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Death Anniversary पर विशेष: गुरु दत्त से रिश्ते की भारी कीमत चुकानी पड़ी गीता को, 42 साल की उम्र में गवानी पड़ी जान (Geeta Dutt’s Death Anniversary: Tragic Story of Guru Dutt and Geeta Dutt’s troubled marriage and Untimely Death Of Two Lovebirds)

गुरु दत्त की जिंदगी पर जब भी बात की जाएगी उसमें उनकी पत्नी गीता रॉय का नाम जरूर आएगा. जितनी महत्वपूर्ण और बेसब्र करने वाली कहानी गुरु दत्त की है, उतनी ही गीता दत्त की भी. उनके जीवन की हाइलाइट्स भी ऐसी ही रहीं. आज गीता दत्त की पुण्यतिथि पर बात उन्हीं की.


रेशमी आवाज़ की मलिका


जादुई आवाज़ की मलिका गीता दत्त ने बहुत कम उम्र में शोहरत की उस बुलंदी को छू लिया था, जहां लोग पूरा जीवन साधना करने के बाद भी नहीं पहुंच पाते. यही वजह है कि छह दशक बाद आज भी संगीत प्रेमी उनके गाने दिल से गुनगुनाते हैं. सबसे बड़ी बात गीता दत्त ने प्लेबैक सिंगिंग में उस दौर में अपना स्थान बनाया जब लता मंगेशकर शिखर पर पहुंच चुकी थीं और सुरैया, शमशाद बेग़म और नूरजहां जैसी गायिकाओं की भी तूती बोलती थी.

कैफ़ी आज़मी ने कहा था, गीता की आवाज़ में बंगाल का नमक और दर्द


गीता दत्त की आवाज़ गीतकारों-संगीतकारों को कितनी भाती थी, इसका उदाहरण यह है कि उनके लिए ‘वक़्त ने किया क्या हसीं सितम’ लिखनेवाले मशहूर शायर कैफी आज़मी ने कहा था कि उनके आवाज में बंगाल का नमक और दर्द दोनों है. इसी तरह ओपी नैय्यर भी मानते थे कि गीता की आवाज़ में शहद की मिठास है तो मधुमक्खी के डंक का दर्द भी है.

कैसे बनी गायिका?
गीता घोष रॉयचौधरी अमीर बंगाली जमींदार परिवार से ताल्लुक रखती थीं. उन्हें बचपन से ही गायन का शौक था. वह घर में काम करते हुए गुनगुनाती रहती थीं. एक दिन उनके म्यूज़िक कंपोज़र हनुमान प्रसाद गीता दत्त के घर के पास से गुजर रहे थे, तो उन्होंने गीता राय को कोई गाना गाते हुए सुना. गीता की आवाज़ में उन्हें एक अलग सा जादू लगा. बस उन्होंने उनके पिताजी से बात करके उन्हें गायन में प्रशिक्षित किया और महज 16 साल की उम्र में उन्हें अपनी फिल्म ‘भक्त प्रह्लाद’ (1946) में गाने का अवसर दिया. इसके बाद गीता दत्त ने कुछ और फिल्मों में गाना गाया, लेकिन उनको पहचान मिली फिल्म ‘दो भाई’ में जब एसडी बर्मन ने उनसे ‘मेरा सुंदर सपना टूट गया’ गाया गवाया. यह गाना फिल्म से पहले ही सुपरहिट हो गया. इस गीत की सफलता गीता दत्त की पहचान बन गई। उसके बाद तो गीता ने पीछे मुड़कर ही नहीं देखा. इसके बाद उन्होंने हिंदी सिनेमा के लिए कई यादगार गाने गाए.

