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फिल्म एनिमल में रणबीर कपूर के साथ इंटीमेट सीन्स करने पर ट्रोल हुईं भाभी 2 उर्फ तृप्ति डिमरी ने तोड़ी चुप्पी (Triptii Dimri BREAKS Silence on Being Trolled for Sex Scenes With Ranbir in Animal)

ब्लाकबस्टर फिल्म एनिमल से भाभी 2 उर्फ तृप्ति डिमरी की लोकप्रियता में जबर्दस्त इज़ाफा हुआ है. फिल्म में रणबीर कपूर…

March 1, 2024

पहला अफेयर: दिल ए नादान (Pahla Affair… Love Story: Dil E Nadaan)

“नमन, बेटा ज़रा सुनो, तुम और रोली कब शादी करने वाले हो?” “ममा रोली से तो मेरा कब का बेक्रअप हो गया और अगले हफ्ते तो उसकी शादी है…” बेपरवाह स्वर में बोलकर नमन वहां से चला गया. मैं उसे देख कर हैरत में पड़ गई. आज के बच्चे इतने बिंदास… इन्हें मोहब्बत खेल लगती है. प्यार को यूं भुला देना जैसे किक्रेट के मैदान मेंछक्का लगाते वक्त बॉल गुम हो गई हो… मैं गुमसुम-सी खड़ी अपने अतीत में झांकने लगी. पापा का लखनऊ से दिल्ली ट्रांसफर हो गया था. मैंने वहां पर नए स्कूल में दाखिला लिया. चूंकि मैंने बीच सेशन में एडमिशन लिया था, इसलिए मेरे लिए पूरी क्लास अपरिचित थी. शिफ्टिंग के कारण मैं काफी दिन स्कूल नहीं जा पाई, इसलिए मेरा काफी सिलेबस मिस भीहो गया था. मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था. मेरी क्लास टीचर ने उसी क्लास में पढ़ने वाले अनमोल से मेरा परिचय करवाया औरउसको हिदायत दी- “अनमोल तुम निधि की पढ़ाई में मदद करना.” अनमोल ने मुझे अपने नोट्स दिए, जिससे मुझे स्टडी में काफी मददमिली. यह एक संयोग ही था कि मैं और अनमोल एक ही कॉलोनी में रहते थे, फिर क्या था हम स्कूल भी साथ आने-जाने लगे. एक-दूसरे के घरजाकर पढ़ाई भी करते और पढ़ाई के साथ अन्य विषयों पर भी चर्चा करते थे. कभी-कभी साथ मूवी देखने जाते, तो कभी छत पर यूं हीटहलते. धीरे-धीरे हमारे मम्मी-पापा भी जान गए कि हम अच्छे दोस्त हैं. हम दोनों ने स्कूल में टॉप किया‌. इसके बाद हम कॉलेज में आ गए. अनमोल इंजीनियरिंग करने रुड़की चला गया और मैं दिल्ली में पासकोर्स करने लगी. कॉलेज पूरा होते-होते पापा ने मेरी शादी के लिए लड़का ढूंढना शुरू कर दिया. छुट्टियों में अनमोल के घर आने पर उसेअपनी शादी की चर्चा के बारे में बताया. वह एकाएक गंभीर हो गया. मेरा हाथ पकड़कर बोला, “निधि मैं तुमसे बेहद प्यार करता हूं. आजसे नहीं, जब से पहली बार देखा था, तब से ही. मैंने रात-दिन तुम्हारे ख्वाब देखे हैं. प्लीज़ मेरी नौकरी लगने तक इंतज़ार कर लो. मेरेअलावा किसी से शादी की सोचना मत.” मुझे भी अनमोल पसंद था. मैंने उसे हां कह दिया. दो महीने के बाद पापा ने ऋषभ को पसंद कर लिया. उनके मान-सम्मान के आगे मै अपनी पसंद नहीं बता पाई. एक बार मां से ज़िक्रकिया था, “मां मैं अनमोल को पंसद करती हूं और उससे ही शादी…” बात पूरी होती उससे पहले ही मां ने एक चांटा मेरी गाल पर रसीदकर दिया. “बड़ों के सामने यूं मुंह खोलते हुए शर्म नहीं आती? चुपचाप पापा के बताए हुए रिश्ते के बंधन में बंध जाओ वरना अच्छा नहींहोगा.” मां की धमकी के आगे मै मजबूर थी. मैं चुपचाप शादी करने के लिए तैयार हो गई. उस वक्त मोबाइल नहीं होते थे. मैं अनमोल को अपनीशादी के बारे में नहीं बता पाई. शादी के बाद मै आगरा आ गई. करीब दो साल बाद मेरी मुलाकात अनमोल से हुई. हम दोनों के बीच सुनने-सुनाने को कुछ शेष नहीं था. अनमोल ने ही अपनी बात कही, “ज़रूर तुम्हारी कोई मजबूरी रही होगी, वरना कोई यूं बेवफा नहीं होता. तुम्हारी शादी हो गई तो इसका मतलब यह नहीं है कि मैं तुमसेमोहब्बत करना छोड़ दूं. तुम अपनी शादी निभाओ और मुझे अपने इश्क से वफ़ा करने‌ दो…” हम दोनों के गले रूंध गए और आंखें बह गईं. तब से लेकर आज तक अनमोल ने मेरी हर तकलीफ, हर दुख और हर खुशी में बखूबी साथ दिया. मैं अनमोल जैसा सच्चा दोस्त पाकरनिहाल हो गई. ऋषभ और अनमोल की बनती भी खूब है. उसने शादी नहीं की. एक बार मेरे ज़ोर देने पर कहा- “मेरे मन में बसी मूरत केजैसी कोई मिली तो इन यादों को एक पल में ही अलविदा कह दूंगा…”  वह अक्सर कहता है… “तुझे पा लेते तो यह किस्सा ही खत्म हो जाता  तुझे खोकर बैठे हैं यकीनन कहानी लंबी होगी.” शोभा रानी गोयल

