Relationship

पहला अफेयर: छुअन… (Pahla Affair: Chhuan)

पहली बार जब मिले थे तब राजी बीस बरस की जवान लड़की और बिंदा दुबला-पतला शर्मिला-सा किशोर. पंद्रह बरस की उम्र में भीवह बारह-तरह बरस का लगता. बिंदा राजी की मां की मुंहबोली बहन का बेटा था. दोनों एक ही शहर की रहने वाली थी. अक्सर अपनीमां के साथ बिंदा राजी के घर आता रहता था. दोनों की मांएं अपने शहर की गलियों की पुरानी बातों में खो जाती और बिंदा अपनी मांकी बातों की उंगली थाम कर थोड़ी देर तक तो अपरिचित गलियों में घूमता-फिरता रहता फिर उकता जाता. तब राजी उसके मन कीस्थिति समझ कर उसे पढ़ने को कहानियों की कोई किताब या कॉमिक्स देती और अपने पास बिठा लेती थी. बिंदा गर्दन झुकाए चुपचापकिताब में सिर घुसा कर बैठा रहता. उसे राजी के पास बैठना न जाने क्यों बहुत अच्छा लगता, क्यों लगता यह तक वह समझ नहीं पाताथा, लेकिन बस इतना ही उसे समझ आता कि राजी के आसपास रहना उसे अच्छा लगता है. एक खुशबू सी मन को मोहती रहती. वहबहुत कम बात करता. बस यदा-कदा गर्दन उठाकर पलभर कमरे में नजर फिराता हुआ राजी को भी देख लेता और फिर सिर नीचा करकेकिताब में खो जाता. फिर साल भर बाद बिंदा के पिता का तबादला दूसरे शहर हो गया और वह लखनऊ चला गया. जाने के पहले उसकी मां बिंदा को लेकरराजी की मां से मिलने आई. राजी की मां ने सामान लाने के लिए उसे पास की दुकानों तक भेजा. राजी अपनी काइनेटिक उठाकर बाजारजाने लगी तो बिंदा से बोली, "चल बिंदे तुझे भी घुमा लाऊं." और बिंदा  कुछ सकुचाता हुआ उसके पीछे बैठ गया. गाड़ी जब चली तो राजी का दुपट्टा उड़ता हुआ बिंदा के कंधे और चेहरे को छूते हुएउसके मासूम मन को भी सहला गया. राजी की यही छवि बिंदा के मन पर छप गई तस्वीर बनकर. सालों बीत गए पर बिंदे के मन पर छपीऔरत की यह तस्वीर धुंधली नहीं हो पाई बल्कि उसके रंग और गहरे ही होते गए. उस रोज बिंदा राजी के साथ बाजार से घर लौटा तोउसके हाथ राजी की दी हुई चॉकलेट, बिस्किट, टॉफीओं की सौगात से भरे हुए थे और उसका दिल राजी के दुपट्टे की छुअन की सौगातसे. फिर तेरह साल बाद जब बिंदा राजी से मिला तब वह अट्ठाइस बरस का लंबा-चौड़ा, गोरा-चिट्टा जवान था जो फौज में भर्ती हो चुका थाऔर तैतीस बरस की राजी दो बच्चों की मां थी. राजी अपनी मां के ही घर थी जब बिंदा भरी दोपहरी में उसके दरवाजे पर आ खड़ा हुआ. "हाय रब्बा बिंदा तू...?" राजी बित्ता भर के बिंदे की जगह छह फुट ऊंचे फौजी मेजर बलविंदर को देखकर देखती रह गई. "क्या कद निकाला है रे तूने, वारी जाऊं. पता नहीं होता कि तू आने वाला है तो मैं तो कभी पहचान ही नहीं पाती तुझे." बिंदा मुस्कुरा दिया. उसकी आंखों मे राजी का तेरह बरस पुराना दुपट्टा लहरा गया. बिंदे ने देखा बरामदे में राजी की वही पुरानीकाइनेटिक अब भी खड़ी थी. थोड़ी देर सबसे बातें करने के बाद बिंदा अचानक उठ खड़ा हुआ. "चलो मुझे काइनेटिक पर घुमा लाओ." "चल हट बिंदे मजाक करता है? भला अब तू क्या बच्चा रह गया है? गाड़ी उठा और खुद ही घूम आ. रास्ते तो तेरे पहचाने हुए हैं ही." राजी को हंसी आ गई "फौज में तो तू बड़ी-बड़ी गाड़ियां चलाता होगा. भला अब मैं क्या तुझे अपने पीछे बिठाऊंगी." "पर मुझे तो तुम्हारे ही पीछे बैठना है. चलो न." बलविंदर ने बहुत जिद की तो राजी गाड़ी निकाल लायी. अब उसे चार पहियों वाली गाड़ी में आगे की सीट पर बैठने की आदत हो गईथी. वह डर रही थी कि पता नहीं चला भी पाएगी की नहीं काइनेटिक, लेकिन हिम्मत करके चला ही ली. बिंदा एक बार फिर उसके पीछेबैठा था. एक अनजानी खुशबू से महकता हुआ. आज बिंदे के गालों को फिर से राजी का नारंगी दुपट्टा सहला रहा था. वही दुपट्टा जोफौज की कठिन ट्रेनिंग के बीच जब तब उसे पिछले सालों में नरमाइ से सहलाता रहा है. जो रातों को खुशबू बन ख्वाबों में महकता रहा हैऔर जिसकी खुशबू के बारे में उसके सिवा कोई नहीं जानता, खुद राजी भी नहीं. वह चाहता भी नहीं कि कोई जाने. वह तो बस इसखुशबू में अकेले ही भीगना चाहता है और कुछ नहीं. बिंदे के मुंह पर आज वही किशोरों वाली झिझकी सी मासूम खुशी है और राजी के चेहरे पर वही बीस बरस की उम्र वाली लुनाई औरचमक थी. एक आजाद खुशी. जाने बिंदे ने राजी को उसका अल्हड़ और आजाद कुंवारापन एक बार फिर कुछ पलों के लिए लौटा दियाथा या राजी ने आज बिंदे के दोनों हाथ उसके मासूम किशोरपन की प्यार भरी सौगात से भर दिए थे… नहीं जानता था मेजर बलविंदर. जानना चाहता भी नहीं था. वह तो बस कुछ पलों के लिए राजी के आसपास रहना चाहता था. उसके दुपट्टे की छुवन को महसूस करनाचाहता था जो उसके दिल को  छू जाती थी. न जाने क्यों. यह पहले प्यार का अहसास था या कुछ और, नहीं जानता था बलविंदर. जानना चाहता भी नहीं था.…