गुरुदत्त से पहली मुलाकात, प्यार और शादी


गुरु दत्त की बतौर डायरेक्टर पहली फिल्म ‘बाज़ी’ (1951) के एक गाने की रिकॉर्डिंग हो रही थी. गाना था “तदबीर से बिगड़ी हुई तक़दीर बना ले’. गायिका थीं गीता दत्त. गीता तब तक इतनी ऊंचाई पर पहुंच चुकी थीं कि गुरु दत उनके सामने कुछ भी नहीं थीं. गीता स्टार सिंगर थीं. तब तक वे कई भाषाओं में 400-500 या ज्यादा गाने गा चुकी थीं. भव्य लिमोज़ीन में घूमती थीं. समृद्ध जमींदार परिवार से ताल्लुक रखती थीं और गुरु दत्त का बड़ा सा परिवार और छोटा सा घर… आधे से ज़्यादा समय तो उनका फाकामस्ती में ही गुजरता, लेकिन फिर भी दोनों में प्यार हो गया था… जोरदार प्यार. इस प्यार का सिलसिला 3 सालों तक चला और फिर दोनों ने बंगाली रीत रिवाजों से शादी कर ली. इसके बाद खार, मुम्बई के इलाके में एक किराये के फ्लैट में गीता-गुरु दत्त रहने लगे. कुछ दिन तो सब ठीक ठाक रहा, लेकिन फिर उन दोनों में अक्सर झगड़े होने लगे. इस बीच दोनों के तीन बच्चे भी हुए.

गीता-गुरुदत्त में अक्सर झगड़े होने लगे


गीता के साथ दिक्कत ये थी कि वो गुरु दत्त को लेकर बहुत पज़ेसिव थी. किसी भी वैवाहिक जीवन में ये बहुत खराब स्थिति होती है. डायरेक्टर और एक्टर जैसे क्रिएटिव लोग कई एक्ट्रेस के साथ काम करते हैं. उन्हें परदे पर प्यार करते दिखना होता है और उसे असली प्यार जैसे दिखाना होता है. गीता को गुरु दत्त के साथ काम करने वाली हर एक्ट्रेस पर शक़ होने लगा था. वो उन पर हर वक्त नजर रखती थीं. दोनों के बीच लगातार झगड़े होते रहते थे. और जब भी झगड़ा होता, वो बच्चों को लेकर अपनी मां के घर चली जाती थी. गुरुदत्त हाथ पैर जोड़ते कि घर लौट आओ तब वो घर लौटतीं. और अगर गीता न मानतीं तो गुरु दत्त डिप्रेशन में चले जाते थे. ऐसा कई बार हुआ और अक्सर ही होता था.

पाबंदियां गुरुदत्त ने भी लगाईं


कहा जाता है कि शादी के बाद गुरु दत्त ने भी गीता पर पाबंदियां लगा दी थीं. वह चाहते थे गीता केवल उनकी फ़िल्म में ही गाए, लिहाज़ा, उनके दूसरे बैनर्स के लिए गाना गाने पर रोक लगा दिया. रिकॉर्डिंग स्टूडियो से घर आने का समय मुकर्रर कर दिया. काम के प्रति समर्पित गीता पहले तो इसके लिए राजी नहीं हुईं, लेकिन बाद में किस्मत से समझौता करना ही बेहतर समझा. पारिवारिक जीवन को बेहतर बनाने के लिए उन्होंने गायन को दूसरी वरीयता पर रख दिया. कहा जाता है इस कारण गीता डिप्रेशन में रहने लगीं. लिहाज़ा, धीरे-धीरे संगीतकारों ने उनसे किनारा करना शुरू कर दिया. इतना सब करने के बावजूद वे गुरु दत्त के साथ अपनी गृहस्थी संभालने में नाकाम रहीं.

सुंदर सपना टूट गया…

इधर गुरु दत्त और वहीदा रहमान एक के बाद एक फिल्म में साथ काम कर रहे थे और उनके अफेयर के चर्चे होने लगे थे. गीता घर पर बेकार बैठी थीं. उनकी भी महत्वाकांक्षाएं थीं. उन्होंने सिंगिंग के अलावा एक्टिंग में भी आगे बढ़ने की इच्छा जताई, तो गुरु दत्त ने उन्हें लेक्ट ‘गौरी’ फिल्म शुरू की, लेकिन गुरु दत्त ने दो दिन में ही शूटिंग बंद कर दी. कारण बताया कि गीता का बर्ताव ठीक नहीं है और वे रिहर्सल पर नहीं आती हैं.

