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जर्म्स से जुड़े मिथक और सच्चाइयां (What Are The Common Myths About Germs And The Truth)

हम सभी जानते हैं कि संक्रमण से बचने का सबसे बेहतरीन उपाय है अपने हाथों को अच्छी तरह से धोते रहना. लेकिन जर्म्स (Germs) यानी रोगाणु को लेकर बहुतों के मन में कई तरह की भ्रांतियां रहती हैं. इन्हीं बातों पर एक नज़र डालते हैं.

जर्म्स दरअसल, सूक्ष्म जीव होते हैं, जो यदि हमारे शरीर में प्रवेश कर जाएं, तो संक्रमण व बीमारियों को जन्म दे सकते हैं. जर्म्स सामान्यतया संक्रमित लोगों को छूने, इंफेक्टेड एरिया के संपर्क में आने से अधिक फैलते हैं. छींक, खांसी, हवा में मौजूद धूल-मिट्टी से अधिक जर्म्स फैलते हैं, जैसे- सर्दी-ज़ुकाम, फ्लू आदि. आइए, इससे जुड़े मिथक व सच्चाई के बारे में जानते हैं.

मिथक: पब्लिक टॉयलेट सीट से आप जल्दी बीमारी की चपेट में आते हैं.

सच्चाई: यह सही है कि पब्लिक टॉयलेट हाइजीन के दृष्टिकोण से उतना सुरक्षित नहीं माना जाता है. लेकिन इससे आप बीमार पड़ जाएंगे, इसकी संभावना बहुत कम होती है. टॉयलेट सीट की बजाय टॉयलेट के दरवाज़े का हैंडल अधिक संक्रमित होता है.

मिथक: किचन की सफ़ाई के लिए स्पंज अच्छा है.

सच्चाई: यह सही है कि स्पंज से किचन की सफ़ाई आसानी से हो जाती है, लेकिन यह भी उतना ही सच है कि स्पंज में भी अनगिनत बैक्टीरिया होते हैं. वे प्लेटफॉर्म पर जमा गंदगी को केवल साफ़ कर सकते हैं, पर उसे पूरी तरह से कीटाणुमुक्त नहीं कर सकते. फिर भी यदि स्पंज इस्तेमाल ही करना है, तो इसे रोज़ अच्छी तरह से क्लीन करना बहुत ज़रूरी है. वैसे पेपर टॉवेल इस्तेमाल करना बेहतर विकल्प है.

मिथक: बैक्टीरिया से बचने के लिए जर्म्स फ्री सोप फ़ायदेमंद रहता है.

सच्चाई: यह सच है कि साफ़-सुथरे हाथ से आप ख़ुद को रोगमुक्त रख सकते हैं, पर इसके लिए जर्म्स फ्री साबुन का इस्तेमाल करना अधिक लाभदायक रहता है, ये सच नहीं है. नियमित रूप से इस्तेमाल किए जानेवाले सोप से भी आप हाथों को अच्छी तरह से क्लीन कर सकते हैं.

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मिथक: सार्वजनिक सतहों को छूने से बचना चाहिए.

सच्चाईः बिल्कुल, ऐसा करना सेहत के लिए लाभदायक रहता है, क्योंकि हरेक व्यक्ति बार-बार हाथ धोने जैसे नियमों का पालन कम ही करता है. पब्लिक प्लेस के दरवाज़ों के हैंडल, कार, टेबल आदि पर जर्म्स के अधिक रहने की संभावना भी रहती है. इससे बचने के लिए टिश्यू पेपर, ग्लव्स आदि का उपयोग कर सकते हैं या फिर उन्हें अच्छी तरह से पोंछकर इस्तेमाल कर सकते हैं.

मिथक: ऑर्गेनिक फ्रूट्स को धोने की ज़रूरत नहीं होती.

सच्चाई: ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. इन पर भी जर्म्स हो सकते हैं. माना कि ऑर्गेनिक फल सेहत के लिए फ़ायदेमंद रहते हैं, लेकिन बाज़ार से घर तक आने की प्रक्रिया में वे कई स्तरों से गुज़रते हैं, जिससे उनके संक्रमित होने व जर्म्स फैलने की गुंजाइश अधिक रहती है.

मिथक: सभी जर्म्स नुक़सानदायक होते हैं.

सच्चाई: सभी जर्म्स हानिकारक नहीं होते. यूनिवर्सिटी ऑफ सेंट जॉर्ज (लंदन) के

डॉ. टिम प्लांच सभी जर्म्स को ख़राब नहीं मानते. उनके अनुसार, हमारी बॉडी में अनगिनत बैक्टीरिया मौजूद हैं, इसके बावजूद हम हेल्दी हैं. माना कि जर्म्स बीमारी का कारण बनते हैं, पर सभी बैक्टीरिया नुक़सानदायक नहीं होते. विश्‍वभर में हज़ारों तरह के बैक्टीरिया हैं, जिनमें से बहुत से इंसान के लिए हानिरहित हैं.

मिथक: यदि आपको बुख़ार है, तो एंटीबायोटिक मेडिसिन का कोर्स ज़रूर करना है.

