भव्य और शानदार फिल्मों की जब भी बात आती है, तो कमाल अमरोही (Kamal Amrohi) का ही नाम सबसे पहले ज़ेहन में आता है. पाक़ीज़ा, रज़िया सुल्तान, महल जैसी फिल्में बनाने वाले कमाल साहब का आज जन्मदिन है. 17 जनवरी 1918 को उत्तर प्रदेश के अमरोहा में जन्में कमाल साहब की ज़िंदगी किसी फिल्म स्टोरी से कम नहीं है. छोटी-सी उम्र में वो ग़ुस्से में घर छोड़ कर लाहौर आ गए थे. पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने 18 साल की उम्र में उर्दू अख़बार में नौकरी कर ली. लेकिन अखबार की नौकरी भला कहां भाने वाली थी उन्हें. कमाल साहब के लिए फिल्मी दुनिया इंतज़ार जो कर रही थी. उन्होंने मुंबई का रुख किया. उनके लिए भी शुरुआती दौर मुश्किलों भरा रहा. साल 1939 में उन्होंने सोहराब मोदी की फिल्म पुकार के लिए चार गाने लिखे, फिल्म सुपरहिट रही और लोग कमाल साहब को जानने लगे. कहानी और डायलॉग्स लिखने का सिललिसा शुरू हो गया था. इसी बीच उन्हे फिल्म महल के निर्देशन का ऑफर मिला. महल उनके करियर की सबसे अहम् फिल्म साबित हुई. इस फिल्म के बाद उन्होंने कमाल पिक्चर्स और कमालिस्तान स्टूडियो की स्थापना की. साल 1952 में उन्होंने मीना कुमारी से शादी कर ली, लेकिन साल 1964 में 12 साल के रिश्ते में दरार आ गई. दोनों अलग रहने लगे. जिसका असर पड़ा कमाल साहब के ड्रीम प्रोजेक्ट पाक़ीज़ा पर. लेकिन जब पाक़ीज़ा रिलीज़ हुई, तो एक बार फिर लोगों ने कमाल साहब के निर्देशन का दम देखा.
के आसिफ के कहने पर कमाल साहब ने मुगल-ए-आज़म फिल्म के डायलॉग्स लिखे, जिसके लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ डायलॉग राइटर का फिल्मफेयर अवॉर्ड भी मिला.
फिल्म अंतिम मुगल बनाने की इच्छा कमाल साहब की अधूरी रह गई. भले ही कमाल साहब हमारे बीच न हों, लेकिन उनकी बनाई हुई फिल्में हमेशा उनकी याद दिलाती रहेंगी.
मेरी सहेली (Meri Saheli) की ओर से कमाल अमरोही साहब को शत-शत नमन.
– प्रियंका सिंह
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