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Post office monthly income ...
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बैंकिंग क्षेत्र (Banking Sector) में आए बदलावों व सुविधाओं के चलते बेशक लोगों का रुझान निजी व सार्वजनिक बैंकों की तरफ़ बढ़ा है, लेकिन केंद्र सरकार ने लोगों का ध्यान पोस्ट ऑफिस की तरफ़ आकर्षित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. केंद्र सरकार ने पोस्ट ऑफिस (Post Office) में ऐसी योजनाओं (Schemes) की शुरुआत की है, जिसका लाभ सभी तबके के लोग उठा सकते हैं
1. किसान विकास पत्र (केवीपी)
ये भारत सरकार द्वारा जारी की गई लघु बचत योजना है. इस योजना का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इन सर्टिफिकेट्स में लगाई रक़म एक निश्चित अवधि के बाद दोगुना होकर मिलती है.
क्या हैं विशेषताएं?
- इस योजना के तहत आप एक हज़ार, पांच हज़ार, 10 हज़ार और 50 हज़ार रुपए के सर्टिफिकेट ख़रीद सकते हैं.
- अपने बजट के अनुसार कितने भी सर्टिफिकेट्स, जैसे- 20 हज़ार, 40 हज़ार रुपए के ख़रीद सकते हैं. इन पर कोई प्रतिबंध नहीं है.
- केवीपी ख़रीदते समय अगर चेक से भुगतान करते हैं, तो चेक इश्यू करने की तारीख़ से ही सर्टिफिकेट ख़रीदने की प्रारंभिक तिथि मानी जाएगी, न कि जिस तारीख़ को डाकघर के अकाउंट में पैसा आया है, उस तारीख़ से.
- इन्हें एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के नाम पर, एक शाखा से दूसरी शाखा में आसानी से ट्रांसफर कर सकते हैं.
- इनमें जमा की गई रक़म नौ वर्ष चार महीने में दोगुनी होती है.
- ढाई साल के बाद आप कभी भी इन्हें विड्रॉ कर सकते हैं. श्
- इन सर्टिफिकेट को आप ख़ुद, पत्नी, नाबालिग बच्चों या संयुक्त व्यक्तियों के नाम पर ले सकते हैं.
2. वरिष्ठ नागरिक बचत योजना (सीनियर सिटिज़न सेविंग्स स्कीम)
ये डाकघर द्वारा वरिष्ठ नागरिकों के लिए जारी की गई बचत योजना है. 55-60 साल की उम्र का कोई भी व्यक्ति, जिसने सेवानिवृत्ति/स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली है, उसे अपनी सेवानिवृत्ति से एक महीने पहले यह खाता खोल लेना चाहिए
.क्या हैं विशेषताएं?
- 55-60 साल का ही नहीं, उससे अधिक उम्र का व्यक्ति भी डाकघर में खाता खोल सकता है.श्
- कोई भी वरिष्ठ नागरिक एक से अधिक खाते खोल सकता है और अपने बजट के अनुसार संचालित कर सकता है.
- इस बचत योजना की अवधि पांच साल की है और इसमें नामांकन व ट्रांसफर की सुविधा भी है.
- इस खाते में अधिक से अधिक 15 लाख रुपए तक जमा करा सकते हैं.
- वरिष्ठ नागरिक केवल अपनी पत्नी या पति के साथ ही संयुक्त खाता खोल सकते हैं, बच्चों के साथ नहीं.
- एक लाख रुपए से अधिक का भुगतान करने के लिए वरिष्ठ नागरिकों को चेक का इस्तेमाल करना होता है और एक लाख से कम राशि होने पर नक़द राशि जमा कर सकते हैं.
- कोई भी वरिष्ठ नागरिक कितने ही खाते खोल सकता है, लेकिन उनका टोटल 15 लाख से अधिक नहीं होना चाहिए.
- इस योजना में निवेश की गई राशि पर आयकर की धारा 80सी के तहत लाभ मिलता है.
- इस योजना में तिमाही ब्याजदर दी जाती है.
3. सुकन्या समृद्धि योजना
इस योजना का लाभ किसी भी डाकघर या सरकारी बैंक से उठाया जा सकता है. इस योजना के अंतर्गत 10 साल से कम उम्र की लड़की के अभिभावक ये खाता खोल सकते हैं.
क्या हैं विशेषताएं?
- इस योजना के तहत कम से कम 250 रुपए और अधिक से अधिक डेढ़ लाख रुपए सालाना जमा कर सकते हैं.
- इस योजना के दौरान 14 साल तक तय की गई राशि जमा करनी होती है.
- खाता खोलने की तारीख़ से 21 साल तक ही यह योजना वैध होती है.
- लड़की के 18 साल पूरे होने के बाद अभिभावक 50% जमाराशि निकाल सकते हैं.
- इसमें भी अन्य बचत योजनाओं की तरह तिमाही ब्याजदर संशोधित करके दी जाती है.
- आयकर की धारा 80सी के तहत यह योजना भी टैक्स फ्री है.
4. राष्ट्रीय बचत पत्र (एनएससी)
भारत सरकार द्वारा जारी की गई इस योजना का लाभ किसी भी डाकघर से उठाया जा सकता है. इस योजना का लाभ टैक्स में भी मिलता है, इसलिए इसमें निवेश करके टैक्स में छूट ले सकते हैं, लेकिन ये छूट केवल डेढ़ लाख रुपए तक ही मिलती है.
क्या हैं विशेषताएं?