February 19, 2024

HBD Siddharth Malhotra: केक कटिंग से लेकर पैशनेट किस तक- कियारा आडवाणी ने शेयर किए हसबैंड सिद्धार्थ मल्होत्रा के बर्थडे सेलेब्रेशन के ख़ास पलों को (Kiara Advani Shares Moments From Sidharth Malhotra’s Birthday Celebration)

आज बॉलीवुड एक्टर सिद्धार्थ मल्होत्रा का 39वां बर्थडे है. हसबैंड सिद्धार्थ के बर्थडे के अवसर पर उनकी वाइफ कियारा आडवाणी…

January 16, 2024

फॅमिली प्लॅनिंगबद्दल अखेर दीपिका पादुकोणने सोडलं मौन (Deepika Padukone Opens Up About Wanting To Become A Mother Starting Own Family With Ranveer Singh)

दीपिका पादुकोण आणि रणवीर सिंग हे बी-टाऊनमधील लोकप्रिय कपल आहे. दोघांची जोडी नेहमी चर्चेत असते. अभिनेत्री दीपिका पादुकोण आणि रणवीर…

January 4, 2024

पहला अफेयर: मोगरा महक गया… (Love Story… Pahla Affair: Mogra Mahek Gaya)

बात है तो पुरानी लेकिन पहले प्यार की महक मन में हमेशा बसी रहती है. गर्मियों की छुट्टियों में अपनी एक नज़दीकी रिश्तेदारी की शादीमें शरीक होने गया था. पहली शाम घर के आंगन में बैठ सभी लोग गपशप कर रहे थे कि तभी एक ख़ुशबू फैली… देखा एक ट्रे में पानी के ग्लास के साथ लहंगा-ओढ़नी पहने वह आई, सभी के आसपास होते हुए भी मैंने हिम्मत की और जैसे ही वो मेरे पास आई तो मैंने नज़रभर उसको निहारा… सांवला निश्छल रूप, लंबी लहराती एक चोटी और छोटी में मोगरा की वेली गुंधी हुई थी. जाने क्या हुआ पर पहली हीनज़र में मेरा मन जैसे महक उठा.  समय बीता, फिर यूं ही बातचीत में पता चला कि वो हॉस्टल में रह कर पढ़ रही है. मैं भी अपनी पढ़ाई में व्यस्त था. लेकिन रह-रहकरउसका ख़याल और मोगरे की ख़ुशबू मुझे तरोताज़ा कर जाती. ख़ैर, पढ़ाई पूरी हुई तो नौकरी लगी, पिता स्वर्गवासी हो चुके थे. बड़े भाई ने विवाह पर दबाव डाला, कुछ रिश्ते सुझाए, तो मैं चुप रहा. सबने पूछा कि क्या बात है? मैंने अपनी पसंद बताई, तो पता चला किसी स्थानीय स्कूल में अध्यापिका है. विवाह नहीं हुआ है., लेकिन मन में एक सवाल था कि क्या वो भी मेरे लिए ऐसा ही महसूस करती होगीजैसा मैं? कहीं शादी के लिए मना कर दिया तो? बड़े भैया का संपर्क काम आया और पता चला उसने शादी के लिए फ़ौरन हां कह दिया. सब जाकर मेरे जीवन में असली मोगरा महका और मेरा पहला प्यार मुकम्मल हुआ. शादी के बाद एक कमरे की गृहस्थी में मुझे डर था न जाने ये एडजस्ट कर पाएगी या नहीं. घर में प्रवेश करते ही मेरे भांजे के हाथ से तेलकी बोतल थी छूट गई और तेल फैल गया. कांच की बोतल भी टूट गई. दरवाज़े से भीतर तक तेल व कांच बिखरा पड़ा था. नई-नवेली दुल्हन, मेहंदी लगे हाथों से ही उसने जल्दी से झाडू मांगी, इस बीच जल्दी से अपने कपड़े बदले और सफ़ाई में जुट गई. सबउसकी तारीफ़ करने लगे. उसने मेरा घर ऐसे सम्भाला कि हम सोच भी नहीं सकते थे. कभी माथे पर कोई शिकन नहीं और ज़ुबान पर कोई शिकायत नहीं. उससे पूछा कि आते ही तुमको सब सम्भालना पड़ा, कितने सपनेहोंगे तुम्हारे, मैं ज़रूर पूरा करूंगा. उसने कहा कि मेरा एक ही सपना था और वो पूरा हो गया. आपका साथ ज़िंदगीभर के लिए मिला है और क्या चाहिए. उसकी बातों ने मेरे दिल में उसके लिए प्यार ही नहीं सम्मान भी बढ़ा दिया था. मैने यहां-वहां नज़र घुमाई, कहीं फूल न थे, पर जीवन मेंउस पल जो मोगरा महका, आज तक महक रहा है. किरन नाथ 

