... “मंजरी ले ये दादी को टमाटर का सूप दे आ और देख उनका सूप उनके ग्लास में ऊपर से…
इससे पहले बुआ कुछ कहतीं पीछे खड़ी दादी बोल पड़ीं, "पागल हो गई है क्या छोरी. तू तो इस शगुनवाली…
ये छूत-अछूत, पवित्र-अपवित्र की सनक धीरे-धीरे उनके अस्तित्व और व्यक्तित्व दोनों पर हावी होने लगी. दादाजी अपने अंतिम समय तक…
ये क्वॉरंटीन का दृश्य मुझे उस ज़माने की तरफ़ खींच रहा था, जब छुआ-छूत, जात-पात समाज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा…