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remembering
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- लौह पुरुष (iron man) के तौर पर जाने जानेवाले सरदार वल्लभ भाई पटेल (sardar patel) को उनकी पुण्य तिथि पर हम याद व नमन करते हैं.
- सरदार पटेल का जन्म ३१ अक्टूबर १८७५ को हुआ था और १५ दिसम्बर १९५० को वो हमें अलविदा कह गए थे.
- स्वतंत्रता संग्राम में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी और भारत की आज़ादी के बाद वो देश के प्रथम गृह मंत्री व उप प्रधानमंत्री बने थे.
- बारदौली कस्बे में ज़ोरदार व सशक्त सत्याग्रह करने के बाद उन्हें सरदार कहा जाने लगा और इस तरह वो सरदार पटेल बनें.
- आज़ादी के बाद विभिन्न रियासतों में बनते भारत को एक सूत्र में पिरोने का काम भी सरदार पटेल ने बखूबी किया और उसके बाद ही उन्हें लौह पुरुष भी कहा जाने लगा.
- उनकी पुण्य तिथि पर हम उन्हें नमन करते हैं.
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर तमाम बड़े लीडर्स ने उन्हें याद किया.
Tributes to Sardar Vallabhbhai Patel on his Punya Tithi. India is grateful to him for his role in freedom struggle & decisive leadership.
— Narendra Modi (@narendramodi) December 15, 2016
We remember & pay our respectful tribute to Sardar Vallabhbhai Patel, a great leader & statesman on his Punya Tithi. #SardarPatel
— Arun Jaitley (@arunjaitley) December 15, 2016
Remembering Sardar Patel-a leader who worked tirelessly for an India united in common purpose,transcending narrow divisions of caste&creed pic.twitter.com/Zg04ZmKezG
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) December 15, 2016
– गीता शर्मा

- बोलती आंखें और नपे-तुले अंदाज़ में खिलखिलाते लब… चेहरे का एक-एक भाव मानो दिल में उतर जाए… इतनी सशक्त अदाकारा बेमिसाल स्मिता पाटिल (smita patil) को आज हम नम आंखों और मुस्कुराते होंठों से याद कर रहे हैं उनकी पुण्यतिथि पर.
- 13 दिसंबर 1986 को उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया था. आंखें नम इसलिए कि वो बेहद कम उम्र में दुनिया छोड़कर चली गईं और मुस्कुराते लब इसलिए कि वो हमें बेहतरीन यादें देकर गईं.
- 17 अक्टूबर 1955 में जन्मीं स्मिता देश की बेहतरीन एक्ट्रेसेस में से एक रही हैं और उन्होंने 80 से भी अधिक हिंदी-मराठी फिल्मों में अपने अभिनय का जौहर दिखाया है.
- अपने करियर में उन्हें 2 नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया. साथ ही उन्हें पद्म श्री से भी नवाज़ा गया.
- स्मिता ने फिल्म एंड टेलीविज़न इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया, पुणे से ग्रैजुएशन किया और अपने करियर की शुरुआत की श्याम बेनेगल जैसे दिग्गज डायरेक्टर के साथ 1975 में चरणदास चोर मूवी से.
- समानांतर सिनेमा में उन्होंने अपनी ख़ास जगह बनाई थी और मंथन, मंडी, मिर्च मसाला, भूमिका, अर्थ व आक्रोश जैसी फिल्मों से सबके बीच अपनी विशेष पहचान भी बनाई.
- इतना ही नहीं, स्मिता महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर भी लगातार अपनी आवाज़ उठाती रहीं व उनके हक़ की लड़ाई में भी काफ़ी सक्रिय भूमिका निभाती रहीं.
- राज बब्बर से शादी के बाद बच्चे के जन्म से संबंधित कुछ मेडिकल कॉम्पिलीकेशन्स के चलते मात्र 31 वर्ष की आयु में वे दुनिया से चली गईं.

मेरी सहेली की ओर से इस महान अदाकरा को नमन!
– गीता शर्मा