- केेवल भारतीय नागरिक ही इस योजना का लाभ उठा सकते हैं. कोई एनआरआई नहीं.
- एनएससी को दूसरे व्यक्ति के नाम पर ट्रांसफर व नामांकन किया जा सकता है.
- खो जाने पर डुप्लीकेट एनएससी बनाई जा सकती है.श्र आवश्यकता पड़ने पर इस पर लोन भी मिलता हैै.
- मैच्योर होने पर यदि एनएससी की रक़म निकाली नहीं जाती है, तो बैंक एफडी की तरह अपने आप रिन्यू होने की बजाय इस पर सेविंग अकांउट की तरह ब्याज मिलता है.
- एनएससी पर प्रत्येक छह माह में कंपाउंड इंट्रेस्ट मिलता है और वह इंटे्रस्ट उसी में रिइन्वेस्ट हो जाता है.
- अपने बजट के अनुसार सौ रुपए से लेकर अधिकतम कितना भी निवेश कर सकते हैं.
- इसे मैच्योरिटी की अवधि से पहले विड्रॉ नहीं किया जा सकता है.
और भी पढ़ें: मल्टी सेविंग अकाउंट रखने से हो सकते हैं ये 5 नुकसान (Why You Shouldn’t Have Multiple Saving Account?)
5. पब्लिक प्रोविडेंट फंड अकाउंट (पीपीएफ)
सरकार ने पीपीएफ को करमुक्त रखा है. इतना ही नहीं, इस अकाउंट में जमा रक़म में सेक्शन 80सी के तहत कर में छूट दी गई है. इसमें सालाना न्यूनतम 500 रुपए से लेकर अधिकतम डेढ़ लाख रुपए तक जमा कर सकते हैं.
क्या हैं विशेषताएं?
- पीपीएफ अकाउंट कोई भी व्यक्ति, जैसे-किसान, बिज़नेसमैन, रिक्शेवाला, सर्विसमैन खोल सकता है. इस खाते को खुलवाने की कोई आयु सीमा नहीं है.
- एक व्यक्ति अपने नाम से केवल एक हीपीपीएफ अकाउंट खोल सकता है, उससे ज़्यादा नहीं.
- अगर आपने अपना पीपीएफ अकाउंट खोला है, तो आप उसे 15 साल तक जारी रख सकते हैं.
- इसमें महीने में दो बार राशि जमा कर सकते हैं, लेकिन साल में केवल 12 ट्रांज़ैक्शन ही कर सकते हैं.
- बेहतर होगा कि पीपीएफ अकाउंट में पांच तारीख़ से लेकर महीने की आखिरी तारीख़ के बीच रक़म डिपॉज़िट करें, क्योंकि इन दिनों जो भी मिनिमम बैलेंस आपके अकाउंट में होता है, उस पर ब्याज मिलता है.
- यदि पूरे साल में एक बार भी पीपीएफ अकाउंट में पैसा जमा नहीं करते हैं, तो आपका अकाउंट सस्पेंड कर दिया जाता है, हालांकि बाद में कुछ पिछला बकाया जमा करके उसे दोबारा जारी कर सकते हैं.
- बच्चे के नाम पर दो गार्जियन अलग-अलग पीपीएफ अकाउंट नहीं खोल सकते हैं.
6. पोस्ट ऑफिस मंथली इन्कम स्कीम
पोस्ट ऑफिस की यह स्कीम सेवानिवृत्त, वरिष्ठ नागरिकों और उन लोगों के लिए बहुत फ़ायदेमंद है, जिनकी रेेग्युलर इन्कम नहीं होती. ये लोग अपनी एकमुश्त रक़म को पोस्ट ऑफिस में जमा कर उस पर हर महीने ब्याज पा सकते हैं.
क्या हैं विशेषताएं?
- इसके तहत एक व्यक्ति पर्सनली और जॉइंट दोनों तरह के खाते खोल सकता है.
- 10 साल से कम उम्र के बच्चों के खाते खोले जा सकते हैं और 10 साल के बाद बच्चा अपना खाता स्वयं संचालित कर सकता है.
- इस स्कीम की मैच्योरिटी डेट पांच साल की होती है, लेकिन दो-तीन साल के बाद रक़म निकालने पर कुछ राशि काटकर मिलती है.
- इसमें ट्रांसफर और नामांकन की सुविधा है.
- सिंगल को जॉइंट अकाउंट में और जॉइंट अकाउंट को सिंगल अकाउंट में कभी भी बदला जा सकता है.
7. पोस्ट ऑफिस आरडी अकाउंट
इस योजना में छोटी-छोटी बचत से बड़ी रक़म जोड़ना, अच्छी ब्याज दर और सुरक्षा की गारंटी होने के कारण अधिकतर लोग डाकघर की इस योजना का लाभ उठाते हैं.
क्या हैं विशेषताएं?
- डाकघर की यह आरडी स्कीम स़िर्फ पांच साल के लिए होती है. इससे कम अवधि की नहीं.
- इसमें प्रतिमाह कम से कम 10 रुपए का निवेश करना ज़रूरी है, लेकिन अधिकतम कितना भी जमा कर सकते हैं.
- इस खाते में तिमाही ब्याज मिलता है.
- इस आरडी अकाउंट में जमाराशि पर कोई टैक्स बेनीफिट नहीं मिलता.
- आपने यदि एक से 15 तारीख़ के बीच में खाता खुलवाया है, तो आपको अगले माह की किश्त भी 1-15 के बीच में जमा करनी होती. यदि 16 से 30/31 तारीख के बीच में खाता खोला है, तो अगले माह भी इस समयावधि में राशि जमा करनी होती है.