December 9, 2023

पहला अफेयर: पीला पत्ता (Pahla Affair… Love Story: Peela Patta)

राधिका ने मोबाइल चेक किया. देव का मैसेज था- आज तीन तारीख है, पेंशन लेने बैंक जा रहा हूं, समय हो तो तुम भी आ जाओ. पेंशन लेने के बाद पास ही के रेस्तरां में टमैटो सूप पीने चलेंगे. प्रेम की खुशबू से भीगे मैसेज में मुलाकात की चाह झलक रही थी. कभी-कभी कोई शख्स बिना किसी रिश्ते या नाम के जिन्दगी कोमुकम्मल बनाने की कोशिश करता है. दोस्ती में रूहानी चाहत जन्म ले लेती है. मैसेज देखकर राधिका का रोम-रोम खिल उठा. वहकिशोरी की तरह मुस्कुरा उठी. मिलने के लिए ये छोटे-छोटे पल उर्जा का काम करते थे. पिछले साल शिक्षक पद से रिटायर्ड हुई थी. रिटायर होने के बाद खालीपन कचोटने लगा. शाम काटने के उद्देश्य से कॉलोनी मे बने पार्कमें टहलने चली जाती थी. वहीं पर पहली बार देव को देखा था. ट्रैक सूट और सिर पर कैप में आकर्षक लग रहे थे. जाने क्यों मन खिंचनेलगा था. मैं अक्सर चोरी-छिपे उन्हें देख लेती थी. देव का व्यक्तित्व ही ऐसा था कि नजर नहीं हटती थी. हालांकि दोस्ती और प्रेम की उम्रनहीं थी, फिर भी दिल तो बच्चा है और जिद्दी भी, मानता कैसे? उस दिन जाने क्या हुआ, देव उसी बेंच पर आ बैठे जिस पर अक्सर मैं बैठा करती थी. बेंच के आसपास अशोक के सूखे पत्ते बिखरे हुएथे, उन्हीं में से एक उठाकर मेरी ओर बढ़ाकर कहा, ‘आज मेरा जन्मदिन है, चाहो तो इसे देकर मुझे विश कर सकती हो.’ मैं देव के इस तरह के आग्रह पर अचकचा गई. ‘नजरें चुरा सकती हो, विश नहीं कर सकती?’ देव ने मेरी आंखों में झांका. उस दिन हम दोनों में दोस्ती हो गई. हम दोनों ढेर सारी बातें करने लगे. एक-दूसरे के सुख-दुख बांटने लगे. अकेलापन दूर होने लगा. हमदोनों के बच्चे विदेश रहते हैं. जीवनसाथी पहले ही साथ छोड़ गए. ऐसे में देव का मिलना मेरे सूने जीवन की नेमत था. बातचीत के सिरेपकड़ते-पकड़ते दोनों एक-दूसरे का दिल बांट चुके थे. मन का रीता कोना अब भीगने लगा था. एक दिन मैंने कहा- ‘देव, उम्र का आखिरी पड़ाव है, न जाने कब ज़िन्दगी की शाख कट जाए. मैं संशय में हूं कि इस उम्र में प्रेम करनाग़लत हो सकता है.’ ‘नहीं, प्रेम किसी भी उम्र में ग़लत नहीं होता. प्रेम तो खुद खुबसूरत शै है जिसमें हर व्यक्ति निखर जाता है. प्रेम को गलत-सही कीपरिभाषा से दूर रखना चाहिए. गलत है तो अपनी भावनाओं को रोकना और उन्हें शक की नजरों से देखना. मेरी एक बात मानोगी, जानेकब सांसें साथ छोड़ दें, क्यों न कुछ दिन इस तरह जी लें जैसे टीनएज में जीते थे. जीवन के उपापोह में जो न कर सके, अब कर लें…’ और उस दिन से सच में हम किशोर उम्र में उतर गए. चुपके-चुपके मैसेज करना, छिप-छिपकर मिलना, एक-दूसरे की पंसद का ख्याल रखना… छोटी-छोटी शरारतें कर एक-दूसरे कामनोरंजन करना… वो सब करते जो एक उम्र में करने से चूक गए थे. दोनों मंद-मंद मुस्कुराते. मैं देव की पंसद की कोई डिश बना लेती तो, वहीं देव कोई प्रेम गीत गुनगुना देते. नीरस जीवन में बहार आ गई थी. एक दिन देव साथ छोड़ गए और मैं अकेली रह गई. मैं उदास-सी खिड़की पर खड़ी होकर देव के साथ बिताए पलों को याद करती. देवमेरे जीवन के तुम वो झरोखा थे जो मेरे जीवन को महका गए. तुम मेरे स्वरों में अंकित हो, आज तुम्हारा जन्मदिन है. अशोक का यहपीला पत्ता उस दिन की याद दिला रहा है, जिस दिन हम दोनों के दिलों में चाहत का बीज पनपा था. जिस प्रेम को इस पत्ते ने संजोयाथा, वह आज भी लहलहा रहा है. मैं इस पौधे के साथ जल्द ही तुम्हारे पास आने वाली हूं… मेरे अंतस की पुकार में, तेरा अस्तित्व महफूज़ है… फिज़ा आज भी बहती है, बस मोगरे ने खुशबू बदल ली है… शोभा रानी गोयल

