टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में आए बदलावों से शिक्षा भी अछूती नहीं रह पाई है. कोरोना महामारी के कारण आजकल ऑनलाइन पढ़ाई ज़रूरत बन गई है. छोटे बच्चों से लेकर बड़े तक- सभी ऑनलाइन क्लास अटेंड कर रहे हैं, जिसकी वजह से ई-बुक्स का उपयोग बहुत ज़्यादा बढ़ गया है. ई-बुक्स से बेशक बच्चों को फ़ायदा मिल रहा है, लेकिन नुक़सान भी कम नहीं है. आइए एक नज़र डालते हैं ई-बुक्स से होने वाले फ़ायदों और नुक़सान पर, जिसने ऑनलाइन पढ़ाई के दौर में बच्चों को किताबों से दूर कर दिया है?
ई-बुक्स क्या है?
ई-बुक्स (डिजिटल बुक) पेपर बुक का इलेक्ट्रॉनिक वर्शन है, जिसमें पेपर का इस्तेमाल नहीं किया जाता है और जिसे इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस यानी कम्प्यूटर, मोबाइल और टैबलेट के जरिए पढ़ा जाता है. ई-बुक्स को इंटरनेट से डाउनलोड करके आप अपनी मनचाही बुक्स पढ़ सकते है.
ई-बुक्स के फ़ायदे
– ई-बुक्स के लिए पेड़ काटने की आवश्यकता नहीं होती, क्योंकि उनके लिए कागज़ की ज़रूरत नहीं होती.
– ई-बुक्स कंप्यूटर की सॉफ्ट कॉपी होती है, जिसे आप आराम से पढ़ सकते हैं. इससे पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होता है. बुक की बजाय ई-बुक्स पढ़कर हम पर्यावरण संरक्षण में सहयोग दे सकते हैं और कागज़ की बचत कर सकते हैं.
– ई-बुक्स की तुलना में पेपर बुक अधिक महंगी होती है. पेपर बुक में कागज़ और छपाई का ख़र्चा होता है. जबकि
– ई-बुक्स बजट फ्रेंडली होती हैं और वर्चुअल वर्ल्ड में मौजूद होती हैं. सफर के दौरान भी लोग अलग-अलग डिवाइस से कंटेंट को बिना किसी परेशानी के पढ़ सकते हैं.
– ई-बुक्स की कीमत कम होने के कारण इसे ख़रीदने के लिए बहुत अधिक नहीं सोचना पड़ता है.
– ई-बुक्स को पढ़ने के लिए वेबसाइट पर दिए लिंक पर क्लिक करके उस वेबसाइट पर जा सकते है. पेपर बुक में ऐसा नहीं कर सकते.
– बुक्स रखने के लिए आपको अलमारियों की आवश्यकता होती है, लेकिन ई-बुक्स इलेक्ट्रॉनिक्स बुक्स होती हैं, इन्हें रखने के लिए अलमारी की ज़रूरत नहीं होती.
– ई-बुक को आप अपने फैमिली मेंबर्स और फ्रेंड्स के साथ शेयर कर सकते हैं.
– किताब की तरह ई-बुक्स को उठाने का झंझट नहीं रहता है. ई-बुक्स को कंप्यूटर, टैबलेट और मोबाइल पर संग्रहित किया जा सकता है, एक क्लिक करते ही पूरी बुक पढ़ सकते हैं. बिना किसी झंझट के इसे लेकर सफर में जा सकते हैं.
– कंप्यूटर और मोबाइल पर सेव होने के कारण ई-बुक्स के फटने और ख़राब होने का डर नहीं रहता है
– ई-बुक्स पढ़ते समय रीडर जल्दी-जल्दी अपनी इच्छानुसार किसी भी पेज पर जा सकते हैं, जबकि पेपर बुक्स में ज़रूरी सामग्री को खोजने के लिए आपको क्रमबद्ध तरीके से पृष्ठों के माध्यम से फ्लिप करना पड़ता है.
– टेक्नोलॉजी के दौर में आजकल करीबन हर विषय पर ई-बुक्स इंटरनेट पर उपलब्ध हैं. इन्हें बिना किसी परेशानी के इंटरनेट पर सर्च करके डाउनलोड कर सकते हैं. जब कि पेपर बुक्स के साथ ये प्रॉब्लम होती है कि ज़रूरी नहीं कि सभी विषय की किताबें आपको एक ही बुक स्टोर पर मिल जाएं.
– ई-बुक्स पढ़ने के शौक़ीन बुजुर्गों और दिव्यांग के लिए बहुत फायदेमंद हैं. जिन बुजुर्गों की नज़र कमज़ोर हैं, वे कंप्यूटर पर ई-बुक्स के फॉन्ट साइज बढ़ाकर पढ़ सकते हैं. इसी तरह से हैंडीकैप यूजर्स भी ऐसा सॉफ्टवेयर डाउनलोड कर सकते हैं जो ई-बुक को ऑडियो वर्शन में बदल देगा.
– ई-बुक्स को स्टोर करने के लिए यूज़र्स को अपने कंप्यूटर की सेकंडरी कैपेसिटी को बढ़ाना होता है. सेकंडरी कैपेसिटी अधिक होने पर यूज़र्स हज़ारों ई-बुक्स स्टोर कर सकते हैं. इसलिए पेपर बुक की तुलना में ई-बुक्स रीडर को अधिक सस्ती और टिकाऊ पड़ती हैं.
– इंटरनेट पर कई ऑनलाइन एप्स उपलब्ध हैं, जिन्हें डाउनलोड करके ई-बुक्स को खरीदकर पढ़ सकते हैं.
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