- अगर निर्धारित अंतिम तिथि तक किश्त जमा नहीं करते हैं, लेट किश्त के साथ एक फीसदी प्रतिमाह की दर से जुर्माना जमा करना होता है.
- यदि खाते में लगातार चार किश्त जमा नहीं की है, तो पोस्ट ऑफिस अपने आप खाता बंद कर देता है.
- आरडी अकाउंट बंद हो गया है, तो अगले दो महीनों में आवेदन देकर खाता रिस्टार्ट कर सकते हैं.
8. पोस्ट ऑफिस सेविंग अकाउंट
यह केंद्र सरकार की स्कीम है, जो अच्छे ब्याज के साथ-साथ निवेश की सुरक्षा की गारंटी देती है.
क्या हैं विशेषताएं?
- इस अकाउंट को केवल 20 रुपए में खोला जा सकता है, लेकिन अगर चेकबुक चाहिए, तो 500 रुपए से अकाउंट खोलना होगा.
- सारा लेन-देन नक़द करना चाहते हैं, तो खाते में 50 रुपए न्यूनतम बैलेंस होना चाहिए. अगर चेक के द्वारा करना चाहते हैं, तो मिनिमम बैलेंस 1,500 रुपए तक होना चाहिए.
- पोस्ट ऑफिस में एक व्यक्ति केवल एक सिंगल या जॉइंट अकाउंट ही खोल सकता है.
- खाता खोलने के बाद उसे चालू रखने के लिए तीन साल में कम से कम एक बार ट्रांज़ैक्शन करना ज़रूरी है.
- खाता चाहे सिंगल हो या जॉइंट, दोनों में चार फीसदी की दर से वार्षिक ब्याज मिलता है.
- बच्चों के नाम पर भी पोस्ट ऑफिस सेविंग अकाउंट खोल सकते हैं.
9. पोस्ट ऑफिस टाइम डिपॉज़िट अकाउंट (टीडी)
डाकघर की यह स्कीम दरअसल बैंक के फिक्स्ड डिपॉज़िट अकाउंट की तरह ही होती है, जिसमें एक से पांच साल तक टर्म डिपॉज़िट किया जाता है.क्या हैं विशेषताएं?श्र इस स्कीम के तहत केवल व्यक्तिगत खाता खोला जा सकता है.
क्या हैं विशेषताएं?
- बच्चों के नाम पर भी ये टर्म डिपॉज़िट स्कीम ले सकते हैं .
- इसके तहत न्यूनतम 200 रुपए से लेकर अपने बजट के अनुसार टर्म डिपॉज़िट कर सकते हैं.
- इस योजना में चार पीरियड ऑप्शन होते हैं- एक साल, दो साल, तीन साल और पांच साल. अपनी योजना के अनुसार इनका लाभ उठाया जा सकता है.
- जितने लंबे समय के लिए टर्म डिपॉज़िट लेंगे, उतना अधिक ब्याज मिलता है.
- पांच सालवाले टर्म डिपॉज़िट पर आयकर की धारा 80सी के तहत छूट मिलती है.
- मैच्योर होने पर टर्म डिपॉज़िट अकाउंट को रिन्यू करा सकते हैं, लेकिन रिन्यू कराते समय उस समय नई ब्याज दर के अनुसार ब्याज मिलता है.
- टर्म डिपॉज़िट आरंभ होने के छह महीने तक पैसा नहीं निकाल सकते हैं. अगर छह महीने और एक साल के बीच में पैसा निकालते हैं, तो सेविंग अकाउंट की ब्याज दर के अनुसार ब्याज मिलता है, टर्म डिपॉज़िट के अनुसार नहीं.
- इस टर्म डिपॉज़िट के आधार पर लोन भी ले सकते हैं.अलर्ट: डाकघर की विभिन्न योजनाओं में मिलनेवाले ब्याज की सही दर जानने के लिए अपने नज़दीकी पोस्ट ऑफिस में जाएं, क्योंकि कुछ योजनाओं में ब्याज दर की गणना तिमाही और अर्धवार्षिक के आधार पर की जाती है, इसलिए यहां पर दी गई ब्याज दर अनुमानित है.
और भी पढ़ें: जानें पीपीएफ से जुड़ी 10 महत्वपूर्ण बातें (10 Must Known Facts About PPF)
– पूनम नागेंद्र शर्मा

बच्चेे का जन्म होने के साथ ही दंपति की ज़िम्मेदारियां बढ़ जाती हैं. एक और जहां उसकी अच्छी देखभाल और परवरिश की ज़िम्मेदारियां बढ़ती हैं, वहीं दूसरी ओर उसके सुरक्षित भविष्य के प्रति चिंता भी बढ़ने लगती है. समझदार पैरेंट्स वही होते हैं, जो बच्चे के जन्म के साथ ही उसके सुरक्षित भविष्य के लिए निवेश संबंधी ़फैसले लेने शुरू कर देते हैं. सुरक्षित भविष्य यानी बच्चे की शिक्षा, करियर और शादी में होनेवाले बड़े ख़र्चों के लिए अच्छी ख़ासी जमाराशि का प्रबंध करना. यदि आप भी अपने लाडलेे के सुरक्षित भविष्य के लिए कोई वित्तीय फैसला लेने की सोच रहे हैं, तो यहां पर बताए गए वैकल्पिक निवेशों में से कुछ ऑप्शन का चुनाव कर सकते हैं. आइए जानें, फाइनेंशियल एडवाइज़र वामन पुजारी द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर कैसे करें बच्चे के सुरक्षित भविष्य के लिए वित्तीय फैसले?
