प्रेग्नेंसी की आख़िरी तिमाही में बहुत-सी महिलाओं को हाई बीपी की समस्या हो जाती है, जिसे प्रेग्नेंसी के कारण होनेवाला हाइपरटेंशन कहते हैं. ज़्यादातर यह पहली बार मां बनी महिलाओं को होता है, जो डिलीवरी के बाद या डिलीवरी के 6-12 हफ़्तों बाद सामान्य हो जाता है. आपने यह नहीं बताया है कि डिलीवरी को कितना समय हो गया है. हाई बीपी के कारणों का पता लगाने के लिए आपको अपनी जांच करानी होगी, तभी पता चल पाएगा कि इस उम्र में आपको यह समस्या क्यों हुई. अपनी लाइफस्टाइल में थोड़ा बदलाव करें. एक्सरसाइज़ और मेडिटेशन
को अपने रूटीन में शामिल करें और संतुलित भोजन लें.
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इस अवस्था में भू्रण यूटेरस के अंदर रहने की बजाय बाहर आमतौर पर ट्यूब्स में रह जाता है, जिससे भू्रण 5-6 हफ़्तों से ज़्यादा सुरक्षित नहीं रहता. आमतौर पर महिलाओं को पेट में मरोड़, वेजाइनल ब्लीडिंग, कंधों आदि में दर्द होता है. एक्टॉपिक प्रेग्नेंसी सर्विक्स, ओवरीज़ या एब्डोमेन में भी हो सकती है. अगर उनका दूसरा ट्यूब ठीक है, तो भविष्य में वह प्रेग्नेंट हो सकती हैं.
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