बारिश के दिनों में घर से जुड़ी बहुत-सी बातों पर ध्यान देना ज़रूरी हो जाता है, जैसे- लीकेज, सीलन, महंगे उपकरण, बिजली आदि. साथ ही यदि आप घर में रिपेयरिंग करवाने जा रहे हैं, तो उससे पहले कई छोटी-छोटी चीज़ों पर गौर कर लेना चाहिए. इस संबंध में हमें आर्किटेक्ट व इंटीरियर एक्सपर्ट नीरव मनीष पांचाल ने कई उपयोगी जानकारियां दीं.
2. दीवारों पर प्लास्टर करवाते समय भी दरारों पर ध्यान देना ज़रूरी है, वरना इन्हीं क्रैक्स के कारण लीकेज होती है और बरसात का पानी घर में आता है.
3. दीवारों या छत में कहीं भी दरार दिखाई दें, तो उसे सीमेंट से तुरंत भरवा दें, ताकि पानी लीक न हो सके.
4. जब भी बरसात में रिपेयरिंग करवाएं, तो सबसे पहले कहां-कहां पर सीलन है और किन वजहों से है, उसका पता भी ज़रूर लगा लें.
5. वैसे यदि घर बनवाते समय डैंप प्रूफिंग कोड (डीपीसी) सही ढंग से न करवाया जाए, तो घर में सीलन की समस्या आती है. इसके अलावा किचन या टॉयलेट की पाइप लाइन में लीकेज होने से भी सीलन की समस्या होती है.
6. साथ ही सीलन का मुख्य कारण ग्राउंड वॉटर भी होता है. यदि ग्राउंड वॉटर एक दीवार पर चढ़ता है, तो पूरी बिल्डिंग पर चढ़ जाता है. लेकिन आजकल घरों में अधिकतर पीवीसी के पाइप लगते हैं, इसलिए पाइप से सीलन का ख़तरा कम हो गया है.
7. यदि आप सीलनवाली जगह का पता करना चाहते हैं, तो वॉटर टैंक में थोड़ा-सा पानी भरकर उसमें नील मिलाकर एक-दो दिन के लिए छोड़ दें. फिर टैंक का पानी घर में आने पर लीकेजवाले स्थान पर नीलापन दिखेगा. इस तरह आपको लीकेज की सही जगह की जानकारी हो जाएगी.
8. यदि बरसात में बाहरी दीवारों के क्रैक्स से पानी आता है, तो प्लास्टर से उसे ठीक कर सकते हैं.
9. वॉटर प्रूफिंग प्रोडक्ट्स द्वारा भी घर में सीलन होने से रोका जा सकता है. इसमें तीन रेंज होते हैं-
10. रुआती मरम्मत के बाद आप वॉटरप्रूफ कोटिंग करवा सकते हैं, ताकि दरारों से लीकेज की संभावना ख़त्म हो जाए.
11. बिजली के तारों व इलेक्ट्रिकल कनेक्शनों की जांच करवा लेना भी ज़रूरी है, ताकि पता चल सके कि घर के किसी हिस्से में होनेवाली लीकेज से कहीं बिजली के तारों से होकर दीवारों या स्विच बोर्ड में करंट तो नहीं आ रहा.
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12. वायरिंग में किसी भी तरह की ख़राबी को तुरंत ठीक करवाएं, ताकि शॉर्ट सर्किट की संभावना को दूर किया जा सके.
13. सेफ्टी के लिए सही तरी़के से अर्थिंग व हर एक पावर बोर्ड के लिए अलग-अलग फ्यूज़ लगवाएं.
14. मॉनसून में घर की रिपेयरिंग करते समय ख़ासतौर पर दीवारों के प्लास्टर को जांच-परख लें. यदि कहीं पर भी दरारें दिखें, तो समय रहते दोबारा प्लास्टर कर लें.
15. प्लास्टर से पहले पुट्टी ज़रूर लगाएं. साथ ही प्लास्टर करते समय वॉटर प्रूफिंग कंपाउंड भी करवा लें.
16. पेंटिंग करवाते समय दीवारों के प्लास्टर को इस कारण भी चेक कर लेना चाहिए कि दरारें न होने पर वॉटरप्रूफ पेंट एक्स्ट्रा सेफ्टी देता है और फिर दरारों को ठीक करके ही पेंटिंग कराना बेहतर रहता है.
17. पेंट करने के लिए तीन लेयर्स चढ़ाई जाती हैं और उससे पहले पुट्टी भी लगाई जाती है, जिसे वॉल पुट्टी कहते हैं.
18. कभी-कभी पेंट व पॉलिश के कारण भी सीलन हो जाती है. ऐसा अक्सर बारिश के दिनों में होता है. दरअसल, उस समय पेंट या पॉलिश के अंदर नमी रह जाती है, जिससे बाद में सीलन नज़र आती है.
19. लेबर समय बचाने के लिए एक के ऊपर एक लेयर चढ़ाते जाते हैं. ऐसे में अगर एक लेयर के बिना सूखे उस पर दूसरी लेयर लगा दी जाए, तो क्रैक होने की संभावना रहती है. इसलिए यदि उसी समय क्रैक दिखे, तो उसे रिपेयर करवा लें.
20. यदि इस कारण घर में सीलन दिखे, तो इसके लिए इंस्टेंट वॉटरपू्रफिंग कंपाउंड आते हैं, इसे गीली दीवारों पर लगाने से भी बेहतर परिणाम देते हैं.
21. बाहरी दीवारों का प्लास्टर वॉटर प्रूफिंग कंपाउंड डालकर करवाया जाए, जो कम से कम 15 एमएम तक का होना चाहिए.
22. दरवाज़े को रिपेयर कर रहे हैं, तो ध्यान दें कि यदि वो लकड़ी का है, तो उसे निकलवाकर दोबारा फिक्स करके उसे पेंट कर लें या उस पर प्लास्टिक की पट्टी लगाएं, जिससे यदि दरवाज़े पर पानी पड़े, तो वो फूले नहीं.
23. यदि बाथरूम की कोई टाइल टूट-फूट गई हो, तो उसे भी तुरंत सील कर दें. साथ ही छत की कोई टाइल्स लूज़ या क्रैक हो गई हो, तो उसे निकालकर दोबारा लगाएं.
24. यदि आप घर में प्लास्टर करवाने के बाद पेंटिंग करवाना चाह रहे हैं, तो इसे शुरू करने से पहले पेंटर से नमी स्तर की जांच ज़रूर करवा लें. वो इसे मॉइश्चर मीटर की मदद से करेगा.
– योजना महीप गुप्ता
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