आनंद सिर्फ़ उसे नज़रअंदाज़ करता आया था, कभी तलाक़ की बात करता भी नहीं था. तो क्या उसे ज़िंदगीभर उस…
"मैंने बंटी की ओर से आंखें बंद नहीं की हैं, सख़्ती और अनुशासन में ढील नहीं दी है… उस पर…
"बाहर निकलो सब!" लोगों की भीड़ जुटने से मेरी हिम्मत बढ़ चुकी थी. डरी हुई लड़कियों के साथ तीन लड़के…
सुषमा मुनीन्द्र लोग छोटे-छोटे लक्ष्य बनाते हैं, हासिल करते हैं. ख़ुश रहते हैं. जबकि वह बस यात्रा करने का मानस…
प्रीति सिन्हा “वे सही कह रहे हैं. तुम इतनी दुर्बल नहीं हो जितना तुम अपने आपको समझ रही हो. तुम…
“तू अभी भी अपनी उसी संकीर्ण मानसिकता से घिरी है. मेरे हिसाब से ये एक गुनाह है, जिसमें सिर्फ़ सज़ा…
उसके निर्दोष चेहरे की निर्मलता, शांत मासूम आंखों की पवित्रता बार-बार मुझे किसी अलौकिक मूर्ति का आभास दे रही थी.…
"भाईसाहब, काश की मैं उस समय अपनी बात पर अडिग रह पाती, तो आज मेरा प्रेस रिपोटर बनने का सपना…
नई-नवेली दुल्हन थी. रोज़ किसी न किसी का आना-जाना लगा रहता. वो बैठकर बड़ी चतुराई से बातें करतीं और मैं,…
"… तुम्हारी सोच की सुई लोगों के बहकाने की दिशा में कैसे घूमने लगी? तुम्हारा अपना दिमाग़, सेल्फस्टैंड कहां गया?…