार काम करती है और संडे तो और काम बढ़जाता है क्योंकि सबको कुछ न कुछ स्पेशल खाना होता है… क्यों न हर संडे को स्पेशल बनाने के लिए एक ग्रुप बना दिया जाएऔर मां को उस दिन आराम दिया जाए? घर के पुरुष एक संडे कुछ ख़ास बनाकर खिलाएं, इसी तरह घर के युवा किसी एक संडे को कुछ मॉडर्न स्टाइल फ़ूड बनाकरखिलाएं और मां व भाभी को आराम से एंजॉय करने दिया जाए.इस तरह हर संडे को आप अपनी ड्यूटी व ज़िम्मेदारी टर्न बाय टर्न पूरी कर सकते हैं. इससे चेंज भी मिलेगा और ख़ुशियां भी. किसी एक संडे को सभी बाहर डिनर या लंच या मूवी का प्लान रखें.इसी तरह महिलाओं को भी चाहिए कि वो पेपर वर्क, बैंक या पोस्ट ऑफ़िस के काम के लिए सिर्फ़ पुरूषों पर निर्भर न रहें और नये सोच बना लें कि अरे ये काम तो मर्दों का होता है. सबको सब काम आने चाहिएं और अगर आप ये अपेक्षा रखती हैं कि पुरुषघर के काम में मदद करें तो कभी-कभार इमर्जेन्सी में आपको भी बाहर के कामों में उनकी मदद करनी चाहिए.आपसी सहयोग से ही काम होते हैं. वैसे भी आजकल डिजिटल वर्ल्ड में ये सब काम भी बेहद आसान हो गए हैं. टेक्नॉलोजी कोनज़र अंदाज़ न करें, अपडेटेड रहें.आप अपनी ड्यूटी से भाग नहीं सकते इसलिए रोज़ उनका रोना रोने की बजाए ड्यूटी में भी ब्यूटी देखें. उनको इस तरह रोल करकेएक्साइटिंग बनाएं.रिश्ते फ़िल्मी दुनिया की तरह नहीं होते लेकिन उनको किसी पारिवारिक फ़िल्म की तरह रोचक व रंगीन ज़रूर बनाया जा सकताहै, बशर्ते आप हक़ीक़त में जीएं और सच को अपनाएं. खूबसूरती से निभाए गई जिम्मेदारियां आपके रिश्ते को भी ब्यूटीफुल बनाएगी. शिकवे-शिकायत अपनी जगह हैं लेकिन हमेशा कम्प्लेन बॉक्स बनकर न घूमें, सबके ईमानदारी से किए प्रयासों को सराहें औरउनमें खूबियां भी देखें, अगर किसी से कोई गलती भी हो जाए तो उसे अपराधी न महसूस कराएं बल्कि यही समझाएं कि ये किसीसे भी हो सकता है… यही अपनापन है जो आपके रिश्तों को भी सुंदर बनाएगा. पिंकी शर्मा
उत्सव अपने आप में उत्साह, उमंग और जोश पैदा करनेवाला शब्द है, वहीं रिश्ते कई ताने-बानो में बुने होते हैं, जिनमें ज़िम्मेदारी होती है, प्यार, विश्वास के साथ-साथ विवाद और कुछ तनाव भी होते हैं… लेकिन ऐसा क्यों होता है? क्यों हम रिश्तों को उत्सव की तरह हीउत्साह, उमंग और जोश से नहीं जीते? क्यों हम उन्हें सहजता से नहीं जीते…? क्यों हम उनमें इतनी उलझनें पैदा कर लेते हैं? तो चलिएत्योहारों के इस मौसम में हम अपने रिश्तों का भी जश्न मनाएं… उन्हें किसी उत्सव की तरह जीएं ताकि उनमें भी हमेशा उत्साह, जोश औरगर्माहट बनी रहे… जिस तरह हम त्योहारों के आने पर मूड में आ जाते हैं और एक्स्ट्रा एफ़र्ट लेकर उसको और भी बेहतर व मज़ेदार बनाने में जुट जातेहैं बस ऐसे ही अपने रिश्तों