“शिकायत तो इसी बात को लेकर है कि तुम साथ चलने की बजाय अलग-अलग रास्तों पर चलने में विश्वास करते…
लेकिन आज अमोल के मन में शंभवी के लिए पलभर की कमज़ोरी पैदा हो गई थी. कल को यदि अमर…
उसे चाहिए एक ऐसा साथी, जो उसे पल्लू में बांधकर न चले, बल्कि साथ चले. स्वयं भी स्वतंत्र रहे और…
लेकिन शंभवी अब भी अमोल की तरफ़ न देखकर सामनेवाले बरगद के पेड़ को ही देखे जा रही थी. वह…