एक वक्त था जब भाई-बहन का रिश्ता लिहाज़, संकोच और शर्म और हल्के से डर के दायरे में रहा करता…
आजकल हर रिश्ते में एक शब्द ज़रूरत ज़्यादा ही ऐड हो गया है और वो है स्पेस. पैरेंट्स कुछ पूछें…
शादी के कुछ समय बाद ही हम अपने रिश्ते को लेकर काफ़ी ढीला रवैया अपनाने लगते हैं, जिससे धीर-धीरे रिश्ता…
हर रिश्ते की अपनी खूबसूरती होती है और उसी के साथ-साथ हर रिश्ते की अपनी मर्यादा भी होती है. कहते हैं रिश्ता तभीज़्यादा टिकाऊ होता है जब आप उसमें कुछ छूट यानी स्पेस या आज़ादी देते हैं और वहीं ये भी सच है कि कुछ ज़्यादा हीकैज़ुअल अप्रोच आपके रिश्ते के लिए घातक भी साबित हो सकती है. पति-पत्नी का रिश्ता भी ऐसा ही प्यारा सा रिश्ता है, जिसमें विश्वास, दोस्ती और मर्यादा का समन्वय ज़रूरी होता है. ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या अपने रिश्ते को बेहतर बनाने के लिए इसमें दोस्ती का पुट ज़्यादा होना चाहिए या फिर शिष्टाचार का पालन ज़्यादा करना चाहिए? पति-पत्नी के बीच दोस्ताना व्यवहार अच्छा तो है लेकिन सात फेरों के बंधन में बंधने के बाद वो रिश्ता थोड़ा बदलजाता है. इस रिश्ते को सम्मान और लिहाज़ से सींचना पड़ता है.इसमें विश्वास की नींव डालनी पड़ती है. इसमें प्यार और दोस्ती भी निभानी पड़ती है. ऐसे में आप या हम कोई एक दायरा नहीं बना सकते कि क्या कम हो और क्या ज़्यादा, क्योंकि हर कपल अलग होता है. उसकी सोच और अपने रिश्ते से उम्मीद भी अलग ही होती है. हां इतना ज़रूर हम तय कर सकते हैं कि इस रिश्ते में दोस्ती कब और कैसे निभाई जाए और शिष्टाचार का पालन कब और कितना किया जाए.ज़ाहिर से बात है कि अगर आप दोनों दोस्त नहीं बनेंगे तो आपका रिश्ता महज़ औपचारिक बनकर रह जाएगा, जिसमें एक झिझक और संकोच हमेशा बना रहेगा. ऐसे में न खुलकर दिल की बात शेयर कर सकेंगे, न एक साथ मिलकर हंस सकेंगे और न दोस्तों की तरह शिकायतेंकर सकेंगे, इसलिए दोस्ती पहला स्टेप है पति-पत्नी के रिश्ते की बुनयाद को मज़बूती देने की तरफ़. एक दोस्त की तरह उनका दुःख बांटें, उनका विश्वास जीतें. पता है लोग अपने प्रेमी-प्रेमिका या पति-पत्नी से जोबातें शेयर करने से झिझकते हैं वो बातें वो खुलकर अपने दोस्तों के साथ शेयर करते हैं, इसकी वजह जानते हैं? क्योंकि लगभग सभी का ये मानना है कि दोस्त हमें जज नहीं करते, वो हमें और हमारी कमज़ोरियों को बेहतर तरीक़ेसे समझते हैं. यही वजह है कि आपको सबसे पहले अपने पार्टनर को हर बात पर जज करना, परखना बंद करना होगा और उसकीजगह उनको समझना शुरू करना होगा, ताकि आप ही एक-दूसरे के सबसे अच्छे दोस्त बन जाएं.