Entertainment

फिल्म समीक्षा: ‘किसी का भाई किसी की जान’ ने कर दिया बेजान (Movie Review: Kisi Ka Bhai Kisi Ki Jaan)

 

फिल्म निर्माताओं को यह समझना होगा की फिल्म केवल मसाला भर देने या मारधाड़ से ही हिट या मनोरंजक नहीं हो जाती, बल्कि अभिनय, निर्देशन, कहानी-पटकथा, गीत-संगीत सब कुछ फिल्म को लोगों से जोड़ते और ख़ूबसूरत बनाते हैं. दर्शकों का भी भरपूर मनोरंजन करते हैं. लेकिन इन दिनों फिल्म इंडस्ट्री में ख़ासकर हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में कहानियों का मानो अकाल पड़ गया है, तभी तो साउथ की सुपर-डुपर हिट फिल्मों के रीमेक पर रीमेक बनाए जा रहे हैं. क्या अच्छे हिंदी लेखकों की कमी हो गई है या बॉलीवुड फिल्ममेकर शॉर्टकट रास्ता अपनाकर कामयाबी हासिल करना चाहते हैं?
सलमान खान की फिल्म ‘किसी का भाई किसी की जान’ इसी का एक उदाहरण है. सलमान की फिल्मों में बहुत कम ही लॉजिक या सार्थकता देखने मिलती है. फिर भी हर बार एक उम्मीद रहती थी कि कुछ नया कुछ अलग देखने मिल जाए.

 

अपनी अधिकतर फिल्मों को ईद पर रिलीज़ करने वाले सलमान खान ने इस बार भी कोशिश तो की थी धमाल और कमाल करने की, लेकिन बात बन नहीं पाई. उनकी फिल्म ‘किसी का भाई किसी की जान’ का ना जाने क्यों शीर्षक भी बार-बार बदलता रहा. पहले से कभी ईद कभी दिवाली, तो फिर भाईजान तो अब किसी का भाई किसी की जान के साथ रिलीज़ किया गया. टाइटल बदल देने से फिल्म सफल नहीं हो जाती, इसके लिए फिल्म से जुड़े हर पहलू पर कोशिश करने की ज़रूरत होती है.


इस फिल्म में सलमान एक ऐसे भाईजान बने हैं जिन्होंने तीन अनाथ बच्चों को पाला-पोसा उन्हें अपने भाइयों का दर्जा दिया. उनके तीनों भाइयों की तीन गर्लफ्रेंड भी हैं और उनके मोहल्ले के कुछ बुज़ुर्ग भी हैं, जो समय पर समय पर सलाह-मशवरा देते रहते हैं. सलमान न ख़ुद शादी करना चाहते हैं, ना भाइयों को करने देना चाहते हैं. जबकि तीनो भाई अपने बड़े भाई की शादी कराने के जुगाड़ में लगे रहते हैं, ताकि उसके बाद उनकी भी शादी हो सके. और उसी में इनके जीवन में एंट्री होती है भाग्यलक्ष्मी, पूजा हेगडे की. तो क्या वे अपने बड़े भाई की शादी करा पाते हैं और खुद भी बंधन में बंध पाते हैं, इसी का तामझाम फिल्म है और एक्शन व मारधाड़ अलग से.


यदि निर्देशक फरहाद सामजी चाहते तो एक ख़ूबसूरत फिल्म बन सकती थी, लेकिन उन्होंने तमाम मसाले और हर तरह की चीज़ों की भरमार करके फिल्म को एक अजीबोगरीब स्थिति में ला दिया.
पूजा हेगड़े एक अदद हिट की तलाश में तरसती ही रह गई हैं. यह उनकी पांचवी हिंदी फिल्म है, जो फ्लॉप है. अलबत्ता वे रितिक रोशन, रणवीर सिंह से लेकर सलमान खान तक कलाकारों के साथ काम कर रही हैं, पर अभी तक हिंदी हिट फिल्म की तलाश में है. उनका अभिनय अच्छा है, लेकिन शायद लक साथ नहीं दे रहा है.

 

यह भी पढ़ें: बॉलीवुड में भेदभाव व ग्रुपिज़्म पर बोलीं एरिका फर्नांडिस- टीवी स्टार्स को नीची नज़रों से देखा जाता है, शुरुआत से ही होता आया है भेदभाव, आगे बढ़ने के लिए किसी ग्रुप का हिस्सा होना ज़रूरी होता है यहां (‘To Get Into Bollywood You Have To Be A Part Of Some Group…’ Erica Fernandes Opens Up On Facing Discrimination In Bollywood)

 


शहनाज़ गिल व पलक तिवारी पहली बार सलमान खान के साथ काम करने के अपने अनुभव को लेकर वैसे ही रोमांचित हैं. उनका अभिनय ठीक ही रहा.
फिल्म को सुपरहिट बनाने के लिए और भी कई ऐसे कलाकारों को जोड़ दिया गया है जैसे वेंकटेश, तिरुपति, राघव जुयाल और भी तमाम कलाकार लेकिन फिर भी वही ढाक के तीन पात.