फिक्स डिपॉज़िट्स
पोस्ट ऑफिस और बैंक के फिक्स डिपॉज़िट्स बच्चों के लिए एक सुरक्षित निवेश हैं. शैड्यूल बैंक (जो आरबीआई एक्ट के दूसरे शेड्यूल की लिस्ट में शामिल होते हैं) फिक्ड डिपॉज़िट्स पर टैक्स डिडक्शन भी देते हैं. अलग-अलग बैंकों में फिक्स डिपॉज़िट्स की ब्याजदर अलग-अलग होती है. सामान्यत: फिक्स डिपॉज़िट्स पर अधिकतर बैंकों की ब्याज दर 7.5% से 9% तक के बीच में होती है. कुछ स्थितियों में इन फिक्स डिपॉज़िस्ट को लेने का एक नुक़सान भी होता है. वह है फिक्स डिपॉज़िट पर मिलनेवाला अधिक ब्याज टैक्सेबल होता है. यदि यह ब्याज की राशि बैंक द्वारा तय की गई ब्याज की राशि से अधिक होती है, तो उस पर टैक्स देना होगा. इसलिए फिक्स डिपॉज़िट्स कराने से पहले बैंककर्ता से सारी जानकारी हासिल कर लें.
और भी पढ़ें: शादी में दें फाइनेंशियल सिक्योरिटी का उपहार
पोस्ट ऑफिस मंथली इंकम स्कीम
शेयर, म्यूचुअल फंड और यूलिप आदि की तुलना में यह स्कीम सबसे सुरक्षित विकल्प है. इसमें शेयर की अपेक्षा हानि होने की संभावना न के बराबर होती है और रिर्टन्स भी अच्छा मिलता है. इस स्कीम के तहत दंपति को एक निर्धारित राशि 6 साल तक हर महीने पोस्ट ऑफिस में जमा करानी पड़ती है, जिस पर 8% की दर से वार्षिक ब्याज मिलता है. इसके साथ ही मेच्योरिटी डेट पूरा होने पर 5% का बोनस भी मिलता है. आवश्यकता पड़ने पर इस स्कीम को प्रीमेच्योर भी करा सकते हैं. 1-3 साल की अवधि में प्रीमेच्योर कराते हैं, तो जमाराशि पर 2% की पेनेल्टी काटने के बाद बची हुई रकम मिल जाती है. इसी तरह से यदि 3 साल के बाद प्रीमेच्योर कराते हैं, तो 1% पेनेल्टी काटने के बाद बची हुई रकम मिल जाती है.
नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट
ये सर्टिफिकेट्स एक विश्वनीय रिटर्न स्कीम हैं, जिसमें सेक्शन 80सी के तहत इसमें छूट भी मिलती है. इन सर्टिफिकेट्स पर दंपति 100 से लेकर इच्छानुसार अधिकतम राशि तक निवेश कर सकते हैं. ये सर्टिफिकेट्स 5 साल और 10 साल की अवधिवाले होते हैं. पांच साल की अवधिवाले सर्टिफिकेट में 8.5% की दर से ब्याज भी मिलता है और 10 साल वाले नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट में 8.8% की दर से ब्याज मिलता है. मेच्योरिटी डेट पर यह राशि मूलधन और ब्याज सहित वापस मिलती है. दंपति चाहें तो 5 साल या 10 साल अवधिवाले सर्टिफिकेट को आगामी सालों के लिए रिन्यू भी करा सकते हैैं. इसके अतिरिक्त आवश्यकता पड़ने पर दंपति इन सर्टिफिकेट्स को प्रीम्चोर विड्रॉ भी करा सकते हैं. ज़रूरत पड़ने पर इन सर्टिफिकेट्स को एक स्थान से दूसरे स्थान पर और एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को भी ट्रांसफर कर सकते हैं.
किसान विकास पत्र
एनएससी की तरह दंपति किसान विकास पत्र में भी निवेश कर सकते है. नाबालिग (बच्चे) के नाम से किसान विकास पत्र ख़रीदकर पैरेंट्स ख़ुद को नॉमिनी बनाकर इस योजना का लाभ उठा सकते हैं. इसमें दंपति 1 हज़ार रुपए से लेकर इच्छानुसार अधिकतम राशि तक निवेश कर सकते हैं. चाहें तो 8 साल 4 महीने के बाद वे इसे भविष्य के लिए रिन्यू भी करा सकते हैं या फिर चाहें तो 2 से ढाई साल के बाद विड्रॉ भी करा सकते हैं.
डेबट्स म्यूचुअल फंड और बैलेंस्ड म्यूचुअल फंड
चिल्ड्रन इंश्योरेंस प्लान की तरह दंपति डेबट्स म्यूचुअल फंड और बैलेंस्ड म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं. म्यूचुअल फंड्स में निवेश करने पर अच्छा रिर्टन्स मिलता है, लेकिन इसमें मिलनेवाला लाभ बाज़ार की स्थितियों पर निर्भर करता है. इसलिए इन म्यूचुअल फंड में निवेश करने से पहले दंपति अच्छी तरह से मार्केट रिसर्च कर लें, साथ ही इन म्यूचुअल फंड्स में निवेश करने के बाद भी दंपति लगातार बाज़ार के उतार-चढ़ाव पर नज़र बनाए रखें.