अगर पति को कोई कलीग खूबसूरत और स्टाइलिश लगती है तो वो खुलकर कह सके बिना इस डर के कि आप इसआधार पर उनके चरित्र को जज न करें बल्कि ये सोचें कि ये तो इंसानी फ़ितरत है, आपके पार्टनर आपसे शेयर तोकर रहे हैं.इसी तरह अगर पत्नी भी अपने किसी मेल दोस्त या कलीग की सराहना करती है तो पति को उसे स्पोर्टिंगली लेना चाहिए. आपका रिश्ता ऐसा होना चाहिए जिसमें छोटी-छोटी बातों से आपको परखे जाने का डर न हो. इन बातों से आपके रिश्ते पर असर न हो. इस तरह से दोस्ती का एक रिश्ता आपको क़ायम करना चाहिए. वहीं दूसरी ओर ये भी न हो कि रिश्ते में आप दोनों इतने बेपरवाह हो जाएं कि बस सिर्फ़ दोस्त ही बनकर रह जाएं. शिष्टाचार का मतलब ये न निकालें कि रिश्ते को औपचारिक बना लें. लेकिन हां, एक-दूसरे का सम्मान करें. दूसरों के सामने एक-दूसरे को बेवजह टोकें नहीं. सॉरी, थैंक्यू और प्लीज़ जैसे मैजिक वर्ड्स का इस्तेमाल न स़िर्फ शिष्टता दर्शाता है, बल्कि रिश्ते को मज़बूत भी बनाता है.इसलिए आपसी बातचीत में शब्दों का चयन भी बहुत मायने रखता है.ध्यान रहे आप एक-दूसरे के पार्टनर हैं न कि गार्जियन, इसलिए स्कूलिंग न करें एक-दूसरे की.एक-दूसरे की सलाह लें, हर छोटे-बड़े मसले पर. शेयर करें, केयर करें. पार्टनर की राय का सम्मान करें. एक-दूसरे से परिवार वालों को भी रेस्पेक्ट दें. दूसरों के सामने बहुत ज़्यादा सवाल-जवाब न करें, अगर कहीं कोई संदेह है तो अकेले में बात करें. एक-दूसरे के काम में हाथ बंटाना भी शिष्टाचार है और शादी में ये बहुत ज़रूरी है.अपनों से बात करते वक़्त हम अक्सर अपने शब्दों के चयन पर ध्यान नहीं देते. हम यह सोचते हैं कि अपनों के साथ क्या औपचारिकता करना और इसी सोच के चलते हम अक्सर शिष्टता भूल जाते हैं. चाहे अपने हों या अन्य लोग, तमीज़ से, प्यार से बात करेंगे, तो सभी को अच्छा ही लगेगा. अपनों के साथ तो और भीसतर्क रहना चाहिए, क्योंकि हमारे द्वारा कहा गया कोई भी कटु शब्द उन्हें ज़्यादा हर्ट कर सकता है, जिससे मन-मुटाव हो सकता है. गलती होने पर माफ़ी मांगने से पीछे न हटें. अपने ईगो को एक तरफ़ रखकर यही सोचें कि गलती किसी से भी होसकती है, अगर आपसे भी हुई है तो पार्टनर से माफ़ी मांगें. इसके अलावा खाने-पीने से संबंधित शिष्टाचार भी ज़रूरी है. बहुत ज़्यादा आवाज़ करके या जल्दी-जल्दी न खाएं. पर्सनल हाईजीन यानी खुद को साफ़-स्वच्छ रखना भी शिष्टता में आता है. अपने पार्टनर और रिश्ते के प्रति इतनेबेपरवाह न हो जाएं कि अपनी ओर ध्यान ही न दें. पार्टनर भले ही कहें नहीं लेकिन उनको भी ये पसंद नहीं आएगा, इसलिए पर्सनल हाईजीन से लेकर ओरल हाईजीन का भी ख़याल रखें. कुल मिलाकर दोस्ती और शिष्टाचार के बीच एक सामंजस्य, समन्वय और संतुलन ही रिश्ते की सफलता की चाभी है. हनी शर्मा