के लिए भी करें. रिश्तों में जोश कम न होने दें, एक्स्ट्रा एफ़र्ट भी ज़रूर लें. रोज़ सुबह एक नई और पॉज़िटिव सोच के साथ उठें कि आज अपनों के लिए क्या कुछ ऐसा स्पेशल किया जाए कि वो ख़ुश होजाएं. स्पेशल का ये मतलब बिल्कुल नहीं कि आपको पैसे ही खर्च करने हैं या गिफ़्ट देना है, बल्कि कोई एक कॉम्प्लिमेंट ये कामगिफ़्ट्स से बेहतर कर सकता है. रिश्तों को महसूस करें, उन्हें बोझ न समझें. रिश्तों में उलझनें तब पैदा होती हैं जब हम अपनों के साथ रहते-रहते अपनों को अपना सहयोगी या साथी न मानकर प्रतिद्वंदीसमझने की गलती करते हैं. चाहे सास-बहू-ननद हों या फिर पति-पत्नी… आपका आपसी टकराव क्यों और किन बातों को लेकरहोता है, सोचा है कभी? अगर नहीं, तो अब सोचें और उन्हें सुलझाएं. रिश्तों में मिठास घोलने की कोशिश करें और उनको उसी शिद्दत से जीने व निभाने का प्रयास करें जैसा आप किसी ख़ास उत्सवके आने पर करते हैं. सरल रहें, सहजता से जीएं और रिश्तों में झूठ-ईर्ष्या व चीट करने से बचें.भरोसा करें और भरोसा जीतें भी. रोज़ाना जोश के साथ अपनों के लिए सजें-संवरें, फ़िट रहें और रिश्तों को भी फ़िट रखें. जिस तरह आप या हम सभी त्योहारों के दिनों में आपस में ये वादा करते हैं कि ख़ुशी के मौक़े पर हम न तो लड़ेंगे-झगड़ेंगे और नही ग़ुस्सा या नाराज़ होंगे, ठीक इसी तरह आप रोज़ ये वादा करें कि आज से हर दिन यही कोशिश होगी कि विवाद कम होते जाएंऔर ख़ुशियां डबल. एक टाइम टेबल बनाएं और वीकेंड में हर किसी की बारी-बारी से ड्यूटी लगाएं कि वो सभी घरवालों के लिए कुछ ख़ास करेगा, जैसे- डिनर प्लान या मूवी या फिर अपने हाथों से कुछ स्पेशल बनाकर खिलाएगा. छुट्टी वाले दिन सब मिल-बैठकर पुरानी बातें करें, हंसी-मज़ाक़-मस्ती करें. रोज़ एक मील सब लोग साथ मिलकर एंजॉय करें, जैसाकि हम फ़ेस्टिवल में करते हैं- सब मिल-जुलकर एक साथ खाना खातेहैं, उसी तरह या तो ब्रेकफ़ास्ट या फिर डिनर रोज़ साथ करें और अपनी दिनचर्या बताएं, अपनी ख़ुशियां बताएं और अपनीसमस्याएं भी बांटें.एक-दूसरे से सलाह लें और सहयोग करें. जिस प्रकार उत्सव की तैयारी में पूरा परिवार एकजुट होकर घर के काम करता है और सहयोग देता है, बस इसी भावना को अपनेडेली रूटीन में भी शामिल करें. एकसाथ मिल-जुलकर काम करें, जिम्मेदारियां बांटें, जिससे एक-दो लोगों पर पूरा बोझ न पड़करसबका काम हल्का हो जाएगा.