प्यार तो होना ही था… काजोल और अजय देवगन की यह फिल्म और इसका टाइटल उनके जीवन पर भी बख़ूबी…
जिऊंगा जब तलक तेरे फ़साने याद आएंगे कसक बनकर मुहब्बत के तराने याद आएंगे… सच! प्यार की दीवानगी तो कुछ…
कहते हैं प्यार में सब कुछ जायज़ है लेकिन सुमित की सोच कुछ अलग ही थी... आज सुमित को एक अरसे बाद देखा वोभी अपने पति की ऑफ़िस पार्टी में. बालों में हल्की सफ़ेदी झलक रही थी पर व्यक्तित्व उतना ही आकर्षक और शालीन... दिल पुरानी यादों में डूब गया. मुझे याद है एक-एक लम्हा जो सुमित की बाहों में बीता था, कितना हसीन हुआ करता थातब सब कुछ. सुमित और मैं साथ ही पढ़ते थे और उसका घर हमारे घर से कुछ ही दूरी पर था. वो बस कुछ ही वक़्त पहलेयहां शिफ़्ट हुआ था. कॉलेज का आख़िरी साल था और सुमित ने भी मेरे ही कॉलेज में एडमिशन ले किया था. आते-जातेपहले आंखें मिलीं और फिर साथ पढ़ते-पढ़ते दोस्ती हो गई. सुमित काफ़ी समझदार था और मैं उसकी इसी समझदारी की क़ायल थी. मैंने उसे अपने दिल की बात कहने में देर नहींलगाई और उसने भी अपनी भावनाओं का इज़हार कर दिया. पढ़ाई पूरी हुई और घर में मेरी शादी की बातें भी होने लगीं. एक रोज़ पापा ने ऐलान कर दिया कि लड़केवाले आ रहे हैं देखने. मैं घबरा गई और भागकर सुमित के पास गई. उसेबताया तो उसने कहा कि मैं घरवालों को बता दूं और कल वो भी आकर पापा से बात करेगा. मैंने हिम्मत जुटाकर मम्मी-पापा को अपने प्यार का सच बता दिया. पापा ने भी कहा ठीक है सुमित को आने दो कल, तभीबात करेंगे पर फ़िलहाल जो लोग देखने आ रहे हैं उस पर ध्यान दो. लड़केवाले तो आकर चले गए पर मुझे कल का इंतज़ार था. सुमित आया और पापा ने मुझे भी बुलाया. पापा बोले- मुझेलव मैरिज से कोई प्रॉब्लम नहीं है, ये सुन मैं एक पल को खुश हो गई, पर पापा की आगे की बातें सुन मैंने उम्मीद छोड़ दी. “सुमित अगर तुम हमारे समाज के होते तो मुझे कोई आपत्ति नहीं होती क्योंकि तुम होनहार हो, समझदार हो लेकिन मैंअपने समाज के विरुद्ध जाकर रचना की शादी नहीं कर सकता. मुझे भी नाते-रिश्तेदारों को जवाब देना है. मैं तुम दोनों कोभ्रम में नहीं रखना चाहता इसलिए साफ़-साफ़ कह दिया.” मेरे सारे सपने बिखरते नज़र आए मुझे... रात के एक बज रहे थे... “अरे रचना, इतनी रात तुम मेरे यहां? सब ठीक तो है?” “सुमित चलो भाग चलते हैं, हम अपने प्यार को ऐसे हारते देख नहीं सकते. शादी कर लेंगे तो पापा ज़रूर माफ़ कर देंगे.” “रचना, मैं अपने प्यार को ऐसे कलंकित नहीं कर सकता, यूं चोरी-छिपे शादी करना ठीक नहीं, तुम्हारे घरवालों की औरतुम्हारी भी बदनामी होगी. मैं तुम्हें बदनाम कैसे कर सकता हूं, सिर्फ़ अपने स्वार्थ के लिए? प्यार का अर्थ पाना ही नहीं होताबल्कि खोना भी होता है. मुझे उम्मीद है तुम हमारे प्यार की लाज रखोगी और अपनी शादी को दिल से निभाओगी! मेरीख़ातिर... चलो तुम्हें घर छोड़ दूं.” मैं आंसुओं के सैलाब में डूब गई और चुपचाप शादी भी कर ली. पापा ने विदाई के समय कहा था, “मुझे माफ़ कर देनाबेटा, मैं कायर निकला!” मेरे पति अरुण काफ़ी अच्छे और नेकदिल थे, लेकिन सुमित की कमी हमेशा ही खली! “अरे रचना, इनसे