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राजीव कपूर की क्यों रही जिंदगीभर...
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राजीव कपूर की क्यों रही जिंदगीभर अपने पिता राज कपूर से अनबन, जानिए क्या थी वजह?(Why Rajeev Kapoor was against his father throughout his life?)

राज कपूर के सबसे छोटे बेटे और रणधीर-ऋषि कपूर के छोटे भाई राजीव कपूर का कल मुंबई में 58 साल की उम्र में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था और देर शाम कपूर फैमिली ने बड़े भारी मन से कपूर खानदान के इस बेटे को अश्रुपूरित विदाई दी. राजीव कपूर की अंत्येष्टि में फ़िल्म इंडस्ट्री के भी कई दिग्गज मौजूद थे.
राजीव कपूर के निधन के बाद उनकी निजी जिंदगी से जुड़े कई किस्से चर्चा में हैं. ऐसा ही एक किस्सा जो काफी सुर्खियों में है, वो है उनके पिता राज कपूर के साथ उनके रिश्ते को लेकर, जो कभी अच्छा रहा है नहीं.
राजीव का जन्म 25 अगस्त 1962 को हुआ था. वो राज कपूर और कृष्णा कपूर के सबसे छोटे बेटे थे, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि राजीव कपूर की अपने पिता राज कपूर से कभी नहीं बनी और दोनों में हमेशा अनबन ही रही. ऐसा क्या हो गया था दोनों के बीच कि राजीव ने पिता राज कपूर से कभी बात नहीं की, इतना ही नहीं राजीव कपूर की नाराजगी ऐसी थी कि वह पिता राज कपूर के अंतिम संस्कार में भी शामिल नहीं हुए थे. आखिर क्यों था ऐसा, आइये जानते हैं पूरा मामला.
पिता के साथ बिगड़ गए थे रिश्ते
दरअसल राज कपूर और राजीव कपूर के बीच अनबन की शुरुआत हुई थी एक फिल्म से. पिता राज कपूर ने ही राजीव को बॉलीवुड में लॉन्च किया था, लेकिन बाद में कुछ ऐसा हुआ कि पिता के साथ उनके रिश्ते बिगड़ गए. राजीव कपूर अपने असफल करियर के लिए पूरी उम्र पिता राज कपूर को कोसते रहे.
इस वजह से पिता से खराब हो गए थे रिश्ते
बहुत कम लोग ये जानते हैं कि राज कपूर ने बेटे राजीव को लांच करने के लिए साल 1983 में फिल्म ‘एक जान हैं हम’ बनाई थी. फिल्म में राजीव लीड हीरो थे, लेकिन यह फिल्म फ्लॉप हो गई. इसके बाद राज कपूर ने बेटे राजीव को लेकर फ़िल्म ‘राम तेरी गंगा मैली’ बनाई, जो सुपरहिट साबित हुई. कहा जाता है कि इस फिल्म की वजह से ही राज कपूर से उनके रिश्ते खराब हो गए थे.
फ्लॉप करियर के लिए राज कपूर को जिम्मेदार मानते थे
दरअसल ये फ़िल्म सुपरहिट तो हुई, लेकिन इस फ़िल्म की सक्सेस का पूरा क्रेडिट मंदाकिनी को मिला और राजीव कपूर को कोई फायदा नहीं हुआ. इस फ़िल्म में मंदाकिनी फीमेल लीड रोल में थीं और उनका कैरेक्टर इतना स्ट्रॉन्ग था कि फिल्म में राजीव कपूर पर लोगों का ध्यान गया ही नहीं. फ़िल्म की सक्सेस का सारा क्रेडिट मंदाकिनी के झरने वाले सीन को मिला और राजीव का रोल फ़िल्म में कमजोर पड़ गया. ‘राम तेरी गंगा मैली’ से मंदाकिनी तो रातोंरात स्टार बन गईं, लेकिन राजीव कपूर वहीं के वहीं रह गए. यही कपूर खानदान में कलह का कारण भी बन गया.
राजीव कपूर को स्पॉटबॉय तक का काम करना पड़ा था
राजीव कपूर फिल्म में उनका किरदार कमजोर किए जाने के लिए अपने पिता राज कपूर को ही जिम्मेदार मानते रहे, जिसके चलते वो उनसे नाराज रहने लगे थे. बताया जाता है कि राजीव चाहते थे कि पिता राज कपूर उनके लिए एक और फिल्म बनाएं, जिसमें उनका किरदार दमदार हो और उनका करियर आगे बढ़ सके. राज कपूर ने उनसे वादा भी किया था कि वो राजीव कपूर को लेकर एक लीड रोल वाली फिल्म भी बनाएंगे, लेकिन ना तो उन्होंने कोई फिल्म बनाई और न ही राजीव के लीड रोल का सपना पूरा हो सका. उल्टे राज कपूर ने राजीव को अपनी टीम के असिस्टेंट काम दे दिया था. इससे राजीव कपूर को स्पॉटबॉय तक के काम करने पड़ते थे.
अपने पिता को ही अपनी सफलता का जिम्मेदार मानते थे राजीव
पिता राज कपूर के इस व्यवहार से राजीव को बहुत बुरा लगा था. उन्हें हमेशा इस बात का मलाल रहा कि राज कपूर का बेटा और रणधीर कपूर और ऋषि कपूर का भाई होने के बावजूद उन्हें वो मौके नहीं मिले जिसके वो हकदार थे. हालांकि ‘राम तेरी गंगा मैली’ के बाद राजीव कपूर ने हम तो चले परदेस, अंगारे, लवर ब्वॉय जैसी बॉलीवुड की 14 फिल्मों में काम किया, लेकिन उन्हें सक्सेस मिली ही नहीं. उनकी कोई भी फिल्म बॉक्स ऑफिस पर नहीं चली. धीरे धीरे राजीव अपने पिता को ही अपनी सफलता का जिम्मेदार मानने लगे.
अनबन के कारण उनके अंतिम संस्कार में भी नहीं गए थे
कहते हैं राजीव की ये नाराज़गी फिर उम्र भर बनी रही. पिता से उनकी अनबन कभी खत्म ही नहीं हुई. कहते हैं राजीव कपूर, अपने पिता से इतने नाराज थे कि उनके निधन के बाद अंतिम संस्कार तक में नहीं गए. यही नहीं, कपूर परिवार से अलग थलग वो तीन दिनों तक शराब के नशे में चूर रहे. और शराब के नशे में ही उन्होंने पिता को अंतिम विदाई दी, लेकिन मरने के बाद भी उनका चेहरा नहीं देखा.