चिल्ड्रन सेविंग अकाउंट: बच्चों के सुरक्षित भविष्य के लिए ‘चिल्ड्रन सेविंग अकाउंट’ सबसे अच्छा विकल्प है. दंपति अपने बजट के अनुसार एक तय रकम उसके खाते में जमा कराकर उसके भविष्य के लिए एक मोटी रकम जोड़ सकते हैं.
चिल्ड्रन इंश्योरेंस प्लान
प्रतियोगिता के दौर में सरकारी व निजी बैंकों की तरह लाइफ इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया ने भी बच्चों के सुरक्षित भविष्य के लिए अनेक पॉलिसी ज़ारी की हैं, जैसे- जीवन अनुराग, जीवन किशोर और जीवन अंकुर आदि. इन पॉलिसी में निवेश करके दंपति अपने बच्चे के भविष्य को सिक्योर कर सकते हैं. एलआईसी की तरह ही दंपति निजी बैंकों जैसे- एचडीएफसी-एसएल यंगस्टार सुपर प्रीमियम और यंगस्टार उड़ान आदि चिल्ड्रन इंश्योरेंस प्लान भी ले सकते हैं. इन इंश्योरेंस पॉलिसी को लेकर वे अपने बच्चों की पढ़ाई, करियर आदि शादी संबंधी ज़रूरतों को आसानी से पूरा कर सकते हैं.
पब्लिक प्रोविडेंट फंड: बच्चों के सुरक्षित भविष्य के लिए यह भी एक बेहतरीन विकल्प है. इसके अंतगर्त दंपति कम से कम 15 तक हर महीने 500 से लेकर अपने बजटानुसार डेढ़ लाख रुपए तक जमा करा सकते हैं. इस योजना के तहत 8.5% की ब्याज़ मिलता है और आयकर की धारा 80सी के तहत डिडक्शन में छूट भी मिलती है.
लड़कियों के लिए विशेष ‘सुकन्या समृद्धि योजना’
वर्ष 2014-15 में ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ अभियान के अन्तर्गत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लड़कियों के सुनहरे भविष्य के लिए एक लघु बचत योजना शुरू है. इस योजना के तहत पैरेंट्स बेटी के जन्म के लेकर 10 साल तक की उम्र होने तक उसका अकाउंट खोल सकते हैं. तब तक पैरेंट्स उसके नॉमिनी रहेंगे. इस योजना की शुरुआत में न्यूनतम राशि 1 हज़ार रुपए जमा करानी होती है और अधिक से अधिक डेढ़ लाख रूपए तक जमा करा सकते हैं. यदि किसी साल, किसी कारण से यह रकम जमा नहीं कराई है, तो अगले वर्ष 50 रुपए की पैनेल्टी के 1 हज़ार रुपए जमा करा सकते हैं. पैरेंट्स अपने बजट के अनुसार हर महीने 100, 500, या 2,000 रुपए से लेकर डेढ़ लाख तक जमा कर सकते हैं. इस योजना की ख़ास बात यह है कि इसमें ब्याज़ स्थायी नहीं है, हर साल नई ब्याज दर की घोषणा की जाएगी.
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– पूनम नागेंद्र शर्मा

बच्चों की ट्यूशन फीस, उनके लिए कंप्यूटर व लैपटॉप की ख़रीददारी, घर की मरम्मत करवानी हो या फिर घर के लिए ज़रूरी कोई सामान ख़रीदना हो… कई ऐसे ख़र्चे हैं, जो गाहे-बगाहे सामने आ ही जाते हैं. इस तरह के आकस्मिक ख़र्चों को पूरा करने के लिए एक ‘स्पेशल बचत/फंड’ की ज़रूरत होती है, जिनसे इन आकस्मिक ख़र्चों की पूर्ति की जा सके. आइए जानें, निवेश करने के ऐसे ही कुछ ख़ास तरीक़ों के बारे में.
मुंबई के एक पोस्ट ऑफिस में पोस्ट मास्टर के पद पर कार्यरत प्रमोदिनी कदम के अनुसार, “पोस्ट ऑफिस में समय-समय पर अनेक शॉर्ट टर्म इन्वेस्टमेंट स्कीम्स निकलती रहती हैं, जिनकी अवधि एक साल, 2 साल, 3 साल या 5 साल की होती है. इस तरह की स्कीम्स में छोटे-छोटे निवेश करके आप बड़ी बचत कर सकते हैं और अपने सपनों को पूरा भी कर सकते हैं.”
पोस्ट ऑफिस
छोटे-छोटे निवेश करने के लिए पोस्ट ऑफिस सबसे अच्छा विकल्प है. अन्य वित्तीय संस्थानों और बैंकों की तरह पोस्ट ऑफिस भी अपने कस्टमर्स को अधिक से अधिक लाभ पहुंचाने के लिए समय-समय पर अनेक स्मॉल सेविंग्स स्कीम्स निकालते रहते हैं. जैसे- पोेस्ट ऑफिस टाइम डिपॉज़िट स्कीम्स: इस स्कीम के अंतर्गत जमाकर्ता को एक निश्चित जमाराशि एक नियत समय के लिए जमा करनी होती है. अवधि पूरी होने पर जमाकर्ता को ब्याज सहित पूरी जमाराशि मिल जाती है. इस स्कीम के तहत जमाकर्ता कम से कम 200 और अधिकतम अपनी इच्छानुसार जमा करा सकता है. इस योजना के अंतर्गत 1 साल में 8.2%, 2 साल में 8.2%, 3 साल में 8.4% और 5 साल में 8.5% ब्याज मिलता है. 6 महीने के बाद कभी भी इस योजना को एनकैशमेंट करा सकते हैं. कम अवधि के लिए निवेश करनेवाले जमाकर्ताओं के लिए यह बहुत लाभकारी योजना है. इस योजना में आयकर छूट भी उपलब्ध है.