October 19, 2023

पहला अफ़ेयर… लव स्टोरी: उपहार (Pahla Affair… Love Story: Uphaar)

हम तेरे शहर में आए हैं मुसाफिर की तरह.. यूट्यूब पर चलती ग़ज़ल और उसके शहर से गुज़रता हुआ मैं… दिल में यादों का सैलाब औरआंखों में नमी अनायास उतर आती है. ऐसा नहीं था कि उसके शहर से मेरा कोई राब्ता था या कोई जान-पहचान थी. मानचित्र में दर्ज वहशहर मेरे लिए नितांत अजनबी था. यह इत्तेफाक ही था कि उससे मुलाकात उसके शहर में उसके घर पर हुई. बात नब्बे के दशक की है. मैं आईएएस में सलेक्शन होने के बाद ट्रेनिंग के लिए हैदराबाद जा रहा था. मैं इतना बेफिक्र और लापरवाह थायह भी नहीं जानता था कि इस हफ्ते मेरी ज़िंदगी एक नया मोड़ लेने जा रही है. नई दुनिया के सतरंगी सपनों की नींद तब टूटी जब ट्रेन नेतेज़ी से हिचकोले खाकर अपनी रफ्तार रोक दी. गहन बीहड जंगल, जहां इंसान दूर-दूर तक नहीं थे, में ट्रेन का रुक जाना दहशत पैदाकर रहा था. भय के इस माहौल में पता चला कि ट्रेन के कुछ पहिये पटरी से उतर गए. कब तक ट्रेन दुरूस्त होगी इसकी जानकारी किसीके पास नहीं थी. एक या दो दिन लग सकते हैं. वक्त काटने के लिए मैं यूं ही टहलता हुआ दूर निकल आया. ढाणियों से आच्छादित यह गांव अपने रंग में रंगा हुआ था. शहर कीआबोहवा से दूर एक ढाणी में ढोल नगाड़े बज रहे थे. मै कौतूहलवश देखने लगा तभी पीछे से पीठ पर थपथपाहट हुई. मुड़कर देखा तो देखता ही रह गया. गुलाबी लहंगा-चुनर ओढ़े, गुलाबी आंखों में गुलाबी चमक लिए और गौर वर्ण हथेलियों में गुलाबीचूड़ियां खनक रही थी. सादगी में सौन्दर्य निखर रहा था. कौन हो बाबू? क्या चाहिए? ऐसे एकटक क्या देख रहे हो… मखमली आवाजेड में वह ढेरों सवाल पूछ रही थी और मैं बेसुध खड़ा सुना रहा था. गांव की लड़कियां शहरी लड़कों के हृदय में प्रेम काअंकुरण करती हैं वैसे ही कुछ मैंने महसूस किया. उसने मुझे झंझोड़ते हुए फिर से अपना सवाल दोहराया, मैं वर्तमान में लौटा. ट्रेन हादसे के बारे में उसे बताया. उसने अपने पिता को मेरीस्थिति समझाई. सरल हृदय के धनी उन लोगों ने मुझे अपने यहां रुकने  का आग्रह किया- ‘जब तक ट्रेन ठीक नहीं हो जाती बाबू तबतक आप यहां आराम से रह सकते हैं. घर में शादी है आप शरीक हों, हमें अच्छा लगेगा.’ न जाने क्यों मैंने उनका आमंत्रण स्वीकार करलिया. शादी की रस्मों में गुलाबी लड़की थिरकती उन्मुक्त-सी उछलती-कूदती कुछ न कुछ गुनगुनाती रहती. मेरा दिल उसे देखकर धड़क जाता. यह लड़की कुछ अलग थी. कुछ बात थी जिसके कारण मेरा दिल मेरा नहीं था. रात के समय जब मै गांव के अंधेरे को निहार रहा था, तो वह मेरे पास आ बैठी. हम दोनों देर तक बातें करते रहे. मैं अपने कॉलेज केकिस्से सुनाता रहा. आगे की ट्रेनिंग के बारे में बताया और वह अपनी ज़िंदगी के अनछुए पहलुओं से अवगत करा रही थी. उसकी बातेंजादू थी, मैं डूब रहा था. अचानक उसने मेरा हाथ थाम लिया. ‘जो सितारे रात में तेज चमकते हैं वे प्रेम में चोट खाए हुए प्रेमी हैं. जाने-अनजाने में जब प्रेम किया और उसे पाने में खुद को असमर्थपाया. प्रेम कह देने में नहीं है बाबू. यह देह की भाषा से परिलक्षित हो जाता है. मैं तुम्हारे लिए नहीं बनी हूं. इसलिए अपनी आंखों में कोईख्वाब मत संजोना. कल मेरी शादी है.’ ‘तुम्हारी शादी… तुम तो दुल्हन जैसी नहीं लग रही.’ पूछ  बैठा उससे. ‘हां बाबू, मुझे नहीं पता मेरा आने वाला समय कैसा होगा, मैं हर पल को जीना चाहती थी. तुम्हारे मन को पढ़ा तो बता देना ज़रूरीसमझा.’ मै आसमां से सीधे ज़मीं पर आ गिरा. अभी तो प्रेम कहानी शुरू भी नहीं हुई थी कि खत्म होने की बात आ गई. ‘एक सवाल पूछने कीहिमाकत कर सकता हूं? क्या तुम भी मुझसे…’ मेरी बात बीच में काटती हुई बोली- ‘उन प्रश्नों का कोई अर्थ नहीं होता जिनका जवाब देने में एक उम्मीद जग जाए, मैं कोई उम्मीद नहींहूं, दरख़्त हूं, तुम्हारे लिए हरी नहीं हो सकती.’ उसकी आंखें छलछला गई. हारा हुआ दिल लेकर मैं दो क़दम पीछे हटकर मुड़ा ही था कि उसकी आवाज़ गूंजी- ‘बाबू मेरी शादी का उपहार नहीं दोगे?’ ‘क्या चाहिए इस अजनबी से, बोलो?’…