April 27, 2023

Is your Best Friend Ruining Your Life?

If your bestie makes you feel utterly drained and angry each time, there’s a possibility that she might be having…

April 19, 2023

Separation by Night

A large number of modern day couples now prefer to sleep in separate beds, while living under the same roof.…

April 19, 2023

Separated, But Not Divorced?

Dating a partner whose divorce has not yet come through? Even if you are serious, might be a good idea…

April 19, 2023

Sex & The City

Virtual addiction, long working hours, lack of physical activity and hours spent on commuting to the work place—does this all…

April 19, 2023

Broken Boyhood

We are a land that conditions our boys to embrace valour and power above all else, and shun tears and…

April 19, 2023

The Fat & The Fit

Are you the kind of couple in which one person fantasises about mountains of French fries while the other spends…

April 19, 2023

रिलेशनशिप को हैप्पी-स्ट्रॉन्ग बनाने के लिए अपनाएं ये 11 हेल्दी हैबिट्स (11 Healthy Habits To Keep Your Relationships Strong And Happy)

रिश्तों की मिठास एक तरफ जहां पति-पत्नी के व्यकितत्व को संवारती है, वहीं दूसरी तरफ जब रिश्तों में तनाव बढता…

April 4, 2023

लाइफ़स्टाइल नई, पर सोच वही… रिश्तों में आज भी लड़कियों को नहीं मिलता बराबरी का दर्जा… (Equality In Relationships: Women Still Far From Being Equal With Men)

