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जब अपनों को दें उधार 7 बातों का रखें ध्यान (7 Tips Keep In Mind While Giving Loans to Dear One)

हर किसी के सामने कभी न कभी ऐसी स्थिति आती है जब उसे अतिरिक्त पैसों की ज़रूरत पड़ती है और तब मदद के लिए उसके दिमाग़ में सबसे पहले दोस्त व रिश्तेदार ही आते हैं. यदि आपका भी कोई दोस्त/रिश्तेदार आपसे पैसों की मदद मांगे, तो उनकी मदद ज़रूर करें, मगर कुछ बातों का ध्यान रखें. आमतौर पर लोग रिश्तेदारी में पैसों के लेनदेन से बचते हैं क्योंकि कई बार पैसा बेहद क़रीबी रिश्तों में भी कड़वाहट घोल देता है. इसलिए लोग दोस्त/रिश्तेदारों के साथ बिज़नेस पार्टनरशिप करने से भी बचते हैं, मगर बावजूद इसके कई बार ऐसी स्थिति आ जाती है कि आपका कोई क़रीबी आपसे मदद मांगता है और आप रिश्तों का लिहाज़ करके ना नहीं बोल पातें. अपनों की मदद करना अच्छी बात है, मगर पैसों के मामले में थोड़ी एहतियात भी बरतनी चाहिए, यदि आपको किसी अपने को उधार देना ही पड़ें, तो इन बातों का ध्यान ज़रूर रखें.

परिस्थितियों का आकलन करें
किसी अपने को उधार देने से पहले परिस्थितियों का अच्छी तरह से विश्‍लेषण कर लें, साथ ही मामले की गंभीरता को भी समझने की कोशिश करें. क्या सामने वाले को सचमुच किसी बेहद ज़रूरी काम के लिए पैसे चाहिए या फिर बस अपना कोई शौक़ पूरा करने लिए वो आपसे पैसे मांग रहा है. हालांकि इस मामले में बहुत ़ज़्यादा पूछताछ न करें, मगर इतना ज़रूर जानने की कोशिश करें कि उसे किस काम के लिए पैसे चाहिए? हो सके तो उसे तुरंत पैसे देने की बजाय कोई दूसरा रास्ता सुझाएं. यदि फिर भी बात न बनें और पैसे देने ही पड़े, तो अच्छी तरह से उसकी ज़रूरत की पड़ताल करने के बाद ही पैसे दें, कहीं ऐसा न हो कि वो आपके पैसों का ग़लत इस्तेमाल करें जिससे भविष्य में आपके रिश्ते में दरार पड़ जाए.

शर्त और नियम पर चर्चा कर लें
पैसों के मामले में भावनाओं को दूर ही रखें. आपकी क्या शर्तें और नियम है इसकी लिस्ट बना लें, जैसे- वो कितने दिनों में आपके पैसे लैटाएगा, पेमेंट कैसे करेगा? यदि ज़्याद अमाउंट है तो इंस्टॉलमेंट कितनी होगी आदि. ये सारी चीज़ें सामने वाले से डिस्कस कर लें ताकि भविष्य में किसी तरह की ग़लतफ़हमी की गुंजाइश न रहे. एक बात याद रखिए कि एक बार पैसे देने के बाद उससे बार-बार ये न पूछे कि उसने पैसों का क्या किया, कैसे ख़र्च किए. आपके बार-बार पूछने से रिश्ते में तनाव और दरार आ सकती है. यदि बहुत बड़ी रकम उधार दे रहे हैं, तो उसका लिखित सबूत (प्रूफ) ज़रूर रखें.

अपनी सहूलियत देखें
‘अरे चाचा जी ने आज पहली बार मुझसे पैसे मांगे है, अब तो किसी भी तरह से पैसों का इंतज़ाम करना ही पड़ेगा…’ अपने किसी क़रीबी द्वारा उधार मांगने पर क्या ऐसा रिएक्शन आपको ही मुश्किल में डाल देगा. मान लीजिए आपने अभी तो अपनी क्षमता से बाहर जाकर अपने किसी दोस्त या कलीग से पैसे मांगकर उन्हें दे दिए, लेकिन यदि सामने वाले ने आपको समय पर पैसे नहीं लौटाएं तब आप क्या करेगें. दोस्तों के बीच आपकी क्या इज़्ज़त रह जाएगी? अतः यदि आपके पास पैसे नहीं है तो इनकार करने में संकोच न करें. अपनी ज़रूरते पूरी होने के बाद यदि आपके पास अतिरिक्त पैसे हैं तो ही किसी को उधार दें. यदि आपको दोस्त/रिश्तेदार ने जितने पैसे मांगे है आपके पास उतना नहीं है, तो उनसे साफ़ शब्दों में कह दीजिए की आपके पास फिलहाल उतने पैसे नहीं हैं और जितना आपसे बन पड़े उतने ही पैसे दें.

