मानसी ने मन ही मन दृढ़ निश्चय कर लिया कि अब वो कठपुतली की ज़िंदगी नहीं जीएगी. उसने जैसे अपने…
“क्या मुझे अपनी ख़ुशियां पाने का हक़ नहीं...? किसी भी दबाव से परे....किसी के हस्तक्षेप से अलग... जीवन को अपने…
क्या न करे? दुनिया... समाज... परिवार... अपनी अस्मिता...अपनी भावनाएं किस-किस से ल़ड़े मानसी और कैसे? कहते हैं, प्रभात का आगमन…