ये माना समय बदल रहा है और लोगों की सोच भी. समाज कहने को तो पहले से कहीं ज़्यादा मॉडर्न ही गया है. लाइफ़स्टाइल बदल गई, सुविधाएं बढ़ गईं, लग्ज़री चीजों की आदतें हो गई… कुल मिलाकर काफ़ी कुछ बदल गया है, लेकिन ये बदलाव महज़ बाहरी है, दिखावाहै, छलावा है… दिखाने के लिए तो हम ज़रूर बदले हैं लेकिन भीतर से हमारी जड़ों में क़ैद कुछ रूढ़ियां आज भी सीना ताने वहीं कि वहींऔर वैसी कि वैसी खड़ी हैं… थमी हैं… पसरी हुई हैं. जी हां, यहां हम बात वही बरसों पुरानी ही कर रहे हैं, बेटियों की कर रहे हैं, बहनों की कर रहे हैं और माओं की कर रहे हैं… नानी-दादी, पड़ोसन और भाभियों की कर रहे हैं, जो आज की नई लाइफ़स्टाइल में भी उसी पुरानी सोच के दायरों में क़ैद है और उन्हें बंदी बना रखा हैखुद हमने और कहीं न कहीं स्वयं उन्होंने भी.  भले ही जीने के तौर तरीक़ों में बदलाव आया है लेकिन रिश्तों में आज भी वही परंपरा चली आ रही है जिसमें लड़कियों को बराबरी कादर्जा और सम्मान नहीं दिया जाता. क्या हैं इसकी वजहें और कैसे आएगा ये बदलाव, आइए जानें.  सबसे बड़ी वजह है हमारी परवरिश जहां आज भी घरों में खुद लड़के व लड़कियों के मन में शुरू से ये बात डाली जाती है कि वोदोनों बराबर नहीं हैं. लड़कों का और पुरुषों का दर्जा महिलाओं से ऊंचा ही होता है. उनको घर का मुखिया माना जाता है. सारे महत्वपूर्ण निर्णय वो ही लेते हैं और यहां तक कि वो घर की महिलाओं से सलाह तक लेना ज़रूरी नहीं समझते. घरेलू कामों में लड़कियों को ही निपुण बनाने पर ज़ोर रहता है, क्योंकि उनको पराए घर जाना है और वहां भी रसोई में खाना हीपकाना है, बच्चे ही पालने है तो थोड़ी पढ़ाई कम करेगी तो चलेगा, लेकिन दाल-चावल व रोटियां कच्ची नहीं होनी चाहिए.ऐसा नहीं है कि लड़कियों की एजुकेशन पर अब परिवार ध्यान नहीं देता, लेकिन साइड बाय साइड उनको एक गृहिणी बनने कीट्रेनिंग भी दी जाती है. स्कूल के बाद भाई जहां गलियों में दोस्तों संग बैट से छक्के मारकर पड़ोसियों के कांच तोड़ रहा होता है तो वहीं उसकी बहन मां केसाथ रसोई में हाथ बंटा रही होती है.ऐसा नहीं है कि घर के कामों में हाथ बंटाना ग़लत है. ये तो अच्छी बात और आदत है लेकिन ये ज़िम्मेदारी दोनों में बराबर बांटीजाए तो क्या हर्ज है? घर पर मेहमान आ जाएं तो बेटियों को उन्हें वेल्कम करने को कहा जाता है. अगर लड़के घर के काम करते हैं तो आस-पड़ोस वाले व खुद उनके दोस्त तक ताने देते हैं कि ये तो लड़कियों वाले काम करता है.मुद्दा यहां काम का नहीं, सोच का है- ‘लड़कियोंवाले काम’ ये सोच ग़लत है. लड़कियों को शुरू से ही लाज-शर्म और घर की इज़्ज़त का वास्ता देकर बहुत कुछ सिखाया जाता है पर संस्कारी बनाने के इसक्रम में लड़के हमसे छूट जाते हैं.अपने घर से शुरू हुए इसी असमानता के बोझ को बेटियां ससुराल में भी ताउम्र ढोती हैं. अगर वर्किंग है तो भी घरेलू काम, बच्चों व सास-ससुर की सेवा का ज़िम्मा अकेले उसी पर होता है. ‘अरे अब तक तुम्हारा बुख़ार नहीं उतरा, आज भी राजा बिना टिफ़िन लिए ऑफ़िस चला गया होगा. जल्दी से ठीक हो जाओ बच्चेभी कब तक कैंटीन का खाना खाएंगे… अगर बहू बीमार पड़ जाए तो सास या खुद लड़की की मां भी ऐसी ही हिदायतें देती है औरइतना ही नहीं, उस लड़की को भी अपराधबोध महसूस होता है कि वो बिस्तर पर पड़ी है और बेचारे पति और बच्चे ठीक से खानानहीं खा पा रहे. ये चिंता जायज़ है और इसमें कोई हर्ज भी नहीं, लेकिन ठीक इतनी ही फ़िक्र खुद लड़की को और बाकी रिश्तेदारों को भी उसकीसेहत को लेकर भी होनी चाहिए. घर के काम रुक रहे हैं इसलिए उसका जल्दी ठीक होना ज़रूरी है या कि स्वयं उनकी हेल्थ केलिए उसका जल्दी स्वस्थ होना अनिवार्य है? पति अगर देर से घर आता है तो उसके इंतज़ार में खुद देर तक भूखा रहना सही नहीं, ये बात बताने की बजाय लड़कियों को उल्टेये सीख दी जाती है कि सबको खिलाने के बाद ही खुद खाना पत्नी व बहू का धर्म है. व्रत-उपवास रखने से किसी की आयु नहीं घटती और बढ़ती, व्रत का संबंध महज़ शारीरिक शुद्धि व स्वास्थ्य से होता है, लेकिनहमारे यहां तो टीवी शोज़ व फ़िल्मों में इन्हीं को इतना ग्लोरीफाई करके दिखाया जाता है कि प्रिया ने पति के लिए फ़ास्ट रखा तोवो प्लेन क्रैश में बच गया… और इसी बचकानी सोच को हम भी अपने जीवन का आधार बनाकर अपनी ज़िंदगी का अभिन्न हिस्साबना लेते हैं. बहू की तबीयत ठीक नहीं तो उसे उपवास करने से रोकने की बजाय उससे उम्मीद की जाती है और उसकी सराहना भी कि देखोइसने ऐसी हालत में भी अपने पति के लिए उपवास रखा. कितना प्यार करती है ये मेरे राजा से, कितनी गुणी व संस्कारी है. एक मल्टी नेशनल कंपनी में काम करने वाली सुप्रिया कई दिनों से लो बीपी व कमज़ोरी की समस्या झेल रही थी कि इसी बीचकरवा चौथ भी आ गया. उसने अपनी सास से कहा कि वो ख़राब तबीयत के चलते करवा चौथ नहीं कर पाएगी, तो उसे जवाब मेंये कहा गया कि अगर मेरे बेटे को कुछ हुआ तो देख लेना, सारी ज़िंदगी तुझे माफ़ नहीं करूंगी. यहां बहू की जान की परवाहकिसी को नहीं कि अगर भूखे-प्यासे रहने से उसकी सेहत ज़्यादा ख़राब हो गई तो? लेकिन एक बचकानी सोच इतनी महत्वपूर्णलगी कि उसे वॉर्निंग दे दी गई. आज भी हमारे समाज में पत्नियां पति के पैर छूती हैं और उनकी आरती भी उतारती दिखती हैं. सदा सुहागन का आशीर्वाद लेकरवो खुद को धन्य समझती हैं… पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद मिलने पर वो फूले नहीं समाती हैं… ऐसा नहीं है कि पैर छूकर आशीर्वाद लेना कोई ग़लत रीत या प्रथा है, बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद बेहद ज़रूरी है और ये हमारेसंस्कार भी हैं, लेकिन पति को परमेश्वर का दर्जा देना भी तो ग़लत है, क्योंकि वो आपका हमसफ़र, लाइफ़ पार्टनर और साथी है. ज़ाहिर है हर पत्नी चाहती है कि उसके पति की आयु लंबी हो और वो स्वस्थ रहे लेकिन यही चाहत पति व अन्य रिश्तेदारों कीलड़की के लिए भी हो तो क्या ग़लत है? और होती भी होगी… लेकिन इसके लिए पति या बच्चों से अपनी पत्नी या मां के लिए दिनभर भूखे-प्यासे रहकर उपवास करने कीभी रीत नहीं… तो फिर ये बोझ लड़कियों पर क्यों?अपना प्यार साबित करने का ये तो पैमाना नहीं ही होना चाहिए.बेटियों को सिखाया जाता है कि अगर पति दो बातें कह भी दे या कभी-कभार थप्पड़ भी मार दे तो क्या हुआ, तेरा पति ही तो है, इतनी सी बात पर घर नहीं छोड़ा जाता, रिश्ते नहीं तोड़े जाते… लेकिन कोई उस लड़के को ये नहीं कहता कि रिश्ते में हाथ उठानातुम्हारा हक़ नहीं और तुमको माफ़ी मांगनी चाहिए.और अगर पत्नी वर्किंग नहीं है तो उसकी अहमियत और भी कम हो जाती, क्योंकि उसके ज़हन में यही बात होती है कि जो कमाऊसदस्य होता है वो ही सबसे महत्वपूर्ण होता है. उसकी सेवा भी होनी चाहिए और उसे मनमानी और तुम्हारा निरादर करने का हक़भी होता है.मायके में भी उसे इसी तरह की सीख मिलती है और रिश्तेदारों से भी. यही कारण है कि दहेज व दहेज के नाम पर हत्या वआत्महत्या आज भी समाज से दूर नहीं हुईं.बदलाव आ रहा है लेकिन ये काफ़ी धीमा है. इस भेदभाव को दूर करने के लिए जो सोच व परवरिश का तरीक़ा हमें अपनाना हैउसे हर घर में लागू होने में भी अभी सदियों लगेंगी, क्योंकि ये अंतर सोच और नज़रिए से ही मिटेगा और हमारा समाज व समझअब भी इतनी परिपक्व नहीं हुईं कि ये नज़रिया बदलनेवाली नज़रें इतनी जल्दी पा सकें. पत्नी व महिलाओं को अक्सर लोग अपनी प्रॉपर्टी समझ लेते हैं, उसे बहू, बहन, बेटी या मां तो समझ लेते हैं, बस उसे इंसान नहींसमझते और उसके वजूद के सम्मान को भी नहीं समझते.गीता शर्मा 