शादी का दिन ज़िंदगी का सबसे ख़ास दिन होता है और इस ख़ास दिन के लिए तैयारियां भी ख़ास की जाती हैं, लेकिन ओवर एक्साइटमेंट में ज़्यादातर लोग कुछ न कुछ ऐसा कर देते हैं जिसके बारे में उन्हें बाद में महसूस होता है कि काश ऐसान किया होता, क्योंकि शादी के दिन आपकी एक छोटी-सी गलती भी आपके भविष्य के लिए भारी पड़ सकती है या फिर आपके शादी के मज़े को किरकिरा कर सकती है… तो क्या है वो बातें, जिनका ख़्याल आपको रखना चाहिए और कौन-सी हैं वो ग़लतियां जिन्हें करने से बचना चाहिए, आइए जानें… सबसे पहले तो ओवर थिंकिंग से बचें यानी बहुत ज़्यादा न सोचें कि आज शादी है, आज के बाद ज़िंदगी बदलजाएगी, ज़िम्मेदारी बढ़ जाएगी, न जानें नए लोग कैसे होंगे… ये सब न सोचें वर्ना तनाव बढ़ सकता है, जिसका असरआपके चेहरे और सेहत दोनों पर नज़र आएगा.ओवर एक्साइटमेंट से भी बचें. अति उत्साह हमें थका देता है, जिससे आपकी एनर्जी ड्रेन हो जाएगी और शादी केवक़्त आप थके-थके लगेंगे. बहुत ज़्यादा एक्स्पेरिमेंट न करें. शादी के दिन न दुल्हन को और न ही दूल्हे को किसी तरह का कोई एक्सपेरिमेंटकरना चाहिए. कपड़ों का ट्रायल पहले ही कर लेना चाहिए, शादी वाले दिन के लिए उसे न छोड़ें.शादी वाले दिन शॉपिंग करने या बहुत ज़्यादा घर का काम करने से भी बचें. बेहतर होगा खुद को फ़्री और रिलैक्स्डरखें. चाहें तो म्यूज़िक सुनें.नया हेयर कट, नया हेयर स्टाइल या फिर हेयर कलर न करवाएं. आपका पूरा लुक ख़राब हो सकता है.इस दिन फेशियल न कराएं, वर्ना स्किन पर ऑइल नज़र आएगा, फेशियल शादी से तीन-चार दिन पहले कराएं.नया प्रोडक्ट ट्राई न करें वर्ना एलर्जी या कुछ और समस्या हो सकती है. शादी वाले दिन वैक्सिंग न करवाएं, कुछ दिन पहले ही ये काम करवा लें, वर्ना स्किन पर रैशेज़ या अन्य समस्या होसकती है. पिंपल की समस्या है तो उसको हटाने के चक्कर में बहुत ज़्यादा ट्रीटमेंट न करें, वर्ना वो और ज़्यादा उभर जाएगा.नींद पूरी लें. दिन में सोने से बचें लेकिन आराम ज़रूर करें. तनाव से बचें, माना शादी को लेकर एक घबराहट होती ही है लेकिन बहुत ज़्यादा न सोचें वर्ना चेहरे पर और आंखोंके आसपास सूजन या भारीपन दिखाई देगा. हेवी खाना खाने से बचें, बदहज़मी या पेट ख़राब हो सकता है. घरेलू फेस पैक या कोई नुस्ख़ा न आज़माएं. बेहतर होगा आज के दिन स्किन को नेचुरल रखें, ब्रीद करने दें.