आए दिन हम ऐसी ख़बरें सुनते-पढ़ते हैं कि किस तरह किसी किशोर या किशोरी ने ख़ुद को हानि पहुंचा ली…
बचपन से कुछ ज़्यादा, जवानी से कुछ कम... न अपनों की चिंता, न दुनिया का ग़म... उमंगों का तूफ़ान और…