“तुम मेरे कल के स्वांग को सच समझ बैठी क्या?” “स्वांग! मतलब... पर किसलिए?” दमयंतीजी हैरान थीं, सूर्यकांतजी गंभीर मुद्रा…
‘हां-हूं’ में जवाब देते सूर्यकांतजी सहसा बोले, “कहो तो, इस बार जतिन के घर हो आएं, ज़्यादा नहीं तो छह-सात…
“अरे! आप तो बस... जतिन भइया और सुरेखा भाभी का व्यवहार मुझे अच्छा नहीं लग रहा है. दो दिन से…