दूल्हे को भी ध्यान देना होगा कि शादी वाले दिन बहुत ज़्यादा दोस्तों से ही न घिरे रहें. ख़ुशी, उत्साह या किसी के उकसाने से शराब का सेवन न करें. ये आपकी ज़िंदगी का हसीन दिन है, इसे होश मेंरहकर एंजॉय करें और हो सकता है शराब ज़्यादा हो जाए तो नशे में आपसे क्या गलती हो जाए, होनेवाली पत्नीऔर उसके घरवालों को भी ये बात पसंद न आए. बहुत ज़्यादा बात न करें यानी ओवरफ्रेंडली न हों. अगर आपकी लव मैरिज है तब भी होनेवाले पति या पत्नी केदोस्तों, रिश्तेदारों या ऑफ़िस कलीग से बहुत ज़्यादा हंस-हंसकर या बेपरवाह होकर बातें न करें, क्योंकि हो सकताहै आपका पार्टनर खुले विचारों का हो लेकिन उनके परिवार या रिश्तेदार कुछ ग़लत राय बना लें आपके बारे में. अपने होनेवाले ससुराल की बुराई न करें, न ही अपनी बड़ाई करके उनमें कमियां निकालें.गंदे जोक्स करने से बचें.फ़ैशन के चक्कर में कुछ ऐसा पहनने से बचें जो आपके लिए असुविधाजनक हो. ओवर मेकअप न करें और न करने दें. अपना लुक कुछ दिन पहले ही फ़ाइनल कर लें और उसमें लास्ट मिनट चेंजेसन करें. शादी के दिन आपको खूबसूरत लगने का हक है लेकिन उस चक्कर में खुद को बहुत ज़्यादा लीप-पोत न लें. बहुत ज़्यादा हाई हील्स न पहनें, उससे असुविधा तो होगी ही, आपके गिरने का भी डर बना रहेगा. पैसों को लेकर इस दिन कोई बात न करें. शादी के दिन पार्टनर्स एक-दूसरे को सहज महसूस कराएं, हावी होने की कोशिश न करें. अपने ससुरालवालों को लेकर मन कोई धारणा बनाकर न रखें. साफ़ मन से सबको अपनाएं. पूर्वाग्रहों से बचें, शादी के दिन किसी का व्यवहार देख कर उसके बारे में वही धारणा न बना लें. रिश्तों को वक़्त देना पड़ता है इस सोच के साथ मंडप में बैठें. शादी वाले दिन ससुराल पहुंचते ही शिकायतें न करें कि यहां ये सुविधा नहीं या इस चीज़ की कमी है. ठीक इसीतरह लड़के भी अपने ससुरालवालों को ये न जताएं कि वो उनकी बेटी के साथ शादी करके उनपर कोई एहसान कररहे हैं. बेहतर होगा विनम्रता से सारी रस्में निभाएं. शादी की रात ही सेक्स हो इस बात को दिमाग़ से निकाल दें. शादी की थकान के चलते एक-दूसरे को आराम करनेदें. बात करें और सकारात्मक रहें.एक-दूसरे के शादी के पहले के अफ़ेयर या दोस्तों को लेकर कुछ न पूछें. अगर आपकी अरेंज मैरिज है तो पार्टनर के साथ एक ही दिन में ओवर फ्रेंडली या बहुत ज़्यादा खुलने की गलती नकरें, पहले पार्टनर के स्वभाव को ठीक से जान-समझ लें. वर्ना हो सकता है वो आपके बारे में कोई ग़लत राय बनालें.अगर आपको कोई परेशानी महसूस हो रही है तो उसे ज़रूर विनम्रता से अपने पार्टनर को बताएं. इससे उन्हें लगेगाकि आप उन पर विश्वास करते हैं और उन्हें पूरी तरह से अपना मान चुके हैं.शादी वाले दिन माना हल्की बातें नहीं करनी चाहिए लेकिन उसका ये मतलब भी नहीं कि धीर-गंभीर बनें रहें, इससे येलगेगा कि आपका स्वभाव ही ऐसा है या फिर आप इस शादी से खुश नहीं.