अगर किसी को किसी की कोई भी बात हर्ट करे तो उसे मन में पालकर बदला लेने की सोचने की बजाय उसका समाधान करें. यातो अकेले में बात करके ग़लतफ़हमी सुलझा लें या जब आप सब साथ बैठें तो बड़ों के सामने अपने मन का बोझ हल्का कर लें, उनकी राय लें. ज़िंदगी को बहुत ज़्यादा गंभीरता से न जीएं. हां, अपनी ज़िम्मेदारियों के प्रति ज़रूर गंभीरता बरतें लेकिन अपनी रोज़मर्रा कीज़िंदगी को तनावपूर्ण न बनाएं. कुछ बातें, कुछ चीजें जाने दें… कुछ चीजों के प्रति- चलता है, कोई नहीं… या फिर ऐसी छोटी-छोटी बातें होती रहती हैं… वाला रवैया अपनाकर विवादों को टालदें. अपना दिल बड़ा रखें, माफ़ करना और माफ़ी मांगना सीखें. एक साथ हॉबी क्लासेस जॉइन करें या फिर योगा, जॉगिंग, वॉक पर जाएं. डिनर के बाद कभी-कभार पूरा परिवार एक साथ आइसक्रीम खाने बाहर जाए या फिर घर पर ही मंगाएं. बस इसी तरह छोटी-छोटी चीजों में ख़ुशियां ढूंढ़ें और ज़िंदगी को एक उत्सव की तरह जीएं. अपने रिश्तों का जश्न मनाएं.इस अंदाज़ से अगर रिश्तों को जीएंगे तो यकीनन उनकी रौनक़ ताउम्र बनी रहेगी. सिल्की शर्मा
आज फिर उसे देखा… अपने हमसफ़र के साथ, उसकी बाहों में बाहें डाले झूम रही थी… बड़ी हसीन लग रही थी और उतनीही मासूम नज़र आ रही थी… वो खुश थी… कम से कम देखने वालों को तो यही लग रहा था… सब उनको आदर्श कपल, मेड फ़ॉर ईच अदर… वग़ैरह वग़ैरह कहकर बुलाते थे… अक्सर उससे यूं ही दोस्तों की पार्टीज़ में मुलाक़ात हो जाया करतीथी… आज भी कुछ ऐसा ही हुआ. मैं और हिना कॉलेज में एक साथ ही थे. उसे जब पहली बार देखा था तो बस देखता ही रह गया था… नाज़ों से पली काफ़ीपैसे वाली थी वो और मैं एक मिडल क्लास लड़का. ‘’हाय रौनक़, मैं हिना. कुछ रोज़ पहले ही कॉलेज जॉइन किया है, तुम्हारे बारे में काफ़ी सुना है सबसे. तुम कॉलेज में काफ़ीपॉप्युलर हो, पढ़ने में तेज़, बाक़ी एक्टिविटीज़ में भी बहुत आगे हो… मुझे तुम्हारी हेल्प चाहिए थी…’’ “हां, बोलिए ना.” “मेरा गणित बहुत कमजोर है, मैंने सुना है तुम काफ़ी स्टूडेंट्स की हेल्प करते हो, मुझे भी पढ़ा दिया करो… प्लीज़!” “हां, ज़रूर क्यों नहीं…” बस फिर क्या था, हिना से रोज़ बातें-मुलाक़ातें होतीं, उसकी मीठी सी हंसी की खनक, उसके सुर्ख़गाल, उसके गुलाबों से होंठ और उसके रेशम से बाल… कितनी फ़ुर्सत से गढ़ा था ऊपरवाले ने उसे… लेकिन मैं अपनी सीमाजानता था… सो मन की बात मन में ही रखना मुनासिब समझा. “रौनक़, मुझे कुछ कहना है तुमसे.” एक दिन अचानक उसने कहा, तो मुझे लगा कहीं मेरी फ़ीलिंग्स की भनक तो नहीं लगगई इसे, कहीं दोस्ती तो नहीं तोड़ देगी मुझसे… मन में यही सवाल उमड़-घुमड़ रहे थे कि अचानक उसने कहा, “मुझे अपनाहमसफ़र मिल गया है… और वो तुम हो रौनक़, मैं तुमसे प्यार करती हूं!” मेरी हैरानी की सीमा नहीं थी, लेकिन मैंने हिना को अपनी स्थिति से परिचित कराया कि मैं एक साधारण परिवार कालड़का हूं, उसका और मेरा कोई मेल नहीं, पर वो अपनी बात पर अटल थी. बस फिर क्या था, पहले प्यार की रंगीन दुनिया में हम दोनों पूरी तरह डूब चुके थे. कॉलेज ख़त्म हुआ, मैंने अपने पापा केस्मॉल स्केल