जयललिता (jayalalitha) आयंगर थीं, इसके बावजूद उनका अंतिम संस्कार आयंगर प्रथा के अनुसार नहीं हुआ. उनका दाह संस्कार न करके उन्हें मरीना बीच पर दफनाया गया. उनके अंतिम संस्कार से जुड़े वरिष्ठ अधिकारी ने जानकारी दी कि दिवंगत मुख्यमंत्री हमारे लिए आयंगर नहीं थीं. वो किसी भी जाति व धर्म से परे थीं. इससे पहले भी पेरियार, अन्ना दुरई व एमजीआर जैसे नेताओं को भी दफनाया ही गया था. इन्हें चंदन व गुलाबजल के साथ दफनाते हैं और दफनाए जाने से इनके समर्थकों को एक स्मारक के तौर पर इन्हें याद रखने में सहायता मिलती है.
इसके अलावा कुछ अन्य वजहें भी बताई जा रही हैं, जिसमें सबसे प्रमुख यह है कि जयललिता का कोई भी क़रीबी रिश्तेदार नहीं था सिवाय उनकी भतीजी दीपा के. ऐसे में उन्हें दफनाए जाने पर किसी को भी आपत्ति नहीं थी. हिंदू समाज में यह भी मान्यता है कि संत, पवित्रजन व 3 साल से कम उम्र के बच्चों का दाह संस्कार न करके उन्हें दफनाया जाता है. उनके चाहनेवाले उन्हें संत व पवित्रता के प्रतीक के रूप में भी देखते थे. यह भी एक वजह मानी जा रही है कि जयललिता को दफनाया गया.
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