हम भले ही कितनी भी बातें कर लें, समाज के बदलाव का दावा ठोक लें लेकिन सच तो यही है…
फिल्म दंगल में अपनी बेटियों को पलवान बनाने के लिए पूरे गांव से भिड़ जाने वाले बापू आमिर ख़ान एक…
...वो ख़ामोशी ओढ़कर एक कोने में दुबक गई है... उसके रिसते दर्द को न जाने कितने कानों ने अनसुना किया...…