बिज़नेस से जुड़ने का निश्चय किया जबकि हिना चाहती थी कि मैं बिज़नेस की पढ़ाई के लिए उसके साथविदेश जाऊं, जो मुझे मंज़ूर नहीं था. “रौनक़ तुम पैसों की फ़िक्र मत करो, मेरे पापा हम दिनों की पढ़ाई का खर्च उठाएंगे.” “नहीं हिना, मैं अपने पापा का सहारा बनकर इसी बिज़नेस को ऊंचाई तक के जाना चाहता हूं, तुम्हें यक़ीन है ना मुझ पर? मैं यहीं रहकर तुम्हारा इंतज़ार करूंगा.” ख़ैर भारी मन से हिना को बाय कहा पर कहां पता था कि ये बाय गुडबाय बन जाएगा. हिना से संपर्क धीरे-धीरे कम होनेलगा था. वो फ़ोन भी कम उठाने लगी थी मेरा. मुझे लगा था कोर्स में व्यस्त होगी, लेकिन एक दिन वो लौटी तो देखा उसकीमांग में सिंदूर, गले में मंगलसूत्र था… मेरी आंखें भर आई… “रौनक़, मुझे ग़लत मत समझना, जय से मेरी मुलाक़ात अमेरिका में हुई, उसने मुझे काफ़ी सपोर्ट किया, ये सपोर्ट मुझेतुमसे मिलना चाहिए था पर तुम्हारी सोच अलग है. जय का स्टैंडर्ड भी मुझसे मैच करता है, बस मुझे लगा जय और मैं एकसाथ ज़्यादा बेहतर कपल बनेंगे… पर जब इंडिया आई और ये जाना कि तुम भी एक कामयाब बिज़नेसमैन बन चुके हो, तोथोड़ा अफ़सोस हुआ कि काश, मैंने जल्दबाज़ी न की होती…” वो बोलती जा रही थी और मैं हैरान होता चला जा रहा था… “रौनक़, वैसे अब भी कुछ बिगड़ा नहीं है, हम मिलते रहेंगे, जय तो अक्सर टूर पर बाहर रहते हैं तो हम एक साथ अच्छाटाइम स्पेंड कर सकते हैं…” “बस करो हिना, वर्ना मेरा हाथ उठ जाएगा… इतनी भोली सूरत के पीछा इतनी घटिया सोच… अच्छा ही हुआ जो वक़्त नेहमें अलग कर दिया वर्ना मैं एक बेहद स्वार्थी और पैसों से लोगों को तोलनेवाली लड़की के चंगुल से नहीं बच पाता… तुममेरी हिना नहीं हो… तुम वो नहीं, जिससे मैंने प्यार किया था, तुमको तो मेरी सोच, मेरी मेहनत और आदर्शों से प्यार हुआकरता था, इतनी बदल गई तुम या फिर नकाब हट गया और तुम्हारी असली सूरत मेरे सामने आ गई, जो बेहद विद्रूप है! तुम मुझे डिज़र्व करती ही नहीं हो… मुझे तो धोखा दिया, जय की तो होकर रहो! और हां, इस ग़लतफ़हमी में मत रहना किमैं तुम जैसी लड़की के प्यार में दीवाना बनकर उम्र भर घुटता रहूंगा, शुक्र है ऊपरवाले ने मुझे तुमसे बचा लिया…” “अरे रौनक़, यार पार्टी तो एंजॉय कर, कहां खोया हुआ है…?” मेरे दोस्त मार्टिन ने टोका तो मैं यादों से वर्तमान में लौटा औरफिर डान्स फ़्लोर पर चला गया, तमाम पिछली यादों को हमेशा के लिए भुलाकर, एक नई सुनहरी सुबह की उम्मीद केसाथ! गीता शर्मा
अर्जुन बिजलानी और नेहा इन दिनों स्टार प्लस के शो स्मार्ट जोड़ी में नजर आ रहे हैं और ये कहना…
