प्रांजल को लगा पंछी की तरह इस ढलती शाम को वह भी कुछ पलों के लिए ही सही, अपने नीड़…
आज आंचल एकदम से खाली हो गया है. लग रहा था कि मायका कहीं छूट गया है. गलियां सूनी हो…
कितना अजीब एहसास हुआ था उस दिन, जिस घर में जन्म लिया, पली-बढ़ी, जीवन के इतने सारे दौर से गुज़री,…