June 27, 2023

क्या शादी के बाद ज़रूरी होता है हनीमून? (Importance Of Honeymoon For Newlyweds: Is It Important To Go On A Honeymoon Just After Marriage?)

शादी को लेकर सबके अपने सपने होते हैं. शादी तय होते ही लोग सपनों की दुनिया में खो जाते हैं और उन्हें सब कुछ हसीन और रंगीनलगने लगता है. शादी के अलावा जो बात कपल को सबसे ज़्यादा उत्साहित करती है, वो है हनीमून!  शादी के बाद हनीमून पर जाना अब ट्रेंड बन चुका है. पहले इसे विदेशी कल्चर माना जाता था लेकिन अब इंडिया में भी हर वर्ग में ये एकज़रूरी रस्म बन चुका है.  इसके लिए बाक़ायदा प्लानिंग होती है और अपने बजट और शौक़ के हिसाब से लोकेशंस का चुनाव किया जाता है. तो क्या हनीमून परजाना इतना ज़रूरी हो चुका है? आख़िर क्यों ज़रूरी है शादी के बाद हनीमून पर जाना? आइए जानें…  शादी की रस्में काफ़ी थका देती हैं और शादी की पूरी प्रक्रिया में एक अलग तरह का तनाव भी होता है, जिसके चलते कपल कोहनीमून का ख़याल ही रिफ़्रेश कर देता है. शादी में रिश्तेदारों की भीड़भाड़ के बीच कपल को एक-दूसरे के लिए वक्त नहीं मिलता, ऐसे में हनीमून उनको वो पर्सनल स्पेसदेता है. हनीमून के दौरान दोनों एक-दूसरे को पूरा वक्त देते हैं और क़रीब आने का ये बेहतरीन मौक़ा होता है. नई जगह सिर्फ़ अपने पार्टनर के साथ अकेले में वक्त बिताना, घूमना-फिरना उनको रिफ़्रेश कर देता है. आजकल तो लोग विदेशों की सैर भी करते हैं और ख़ास नए शादीशुदा जोड़ों के लिए ट्रैवल एजेंसीज़ हनीमून स्पेशल पैकेज भीदेते हैं, जो बेहद ख़ास और स्पेशल होता है.एक वक्त के बाद दोनों अपनी ज़िम्मेदारियों में व्यस्त हो जाते हैं इसलिए हनीमून में मिला ब्रेक और रोमांटिक पल ताउम्र के लिएयादगार बन जाते हैं. ये कपल का पहला वेकेशन होता है इसलिए एक तरह से ये उनके लिए स्पेशल होता है.अकेले में उनको कोई डिस्टर्ब करनेवाला भी नहीं होता तो वो इन पलों को खुलकर जीने का मज़ा ले सकते हैं.मनचाहा पहनना, मनचाहा खाना, जब मन करे सोना और उठना, जब चाहो घूमना- कोई टोका-टाकी नहीं और किसी बात कीरोक-टोक नहीं, ज़ाहिर है एक नए शादीशुदा जोड़े को और क्या चाहिए.वैसे आजकल एक और ट्रेंड ज़ोर पकड़ रहा है और वो ये कि शादी के ठीक बाद हनीमून पर न जाकर कुछ दिन रुककर हनीमून परजाना. इसके पीछे यही सोच होती है कि शादी के फ़ौरन बाद दोनों के बीच एक झिझक और संकोच होता है, इसलिए पहले कुछवक्त घर पर परिवार के लोगों के साथ रहकर दोनों कम्फ़र्टेबल होना चाहते हैं ताकि हनीमून के वक्त तक उनका बॉन्ड बेहतर होजाए और वो इस पीरियड को बेहतर तरीक़े से एंजॉय कर सकें. इसके अलावा शादी के दौरान काफ़ी खर्च हो चुका होता है तो फायनेंशली भी कपल वीक हो जाते हैं, ऐसे में हनीमून का खर्चाऔर बोझ बढ़ा सकता है. इसलिए लोग सोचते हैं कि पहले पैसा इकट्ठा कर लें ताकि वो हनीमून को पूरी तरह एंजॉय कर सकें.शादी के लिए छुट्टियां भी ज़्यादा ली जाती है इसलिए हनीमून के लिए कम वक्त मिलता है, इसलिए लोग सोचते हैं कि जल्दबाज़ीमें कुछ भी करने से बेहतर है थोड़ा रुककर प्लान करें ताकि छुट्टियां भी मिल सकें और पैसों की भी कमी न रहे, जिससे वो अपनाहनीमून एकदम ख़ास बना सकें. कितना ज़रूरी है हनीमून और क्या है अन्य विकल्प? कई लोगों का ये मानना है कि हनीमून पर जाना इतना भी ज़रूरी नहीं जितना लोग सोचते हैं. लव मैरिज हो तो वैसे ही कपल पहलेही काफ़ी घूम-फिर चुका होता है और अरेंज मैरिज में दोनों के बीच संकोच की दीवार होती है, इसलिए हनीमून पर फ़ौरन जानेकी बजाय कपल कुछ दिन छुट्टी लेकर घर पर ही एक-दूसरे के साथ वक्त बिता सकता है.परिवार के बीच रहने का अलग ही मज़ा है और सबसे नज़रें बचाकर रोमांस करना काफ़ी रोमांचित कर देता है. आप दोनों इस दौरान आसपास ही घूम-फिर सकते हैं, डिनर डेट्स पर जा सकते हैं, मूवीज़ एंजॉय कर सकते हैं और इस तरहएक-दूसरे को समझ भी सकते हैं. एक-दूसरे की पसंद-नापसंद जानने का भी ये सुनहरा मौक़ा होता है क्योंकि हनीमून पर तो आप रोमांस में डूबे होते हैं और बाक़ीका समय घूमने-फिरने में चला जाता है, इसलिए इस दौरान समझने-बूझने की तरफ़ ध्यान ही नहीं जाता.लेकिन घर पर रहकरएक-दूसरे के साथ ज़्यादा से ज़्यादा वक्त बिताने का मौक़ा मिलता है जिससे आप दोनों जल्दी कम्फ़र्टेबल हो सकते हैं. बाक़ी तो ये पर्सनल चॉइस होती है, आप अपना बजट और सुविधा देख कर कभी भी हनीमून प्लान कर सकते हैं और अपनीलाइफ़ को रिफ़्रेश मोड पर ला सकते हैं.  भोलू शर्मा 

