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जानिए कितना सुरक्षित है माइक्रोवेव में खाना पकाना? ( Why Microwave Oven Cooking Is Harming Your Health)

इसमें कोई शक़ नहीं है कि माइक्रोवेव (Microwave Oven Cooking) ने हमारी ज़िंदगी को आसान बना दिया है, लेकिन हम सबका पसंदीदा व सुविधाजनक माइक्रोवेव सेहत की दृष्टि से कितना सुरक्षित है? आइए, जानते हैं.

एक दौर ऐसा भी था जब लोग चूल्हे पर बने पौष्टिक भोजन का परिवार से साथ आनंद लिया करते थे, लेकिन आजकल के आधुनिक युग में समय बचाने के चक्कर में चूल्हे की जगह गैस और माइक्रोवेव ओवन जैसे आधुनिक कुकिंग उपकरणों ने ले ली है. लेकिन क्या आपको पता है कि माइक्रोवेव अवन में खाना पकाना आपकी सेहत पर बहुत बुरा प्रभाव डालता है. इसके रोज़ाना इस्तेमाल से आपको सेहत संबंधी कई दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.

गर्भवती महिलाओं के लिए घातक

माइक्रोवेव ओवन का इस्तेमाल गर्भवती महिलाओं के लिए काफी नुक़सानदेह है. एक रिसर्च के अनुसार, माइक्रोवेव से ख़तरनाक इलेक्ट्रो मैगनेट रेडिएशन निकलता है, जिससे गर्भ में पहल रहे शिशु के ब्रेन, हार्ट और लिंब्स को नुक़सान पहुंच सकता है या फिर मिस कैरेज हो सकता है.

पौष्टिकता हो जाती है नष्ट

माइक्रोवेव ओवन में खाना पकाने या गर्म करने से उसकी पौष्टिकता नष्ट हो जाती है. माइक्रोवेव में पकाए गए भोजन की पौष्टिकता क़रीब 60 से 90 फ़ीसदी तक कम हो जाती है और भोजन का संरचनात्मक विघटन तेज़ हो जाता है, जिससे भोजन शरीर को फ़ायदा पहुंचाने की जगह नुक़सान पहुंचाने लगता है.

रोग प्रतिरोधक क्षमता पर असर

रोज़ाना माइक्रोवेव ओवन में पका हुआ भोजन खाने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है. लंबे समय तक माइक्रोवेव में पका हुआ खाना खाने से बैक्टीरिया और विषाणुओं से होनेवाले रोगों से लड़ने की शारीरिक शक्ति भी कम हो जाती है.

कैंसर का ख़तरा

माइक्रोवेव ओवन से निकलनेवाली किरणें दूध और दालों में कैंसरकारक एजेंट्स की रचना करती हैं. इसमें बना हुआ भोजन खाने से खून में कैंसर कोशिकाओं की संख्या बढ़ जाती है. ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि माइक्रोवेव में पकाए गए भोजन में हुए रासायनिक परिवर्तनों से मानव शरीर के लिंफेटिक सिस्टम का कार्य कमज़ोर पड़ जाता है.

पाचन संबंधी समस्या
माइक्रोवेव ओवन से निकलनेवाली किरणों से भले ही चुटकियों में गरमा-गरम भोजन तैयार हो जाता है, लेकिन इसकी किरणें खाद्य पदार्थों में कुछ ऐसे परिवर्तन कर देती हैं, जिससे व्यक्ति को पाचन संबंधी समस्या हो सकती है.

झुर्रियां और असमय बुढ़ापा
माइक्रोवेव में बहुत ही कम समय में कच्चे खाद्य पदार्थ पककर तैयार हो जाते हैं. जिससे खाद्य पदार्थों के पौष्टिक तत्व नष्ट हो जाते हैं. इन खाद्य पदार्थों का सेवन करने से झुर्रियां पड़ने लगती हैं और समय से पहले बुढ़ापा आने लगता है. इसमें बनाए गए भोजन को खाने से त्वचा का कैंसर होने का डर भी रहता है.

मस्तिष्क के लिए नुक़सानदेह

जो लोग लगातार माइक्रोवेव में बना खाना खाते हैं, उनके मस्तिष्क पर इसका दुष्प्रभाव पड़ सकता है. ऐसा भोजन मस्तिष्क के उत्तकों में दीर्घावधि और स्थायी नुक़सान पहुंचाता है.

हार्मोन्स के निर्माण पर असर
माइक्रोवेव में बना हुआ खाना खाने से हार्मोन्स की निर्माण प्रक्रिया पर असर पड़ता है. इस तरह का भोजन स्त्री और पुरुष दोनों के हार्मोन्स निर्माण को प्रभावित करता है.

एकाग्रता की कमी

अगर माइक्रोवेव में बने भोजन को हर रोज़ ग्रहण करने से व्यक्ति की स्मरणशक्ति, बौद्धिक क्षमता और एकाग्रता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. ऐसे में एकाग्रता की कमी और भावनात्मक अस्थिरता में वृद्धि हो जाती है.

बचाव के 5 आसान टिप्स

1- सबसे पहली और महत्वपूर्ण बात यह है कि अगर ज़रूरत न हो तो माइक्रोवेव का इस्तेमाल न करें. इसका जितना कम इस्तेमाल करेंगे उतना ही बेहतर होगा.

2- पूरा खाना पकाने के बजाय खाने को सिर्फ़ गर्म करने के लिए माइक्रोवेव का इस्तेमाल करें.

3- खाना गर्म करते समय इसे बार-बार खोलने से बचें, वरना इसकी हानिकारक किरणें आपके शरीर को प्रभावित कर सकती हैं.

4- इसका इस्तेमाल करते व़क्त कुछ दूरी बनाकर रखें, क्योंकि इसकी वेव्स क़रीब 12 सेंटीमीटर तक पहुंचती हैं

5- अगर आपका ओवन पुराना हो गया है तो फिर रेडिएशन मीटर से इसकी नियमित जांच कराना न भूलें.

ये भी पढ़ेंःफुल क्रीम मिल्क या टोन्ड मिल्क, क्या है ज़्यादा सेहतमंद

Shilpi Sharma

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