अब जब चांद खिलेगा आसमान में, तो पूछूंगा मैं उससे कि तेरे बिना क्यों अधूरी लगती है सितारों की ये…
जैसे मेरे ख़्वाबों को पंख मिल गए और उड़ने लगे वो इन फ़िज़ाओं में... तेरे शबनमी गालों को छूकर…