समय के साथ हर चीज़ पुरानी, उबाऊ या यूं कहें कि बासी होने लगती है, क्योंकि एक ही ढर्रे पर चल रही ज़िंदगी हमें रूटीन लगने लगती है और फिर उसमें ताज़गी या एक्साइटमेंट जैसा कुछ नहीं लगता. रिश्ते भी धीरे-धीरे रूटीन बन जाते हैं, क्योंकि समय के साथ उनमें ऊर्जा व गर्माहट गायब होने लगती है, ऐसे में रिश्तों पर भी काम करने की ज़रूरत होती है औरख़ुद पर भी ताकि उनमें ताज़गी बनी रहे और आप भी तरोताज़ा रहें. आपका रिश्ता और आप भी एक-दूसरे के लिए कहींबासी न हो जाएं, इसलिए समय रहते उसे व ख़ुद को भी करें रिफ्रेश, वरना रिश्ता टूटने की कगार पर आ सकता है. अगरआपको लग रहा है कि आप दोनों ही एक-दूसरे की तरफ़ न पहले जैसा आकर्षण महसूस करते हो और न ही वो रोमांस, तोसजग हो जाएं और व़क्त रहते ख़ुद को और अपने रिश्ते को समय दें. ख़ुद पर काम करें: सबसे पहले ख़ुद को देखें. समय के साथ आप कितना बदल गए? आपकी फिटनेस, ज़िंदगी को लेकरनज़रिया? अपने पार्टनर को लेकर नज़रिया आदि... एक लिस्ट बना लें और फिर एक-एक कर उस पर काम करें. ख़ुद से प्यार करें: जब तक आप ख़ुद से प्यार नहीं करेंगे, कोई दूसरा क्यों करेगा? ख़ुद को ख़ुश रखने के तरी़के सोचें औरफिर अपने पार्टनर को भी उसमें शामिल करें. कुछ नया करें: जब भी आपको महसूस हो कि रिश्ते रूटीन बनते जा रहे हैं, कुछ नया करें. ऐसा कुछ जिससे सामनेवाले कोभी महसूस हो कि यह तो हमने सोचा ही नहीं था. इससे नए सिरे से आप उन रिश्तों को जीने लगते हैं. ये नयापन किसी भीतरह से आप ला सकते हैं. चाहे तो सरप्राइज़ेस के ज़रिए या अपनी कोई ऐसी बुरी आदत त्यागकर जिससे पार्टनर कोख़ुशी महसूस हो और उसे लगे कि आपने उसके लिए कुछ किया है. फिटनेस पर ध्यान दें: फिट रहेंगे, तो हेल्दी तो रहेंगे ही, साथ ही अट्रैक्टिव भी लगेंगे और किसी भी रिश्ते में फिटनेस का भीबहुत बड़ा हाथ होता है. न स़िर्फ आप सेहतमंद रहते हैं, आपका रिश्ता भी हेल्दी होता है. एक-दूसरे के लिए फिटनेस चैलेंजलें. साथ में वॉक, जॉग या एक्सरसाइज़ करें. इससे एक-दूसरे के साथ समय भी बिता पाएंगे और हेल्दी भी रहेंगे. मोटापा नबढ़ने दें, ताकि आप फिट और अट्रैक्टिव दिखें. हेल्दी खाने व हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाएं और आपको देखकर शायदपार्टनर भी मोटिवेट हो यह सब करने के लिए. अपनी हॉबीज़ को फिर से जगाएं: आप न स़िर्फ अपनी हॉबीज़, बल्कि पार्टनर की हॉबीज़ को भी फिर से जगाएं और उसेपूरा करें. इससे आप दोनों की बॉन्डिंग बेहतर होगी और एक नयापन भी लाइफ में महसूस करेंगे. अपनी ब्यूटी और हाईजीन पर ध्यान दें: समय के साथ अक्सर कपल एक-दूसरे के साथ इतना कंफर्टेबल हो जाते हैं किअपनी शारीरिक ख़ूबसूरती और हाईजीन को इग्नोर करने लगते हैं. लेकिन एक दिन आप पहले की तरह अपने पार्टनर केलिए सजें-धजें और तैयार होकर उनका स्वागत करें, फिर देखें उनका रिएक्शन. इसी तरह हाईजीन हेल्द के लिए भी औरसेक्सुअल