March 29, 2023

रिश्तों को लज़ीज़ बनाने के लिए ट्राई करें ये ज़ायक़ेदार रिलेशनशिप रेसिपीज़… (Add Flavour To Your Marriage And Spice Up Your Relationship)

अगर आपको लगता है कि स्वाद सिर्फ़ खाने में ही होता है तो ऐसा नहीं है. ज़ायक़ा तो हर चीज़ का होता है और रिश्ते भी इससे अछूतेनहीं. रिश्तों को भी लज़ीज़ बनाया जा सकता है और उनकी भी अलग ही तरह की रेसिपीज़ होती हैं. तो चलिए ऐसी ही ज़ायक़ेदाररिलेशनशिप रेसिपीज़ के बारे में जानें और अपने रिश्तों को स्वादिष्ट बनाएं. सबसे पहले तो रिश्तों की सामग्री पर ध्यान दें. कितनी मात्रा में क्या डालना और किससे बचना है, चाहे वो प्यार हो या तकरार, अपनापन, लगाव या तनाव.सबसे पहले अपनेपन की मिठास घोलें. रिश्ते को और रिश्तेदारों को आप जब तक अपना नहीं मानेंगे तब तक वो स्वीट नहीं बनेंगे. बेहतर होगा रिश्ते को बोझ न समझकर मन से सबको अपनाएं.प्यार की चाशनी से रिश्तों को सींचें. प्यार होगा तो हर काम आसान होगा. मीठा बोलें, आप जितना स्वीटली बात करेंगे उतना ही सामने वाले के कानों को और मन को अच्छा लगेगा. रोमांस और रोमांच का तड़का भी लगाएं. आपका रिश्ता समय के साथ बोरिंग न बन जाए इसलिए उसमें रोमांस और रोमांच कातड़का ज़रूर लगते रहें.इश्क़ का नमक भी डालना न भूलें. एकदम कॉलेज रोमांस वाले अंदाज़ में पार्टनर से फ़्लर्ट करें. खाने में तेज़ नमक भले ही नुक़सानकरे और स्वाद भी बिगाड़ दे लेकिन रिश्तों में इश्क़ का नमक जितना तेज़ होगा रिश्तों का स्वाद और सेहत उतनी ही अच्छी रहेगी.एक-दूसरे को सरप्राइज़ गिफ़्ट्स या ऑफ़िस में सरप्राइज़ विज़िट दें. कभी छुट्टी के दिन कहीं बाहर न जाकर एक-दूजे के साथ पूरा दिन साथ बिताएं. रोमांटिक म्यूज़िक सुनें. एक साथ खाना बनाएं और अपनी बेडरूम लाइफ़ को भी रिवाइव करें. अपने रिश्ते को रूटीन न बनने दें, बल्कि उसे मसालेदार बनाएं. वीकेंड पर एक-दो दिन के लिए कहीं बाहर जाकर हनीमून पीरियड की यादें ताज़ा करें. एक-दूसरे की तारीफ़ करना न भूलें. चाहे वो उनके काम की हो या उनके प्रयास की. अपने रिश्ते में करारापन ऐड करने के लिए कॉम्प्लिमेंट्स का माइक्रोवेव यूज़ करें. इसमें अपने पार्टनर की तारीफ़ों को डालें औरगर्मागरम परोसें… ‘वाह, तुम्हारी आवाज़ में आज भी वही जादू है जो सबको अपना बना ले’, ‘तुम्हारे आंखें इतनी गहरी हैं कि बसडूब जाने को दिल करता है’, ‘आप आज भी एकदम फ़िट लगते हो…’ इस तरह की मसालेदार बातें आपके रिश्ते को स्पाइसीबनाती हैं.भरोसे के बाउल में सारी सामग्री को घोलें, क्योंकि जब तक रिश्ते में भरोसा नहीं पनपेगा तब तक प्यार, इश्क़ और मिठास इतनाकाम नहीं कर पाएंगे.