आपके चेहरे व स्वभाव में परिपक्वता दिखनी चाहिए लेकिन आप बोझिल या बुझे-बुझे न दिखें. प्यारी मुस्कान होंठों पर रहे, आंखों में ख़ुशी झलके, शांत मन-मस्तिष्क और सकारात्मक सोच के साथ अपने इसदिन का स्वागत करें. हां, अगर आपको कुछ खटक रहा है और लगे कि आपका चुप रहना सही नहीं, तो खुद को न रोकें. कुछ ग़लत हो रहा हो तो लोकलाज के चक्कर में बलि का बकरा न बनें, किसी तरह का कोई कन्फ़्यूज़न हो तो मन मेंदुविधा रखकर शादी के मंडप में न बैठें, पहले उस दुविधा को दूर करें. होनेवाले पार्टनर से बात करें या अपने घरवालोंसे. शादियों में अक्सर छोटी-बड़ी ग़लती या कमी रह ही जाती है, उन कमियों को आधार बनाकर बखेड़ा न खड़ा करें. सहयोगपूर्ण रवैया अपनाएं. इससे आगे चलकर आपका ही मान बढ़ेगा. आज मेरी शादी है तो मेरी बात तो सबको माननी ही होगी, इस एटिट्यूड के साथ न रहें… आज तो मैं मनमानी करसकता या कर सकती हूं, जो मांगू वो मिलना चाहिए या पैरेंट्स को देना ही पड़ेगा वर्ना मैं शादी ही नहीं करूंगा याकरूंगी… इस मानसिकता से जितना दूर रहेंगे उतना आपके भविष्य ke लिए सही होगा. ये सोच न सिर्फ़ आपकेघरवालों बल्कि आगे चलकर आपके पार्टनर और ससुरालवालों को भी नागवार गुज़रेगी और इसका असर आपकेरिश्ते पर पड़ेगा.शादी के बाद कुछ समझौते करने पड़ते हैं और थोड़े बदलावों से गुज़रना पड़ता है, इस सत्य को बहुत ही सहजता सेअपनाएं, इसे तनाव या हौवा बनाकर आज के दिन को भी तनावपूर्ण न बना लें. अपना दिल बड़ा रखें, सही सोच के साथ अपनी मानसिक दशा को भी सही रखें और इस दिन को अपने व अपनों के लिए यादगार बनाएं. सिल्की शर्मा यह भी पढ़ें: 65+ टिप्स: रिश्ता टूटने की नौबत आने से पहले…
कोई भी रिश्ता हो, वो कुछ न कुछ चाहता है, कुछ वादे, कुछ सपने, कुछ शर्तें, तो कुछ सामंजस्य व…
रिश्तों का दूसरा नाम सच्चाई और ईमानदारी है और ऐसे में अगर हम यह कहेंगे कि झूठ बोलने से आपके रिश्ते मज़बूत हो सकते हैं तो आपको लगेगा ग़लत सलाह से रहे हैं, लेकिन यहां हम ऐसे झूठ की बात कर रहे हैं जिनसे किसी का नुक़सान नहीं होगा बल्कि सुनने वालों को ये झूठ बेहद पसंद आएगा. अगर आपकी पत्नी आपसे पूछती है कि क्या मैं पहले से मोटी हो गई हूं तो भले ही यह सच हो कि उनका वज़न बढ़ा हो पर आप कह सकते हैं कि बिल्कुल नहीं, तुम मोटी नहीं हेल्दी हो और पहले से ज़्यादा ख़ूबसूरत लगती हो.इसी तरह अगर आपकी पत्नी पूछे कि यह रंग मुझपर कैसा लग रहा है तो अगर आप कहेंगे कि अच्छा नहीं लग रहामत पहनो तो उनको चिढ़ होगी, बेहतर होगा आप कहें यह तो खूब फब रहा है लेकिन अगर इसकी जगह ये वालापहनोगी तो और भी हसीन लगोगी.अगर पति ने कुछ बनाकर खिलाने की कोशिश की है और स्वाद उतना अच्छा नहीं बन सका तो भी आप ज़रूर कहेंकि कोशिश तो क़ाबिले तारीफ़ है, अगली बार इसमें थोड़ा सा ये मसाला भी ट्राई करना तो टेस्ट कुछ अलग होगा.