लाइफ के लिए भी ज़रूरी है. ऑरल हेल्थ से लेकर पर्सनल हाईजीन पर ध्यान देना फिर शुरू करें. लाइफ में रोमांस को रिक्रिएट करें: ज़िम्मेदारियां जब बढ़ने लगती हैं, तो एक समय के बाद लाइफ से रोमांस लगभग गायबहो जाता है या यूं कहें कि वो बैकफुट पर चला जाता है. ऐसान होने दें. रोमांस के लिए ज़रूरी नहीं कि महंगे गिफ्ट्स लानेहैं या महंगी जगह हॉलिडे जाना हो, स़िर्फ भावनाएं काफ़ी होती हैं. आप पार्टनर को यह महसूस करवा सकते हैं कि आपउनसे कितना प्यार करते हैं. कभी ऑफिस से जल्दी आकर, कभी डिनर या मूवी प्लान करके, भी प्यारभरे फोन कॉल्स से, तो कभी उनकी फेवरेट डिश बनाएं, कभी मैसेजेस से आई लव यू के ज़रिए, तो कभी सबसे नज़रें चुराकर बस हल्के से हाथथाम लें. बात करें और दिल की बात ज़रूर कहें: दिल की बात सहज तरी़के से कह देने से बॉन्डिंग मज़बूत होती है. हर स्तर पर औरहर व़क्त कम्यूनिकेशन ज़रूरी है. अगर कभी कोई बात आपको परेशान कर रही है या आप पार्टनर के लिए कुछ महसूसकर रहे हैं, तो कम्यूनिकेट करें. दिल ही में रखेंगे, तो बात बढ़गी और परेशानियां भी. क्वालिटी टाइम साथ बिताएं और शेयर करें: रिश्तों में शेयरिंग बेहद ज़रूरी है. इससे एक-दूसरे पर विश्वास और बढ़ता है, इसलिए अपनी ख़ुशी, अपने ग़म, अपनी कोशिशे, अपने डर... सब कुछ शेयर करें. एक-दूसरे के लिए थोड़ा-बहुत ख़ुद को भी बदलें: आपकी कुछ ऐसी आदतें होंगी, तो आपके पार्टनर को पसंद नहीं, तो आपएक-दूसरे को चैलेंज करें कि अपनी-अपनी बुरी आदतों पर काबू पाने की पूरी कोशिश करेंगे. इससे पार्टनर को लगेगा किआप उनकी भावनाओं को सम्मान करना जानते हैं. उनकी पसंद का कुछ करें: कभी पार्टनर की पसंद का कलर या ड्रेस पहनें या उनके साथ उनका फेवरेट शो देखें. इंवॉल्वहोकर करें. या आप पार्टनर की पसंद का खाना मंगवाएं या उनके दोस्तों को घर पर पार्टी के लिए इंवाइट करें. ज़िम्मेदारियों को अपने रिश्ते पर हावी न होने दें, उन्हें बांट लें: हमेशा बातचीत करके तय करें कि कौन किस बात कीज़िम्मेदारी लेगा, दोनों को एक-दूसरे के कामों में मदद करेंगे, तो इससे काम हल्का होगा और आप थकेंगे नहीं. ख़ुद कोऔर अपने रिश्ते को अधिक टाइम दे पाएंगे. थकान को हावी न होने दें: तन और मन दोनों जब थकने लगते हैं, तब हम एक-दूसरे के लिए बासी होने लगते हैं. ऐसा न हो, इसलिए पार्टनर को सपोर्ट करें और मन न होने पर भी उनके रोमांटिक मूड में अलग तरह से साथ दें, ताकि उन्हें बुरा न लगे, वरना आप दोनों के बीच किसी तीसरे को आने में देर नहीं लगेगी. ग़ुस्से की बजाय हंसकर या प्यार से उन्हें समझाएं किआज आप ज़्यादा थके हैं या आपकी तबीयत ठीक नहीं. केयर करें और पार्टनर को हर्ट करने से बचें: केयरिंग हर रिश्ते की बुनियाद होती है. पार्टनर