3-4% महिलाएं ऐसी होती हैं, जिनकी प्रेग्नेंसी यूटेरस की बजाय ट्यूब में होती है, इसे ‘एक्टॉपिक प्रेग्नेंसी’ कहा जाता है. यह स्थिति ठीक नहीं है, क्योंकि ट्यूब बहुत नाज़ुक व पतली होती है. यदि इसका तुरंत इलाज नहीं किया गया तो ट्यूब फट सकती है और मरीज़ को पेट में हैवी ब्लीडिंग हो सकती है. समय पर इलाज न किया जाए तो मरीज़ की जान को ख़तरा भी हो सकता है. इसलिए समय पर ही इस समस्या का पता चलना बेहद ज़रूरी है. इसके लिए लेप्रोस्कोपी (की होल सर्जरी) द्वारा ट्यूब को हटाया जाता है. ऐसे मामले में नॉर्मल प्रेग्नेंसी जारी रखना बहुत मुश्किल है.
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आपकी सहेली और उनके पति दोनों को ही काउंसलर से मिलना चाहिए और काउंसलर की राय लेने के बाद ही कोई निर्णय लेना चाहिए. यदि वह सेफ़ प्रेग्नेंसी चाहती हैं तो प्रेग्नेंसी के दौरान कुछ मेडिसिन भी ले सकती हैं, ताकि बच्चे को इं़फेक्शन होने की संभावना को कम किया जा सके. अगर वह बच्चे को स्तनपान न कराएं तो इससे बच्चे को वायरस फैलने के चांसेस भी कम होंगे. जो भी हो, निर्णय उन्हें लेना है और सोच-समझकर कर ही निर्णय लें तो बेहतर है.
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डॉ. राजश्री कुमार
स्त्रीरोग व कैंसर विशेषज्ञ
rajshree.gynoncology@gmail.com
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