अगर आपको पति का फ़ोन पर ज़ोर ज़ोर से बात करना नहीं भाता तो सीधे आवाज़ कम करने या यह कहने के कि कितना ज़ोर से बोलते हो, यह कहें- तुम्हारी धीमी आवाज़ बेहद हस्की और सेक्सी साउंड करती है, फिर देखिए अगली बार से वो खुद ही धीमा बोलेंगे.अगर आपको पति का किसी काम में हस्तक्षेप पसंद नहीं या उनके काम करने का तरीक़ा आपको पसंद नहीं तो यहना कहें कि तुम्हें नहीं आता तो मत करो, बल्कि यह कहें कि तुमने पहले ही इतनी मदद कर दी, तो अब यह काम मुझेकरने दो या कहें कि तुम वो वाला काम कर दो क्योंकि वो तुम मुझसे बेहतर करोगे और मैं यह कर लेती हूं... या आप यह भी कह सकती हैं कि तुम थक गए होगे तो तुम आराम कर लो बाक़ी मैं संभाल लेती हूं.अगर पतिदेव की तोंद निकल गई हो तो उनको ताना ना दें और ना ही उनके किसी दोस्त से उनकी तुलना करें बल्किकहें कि कुछ दिन मैं डायटिंग करने की सोच रही हूं अगर आप भी साथ देंगे तो मुझे मोटिवेशन मिलेगा, इसलिए प्लीज़ मुझे फिट होने में मेरी मदद करो और मैं फिट रहूंगी तो आपको भी तो अच्छा लगेगा ना. इसी तरह अगर पति को लगे कि पत्नी को डायटिंग की ज़रूरत है तो किसी पड़ोसन का उदाहरण देने से बेहतर है किआप कहें कि मेरे कपड़े थोड़े टाइट हो रहे हैं इसलिए सुबह जॉगिंग करने की और डायटिंग की सोच रहा है लेकिन तुम्हें मेरा साथ देना होगा. कभी कभी एक दूसरे की झूठी तारीफ़ में क़सीदे कस दिया करें इससे आप दोनों को ही अच्छा लगेगा. सिर्फ़ पार्टनर ही नहीं, बाक़ी घरवालों के साथ भी थोड़ा बहुत अच्छावाला झूठ बोलने में हर्ज़ नहीं, इससे उन्हें बेहतरफ़ील होगा जिससे वो खुश रहेंगे और रिश्ते भी मज़बूत होंगे.अगर पतिदेव बच्चों की तरफ़ ज़्यादा ध्यान नहीं देते या ज़िम्मेदारी से बचते हैं तो उनसे कहें कि बच्चे अक्सर बोलते हैंकि मुमकिन आपको तो कुछ नहीं आता, पापा ज़्यादा इंटेलीजेंट लगते हैं, इसलिए कल से हम उनसे ही पढ़ेंगे, ऐसाकहने से पतिदेव बच्चों के प्रति ज़िम्मेदारी ज़्यादा ख़ुशी से निभाएंगे और इससे बच्चों के साथ उनकी बॉन्डिंग भी स्ट्रॉंगहोगी. साथ ही आपका एक काम कम हो जाएगा.अगर आपकी पत्नी और आपकी मां की बनती नहि तो पत्नी से कहें कि मां अक्सर तुम्हारे काम और खाने की तारीफ़करती हैं, मां कहती हैं कि बेचारी दिनभर काम में लगी रहती है, थोड़ा भी आराम नहीं मिलता उसको और मैं भी कुछना कुछ बोलती ही रहती हूं लेकिन वो सब सह लेती है. इसी तरह अपनी मां को भी कहें कि आपकी बहू अक्सर कहती है कि काश मैं भी मम्मी जैसा टेस्टी खाना बना पाती, उनके हाथों में जो स्वाद है वो मेरे में नहीं, वो हर काम सलीके से करती हैं. ऐसी बातों से दोनों के मन में एक दूसरे केप्रति सकारात्मक भाव जागेगा और कड़वाहट दूर होगी.