मिलो, ये सुमित हैं, कुछ ही दिन पहले इनका यहां ट्रांसफ़र हुआ है.” मेरे पति ने सुमित से मिलवाया और मैं बीते वक्त से वर्तमान में लौट आई. मौक़ा पाते ही मैंने सुमित से उसका नंबर ले लिया. हिम्मत जुटाकर फ़ोन लगाया. हालचाल पूछा, पत्नी-परिवार के बारे मेंपूछा. “रचना, मैंने शादी नहीं की. किसी और से शादी करके मैं उसके साथ अन्याय नहीं करना चाहता था. मेरा प्यार तो तुम होऔर हमेशा रहोगी.” मैं समय निकालकर सुमित के घर जा पहुंची... “रचना तुम्हें इस तरह नहीं आना चाहिए था, किसी को पता चलेगा तोतुम्हारे लिए परेशानी हो जाएगी” “मैं खुद को रोक नहीं पाई और अब जब हम एक ही शहर में हैं तो मिल तो सकते ही हैं ना...” ख़ैर कुछ देर रुककर मैं घर लौट आई. ऐसा लगा ज़िंदगी फिर मुझे सुमित के क़रीब रहने का मौक़ा देना चाहती है... …
बिग बॉस में अब जो ट्विस्ट आया है वो किसी ने सोचा भी नहीं था. फिनाले में पहुंचे चार फ़ायनलिस्ट…
रिश्ते जीने का संबल, जीने का सबब, एक सहारा या यूं कहें कि एक साथ... रिश्तों को शब्दों के दायरे में परिभाषित नहींकिया जा सकता, उन्हें तो सिर्फ़ भावनाओं में महसूस किया जा सकता है. लेकिन बात आजकल के रिश्तों की करें तो उनमेंना भावनायें होती हैं और ना ही ताउम्र साथ निभाने का माद्दा, क्योंकि आज रिश्ते ज़रूरतों और स्वार्थ पर निर्भर हो चुके हैं. यही वजह है कि रिश्तों में बेहिसाब बोझ बढ़ते जा रहे हैं और हर रिश्ता बोझिल होता जा रहा है. ऐसे में इनके करणों को जानना बेहद ज़रूरी है. सबसे पहले जानते हैं रिश्तों में आख़िर बोझ क्यों है? रिश्तों में बोझ होने की सबसे बड़ी वजह है कि रिश्ते अब दिल से नहीं जुड़े हुए हैं.रिश्ते मजबूरी बन चुके हैं. रिश्तों में स्वार्थ सबसे ऊपर हो चुका है.रिश्ते भावनाविहीन हो रहे हैं.मशीनी हो रहे हैं एहसास.संवेदना ग़ायब हो रही है.हम से ज़्यादा मैं की सोच हावी हो रही है. किस तरह के बोझ हैं और क्यों बोझिल हो गए हैं रिश्ते? ज़िम्मेदारी का बोझ: लोग ज़िम्मेदारियों से डरने लगे हैं और इन्हें निभाने से कतराते हैं. इन्हें लेने से बचते हैं. हर किसीको लगता है कि वो अपनी ज़िम्मेदारी किसी और को दे दे और खुद सिर्फ़ अपने लिए जिए. जहां इस तरह की सोचपनपने लगती है वहां रिश्ते बोझिल ही लगते हैं.कमिटमेंट का बोझ: लोग कमिटमेंट से बचना चाहते हैं क्योंकि वो खुद नहीं जानते कि इन रिश्तों को वो कब तकनिभा सकेंगे और ना जाने कब वो रस्ता बदल दें. लोगों का स्वार्थ इस हद तक बढ़ चुका है कि वो वही रिश्ते निभानाचाहते हैं जिन रिश्तों से उन्हें किसी तरह का कोई फायदा हो. अगर पार्टनर से कोई फायदा होता नज़र नहीं आता तोवो उसको छोड़ दूसरे का दामन थामने से भी नहीं कतराते. इसी तरह अगर माता-पिता, भाई-बहन से भी लगाव नहीं हैतो वो भी उन्हें बोझ लगने लगते हैं और वो उनसे भी दूरी बनाने लगते हैं.पैसों का बोझ: आर्थिक तंगी भी रिश्तों में बोझ बढ़ाती है और इस वजह से रिश्ते और बोझिल लगने लगते हैं. पैसासबकी ज़रूरत है और पैसों की तंगी से रिश्तों में भी मनमुटाव होने लगते हैं. तनाव बढ़ता है और सारे रिश्ते बोझिल हीलगने लगते हैं.