गीता दत्त ने खुद को नशे में डुबो लिया
गुरु दत्त का नाम वहीदा से जुड़ने का सदमा गीता झेल नहीं सकीं और शराब पीने लगीं. इस तरह शादी और शराब ने गीता के कैरियर को ग्रहण लगा दिया. उनके विवाहित ज़िंदगी मे दरार आ गई. वहीदा के साथ गुरु दत्त के रोमांस की ख़बरों को गीता सहन न कर सकीं और उनसे अलग रहने का निर्णय कर लिया. इसके बाद वहीदा ने भी गुरुदत्त से दूरी बना ली. गीता और वहीदा दोनों के जीवन से दूर हो जाने से गुरुदत्त टूट से गए और 1964 में मौत को गले लगा लिया. गुरुदत्त की मौत से गीता दत्त को गहरा सदमा पहुंचा और उन्होंने भी अपने आप को नशे में डुबो दिया और जिसके बाद वे बीमार रहने लगीं.

प्यार और शराब ने ली जान

सिर्फ़ 42 साल की उम्र जीने वाली गीता दत्त ने अपनी जिंदगी में स्टारडम, शोहरत और अकेलापन सब देखा. कहा जाता है कि वहीदा रहमान के साथ गुरु दत्त के अफेयर की ख़बरों ने गीता दत्त को तोड़ दिया था. गुरु दत्त की मौत से वह पूरी तरह टूट गईं. घर चलाने के लिए उनको फिर से काम करना पड़ा. 1964 से 1967 के बीच उन्होंने बमुश्किल दो दर्जन गाने गाए होंगे, वह भी लो बजट की फिल्मों के थे. उनसे हर किसी ने मुंह मोड़ लिया. आजीविका चलाने के लिए उन्हें स्टेज शो और रेडियो जिंगल्स करने पड़े. यह उस प्लेबैक सिंगर की दास्तां थी, जो कभी हर फिल्मकार और संगीतकार की चहेती हुआ करती थी. गीता दत्त ये बर्दाश्त नहीं कर सकीं और बहुत अधिक शराब पीने लगीं. 1971 में सिर्फ 42 साल की उम्र में गीता ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया.

गीता दत्त ने फिल्म जगत में न तो बहुत अधिक वक़्त बिताया और न ही बहुत ज़्यादा गाने गाए. मतलब स्वर सामग्री लता मंगेशकर और आशा भोसले की तुलना में तो उनके गायन का सफर बहुत छोटा रहा. इसके बावजूद इस छोटे से सफर में ही गीता दत्त ने अपनी आवाज़ से संगीत प्रेमियों पर प्रभाव छोड़ा, उसने उन्हें उनके दिलों में अमर बना दिया.


गीता दत्त के कुछ सुपरहिट
गाने
1. वक्त ने किया क्या हसीं सितम
तुम रहे न तुम हम रहे न हम
2. मेरा सुंदर सपना बीत गया
3. मेरी जां मुझे जां न कहो मेरी जां
4. तदबीर से बिगड़ी हुई तक़दीर बना ले
5. जा जा जा जा बेवफा
6. पिया ऐसो जिया में समाय गयो रे
कि मैं तन मन की सुध बुध गवा बैठी
7. ठंडी हवा काली घटा आ ही गई झूम के
8. जाने क्या तूने कही, जाने क्या मैंने सुनी
9. ये लो मैं हारी पिया हुई तेरी जीत रे
काहे का झगड़ा बालम नई नई प्रीत रे
10. काली घटा छाए मोरा जिया तरसाए
11. न जाओ सैयां छुड़ा के बैयां
12. हम आप की आंखों में इस दिल को बसा दें तो

Meri Saheli Team

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