पोस्ट ऑफिस मंथली इन्कम स्कीम: इस योजना के तहत जमाकर्ता को शुरुआत में 6,000 का निवेश करना पड़ता है. 5 साल की अवधि वाली इस योजना में 8.4% की दर से प्रति माह ब्याज़ मिलता है. इस योजना के तहत जमाकर्ता 1 साल के बाद कभी भी अपनी जमाराशि निकाल सकते हैं. 1 से 3 साल के बीच जमाराशि निकालने पर कुल राशि का 2% पैनल्टी काटकर बाकी की जमाराशि वापस मिल जाती है. 3 से 5 साल से पहले जमाराशि निकालने पर 1% की पैनल्टी लगती है.
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नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट्स: छोटे-छोटे निवेश के तौर पर जमाकर्ताओं के लिए नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट्स भी एक अच्छा विकल्प है. ये सर्टिफिकेट्स 2 तरह के होते हैं. पहला- वे सर्टिफिकेट्स- जिनकी अवधि 10 साल की होती है. दूसरा- जिनकी अवधि 5 साल की होती है. 5 साल की अवधि वाले इन सर्टिफिकेट्स पर जमाकर्ता 100 से लेकर इच्छानुसार अधिकतम निवेश कर सकते हैं. जमाकर्ता को इन सर्टिफिकेट्स पर 8.5% का ब्याज मिलता है. इन पर आयकर छूट भी उपलब्ध है. इन सर्टिफिकेट्स का प्रीमेच्योर एनकैशमेंट केवल कुछ विशेेष परिस्थितियों (जैसे डेथ) में ही हो सकता है.
पोस्ट ऑफिस रिकरिंग डिपॉज़िट स्कीम: पोस्ट ऑफिस द्वारा जारी की गई इस शॉर्ट टर्म इन्वेस्टमेंट प्लानिंग से जमाकर्ता अपने सपनों को आसानी से पूरा कर सकते हैं. इस योजना में जोख़िम की कोई संभावना नहीं होती. इस योजना के तहत जमाकर्ता को एक निश्चित राशि जमा करानी होती है. न्यूनतम राशि 10 से लेकर अधिकतम अपनी इच्छानुसार कर सकते हैं. 5 साल की अवधि वाली इस योजना में ब्याज की दर 8.4% है.
पिग्गी बैंक: निवेश करने के लिए ज़रूरी नहीं है कि आप बैंक या पोस्ट ऑफिस द्वारा निकाली गई किसी स्कीम में इंवेस्ट करें. घर बैठे-बैठे, बिना कोई अतिरिक्त ख़र्च किए भी आप थोड़ा-थोड़ा निवेश कर सकते हैं पिग्गी बैंक के ज़रिए. पिग्गी बैंक आकस्मिक ख़र्चों को पूरा करने के लिए एक अच्छा फाइनेंशियल रिसोर्स (आर्थिक साधन) है. इसमें जमा करना अन्य विकल्पों की अपेक्षा बहुत ही आसान है. बस, आपको यह तय करना है कि आपको पिग्गी बैंक में हर महीने कितनी राशि डालनी है. यदि आरंभ से ही निर्धारित जमाराशि नियत समय पर डालते रहेंगे, तो एक बड़ी जमाराशि जोड़ लेगें.
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किट्टी बैंक: निवेश करने का एक और अच्छा तरीक़ा है किट्टी बैंक. पिग्गी बैंक की तरह किट्टी बैंक में भी निवेश करना बहुत आसान है. किट्टी बैंक डालने के लिए कम से कम 12 सदस्यों की ज़रूरत होती है (सदस्यों की संख्या कम या ज़्यादा भी हो कर सकते हैं). आपसी सहमति से प्रति सदस्य फंड की राशि और किट्टी बैंक की तारीख़ तय कर सकते हैं. किट्टी बैंक के लिए एक कॉर्डिनेटर की ज़रूरत भी होती है, जो सब सदस्यों से निर्धारित तारीख़ पर फंड जमा करें. इसके बाद सारे सदस्यों के नाम की परची डालकर उसमें से किसी एक के नाम की परची निकाल लें. जिसके नाम की परची निकलेगी, किट्टी उसी को ही मिलेगी. किट्टी बैंक के 2 लाभ है, पहला- इस तरी़के से निवेश करना बहुत आसान है और दूसरा- दोस्तों आदि के साथ एंजॉय करने का मौक़ा मिल जाता है.
शॉर्ट टर्म्स इन्वेस्टमेंट्स बॉन्ड्स: यह भी ‘छोटे निवेश’ फंड का एक अहम् भाग है. जिसमें बड़ी कॉर्पोरेट कंपनियां निवेशकों को लुभाने के लिए अपनी कंपनी के नाम ‘शॉर्ट टर्म्स इन्वेस्टमेंट बॉन्ड्स’ इश्यू करती हैं. इन बॉन्ड्स की अवधि 1 से लेकर 4 साल तक की होती है. इन बॉन्ड्स में जोख़िम की संभावना कम होती है. इस तरह के बॉन्ड्स में निवेश करने के पीछे जमाकर्ता का उद्देश्य अपनी पूंजी को सुरक्षित रखने के साथ-साथ अतिरिक्त बोनस/प्रीमियम प्राप्त करना होता है.
