“बंदा हाज़िर है, पहले बुला लिया होता तो चला आता.” केबिन के अंदर आते मलय को देख राजेश्वरी को लगा…
धीरे-धीरे उसे मलय का प्यार ढकोसला लगने लगा. आख़िर शरीर का आकर्षण ही क्या प्यार की संतुष्टि कर सकता है?…
मन उखड़ गया था राजेश्वरी का. मलय को अगर उसकी ज़िंदगी से जाना था तो पूरी तरह से जाना चाहिए…
“क्या मैं भी इस हंसी में शामिल हो सकता हूं?” अपने एकांत को किसी को भेदते देख वह चौंक उठी.…