करियर का बोझ: कॉम्पटीशन के इस दौर में करियर को ऊपर ले जाना, वर्क और होम लाइफ को बैलेंस करनाआसान नहीं. जो लोग ऐसा नहीं कर पाते उनके रिश्तों में बोझ बढ़ता जाता है.समाजिक दबाव का बोझ: हम जिस समाज में रहते हैं वहां समाज और आस पास के लोगों के बारे में कुछ ज़्यादा हीसोचा जाता है. ऐसे में हम चाहकर भी अपने मन का नहीं कर पाते क्योंकि हर बात और हर निर्णय पर हमको यहीसमझाया जाता है कि हमारे समाज में ऐसा नहीं चलता या फिर लोग क्या कहेंगे. इस तरह के माहौल में ज़ाहिर हैदम घुटता है और हर बात बोझिल ही लगती है.स्टेटस का बोझ: आज की तारीख़ में कुछ हो ना हो स्टेटस होना बहुत ज़रूरी है. और जबसे सोशल मीडिया कीहमारी लाइफ़ में एंट्री हुई है तबसे तो यह बोझ बढ़ता ही जा रहा है. हर कोई इसी होड़ में रहता है कि हमारी लाइफ़कितनी कूल है, दूसरों को दिखाने के लिए अब हर चीज़ होती है. ब्रांडेड मोबाइल से लेकर हर बात का सेलिब्रेशनजैसे बस दिखावे की चीज़ ही बनकर रह गई. हर वक़्त खुश और हैपनिंग लाइफ़ का टैग लेकर घूमना आज कीसबसे बड़ी ज़रूरत बन गई. ये तमाम चीज़ें रियल लाइफ़ रिश्तों को खोखला बनाती हैं और आप उन्हें भूलकरडिजिटल रिश्तों की नक़ली दुनिया में खोते चले जाते हैं.खुश दिखने का बोझ: आप खुश हों या ना हों लेकिन आज की तारीख़ में आपका खुश दिखना ज़रूरी है, क्योंकिकिसी को फ़ुर्सत भी नहीं आपके दुखों को जानने और समझने की. ऐसे में मन ही मन में घुटने के बाद भी आपको ढोंगकरना पड़ता है कि आप की ज़िंदगी बेहद हसीन है. रिश्तों में बोझ को बढ़ाते हैं यह पहलू पार्टनर या अन्य सदस्य जब साथ ना दें और सारी ज़िम्मेदारी किसी एक पर आ जाए.ज़िम्मेदारी निभाने के बावजूद तारीफ़ या सहयोग ना मिले.अपना दांव कुछ भूलकर भी अपने रिश्तों को सब कुछ देने के बाद भी किसी का सहयोग ना मिले.अर्थिक रूप से आत्मनिर्भर ना होने पर भी बहुत कुछ बर्दाश्त करना पड़ता है जिससे रिश्तों में बोझ बढ़ता है.अपनों से ही सम्मान ना मिलने पर भी बहुत कुछ बदल जाता है.आपको निर्णय लेने की आज़ादी ना हो या आपकी राय को अहमियत ही ना दी जाए तब भी बोझिल लगता है हररिश्ता. क्या किया जाए कि रिश्ते बोझिल ना लगें बात करें: कम्यूनिकेट करना किसी भी रिश्ते के लिए सबसे ज़रूरी और सबसे अहम् है. बात ना करना किसी भीसमस्या का समाधान नहीं. इससे परेशानी और बढ़ेगी. बेहतर होगा कि आपसी बात चीत से मन का बोझ हल्का करें, अपनी परेशानियों को अपनो से साझा करें. उनकी परेशानियों को जाने. स्वार्थी ना बनें: रिश्तों में सिर्फ़ अपने बारे में नहीं सोचा जाता, रिश्तों का मतलब ही है एकजुट होकर सबके लिएसोचना. स्वार्थ की भावना भले ही आपको कुछ समय के लिए ख़ुशी दे देगी लेकिन आगे चलकर आप एकदम अकेलेपड़ जायेंगे. स्वार्थ छोड़कर देखें, आपको अपने रिश्ते ही इतने प्यारे लगेंगे कि बोझ अपने आप हल्का लगने लगेगा.शेयर करें: शेयरिंग की भावना से रिश्ते गहरे और मज़बूत बनते हैं. सुख-दुःख हो, कामयाबी या असफलता सब कुछशेयर करें. इससे आपकी ख़ुशियाँ और हौसला दोनों बढ़ेंगे और रिश्ते बोझ कम संबल अधिक लगेंगे.