सच्चाई: इस बात में कोई सच्चाई नहीं है, क्योंकि एंटीबायोटिक्स केवल बैक्टीरियल इंफेक्शन का इलाज करते हैं. आमतौर पर सभी बुख़ार बैक्टीरिया की वजह से नहीं होते. उनका आम सर्दी, फ्लू या वायरल इंफेक्शन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेता.

मिथक: वैक्सीन (टीके) सुरक्षित नहीं होते. इनसे ख़तरा रहता है.

सच्चाई: सभी टीकों को पूरी तरह से जांच-परखकर इस्तेमाल में लाया जाता है, इसलिए यह सेफ होते हैं. वैसे भी गंभीर संक्रमित बीमारियों से बचने का बेहतरीन व सेफ तरीक़ा है वैक्सीन.

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मिथक: एंटीबायोटिक्स से होनेवाले किसी भी तरह के साइड इफेक्ट का मतलब है कि आपको एलर्जी है और इसे फिर कभी नहीं ले सकते.

सच्चाई: ऐसा नहीं है. एंटीबायोटिक दवाओं के बहुत सारे साइड इफेक्ट्स हैं, पर इसका मतलब यह बिल्कुल भी नहीं है कि एलर्जी हो.

मिथक: गर्म पानी जर्म्स को अच्छी तरह से साफ़ कर देता है.

सच्चाई: शोधों से यह पता चला है कि ठंडा पानी भी गर्म पानी की तरह ही जर्म्स को दूर कर देता है. साथ ही साबुन का इस्तेमाल भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह पानी की अपेक्षा अधिक बैक्टीरिया को दूर करता है.

उपयोगी टिप्स

* हाथ को नियमित रूप से कम-से-कम 20 सेकंड्स तक पानी से अच्छी तरह से धोएं.

* इसके अलावा साबुन या फिर लिक्विड सोप से हाथों को साफ़ करें.

* हर रोज़ छुई जानेवाली सतहें, जैसे- नल, दरवाज़े के हत्थे, टीवी के रिमोट, फोन आदि को साफ़ करके उपयोग करें.

* सफ़ाई के लिए इस्तेमाल होनेवाले नैपकीन, कपड़े, स्पंज आदि को भी नियमित रूप से अच्छी तरह से गर्म पानी से साफ़ करते रहें.

रिसर्च

एक रिसर्च के दौरान इकट्ठा किए गए किचन

नैपकीन्स में से 49% नैपकीन्स में बैक्टीरिया अधिक पाए गए. दरअसल, किचन नैपकीन या तौलिया बर्तन पोंछने से लेकर हाथ पोंछने तक कई तरह के कामों में उपयोग में लाया जाता है. इसके द्वारा कई तरह के जर्म्स या बैक्टीरिया से इंफेक्शन फैलने की संभावनाएं अधिक होती हैं. कई तरह के जर्म्स से दूषित नैपकीन उनके फैलने का कारण बन जाते हैं. फिर वो नुक़सानदायक जर्म्स भोजन तक फैल जाता है. इसलिए किचन में इस्तेमाल किए जानेवाले नैपकीन को नियमित रूप से धोना व साफ़ किया जाना बेहद ज़रूरी है. ध्यान रहे, इसे दोबारा उपयोग में लाए जाने से पहले इसे अच्छी तरह से पूरी तरह सुखाना भी बेहद ज़रूरी है.

इंस्टिट्यूट ऑफ लेज़र एंड एस्थेटिक मेडिसिन के संस्थापक डॉ. अजय राणा के अनुसार, “जर्म्स हर जगह होते हैं और वे डरावने भी हो सकते हैं, ख़ासकर जब आप उन्हें एक माइक्रोस्कोप के ज़रिए देखते हैं. लेकिन ये छोटे बैक्टीरिया, जो आम सर्दी-ज़ुकाम से लेकर जीवन के लिए ख़तरनाक संक्रमण तक सब कुछ पैदा कर सकते हैं, को अक्सर ग़लत समझा जाता है. हमारे मुंह, त्वचा और यहां तक कि हमारी इंटेस्टाइन में मौजूद बैक्टीरिया के रूप में जर्म्स का हमारे साथ गहरा संबंध है. हमारे शरीर में ऐसे बहुत सारे जर्म्स भी होते हैं, जो हमारी अच्छी सेहत के लिए ज़रूरी हैं. ये गुड बैक्टीरिया ख़तरनाक बीमारियों से भी हमारी रक्षा करते हैं, हमारे इम्यून सिस्टम को बेहतर बनाते हैं, ताकि वे उनसे लड़ सकें. जब सहायक बैक्टीरिया हमारे शरीर में बढ़ते हैं, तो वे हमारे रक्षक के रूप में काम करते हैं, लेकिन अक्सर हम इंफेक्शन का इलाज करने के लिए एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल करके गुड बैक्टीरिया को मार डालते हैं. जब कि ये गुड बैक्टीरियाज़ कई बीमारियों से लड़ने में हमारी मदद करते हैं. इसलिए कह सकते हैं कि जर्म्स से हर कोई डरता है, पर यह भी उतना ही सच है कि कई जर्म्स हमारे सेहत के साथी भी होते हैं.”

– ऊषा गुप्ता

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Usha Gupta

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