December 31, 2022

पहला अफेयर: मखमली आवाज़… (Pahla Affair… Love Story: Makhmali Awaaz)

उस दिन मैं क्लीनिक पर नहीं था. स्टाफ ने फोन पर बताया कि एक पेशेंट आपसे फोन पर बात करना चाहती है. “उन्हें कहिए मैं बुधवार को मिलता हूं.” जबकि मैं जानता था बुधवार आने में अभी 4 दिन बाकी हैं. शायद उसे तकलीफ ज़्यादा थी, इसलिए वह मुझसे बात करने की ज़िद कर बैठी. जैसे ही मैंने हेलो कहा, दूसरी तरफ़ से सुरीली आवाज़ उभरी- “सर मुझे पिछले 15 दिनों से…” वह बोल रही थी मैं सुन रहा था. एक सुर-ताल छेड़ती आवाज़ जैसे कोई सितार बज रहा हो और उसमें से कोई सुरीला स्वर निकल रहाहो. मैं उसकी आवाज़ के जादू में खो गया. जाने इस के आवाज़ में कैसी कशिश थी कि मैं डूबता चला गया. जब उसने बोलना बंद कियातब मुझे याद आया कि मैं एक डॉक्टर हूं. मैंने उसकी उम्र पूछी, जैसा कि अक्सर डॉक्टर लोग पूछते हैं…  “46 ईयर डॉक्टर.” मुझे यकीन ही नहीं हुआ यह आवाज़ 45 वर्ष से ऊपर की महिला की है. वह मखमली आवाज़ मुझे किसी 20-22 साल की युवती कीलग रही थी. इस उम्र में मिश्री जैसी आवाज़… मैं कुछ समझ नहीं पाया. फिर भी उसे उसकी बीमारी के हिसाब से कुछ चेकअप करवानेको कहा और व्हाट्सएप पर पांच दिन की दवाइयां लिख दीं. 5 दिन बाद उसे अपनी रिपोर्ट के साथ आने को कह दिया. यह पांच दिन मुझे सदियों जितने लम्बे लगे. बमुश्किल से एक एक पल गुज़ारा. सोते-जागते उसकी मखमली आवाज़ मेरे कानों में गूंजतीथी. मैं उसकी आवाज़ के सामने अपना दिल हार बैठा था. मैंने कल्पना में उसकी कई तस्वीर बना ली. उन तस्वीरों से मैं बात करने लगा. नकभी मुलाकात हुई, न कभी उसे देखा… सिर्फ एक फोन कॉल… उसकी आवाज़ के प्रति मेरी दीवानगी… मैं खुद ही कुछ समझ नहींपाया. मुझे जाने क्या हो गया… मैं न जाने किस रूहानी दुनिया में खो गया था. मुझे उससे मिलना था. उसकी मीठी धुन फिर से सुननी थी. जब उसकी तरफ से न कोई कॉल आया, न कोई मैसेज, तो खुद ही दिल केहाथों मजबूर होकर मैसेज किया- ‘अब कैसी तबीयत है आपकी?’ ‘ठीक नहीं है, आपकी दी हुई मेडिसन का कोई असर नहीं हुआ…’ उसने जवाब दिया. ‘आपने ठीक से खाई?’ ‘हां, जैसा आपने कहा था, वैसे ही.’ मैं उसकी बात सुनकर चुप हो गया. मेरी उम्मीद टूटने लगी. मुझे लगा वह अब वह नहीं आयेगी. उससे मिलने का सपना खत्म हो गया. थोड़ी देर बाद ही उसका मैसेज स्क्रीन पर चमका. ‘आज आपका अपॉइंटमेंट मिल सकता है?’ मुझे मन मांगी मुराद मिल गई. ठीक शाम 5:00 बजे वह मेरी क्लिनिक पर अपनी रिपोर्ट और मेडिसिन के साथ थी. उसकी वही मीठी आवाज़ मेरे कानों में टकराई,…