केयरिंग और शेयरिंग के घी में रिश्तों को पकने दें. सिर्फ़ मीठा बोलकर, इश्क़ लड़ाकर कुछ नहीं होगा जब तक कि आप शेयरऔर केयर जैसी भावनाओं में रिश्तों को नहीं भिगोएंगे. मन कि बातें, अपने सुख-दुख ज़रूर एक-दूसरे से बांटें और एक-दूसरे कीदेखभाल और परवाह करने में भी कसर न छोड़ें.ईमानदारी की डिश पर रखकर सम्मान से गार्निश करके अपने रिश्ते को परोसें. रिश्तों में चीटिंग की कोई जगह नहीं होती इसलिएईमानदार रहें और एक-दूसरे को प्यार के साथ-साथ सम्मान भी दें.  इन अनहेल्दी चीज़ों से बचाएं अपने रिश्ते को… ईगो और ईर्ष्या की तेज़ आंच से बचें. ये रिश्तों को जलाकर ख़ाक कर देती है. झगड़े व तानों की मिर्च से अपने रिश्ते में कड़वापन कभी न घोलें. एक्स्ट्रा मैरिटल अफ़ेयर के जंक फ़ूड से रिश्ते की सेहत ख़राब होगी, इसलिए बाहरी स्वाद के इस आकर्षण से बचें. तनाव के ऑइल में न डूबने दें खुद को भी और अपने रिश्ते को भी, क्योंकि तनावपूर्ण रिश्ता आपके मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्यके लिए ठीक नहीं.ऐसा नहीं है कि लड़ाई झगड़े हों ही नहीं, क्योंकि ये संभव नहीं. जहां प्यार है, वहां तकरार भी होगी लेकिन ये तकरार एकदमसलाद या साइड डिश जैसी होनी चाहिए. ग़ुस्से में कभी मुंह से ऐसा कुछ न कह दें कि बाद में आपको भी पछताना पड़े. संयम की स्वीटडिश हमेशा मौजूद रहनी चाहिए.हल्की नोक-झोंक तो ठीक है लेकिन लड़ाई-झगड़ा इतना ज़्यादा न हो कि आपके प्यार की आइसक्रीम ही पिघल जाए.स्वार्थ और ब्लैकमेलिंग का फैट न चढ़ने दें अपने रिलेशनशिप पर. अक्सर हम अपनी सुविधा के लिए रिश्तों में भी स्वार्थी बन जातेहैं और अपने अनुसार चीजें करवाने के लिए पार्टनर को इमोशनली ब्लैकमेल करने लग जाते हैं. जिससे पार्टनर का आप पर सेभरोसा उठने लगता है और आपका सम्मान भी कम होने लगता है. बेहतर होगा अपने स्वार्थ के फैट की परत इतनी न चढ़ा लें कि डायटिंग की नौबत आ जाए और फिर डायटिंग से भी वो उतर नपाए.हर चीज़ को सिर्फ़ अपने नज़रिए से ही न देखें, बाकी लोगों का नज़रिया भी देखें, वरना रिश्ता या तो बर्फ़ जैसा ठंडा पड़ जाएगाया फिर जले खाने की तरह ही जल जाएगा. पैसों की रोटियों पर अपने रिश्ते की रेसिपी न बनाएं. प्यार और रिश्तों के बीच जब पैसा आ जाता है तो बहुत कुछ ख़राब हो जाताहै. बेहतर होगा संयमित और संतुलित मात्रा में सारे मसाले डालें. पैसों और ज़िम्मेदारियों को लेकर भी शुरुआत से ही साफ़-साफ़सब कुछ तय कर लें ताकि आपका रिश्ता हमेशा फ़्रेश और क्रिस्पी बना रहे. गीता शर्मा 

March 12, 2023

सात फेरों, सात वचनों के साथ करें ये सात वादे भी (With Seven Feras, Seven Vows Don’t Forget To Make These New Age Promises Too For Happy Married Life)

बदलते वक्त के साथ रिश्तों की ज़रूरतें, गहराई, नैतिक मूल्य और नज़रिए में भी बदलाव आ रहा है. एक वक्त…

February 1, 2023
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