को ठीक नहीं लग रहा, कोईबात उन्हें परेशान कर रही है या वो अपने घरवालों को लेकर फिक्मंद हैं, तो जाकर सहारा दें, बात करें. सहयोग की भावनाहर रिश्ते में ज़रूरी है. इसी तरह से अगर आपको पता है कि आपका व्यवहार या आपकी कोई बात पार्टनर को हर्ट करसकती है, तो उसे करने से बचें. यदि ग़लती से ऐसा कुछ हो भी जाए, तो माफ़ी मांग लें और भविष्य में ग़लती न दोहराने कावादा भी करें. हो सकता है आपके लिए वह बात मामूली हो, पर पार्टनर को अच्छी न लगे. पार्टनर की सलाह व निर्णय का भी सम्मान करें: पार्टनर की सलाह व निर्णय को अगर आप सम्मान देंगे, तो उनका भरोसाऔर लगाव आपके प्रति बढ़ेगा और रिश्तों में वो पसरा सन्नाटा टूटने लगेगा, इसलिए पार्टनर की सलाह भी लें और अगर वोसही लगती है, तो उस पर अमल भी करें. बात-बात पर बार-बार टोकें नहीं, कुछ चीज़ो को नज़रअंदाज़ करें: रिश्तों की मज़बूती के लिए बहुत-सी बातों को इग्नोरकरना व एडजेस्ट करना भी ज़रूरी होता है. पार्टनर के अलग व्यक्तित्व को सम्मान दें, उन्हें अपना जैसा बनाने की कोशिशमें निराशा ही हाथ लगेगी. हम सब एक जैसे नहीं होते. हो सकता है पार्टनर की कोई बात आपको पसंद नहीं आती, तो बार-बार उन्हें टोकने से बेहतर है कि नज़रअंदाज़ करें या फिर प्यार से समझाएं. सेक्स लाइफ को नज़रअंदाज़ न करें, उसमें ऊर्जा बनाए रखें: आपका रिश्ता बहुत हद तक आपकी सेक्स लाइफ पर भीनिर्भर करता है. सेक्स को मशीनी क्रिया न समझकर प्यार के इज़हार का ज़रिया समझें. आपस में बात करें कि आपकोक्या पसंद है, क्या नापसंद है. बेडरूम के डेकोर को चेंज करें, जगह बदलें, ताकि सेक्स लाइफ भी रूटीन बनकर न रहजाए. बेडरूम में तनाववाली बातें करने से बचें. पार्टनर के लिए अट्रैक्टिव सेक्सी ड्रेस पहनें. एरोमा कैंडल्स यूज़ करें. अगरपार्टनर थका हुआ है और परेशान है, तो सेक्स पर ज़ोर न देकर सेक्सी मसाज दें. हो सकता है इससे उनकी थकान दूर होजाए और वो भी मूड में आ जाएं. पर्सनल हाईजीन से लेकर पार्टनर की ज़रूरतों का ख़्याल रखने तक... कुछ भी आपइग्नोर नहीं कर सकते. भोलू शर्मा
कभी सोचा नही था यूं किसी से प्यार हो जाएगा… ये कहां जानती थी कि खुद का दिल खुद का…
शाहिद कपूर ने अपनी पत्नी मीरा को बड़े ही रोमांटिक अंदाज़ में जन्मदिन की बधाई दी. साथ ही उन्होंने अपने…
अनिल कपूर रॉकिंग स्टार होने के साथ एक ख़ुशमिज़ाज ज़बर्दस्त कलाकार हैं. उनकी स्टाइल और फिटनेस के सभी दीवाने है.…
वर्तमान समय में लोग कुछ अधिक ही अधीर होते जा रहे हैं. एक तरह से कह सकते हैं कि हम…
क्या आपको याद है आपने अपने अपनों के लिए आख़िरी बार कब और क्या स्पेशल किया था? क्या आपको याद…
कटरीना कैफ और विकी कौशल के बीच काफ़ी समय से कुछ तो चल रहा है और फैंस जानते हैं कि…