अगर पत्नी को लगता है कि पति और पत्नी के घरवालों की ज़्यादा नहीं बनती तो पत्नी जब भी मायके से आए तोकहे कि मम्मी-पापा हमेशा कहते हैं कि दामाद के रूप में उन्हें बेटा मिल गया है, कितना नेक है, बेटी को खुश रखताहै और किसी तरह की कोई तकलीफ़ नहीं देता वरना आज के ज़माने में कहां मिलते हैं ऐसे लड़के.दूसरी तरफ़ अपने मायकेवालों से कहें आप कि वो हमेशा हमारे घर के संस्कारों की तारीफ़ करते हैं कि तुम्हारे मम्मीपापा ने इतने अच्छे संस्कार दिए हैं कि तुमने मेरा पूरा घर इतने अच्छे से संभाल लिया. इन सबसे आप सभी के बीचतनाव काम और प्यार ज़्यादा बढ़ेगा.इसके अलावा एक बात का हमेशा ध्यान रखें कि शादी के शुरुआती दौर में कभी भी अपने डार्क सीक्रेट्स किसी सेभी शेयर ना करें, अपने अफ़ेयर्स या फैंटसीज़ आदि के बारे में पार्टनर को जोश जोश में बता ना दें. बाद में भी भले हीआप दोनों में अटूट विश्वास हो पर ये बातें कभी साझा ना करें. पार्टनर भले ही अलग अलग तरीक़ों से पूछने कीकोशिश भी करे तब भी यहां आपके द्वारा बोला गया झूठ आपके रिश्ते को बिगड़ने से बचा सकता है! पिंकु शर्मा
बेहतर रिश्ते हमारे जीवन को बेहतर और आसान बनाते हैं, जबकि रिश्ते अगर बेहतर ना हों तो वो परेशानी का सबब बनजाते हैं. ऐसे में ज़रूरी है कि हम अपने रिश्तों को बेहतर बनाने और उन्हें ईमानदारी से निभाने की कोशिश करें. लेकिन रिश्तेबनाना और निभाना भी एक कला है, अगर आप इसमें माहिर नहीं तो आपको खुद को बेहतर बनाना होगा और रिश्ते बनानेव निभाने की कला को सीखना होगा. क्या आप लोगों को बहुत ज़्यादा जज करते हैं? अगर हां, तो जज करना थोड़ा कम कर दीजिए, क्योंकि जज करनेवालों के लोग कम ही क़रीब आते हैं. ना वो ज़्यादा शेयरकरते हैं और ना ही अपनी रियल पर्सनैलिटी दर्शाते हैं क्योंकि उन्हें डर रहता है कि हमें हर बात पे, हर व्यवहार पे जज कियाजाएगा, हमारे बारे में एक धारण बना ली जाएगी. बेहतर होगा किसी के बारे में एक दो घटना या बातों से राय ना बना लें. लोगों को बेनीफिट ऑफ डाउट ज़रूर दें. इससेआपके रिश्ते बेहतर होंगे. क्या आप सुनते कम और बोलते ज़्यादा है? अधिकांश लोगों की आदत होती है कि वो अपनी ही बात रखते हैं और किसी की सुनते नहीं हैं. ऐसे लोगों से अपने भी कुछकहने से कतराने लगते हैं. रिश्तों को मज़बूत करने के लिए अच्छा श्रोता होना बेहद ज़रूरी है. कहीं आप दूसरों में हमेशा ग़लतियां और कमियां तो नहीं निकालते? कई लोगों की आदत होती है खुद को परफ़ेक्ट समझते हैं और समानेवाले को हमेशा सिखाते रहते हैं. ज़रा सी चूक होने परइतना सुनाते हैं कि जैसे उनसे तो कभी गलती हो ही नहीं सकती. ...