“जीवनभर अपने आपको, अपनी इच्छाओं को दबाते-दबाते वह ज्वालामुखी बन चुकी थी. इस ज्वालामुखी का बनना मुझे नहीं दिखाई दिया.…
“ये आप क्या कह रहे हैं?” ''एक कड़वी हक़ीक़त बयान कर रहा हूं.” कुछ पल ठहरकर वे पुन: बोलने लगे.…
“तूफ़ान बहुत भयंकर था, किंतु इतने दबे क़दमों से आया कि मैं जान ही नहीं सका... नौकरी में लगते ही…
“पिछले कुछ दिनों से तुम्हें और तुम्हारी पत्नी को देख रहा हूं. तुम्हारे जीवन में अपने जीवन की प्रतिध्वनि सुन…
“आपसे मिलकर प्रसन्नता हुई सर.” “तुम मुझे अंकल कह सकते हो.” “जी अंकल.” “मुझे तुमसे मिलकर ख़ुशी नहीं हुई... क्योंकि…