काग़जी फूलों की हैं यह बस्तियां ढूंढ़ते फिरते हैं बच्चे तितलियां और बढ़ती जा रही हैं लौ मेरी तेज़ जितनी…
अब भी आती होगी गौरैया चोंच में तिनके दबाए बरामदे की जाली से अंदर तार पर सूख रहे कपड़ों पर…
सुनो आज मुझे मुझे बेहद ख़ूबसूरत शब्द देना जैसे गुलाब चेहरे के लिए झील आंखों के लिए हंस के पंख…
बातों में बेखटकी है हंसने में बेफ़िक्री है पंख फैलना आता है हवा से हाथ मिलना भाता है पंछी की…
सुबह होते ही बंट जाता हूं ढेर सारे हिस्सों में नैतिकता का हिस्सा सर्वाधिक तंग करता है मुझे जो मेरी…
श्रद्धा के सुमनों से सजी, पूजा की थाली मुबारक धनतेरस और दूज सहित, सबको दिवाली मुबारक खट्टी-मीठी बहस के बीच,…
सुबहों को व्यस्त ही रखा, दुपहरियां थकी-थकी सी रही कुछ जो न कह सकी, इन उदास शामों से क्या कहूं..…
सुनो दोस्तों, तुम घबराना मत.. जल्दी ही हम फिर मिलेंगे जो साथी छूट गए उनकी बातें याद करेंगे कभी हंस…
हे प्रभु जब मैं तुमसे प्रेम मांगता था तब तुमने जीवन के संघर्ष के रूप में मुझे युद्ध प्रदान किया…
कहानी अपना लेखक ख़ुद खोज लेती है जब उतरना होता है उस भागीरथी को पन्नों पर सुनानी होती है आपबीती…
बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं! माँ शारदे की कृपा बनी रहे!.. दिवस आज है पंचमी, यौवन पर ऋतुराज। बसें शारदा…
तेरी आंखों से कब राहों का उजाला मांगा अपनी आंखों में बस थोड़ी सी ज़िंदगी दे दे सदियों से इस…