October 10, 2022

पहला अफेयर… लव स्टोरी: छोटी-सी मुलाक़ात! (Pahla Affair… Love Story: Chhoti-Si Mulaqat)

“आप मेरी सीट पर बैठे हैं मिस्टर… “  “जी शशिकांत… यही नाम है मेरा और हां, सॉरी आपकी विंडो सीट है आप यहां बैठ जाइए , मैं अपनी साइड सीट पर बैठजाता हूं!” “शुक्रिया” “वेल्कम मिस…?” “जी नेहा नाम है मेरा…” पता नहीं क्यों उस मनचले टाइप के लड़के से मैं भी फ़्रेंडली हो गई थी. मैं बस के रास्ते से मसूरी जारही थी और उसकी सीट भी मेरी बग़ल में ही थी, रास्तेभर उसकी कमेंट्री चल रही थी…  “प्रकृति भी कितनी ख़ूबसूरत होती है, सब कुछ कितना नपा-तुला होता है… और एक हम इंसान हैं जो इस नाप-तोल को, प्रकृति के संतुलन को बस बिगाड़ने में लगे रहते हैं… है ना नेहा… जी” मैं बस मुस्कुराकर उसकी बातों का जवाब दे देती… मन ही मन सोच रही थी कब ये सफ़र ख़त्म होगा और इससे पीछाछूटेगा… इतने में ही बस अचानक रुक गई, पता चला कुछ तकनीकी ख़राबी आ गई और अब ये आगे नहीं जा सकेगी… शाम ढल रही थी और मैं अकेली घबरा रही थी…  “नेहा, आप घबराओ मत, मैं हूं न आपके साथ…” शशि मेरी मनोदशा समझ रहा था लेकिन था तो वो भी अनजान ही, आख़िर इस पर कैसे इतना भरोसा कर सकती हूं… ऊपर से फ़ोन चार्ज नहीं था…  “नेहा आप मेरे फ़ोन से अपने घरवालों को कॉल कर सकती हैं, वर्ना वो भी घबरा जाएंगे…” शशि ने एक बार फिर मेरे मनको भांप लिया था…  मैंने घर पर बात की और शशि ने भी उनको तसल्ली दी, शशि फ़ौज में था… तभी शायद इतना ज़िंदादिल था. किसी तरहशशि ने पास के छोटे से लॉज में हमारे ठहरने का इंतज़ाम किया.  मैं शांति से सोई और सुबह होते ही शशि ने कार हायर करके मुझे मेरी मंज़िल तक पहुंचाया…  “शुक्रिया दोस्त, आपने मेरी बहुत मदद की, अब आप अंदर चलिए, चाय पीकर ही जाना…” मैंने आग्रह किया तो शशि नेकहा कि उनको भी अपने घर जल्द पहुंचना है क्योंकि शाम को ही उनको एक लड़की को देखने जाना है रिश्ते के लिए…  “कमाल है, आपने पहले नहीं बताया, मुबारक हो और हां जल्दी घर पहुंचिए…” मैंने ख़ुशी-ख़ुशी शशि को विदा किया.  “नेहा, बेटा जल्दी-जल्दी फ्रेश होकर अब आराम कर ले, शाम को तुझे लड़केवाले देखने आनेवाले हैं…” मम्मी की आवाज़सुनते ही मैं भी जल्दी से फ्रेश होकर आराम करने चली गई. शाम को जब उठी तो देखा घर में एक अजीब सा सन्नाटा पसरा था…  “मम्मी-पापा क्या हुआ? आप लोग ऐसे उदास क्यों बैठे हो?” “नेहा, पता नहीं बेटा वो लड़केवाले अब तक नहीं आए और उनके घर पर कोई फ़ोन भी नहीं उठा रहा…” पापा ने कहा तोमैंने उनको समझाया, “इतनी सी बात के लिए परेशान क्यों हो रहे हो, नेटवर्क प्रॉब्लम होगा और हो सकता है किसी वजहसे वो न आ पाए हों… कल या परसों का तय कर लेंगे…” ये कहकर मैं अपने रूम में आ गई तो देखा फ़ोन चार्ज हो चुकाथा. ढेर सारे मैसेज के बीच कुछ तस्वीरें भी थीं जो पापा ने मुझे भेजी थीं… ओपन किया तो मैं हैरान थी… ये तो शशि कीपिक्स हैं… तो इसका मतलब शशि ही मुझे देखने आनेवाले थे… मैं मन ही मन बड़ी खुश हुई लेकिन थोड़ी देर बाद ही येख़ुशी मातम में बदल गई जब शशि के घर से फ़ोन आया कि रास्ते में शशि की कैब पर आतंकी हमला हुआ था जिसमें वोशहीद हो गए थे…  मेरी ख़ुशियां मुझे मिलने से पहले ही बिछड़ गई थीं… मैंने शशि के घर जाने का फ़ैसला किया, पता…