पैसे वापस करने का समय निश्चित करें
चूंकि आप किसी अपने को ही उधार दे रहे हैं, ऐसे में शायद आपको लगे कि पैसे वापस करने का समय निश्‍चित करने की ज़रूरत नहीं है, मगर आपकी ये सोच सही नहीं है. आप चाहे किसी को भी उधार दें, पैसे देते समय ही उसे वापस करने का समय भी तय कर लें. इस बात का ध्यान रखें कि सामने वाला भी समय तय करने की ज़रूरत को समझें. दरअसल, ऐसा करना उसके लिए भी फ़ायदेमंद ही रहेगा क्योंकि समय तय करने से उस पर निश्‍चित तारीख़ तक पैसे देने का दबाव बढ़ेगा और आपके पैसे चुकता करने के लिए सेविंग करने में जुट जाएगा. जहां तक संभव हो कम पैसों के लिए ज़्याद लंबा समय न रखें. हां, यदि पैसे ज़्यादा दिए हैं, तो आप साल दो साल का समय तय कर सकते हैं. आपने कितना उधार दिया है, ये ज़रूर याद रखें.

ब्याज न वसूलें
आपने कोई बिज़नेस डील नहीं की है और न ही किसी बैंक या फायनेस कंपनी में निवेश किया है कि आपको ब्याज मिले. अपने किसी सगे-संबंधी को दिए पैसों पर ब्याज वसूलने की ग़लती न करें, हो सके उस व़क्त वो शख़्स आपकी बात मान लें, मगर आगे चलकर निश्‍चय ही आपके रिश्तों में दूरियां आ जाएंगी. एक बात याद रखिए कि उन्होंने बैंक या किसी फायनेंशियल कंपनी की बजाय आपसे पैसे इसलिए मांगे क्योंकि उन्हें आप पर विश्‍वास है कि आप उनकी मजबूरी समझेंगे और उसका नाजायज़ फ़ायदा नहीं उठाएंगे.

उधार को न बनाएं आदत
हालांकि आप अपने किसी क़रीबी को पैसे देकर उसकी मदद कर रहे हैं, मगर उधार देने को अपनी आदत में शुमार न करें. वरना सामने वाला व्यक्ति आपको ग्रांटेड लेने लगेगा. वो पैसों की अहमियत भी नहीं समझेगा क्योंकि उसे पता है कि जब उसे ज़रूरत होगी तो आप तो हैं ही उसकी मदद करने के लिए और ये हालात आपके लिए ख़तरनाक हो सकते हैं. क्योंकि लंबे समय पैसे न चुकाने पर यदि आप उससे बार-बार तकादा करते हैं, तो वो अपमानति और असुरक्षित महसूस करने लगता है. इस स्थिति में कई बार उधार लेने वाला व्यक्ति आपके साथ कुछ ग़लत भी कर सकता है. ऐसे कई मामले देखे गए हैं जहां उधार लेने वाले व्यक्ति ने तंगहाली के कारण पैसे देने वाले को ही रास्ते से हटा दिया है.

पहचान वालों को बनाएं गवाह
आप जो उधार दे रहे हैं यदि उसके लिए कोई लिखित सबूत नहीं है, तो कभी भी अकेले में पैसे उधार न दें भले ही वो आपके भाई/बहन ही क्यों न हो. जहां तक संभव हो ऐसे कुछ लोगों (2-3) के सामने पैसे दें, जो आप दोनों को जानते हों. इससे पैसे लेने वाले को अपनी ज़िम्मेदारी का एहसास रहेगा और वो जल्द पैसे वापस करने की कोशिश करेगा. इसी तरह इन्हीं जानकार लोगों के सामने पैसे वापस लौटाने पर उधार वापस करने वाले को भी तसल्ली रहती है.

मैंने अपने एक रिश्तेदार को 2-3 बार उधार दिए और उसने समय पर पैसे लौटा भी दिए, मगर एक बार उनके कहने पर मैंने 1 लाख रुपए 1 साल के लॉकिंग पिरियड पर उन्हें इन्वेस्ट करने के लिए दिए, मगर इस इनवेस्मेंट का उन्होंने मुझे कोई प्रूफ नहीं दिया. वो बेहद क़रीबी और विश्‍वसनीय रिश्तेदार थे इसलिए मैंने भी उनसे दुबारा प्रूफ के बारे में नहीं पूछा, मगर एक साल बाद जब मैंने उनसे पैसों के बारे में पूछा तो हर बार नए-नए बहाने बनाकर वो पैसे देने से बचते रहें. तब मुझे एहसास हुआ कि रिश्तेदारी में पैसे देकर मैंने कितनी बड़ी ग़लती की है. उनके बार-बार के झूठ से तंग आकर एक दिन मैंने उन्हें बहुत भला-बुरा सुनाया फिर क़रीब 6 महीने बाद उन्होंने पैसे तो लौटाए, मगर जिस इंटरेस्ट रेट की बाद करके उन्होंने पैसे निवेश करवाए थे वो इंटरेस्ट नहीं दिया. कम से कम मुझे मेरे मूल पैसे तो मिल गए इसी बात की तसल्ली है. इस वाक़ये के बाद से मैंने दुबारा अपने किसी रिश्तेदार से पैसे की लेन देन नहीं की और नही भविष्य में करूंगी.
नेहा शर्मा, दिल्ली

– कंचन सिंह

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Shweta Singh

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