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– पूनम नागेंद्र शर्मा

बच्चे का जन्म होने के साथ ही दंपति की ज़िम्मेदारियां बढ़ जाती हैं. एक ओर जहां उसकी परवरिश की ज़िम्मेदारियां बढ़ती हैं, वहीं दूसरी ओर उसके सुरक्षित भविष्य के प्रति चिंता भी बढ़ने लगती है. समझदार पैरेंट्स वही होते हैं, जो बच्चे के जन्म के साथ ही उसके सुरक्षित भविष्य के लिए निवेश संबंधी फैसले लेने शुरू कर देते हैं. सुरक्षित भविष्य यानी बच्चे की शिक्षा, करियर और शादी में होनेवाले बड़े ख़र्चों के लिए अच्छी-ख़ासी जमाराशि का प्रबंध करना. यदि आप भी अपने बच्चे के सुरक्षित भविष्य के लिए कोई वित्तीय फैसला लेने की सोच रहे हैं, तो यहां पर बताए गए वैकल्पिक निवेशों का चुनाव कर सकते हैं.
आइए जानें, फाइनेंशियल एडवाइज़र वामन पुजारी द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर कैसे करें बच्चे के सुरक्षित भविष्य के लिए फाइनेंशियल फैसले?
फिक्स डिपॉज़िट्स: पोस्ट ऑफिस और बैंक के फिक्स डिपॉज़िट्स बच्चों के लिए एक सुरक्षित निवेश हैं. शेड्यूल बैंक (जो आरबीआई एक्ट के दूसरे शेड्यूल की लिस्ट में शामिल होते हैं) फिक्स डिपॉज़िट्स पर टैक्स डिडक्शन भी देते हैं. अलग-अलग बैंकों में फिक्स डिपॉज़िट्स की ब्याज दर अलग-अलग होती है. सामान्यत: फिक्स डिपॉज़िट्स पर अधिकतर बैंकों की ब्याज दर 7.5% से 9% तक के बीच में होती है. कुछ स्थितियों में इन फिक्स डिपॉज़िट्स को लेने में एक नुक़सान भी होता है, वह है- फिक्स डिपॉज़िट पर मिलनेवाला अधिक ब्याज टैक्सेबल होता है. यदि यह ब्याज की राशि बैंक द्वारा तय की गई ब्याज की राशि से अधिक होती है, तो उस पर टैक्स देना होगा. इसलिए फिक्स डिपॉज़िट्स कराने से पहले बैंक कर्मचारी से सारी जानकारी हासिल कर लें.
पोस्ट ऑफिस मंथली इन्कम स्कीम: शेयर, म्युचुअल फंड और यूलिप आदि की तुलना में यह स्कीम सबसे सुरक्षित विकल्प है. इसमें शेयर की अपेक्षा हानि होने की संभावना न के बराबर होती है और रिटर्न्स भी अच्छा मिलता है. इस स्कीम के तहत दंपति को एक निर्धारित राशि 6 साल तक हर महीने पोस्ट ऑफिस में जमा करानी पड़ती है, जिस पर 8% की दर से वार्षिक ब्याज मिलता है. इसके साथ ही मैच्योरिटी डेट पूरा होने पर 5% का बोनस भी मिलता है. आवश्यकता पड़ने पर इस स्कीम में प्रीमैच्योर विड्रॉअल भी करा सकते हैं. यदि 1-3 साल की अवधि में प्रीमैच्योर विड्रॉअल कराते हैं, तो जमाराशि पर 2% की पेनाल्टी काटने के बाद बची हुई रकम मिल जाती है. इसी तरह से यदि 3 साल के बाद प्रीमैच्योर विड्रॉअल कराते हैं, तो 1% पेनाल्टी काटने के बाद बची हुई रक़म मिल जाती है.
नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (एनएससी): ये सर्टिफिकेट्स एक विश्वसनीय रिटर्न स्कीम हैं, जिसमें सेक्शन 80सी के तहत छूट भी मिलती है. इन सर्टिफिकेट्स पर दंपति 100 से लेकर इच्छानुसार अधिकतम राशि तक निवेश कर सकते हैं. ये सर्टिफिकेट्स 5 साल और 10 साल की अवधि के होते हैं. पांच साल की अवधि वाले सर्टिफिकेट में 8.5% की दर से ब्याज मिलता है और 10 साल वाले नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट में 8.8% की दर से ब्याज मिलता है. मैच्योरिटी डेट पर यह राशि मूलधन और ब्याज सहित वापस मिलती है. दंपति चाहें तो 5 साल या 10 साल की समय सीमा वाले सर्टिफिकेट को आगामी सालों के लिए रिन्यू भी करा सकते हैैं. इसके अतिरिक्त आवश्यकता पड़ने पर दंपति इन सर्टिफिकेट्स को प्रीमैच्योर विड्रॉ भी करा सकते हैं. ज़रूरत पड़ने पर इन सर्टिफिकेट्स को एक स्थान से दूसरे स्थान पर और एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को भी ट्रांसफर कर सकते हैं.
किसान विकास पत्र: एनएससी की तरह किसान विकास पत्र में भी निवेश किया जा सकता है. नाबालिग (बच्चे) के नाम से किसान विकास पत्र ख़रीदकर पैरेंट्स ख़ुद को नॉमिनी बनाकर इस योजना का लाभ उठा सकते हैं. इसमें 1 हज़ार रुपए से लेकर इच्छानुसार अधिकतम राशि का निवेश किया जा सकता है. चाहें तो 8 साल 4 महीने के बाद वे इसे भविष्य के लिए रिन्यू भी करा सकते हैं या फिर चाहें तो 2 से ढाई साल के बाद विड्रॉ भी कर सकते हैं.