तुमसे एक काम ठीक से नहीं होता, तुमको तो यहज़िम्मेदारी देनी ही नहीं चाहिए थी... कब सीखोगे... इस तरह के वाक्यों के प्रयोगों से जो लोग बचे रहते हैं वो रिश्ते बनाएरखने की कला में माहिर होते हैं. क्या अपनों के लिए कभी कुछ ख़ास करने की सोचते हैं आप? सिर्फ़ रूटीन तरीक़े से रिश्ते में बने रहना आपके रिश्ते को बोरिंग बना देगा, रिश्तों को अगर निभाना है तो रूटीन से थोड़ाऊपर उठकर सोचना और करना होगा. कभी सरप्राइज़, कभी कुछ ख़ास प्लान करने में अगर आप माहिर हैं तो रिश्ते निभानेकी कला भी आप बेहतर जानते हैं. क्या आप किसी के व्यक्तित्व को जैसा वो है वैसा ही अपनाने से कतराते तो नहीं? हर इंसान अलग होता है. अगर हम ये सोचें कि सब हमारी ही तरह हों तो यह मुमकिन नहीं. किसी में कोई कमी, कमज़ोरीतो किसी में कुछ अलग गुण भी होंगे. अगर हम किसी को उनके व्यक्तित्व के साथ ही अपनाते हैं तो रिश्ते बनाने औरनिभाने की कला में माहिर माने जाएँगे. दूसरों के बुरे वक़्त में आप साथ निभाते हैं या पीछा छुड़ा लेते हैं? रिश्तों का मतलब ही होता है साथ निभाना, लेकिन अक्सर ज़्यादातर लोग बुरा दौर आने पर साथ छोड़ देते हैं या कोईबहाना बना देते हैं और जब हमें सबसे ज़्यादा अपनों की ज़रूरत होती तब वो होते ही नहीं. अगर आप भी इन्हीं लोगों में सेहो तो आपके रिश्ते ना तो टिक पाएँगे और ना ही निभ पाएँगे. यहां तक कि जब आप मुसीबत में होगे तो खुद को अकेला हीपाओगे. बेहतर होगा कि जब अपनों को सबसे ज़्यादा ज़रूरत हो तब हम उनके साथ खड़े रहें. यही रिश्तों की असली ख़ुशी है. स्वार्थ या अपना काम निकलवाने के लिए तो रिश्ते नहीं बनाते? कई लोग आजकल यारी दोस्ती ही नहीं, प्यार और शादी भी मतलब के लिए ही करते हैं. पैसों को देखकर या आगे चलकरमुनाफ़े को देखकर रिश्ते बनाते व तोड़ते हैं. अगर आपकी यही सोच है तो आप कभी भी असली सही रिश्ते नहीं बनापाओगे. मतलब के रिश्तों की उम्र अधिक नहीं होती और ऐसे लोग रिश्ते बनाने और निभाने की कला जानते ही नहीं. रिश्तों में भावनाओं को महत्व ना देकर अन्य चीज़ों को ज़्यादा ज़रूरी मानते हैं? पैसा, ज़िम्मेदारी, गुण-अवगुण इत्यादि चीज़ों को अगर आप भावनाओं से ऊपर रखेंगे तो मात खाएँगे. किसी भी रिश्ते मेंप्यार, केयर aur शेयर की भावना सबसे ज़रूरी होती है. अगर आप में इन भावनाओं के लिए सम्मान है तो आप रिश्ते बनानेऔर निभाने की कला जानते हैं.…
व़क्त की धूल, समय की परत... हर चीज़ को धीरे-धीरे पुराना, ग़ैरज़रूरी या यूं कहें कि बासी करने लगती है.…
बॉडी पर भी दिखते हैं ब्रेकअप के साइड इफेक्ट्स (How Your Body Reacts To A Breakup?) शरीर में दर्द होने…