प्रकृति के विरुद्ध जाने का साहस तो कर लिया था, पर आज वह स़िर्फ प्रियंका गिल बनकर रह गई है.…
अकेले पुरुष के कम-से-कम पुरुष मित्र तो बन जाते हैं, पर अकेली औरत पुरुष मित्र तो क्या स्त्री मित्र भी…
राज और आरती की नोक-झोंक में आज उसे रिश्तों की गर्माहट का एहसास हो चला था. शायद यही कारण था…