जिम्मेदारियाँ साझा करें: ज़िम्मेदारियों से भागने की बजाए उन्हें साझा करें. रिश्तों में सबकी जिम्मेदारियाँ बनती हैंऔर जो कुछ भी निभाना होता है मिलकर ही बेहतर तरीक़े से निभाया जा सकता है. सामने से खुद आगे बढ़कर कहेंकि यह काम मुझ पर छोड़ दें, फिर देखिए रिश्तों से बोझ अपने आप कम होगा और रिश्ते बोझिल नहीं प्यारे लगेंगे.काम बांट लें: घर या बाहर दोनों जगह का काम बांट लें. सब मिलकर करेंगे तो ज़िंदगी और रिश्ते दोनों आसान लगनेलगेंगे. जो काम आप बेहतर कर पायें वो आप लें और दूसरों को भी उनकी क्षमता के अनुसार काम दें.आर्थिक ज़िम्मेदारी भी बांटे: रिश्तों में ज़रूरी है कि आर्थिक ज़िम्मेदारियों का भी बंटवारा हो. आप अगर यह सोचरखेंगे कि मैं अपने पैसे बचा लूं और सामने वाला ही अकेला खर्च करे तो यह सही नहीं. आपको कुछ ख़र्चों कीज़िम्मेदारी खुद ब खुद ख़ुशी ख़ुशी लेनी चाहिए. इससे अपनापन बढ़ेगा और रिश्ते बोझ नहीं लगेंगे. दिल को खोल लें: दिल को खुला रखें ताकि ज़िंदगी जी खोल के जी सकें. अगर आपको किसी चीज़ की कमी भीहोगी तो अपनों के साथ वो कमी महसूस नहीं होगी. चाहे पैसों की कमी हो या सुविधाओं की अगर अपने साथ हैं तोज़िंदगी की राह आसान हो जाती है. अगर आप अपने रिश्तों का ख़याल रखेंगे तो बुरे समय में रिश्ते आपका ख़यालरखेंगे.अपनी सोच बदलें, फ़ायदे-नुक़सान के तराज़ू में रिश्तों को ना तोलें: रिश्तों में कभी भी फ़ायदा या नुक़सान की सोचके साथ आगे नहीं बढ़ा जा सकता. रिश्तों को सिर्फ़ प्यार से ही सींचा जा सकता है वर्ना हर रिश्ता बोझ ही लगेगा. किसने क्या किया इस सोच से ऊपर उठकर यह सोचें कि अपनों को कैसे और क़रीब लाया जाए.चीट ना करें, सबको सम्मान दें: सम्मान देंगे तो सम्मान मिलेगा. चीटिंग की रिश्तों में कोई जगह नहीं होती. पार्टनर कोधोखा ना दें. घर में भी सबकी राय को महत्व दें. सबसे राय लें. किसी को कम ना आंके. कई बार एक बच्चा भी बड़ीसे बड़ी समस्या का आसान रास्ता सुझा देता है.ईगो ना रखें: अहंकार हर रिश्ते को मिटा देता है. अपनों से भला कैसा ईगो? खुद को सर्वश्रेष्ठ और दूसरों को मूर्खसमझने की गलती ना करें. आप अकेले रहेंगे तो बोझ बढ़ेगा, बेहतर है सबको साथ लेकर चलें. नकारात्मक सोचऔर भावनाओं को त्याग दें. यह भी पढ़ें: एकतरफ़ा प्यार के साइड इफेक्ट्स… (How…
नज़रें मुस्कुराने लगती हैं.. धड़कनें गुनगुनाने लगती हैं.. एकतरफ़ा ही सही मुहब्बत की महफ़िल होती है उस तन्हा दिल में……
कोरोना वायरस के चलते हुए लॉकडाउन ने सभी को संयुक्त परिवार के महत्व को अच्छी तरह से समझा दिया है.…
“आई एम सॉरी” आप जितनी आसानी से ये शब्द अपने पार्टनर को कह देती हैं, क्या वो भी उतनी ही…
बॉलीवुड में लव स्टोरी बनती-बिगड़ती रहती हैं, लेकिन आज हम एक ऐसे कपल की बात कर रहे हैं, जिनकी जोड़ी…
लॉकडाउन में सेलिब्रिटी अपने पेट के साथ काफ़ी अच्छा समय बिता रहे हैं, ख़ासतौर पर डॉगी के साथ. उनके साथ…
पहला अफेयर: तुम कभी तो मिलोगे (Pahla Affair: Tum Kabhi To Miloge) आज फिर मेघों से रिमझिम वर्षा रूपी नेह…
पहला अफेयर: काश, तुम समझे होते (Pahla Affair: Kash Tum Samjhe Hote) कभी-कभी अचानक कहे शब्द ज़िंदगी के मायने बदल…