सलमान खान को अब इस बात को समझ लेना चाहिए कि केवल मारधाड़, एक्शन व उटपटांग हरकतों से ही फिल्में कामयाब नहीं होतीं, उसके लिए अच्छी स्क्रिप्ट के साथ बेहतरीन एक्टिंग की भी ज़रूरत होती है. उनकी अधिकतर फिल्में एक जैसी होती है और शुरुआत से ही पता चल जाता कि इसका अंत क्या होने वाला है. फिर भी कह सकते हैं सलमान खान की एक अलग फैन फॉलोइंग है, जो उनकी कैसी भी फिल्म हो उसे देखने का मौक़ा नहीं चूकते, तो उनके लिए कह सकते हैं ख़ास फिल्म है और देखें.
अब तो इतना ही कह सकते हैं कि सलमान खान, पूजा हेगड़े, वेंकटेश, जगपति बाबू, भाग्यश्री, भूमिका चावला, राघव जुयाल, शहनाज़ गिल, तेज सप्रू , आसिफ शेख, सतीश कौशिक, विजेंद्र कुमार, सिद्धार्थ निगम सभी कलाकारों ने अपने अभिनय के साथ न्याय किया है.
नयों लगदा… और बिल्ली बिल्ली… गाना तो पहले से ही हिट हो चुका है. बाकी गाने भी थोड़े शोर करते हैं, लेकिन जिन्हें शोर पसंद है, उन्हें तो अच्छे ही लगेंगे. साजिद-वाजिद का म्यूज़िक ठीक-ठाक है. सिनेमैटोग्राफर वी मणिकंदन को कुछ अधिक करने का मौक़ा नहीं मिला, फिर भी उन्होंने खूबसूरत एंगल को अपने में कैमरे में क़ैद किया ही है. फिल्म की कहानी दिल्ली से हैदराबाद घूमती रहती है और कई लोकेशन ख़ूबसूरत बन पड़े हैं.

 

यह भी पढ़ें: सना खान ने रमजान में पूरे 30 दिन रखे रोज़े, प्रेग्नेंसी में हुई दिक्कतों को लेकर कही ये बात (Sana Khan Keeps Roza for 30 Days in Ramzan, Said This About Problems in Pregnancy)

 


फिल्म की कहानी फरहाद सामजी, स्पर्श खेत्रपाल व ताशा भाम्बरा ने मिलकर लिखी है. यह फिल्म साउथ के अजित कुमार की ‘वीरम’ फिल्म का रीमेक है, जो दस साल पहले बनी थी और सुपरहिट थी.
एसकेएफ फिल्म्स के बैनर तले निर्माता सलमा खान की फिल्म ईद के मौक़े पर रिलीज़ की गई है. अब इसे सलमान खान के फैंस अपनी ख़ास ईदी मानकर चलें, तो बेहतर रहेगा.

Photo Courtesy: Social Media

 

सबस्क्राइब करें मेरी सहेली का 12 अंक (फिज़िकल कॉपी) सिर्फ़ 999 में (840+159 रजिस्टर्ड पोस्ट/कुरियर व अन्य शुल्क) और पाएं 1000 का गिफ्ट कूपन और 12 डिजिटल अंक बिल्कुल फ्री

 

Usha Gupta

Share
Published by
Usha Gupta

Recent Posts

महेश कोठारे यांनी केली ‘झपाटलेला ३’ची घोषणा (Director Mahesh Kothare Announces Zapatlela-3)

अभिनेते महेश कोठारे यांच्या संकल्पनेतून तयार झालेला 'झपाटलेला' हा चित्रपट तुफान हिट ठरला होता. आता…

April 11, 2024

बुरे दिन वापस दे दो…. किरण मानेंची पोस्ट चर्चेत ( Kiran Mane Share Post For Current Situation In Maharashtra)

कुठे कुठला उमेदवार हवा होता-नको होता, या वादात आपण सर्वसामान्य माणसांनी अडकायला नको. महाराष्ट्रात या…

April 11, 2024

संकर्षण सोबत लग्न करण्याची इच्छा पण आईने…. अभिनेत्याची चाहतीसाठी खास पोस्ट ( Sankarshan Karhade Share Post For His Fan, Who Wants To Marry Him)

अभिनेता संकर्षण कऱ्हाडे सोशल मीडियावर खूप सक्रिय असतो. नुकताच त्याने त्याला साताऱ्याला आलेला त्याच्या खास…

April 11, 2024
© Merisaheli