May 11, 2022

पहला अफेयर: प्यार की मंज़िल (Pahla Affair… Love Story: Pyar Ki Manzil)

शाम को मैं कॉलेज से आज जल्दी ही निकल गई. आर्ट गैलरी में मेरे पसंदीदा चित्रकार आदित्य के चित्रों की एकल प्रदर्शनी लगी है, तो मैं अपने आप को रोक न सकी. कुछ सालों से मैं आदित्य जी के चित्रों को पत्र-पत्रिकाओं में देखती आ रही हूं और उनके चित्रों ने गहराई तक मेरे मन को प्रभावित किया है. कार आर्ट गैलरी की ओर जा रही थी और मन तीस वर्षपूर्व की ओर भाग रहा था. पता नहीं क्यों आज मुझे अपने पहले प्यार उदय की बहुत याद आ रही है. उन दिनों मैं अपने मामाजी के घर रहकर कॉलेज की पढ़ाई कर रही थी. बचपन में ही मैं अपने माता-पिता को खो चुकी थी. निसंतान मामा-मामी ने ही मुझे पाल-पोसकर बड़ा किया था. उदय नाम का युवक मामाजी के घर के ऊपरी हिस्से में किराए पर रहने आया था. वह कॉलेज की पढ़ाई पूरी कर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा था. हमारे बीच कोई बातचीत नहीं होती थी, बस आते-जाते नज़रें टकरा जाती थी और हल्की-सी मुस्कान दोनों के चेहरे पर दौड़ जाती थी. उसके गंभीर और शांत चेहरे पर कुछ बात ज़रूर थी, जो मुझे बरबस अपनी ओर खींच रही थी. एक बार देखने के बाद घंटों उसका चेहरा आंखों के सामने घूमता रहता था.  सर्दी के दिन थे. उस दिन कॉलेज की छुट्टी थी. रंग-बिरंगे फूलों से लदी क्यारियों के बीच लॉन में मैं सफेद शाल ओढ़े गुनगुनी धूप में बैठी हुई थी. “रंगीन गुलों के बीच सफेद परी कौन आ गई” आवाज़ सुनकर मैं चौंक गई. पलटकर देखा उदय खड़ा मुसकुरा रहा था. पहली बार उसकी आवाज़ सुनी थी और वह भी गुदगुदाने वाली. मैंने भी मौका नहीं छोड़ा  "कोचिंग से शायरी सीखकर आ रहे हो क्या?" "शायरी कोचिंग में नहीं सिखाई जाती मैडम, वो तो ज़ुबान पर आ ही जाती है." उसकी इस बात पर ठहाका लगाकर हम दोनों ही हंसने लगे. किसी इंटरव्यू की तैयारी करना है कहकर वह तुरंत चला गया. ऐसा लगा हमारे बीच संकोच और झिझक की दीवार अब टूट चुकी है. लेकिन अफसोस कि वही हमारी आखिरी मुलाकात थी. मामाजी ने शायद हमें हंसतेहुए देख लिया था. उसका उन्होंने न जाने क्या अर्थ समझा और उदय से क्या कहा मालूम नहीं, दूसरे दिन सबेरे मुझे पताचला उदय कमरा खाली करके जा चुका है. उसका इस तरह से चले जाना मुझे असह्य पीड़ा दे गया. मैं मन ही मन उसे चाहने लगी थी. वह मेरा पहला प्यार था. उसे मैं कभी भुला नहीं पाई. मेरा मन किसी और से शादी करने को तैयार नहींहुआ. मैंने जीवन भर अविवाहित रहने का फैसला किया.  आर्ट गैलरी के गेट पर जैसे ही कार पहुंची मेरा फ्लैश बैक चलचित्र भी अवरुद्ध हो गया. प्रदर्शनी में चित्रकार आदित्य जीकी एक से बढ़कर एक पेंटिंग लगी हुई थी. हर पेंटिंग मन को लुभा रही थी.  मुझे जब पता चला आदित्य जी थोड़ी देर पहले दर्शकों के बीच यहीं थे और अभी बाहर लॉन में बैठे हैं तो मैं उनसे मिलनेलॉन की ओर गई. आदित्य जी किसी पुस्तिका में डूबे हुए थे. मेरे 'नमस्ते' की आवाज़ सुनकर उन्होंने पुस्तक को बंद कर मेरी ओर नज़र उठाकर देखा.…

March 6, 2022
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