डेब्ट्स म्युचुअल फंड और बैलेंस्ड म्युचुअल फंड: चिल्ड्रन इंश्योरेंस प्लान की तरह पैरेंट्स डेब्ट्स म्युचुअल फंड और बैलेंस्ड म्युचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं. म्युचुअल फंड्स में निवेश करने पर अच्छा रिटर्न मिलता है, लेकिन इसमें मिलनेवाला लाभ बाज़ार की स्थितियों पर निर्भर करता है. इसलिए इन म्युचुअल फंड में निवेश करने से पहले अच्छी तरह से मार्केट रिसर्च कर लें, साथ ही इन म्युचुअल फंड्स में निवेश करने के बाद भी लगातार बाज़ार के उतार-चढ़ाव पर नज़र बनाए रखें.
चिल्ड्रन सेविंग अकाउंट: बच्चों के सुरक्षित भविष्य के लिए चिल्ड्रन सेविंग अकाउंट सबसे अच्छा विकल्प है. अपने बजट के अनुसार एक तय रक़म बच्चे के खाते में जमा कराकर उसके भविष्य के लिए एक मोटी रक़म जोड़ सकते हैं.
चिल्ड्रन इंश्योरेंस प्लान: प्रतियोगिता के दौर में सरकारी व निजी बैंकों की तरह एलआईसी ने भी बच्चों के सुरक्षित भविष्य के लिए अनेक पॉलिसी ज़ारी की हैं, जैसे- जीवन अनुराग, जीवन किशोर और जीवन अंकुर आदि. इन पॉलिसीज़ में निवेश करके पैरेंट्स अपने बच्चे के भविष्य को सिक्योर कर सकते हैं. एलआईसी की तरह ही निजी बैंकों, जैसे- एचडीएफसी-एसएल यंगस्टार सुपर प्रीमियम और यंगस्टार उड़ान आदि से चिल्ड्रन इंश्योरेंस प्लान भी ले सकते हैं. इन इंश्योरेंस पॉलिसी को लेकर बच्चों की पढ़ाई, करियर आदि तथा शादी संबंधी ज़रूरतों को आसानी से पूरा कर सकते हैं.
पब्लिक प्रोविडेंट फंड: बच्चों के सुरक्षित भविष्य के लिए यह भी एक बेहतरीन विकल्प है. इस योजना की समय सीमा 15 साल तक होती है, जिसमें आप हर साल न्यूनतम 500 से लेकर अपने बजट के अनुसार डेढ़ लाख रुपए तक जमा करा सकते हैं. इस योजना के तहत 8.5% की दर से ब्याज मिलता है और आयकर की धारा 80सी के तहत डिडक्शन में छूट भी मिलती है.
नोट: बैंक और पोस्ट ऑफिस की विभिन्न योजनाओं में बताई गई ब्याज की दर पिछले 1 साल के अनुमान के आधार पर बताई गई है.
लड़कियों के लिए विशेष ‘सुकन्या समृद्धि योजना’
वर्ष 2014-15 में ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ अभियान के अंतर्गत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लड़कियों के सुनहरे भविष्य के लिए एक बेहतरीन बचत योजना शुरू की है. इस योजना के तहत पैरेंट्स बेटी के जन्म से लेकर 10 साल तक की उम्र होने तक उसका अकाउंट खोल सकते हैं. तब तक पैरेंट्स उसके नॉमिनी रहेंगे. इस योजना की शुरुआत में न्यूनतम राशि 1 हज़ार रुपए जमा करानी होती है और अधिक से अधिक डेढ़ लाख रुपए तक जमा करा सकते हैं. यदि किसी साल किसी कारण से यह रक़म जमा नहीं कराई है, तो अगले साल 50 रुपए की पेनाल्टी के साथ 1 हज़ार रुपए जमा करा सकते हैं. पैरेंट्स अपने बजट के अनुसार हर महीने 100, 500, या 2,000 रुपए से लेकर डेढ़ लाख तक जमा कर सकते हैं. इस योजना की ख़ास बात यह है कि इसमें ब्याज स्थायी नहीं है, हर साल नई ब्याज दर की घोषणा की जाएगी.
बच्चों के सुरक्षित भविष्य के लिए कहां करें निवेश?
बच्चे की उम्र (साल) निवेश की समय-सीमा कहां करें निवेश?
0-2 15 से अधिक साल तक के लिए 1. डाइवर्सिफाइड इक्विटी फंड्स
2. कम क़ीमतवाले यूलिप्स प्लान
3. शेयर्स
3-6 12-15 साल 1. डाइवर्सिफाइड इक्विटी फंड्स
2. कम क़ीमतवाले यूलिप्स प्लान्स
3. शेयर्स
7-10 8-11 साल 1. इक्विटी फंड्स
2. इक्विटी-ओरिएंटेड बैलेंस्ड फंड्स
3. डेबट्स-ओरिएंटेड बैलेंस्ड फंड्स
11-14 4-7 साल 1. डेबट्स-ओरिएंटेड बैलेंस्ड फंड्स
2. डेबट्स फंड्स
3. रिकरिंग डिपॉज़िट्स
15 से अधिक 3 साल से कम 1. रिकरिंग डिपॉज़िट्स
2. डेबट्स फंड्स
3. मंथली इन्कम प्लान्स फंड्स
– पूनम नागेन्द्र शर्मा